Hello all of you, welcome to my page, so first of all thank you very much for reading my novels . (नमस्ते आप सभी का मेरे पेज पर स्वागत है, इसलिए सबसे पहले मेरे उपन्यास पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।)
कन्फ्यूज तो नही हो रहे हैं की ये क्या हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही मैंने मिक्स कर दी, अरे हिंदी तो हमारी मात्र भाषा। और फिर कुछ मेरे जैसे भी बहन भाई होंगे जिन्हें अंग्रेजी आती तो है लेकिन वो एक्सपर्ट नही । बुरा मत माना में बुरा ना के रही यह किसी मै खुद की भी बात के रही हु खेर
आज का हमारा विषय है जब तक सफलता न मिले तो उम्मीद नहीं खोनाचाहिए । क्योंकि उम्मीद ही सबसे शक्तिशाली है जो आप सब को अपने सपने, अपने लक्ष्य और अपनी उपलब्धि हासिल में मदत करती है। वो कहते है ना लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।
अब हम आम लोगो की जिंदगी इतनी आसान कहां होती है, हर रोज एक नए दिन कुछ ना कुछ लगा ही होता है और जिसकी वजह से हम परेशान भी बहुत जल्दी हो जाते हैं। अब आज की दुनिया में कुछ भी चीजें आसानी से मिल जाती तो लोग मेहनत करना नही छोड़ देते।
जब जीवन में कोई बड़ी मुसीबत आती है तो वो आशा या उम्मीद ही होती है जो हमें लड़ने का हौसला देती है. आशा या उम्मीद खुद से जितना ज्यादा हो उतना अच्छा है. जब हम यही आशा दूसरों से करते है तब पूरा न होने पर हमें तकलीफ होती है. मानव स्वभाव हर पल बदलता रहता है जिसे समझ पाना नामुमकिन है.
खेर में तो बस आप सब लोगो से इतना ही कहना चाहूंगी की जिंदगी में कुछ भी अगर करना चाहो ना तो सब पहले अपना इरादा सही रखना और फिर उसके बाद कोशिश ऐसी करो कि सफलता शोर मचाने लगे। हा बिल्कुल मानती हूं कि बहुत बार हमारे सामने ऐसी प्रिस्त्थी ऐसी हो जाती है की हम खुद ही कमजोर पड़ जाते है टूट जाते है, मानो जैसे हमारा सपना कभी पूरा ही नही होगा हम डर जाते है और इस वजह से कोशिश भी छोड़ देते है। तो इसलिए जब तक अपनी मंजिल ढूंढ न लो, जब तक आपकी सफलता आपका कदम ना चूम लें तब तक कशिश करते रहो और ना हार मानो ।
कुछ शायरी आप सभी के लिए है, आशा करती हुई आपकी पांडा आयेगी ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र
कुछ उमीद-ए-जवाब में गुज़री
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
अब रात की दीवार को ढाना है ज़रूरी
ये काम मगर मुझ से अकेले नहीं होगा
नई नस्लों के हाथों में भी ताबिंदा रहेगा
मैं मिल जाऊंगा मिट्टी में क़लम ज़िंदा रहेगा
कैसे लाई स्टोरी कॉमेंट मेरे जरुर बताना और आपकी क्या राय है ये बताना मत भूलना । और शुक्रिया इस स्टोरी को पढ़ने के लिए ।
Komal Choudhary