Pyar ek anokha rishta - 21 in Hindi Love Stories by RACHNA ROY books and stories PDF | प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २१

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प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग २१

राज अपने कमरे में कुछ लैपटॉप पर काम करने लगा।
तभी फोन बजा और राज बात करने लगा।

फिर इस तरह से शाम हो गई और हिना घर वापस आ गई तो मिनल ने कहा अरे बाबा आज लंच बॉक्स लिए बिना चली गई।
हिना ने कहा हां,भुल गई थी।
राज ने जैसे ही यह सुना तो वो बोला अरे वाह क्या बात है! किसी को क्या फर्क पड़ता है? क्योंकि पापा मां को टेंशन है इस बात का कि हिना कुछ खाये बिना चली गई पर।
हिना ने कहा अरे।पर मै तो भुल गई बस।
पापाजी साॅरी गलती हो गई।
रमेश ने कहा हां, बेटा ठीक है।
राज तुम भी ना उसे डांट मत।।
हिना उदासी से भरें अन्दाज में कहा माफ कर दीजिए बिलकुल भी जानकर नहीं किया ये कहते हुए वहां से भाग कर सीधे सीढ़ी चढ़ते हुए ऊपर चली गई।
राज ने हैरानी से पूछा अरे ये क्या था?
कुछ ज्यादा हो गया क्या??
आभा ने कहा ओह अब नाश्ता भी नहीं करेगी।।
परिणिति ने कहा मासी मैं जाती हूं।।
राज ने कहा अरे बाबा नहीं।मन में सोचा इससे तो चिढ़ी हुई है पता नहीं मार दे।
परी तू मत जाना।वो आएंगी!
परी ने कहा अरे क्या बात है देवदास इतने शियोर कैसे?
राज ने कहा अरे बाबा हां।
हिना अपने कमरे में जाकर सबकुछ इधर उधर फेंकने लगी और फिर बोली मुझे यहां से जाना होगा किसी भी तरह पर पापा ने मना किया था।
कैसे जाऊं सबको छोड़ कर।।
राज खुद को समझता क्या है।
फिर हिना बाथरूम चली गई।।
फिर नहाने के बाद जाकर सो गई।
कुछ देर बाद ही मालती आई और फिर बहुत उठाने के बाद भी वो नहीं उठी तो चली गई।
सब लोग खाना खाने बैठ गए थे।
मालती आकर बोली मैडम नहीं उठीं।
आभा ने कहा ओह माई गॉड यह सब राजीव की वजह से हुआ।
एक तो बिचारी कुछ खाई भी नहीं।
राज ने कहा अरे वाह मैं क्या करूं।
हमें तो ख़ाने दिया जाएं।
सब लोग खाना खाने लगे।
कोई भी मन से नहीं खा पाया।
खाने के बाद परी ने कहा अरे लौंग डाइव पर चले।
राज ने कहा अरे बाबा नहीं मुझे नींद आ रही है।
यह कहते हुए राज ऊपर चला गया।

और फिर अपनी डायरी निकाल कर लिखने लगा।।
जब किसी की याद आती है ना।
तो रोने की जरूरत नहीं पड़ती।
आंसु अपने आप बहनें लगते हैं।।।
किसी ने मुझसे पूछा।।
दर्द कि कीमत क्या होती है।
मैंने कहा मुझे नहीं पता।।
यहां लोग मुझे मुफ्त में ही दे जाते हैं।

किस किस से छुपाऊ मैं किस्सा अपनी मुहब्बत का,
मेरी आंखों से लेकर मुस्कुराहट में तुम ही नजर आते हों।।

फिर आगे और लिखता है।
लिपटी रहती है तेरी याद यूं एहसासों से।।।
जैसे रूह लिपटी रहती है।
जिंदगी भर सांसों से।।।

पहल जिंदगी की
बनकर उसने मेरे साथ रेत के महल।।
ना जाने बारिश को क्यूं खबर कर दी।

फिर लिखते लिखते हिना का ख्याल आ गया ओह!आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि मैं तुम्हारे बिना खाना खाया पर आज तो खा लिया हिना!
एक लम्बी सांस लेकर राज लाइट बंद कर देता है और सो जाता है।

दूसरे दिन सुबह हिना उठकर एकदम हल्का महसूस कर रही थी ओह माई गॉड मैंने तो डिनर नहीं किया।
किसीने मुझे जगाया नहीं देखा अमर आपके घर में मेरी हालत क्या हो गई?
हिना नहाकर तैयार हो गई और फिर नीचे पहुंच गई तो देखा कि सब सोफे पर बैठे थे।
आभा ने कहा अरे हिना आजा चाय पी लो।
हिना ने कहा हां, मम्मी जी आज तो नाश्ता भी कर के जाऊंगी।
फिर हिना जाकर टेबल से चाय का कप उठाया और फिर बैठ गई।
मिनल ने कहा कल तो तुम सो गई बिना खाएं।
हिना ने कहा हां,सो गई और किसी ने उठाया नहीं मुझे।।
मालती गई थी आपको उठाने राज ने गम्भीर हो कर कहा।
हिना कुछ नहीं बोली और फिर एक घुट में चाय पी लिया।
फिर सब नाश्ता करने बैठ गए।
हिना भी जल्दी जल्दी प्लेट में पुरियां और आलू की सब्जी लेकर खाने लगीं।
राज ने कहा आज बहुत जल्दी है।।
आभा ने कहा राज तुमको जल्दी जाना है?
राज ने कहा मुझे नहीं पर किसी को तो है।
हिना समझ गई थी पर उसने कुछ नहीं कहा।
फिर परी ने एक कौर राज को खिला दिया।
राज ने कहा अरे वाह क्या बात है मेरे हाथों में मेहंदी लगी है क्या?
परिणिति हंसते हुए कहा हां और क्या।।
पर हिना ने एक बार भी राज की तरफ नहीं देखा पर राज बार बार देखता रहा।
कुछ देर बाद हिना ने कहा मेरा हो गया मैं चलती हूं।
हिना उठकर वास बेसिन पर गई।
कुछ देर बाद राज भी उसके पीछे आने लगा।
हिना ने थोड़ी अजीब सा रिएक्शन दिया और फिर बाहर निकल आई।
राज ने भी जल्दी से कार निकाल कर जाने लगा और फिर हो्रन बजाने लगा।
हिना ने देखा और फिर बोली अरे क्या बात है?
राज ने कहा आओ छोड़ देता हूं।
हिना ने कहा शुक्रिया देवर जी मुझे अपनी आदत खराब नहीं करनी है।
राज ने कहा ओके। देखते हैं।
और फिर निकल गया।
हिना ने अपनी आंखें बड़ी कर ली और फिर बोली ओह सॉरी।।
मुझे पता है अब कहीं ठोंक दोगे।
हिना एक बार फिर अतीत में चली गई।
एक बार सब पार्टी कर रहे थे कालेज में।
रात को सब घर पहुंचने में देर हो गई थी तो राज के बाईक पर न बैठ कर सोनम के भाई रिषी के बाइक पर बैठ गई थी और फिर राज को कितना गुस्सा आया था और वो अकेले बाइक पर सवार होकर बाइक ठोक दिया था और सिर पर चोट लग गई थी मैं कितना घबरा गई थी जब मुझे राज के दोस्त का फोन आया था।
मैं रात भर सो नहीं पाई थी।

हिना किसी तरह से कोर्ट पहुंच गई उसे हिम्मत नहीं हो रही थी कि राज को एक बार फोन कर लें।


क्रमशः