कश्मीर की वादियों में बसा एक छोटा सा जिला कुलगाम जहां की रहने वाली थी मुस्कान, जिसके नाम में ही मुस्कान छुपा हो तो वह लड़की आखिर क्यों उदास घर के दरवाजे के पास बैठी हैं, यह सिर्फ़ एक दिन का नहीं हैं बल्कि पिछले दो महीने से यूही मायूस होकर दरवाजे की तरफ एक टक देखती रहती थीं।
" यह रोग मोहब्बत का हैं, इसका इलाज तो इसके महबूब के पास हैं मियां, जाइए ढूंढ के लाइए इनके महबूब को"
यह कहती हुई मुस्कान की चाची घर के अंदर आई, मुस्कान हल्की मुस्कुराहट के साथ उनको देखती हैं,
_चची जान, आप कब आएँ, आइए बैठिए, में तो यूंही बैठी थी ।
नज़दीक के खाट पर बैठी मुस्कान की चाची टोन कसते हुए कहती हैं :
क्या हो गया हैं आखिर कब तक उसका इंतजार करोगी, अब नहीं आने वाला वो, मैं तो भाई साहब से कह ही रही थी के वो लड़का ठीक नहीं हैं मुस्कान के लिए लेकिन किसी को मेरी बात कहा अच्छी लगती हैं, अरे घर में तो हर किसी के खिटपिट होता ही है, अच्छा भला मेरे बेटे यूनुस से करवा देती शादी तो तू आज राज करती राज।
मुस्कान _"चची जान, आप कुछ पायेंगी, चाय, कॉफी, दूध लस्सी वगैरह"
चाची_"हां बेटा सब जानती हूं, बात खत्म करने के लिए कह रही हैं ना वैसे तेरी मर्जी है, अभी भी देर नहीं हुई हैं आजा मेरी बहु बन के "
मुस्कान _"चची जान, आप तो जानती हैं ना मैं और यूनुस भाई एक साथ बड़े हुए हैं मैं उन्हें अपना बड़ा भाई मानती हूं, मैं आपको पहले भी बता चुकी हूं यह सब, आप अब्बू से भी यही बात कह रही थी न कल रात को, मैं कैसे समझाऊं आपको यह मुमकिन नही है"
चाची _ "अरे ठीक हैं ठीक हैं, यह जो तू रोग लगा के बैठी हैं ना तो तुझे नहीं पता तेरे घर वाले तुझे देख के कितना परेशान होते है, यही बातें कल चल रही थी तो मैंने कह दी, बाकी अनजान कौन करेगा तुझसे ब्याह, एक मंगनी पहले से टूट गई हैं । तो वो तो भला हो ……."
मुस्कान_ "चची जान, आपसे किसने कही है की मेरी मंगनी टूट गई हैं, आप तो प्लीज यह बातें न करें "
चाची_"टूट ही गई हैं समझो, इतने दिन हो गए हैं, ना तो कोई कॉल आया और न ही खुद, मां बाप का भी कुछ पता नहीं हैं"
मुस्कान _ चची जान आपके पास कोई काम नही हैं जो यहां आ गई मेरे गमों में इजाफा करने, बस कीजिए यह मेरी जिंदगी हैं मैं खुश हूं यह सब से, आप क्यू हर बार एक ही बात कहती हैं"
चाची _"अरे ठीक है, मुझे कौन सा शौक चढ़ा हैं तेरे बारे में जानने का, वो तो कल यूनुस कह रहा था भाई साहब से बात करने के लिए तो ही पूछ रही थी, मेरी बला से कुछ भी करो तुम लोग... मुझे क्या..."
मुस्कान _"अरे… अरे…. मेरी प्यारी चची जान, मैं अभी आपके लिए ठंडा लेकर आती हूं, आपका मूड एक दम ठीक हो जायेगा, चलिए अम्मी से मिल लीजिए वो अंदर आपका इंतजार कर रही हैं"
चाची_"चल परे हट……उससे बाद में मिल लूंगी आज के बाद तेरे घर का पानी भी नही पीना मुझे, कुछ बोलो यहां तो लोगो को बुरा ही लग जाता है "
(मुस्कान की चाची भिनभिनाते हुए घर से बाहर चली जाती हैं, मुस्कान भी थकान भरी फूंक मारते हुए अपनी पुरानी अवस्था में वापस चली जाती हैं )
Continue......