Luck by chance again !! - 7 in Hindi Fiction Stories by zeba Praveen books and stories PDF | Luck by chance again !! - 7

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Luck by chance again !! - 7

(राजवीर और बेला को एक साथ देख कर गौरी का दिल भर आया था, वह रात भर रोती रही और अपने माँ-पापा को याद करती रही, उसे अभी तक समझ नहीं आया था आखिर राजवीर ने उससे शादी किया ही क्यूँ था जब की वो किसी और से प्यार करता हैं, वो इन सवालों में उलझकर कर रह गयी थी, समझ नहीं आ रहा था क्या करे लेकिन उसने यहाँ से जाने का मन बना लिया था, उसने रात को ही ध्रुव के नाम एक खत लिखा-

"ध्रुव, आशा करती हूँ सब कुशल मंगल हैं, मेरे माँ-पापा का ख़्याल भी तुमने अच्छे से रखा होगा, मैं दो सप्ताह के लिए हनीमून पर यूरोप जा रही हूँ, कोशिश किया था जाने से पहले सब से मिल लूँ लेकिन तुम लोगो को तो राजवीर जी का गुस्सा पता ही हैं बोलने लगे आने के बाद मिल लेना क्यूंकि उन्हें और भी काम हैं वहां, अपना और मीता का ध्यान रखना, तुम्हारी दोस्त गौरी"

(सुबह के पांच बजे गौरी, सुनीता के पास गई)

गौरी-"दीदी यह चिट्टी मेरे गांव भिजवा देना, रात के लिए मैं आप से माफ़ी मांगती हूँ"

सुनीता -"मालकिन....आप माफ़ी क्यूँ मांग रही हैं, कोई बात नहीं, आप रात को गयी थी साब जी के पास?"

गौरी-" हाँ लेकिन उस समय वो बेला उसके साथ ही थी, मैं फिर वापस आ गयी, दीदी एक बात कहनी हैं आपसे"

सुनीता-"मालकिन बोलिये ना"

गौरी-"मैं यहाँ से जा रही हूँ, मेरे घर वाले अगर आये तो उनको बता देना, मैं इनके रिश्तेदार के घर गयी हूँ"

सुनीता-"मालकिन....यह कैसी बातें कर रही हैं आप, यह घर आपका भी हैं"

गौरी-"नहीं सुनीता दीदी, यहाँ बहुत कुछ धुंधला हैं, मेरे जाने के बाद ही यह साफ़ होगा"

सुनीता-"मालकिन अभी तो आपकी मेहँदी के रंग भी फीके नहीं हुए, आप ऐसी बातें क्यूँ कर रही हैं, कहां जाएंगी आप?"

गौरी-"यह शहर बहुत बड़ा हैं, कही भी चली जाउंगी"

सुनीता-"मालकिन आप कुछ दिनों के लिए अपने मायके क्यूँ नहीं चली जाती, आप का मन बहल जायेगा"

गौरी-"नहीं दीदी, माँ-पापा ने बहुत ख़ुशी-ख़ुशी मुझे विदा किया था, मैं अब उनकी खुशियों को ख़त्म नहीं करना चाहती, वो मुझे देख कर ही मेरे गमो का अंदाज़ा लगा लेंगे"

सुनीता-"लेकिन मालकिन ......"

गौरी-"दीदी....बस यह मेरा ख़त ध्रुव तक पहुंचा देना, और हाँ, यहाँ किसी को मत बताना मेरे बारे में"

सुनीता-"ठीक हैं मालकिन, मैं भगवान से प्राथना करुँगी, आप जल्द वापस आ जाए इस घर में दुबारा"

गौरी(मुस्कुराते हुए)-"यह मुमकिन नहीं दीदी"

(सुबह-सुबह ही गौरी वहा से चली गयी, बाहर के सभी नौकर नींद की झपकी ले रहे थे, गौरी दबे पाव वहा से निकल कर जाकर ऑटो में बैठ गयी, सात बजे राजवीर उठा और हॉल में आकर बैठ गया, निगाहें उसकी बार-बार गौरी के कमरे की तरफ जा रही थी लेकिन तभी बेला भी उसके साथ आकर बैठ गयी, थोड़ी देर बाद सुनीता दोनों के लिए नाश्ता लेकर आयी, राजवीर नाश्ता करके बाहर बाग़ीचे में टहलने चला गया, वापस लौटते समय भी वो गौरी के कमरे को देखने लगा, तभी सुनीता उसके पास आयी,

सुनीता-"साब जी, वो नयी मालकिन अपने कमरे में नहीं हैं"

राजवीर-"कमरे में नही हैं का क्या मतलब, देखो कही और होगी"

सुनीता-"घर में कही नहीं हैं, मैंने हर तरफ देख लिया"

राजवीर-"क्या बकवास कर रही हो तुम, मैंने तुम्हे कहां था न उस पर नज़र रखने को, फिर वो गयी कहा"

सुनीता-"साब जी मैं सुबह-सुबह ही उनके कमरे में गयी थी वो नहीं थी वहां, मैंने फिर उनको बाथरूम में ढूंढा और फिर घर में हर जगह ढूंढा लेकिन वो नहीं मिली"

राजवीर-"घर के सभी नौकरो को बुला कर लाओ"

(तभी ड्राइवर अंकल भी आ जाते हैं)

ड्राइवर-"बेटा जी, क्या हुआ?"

राजवीर-"वो घर में नहीं हैं"

ड्राइवर-"कौन..गौरी?"

राजवीर-"हाँ वही......वो घर से चली गयी हैं और किसी ने उसे जाते नहीं देखा"

ड्राइवर-"यह तो बहुत ख़ुशी की बात हैं, आप की मुसीबत टल गयी"

(तभी बेला भी आ गयी)

राजवीर-"मुसीबत..........आपको पता हैं ना मेरी इस शादी की खबर हर जगह फ़ैल चुकी हैं, जब तक मैं उससे डाइवोर्स नहीं ले लेता, मैं किसी और से शादी नहीं कर सकता"

ड्राइवर-"हाँ बेटा जी, कल ही मैंने न्यूज़ पेपर में देखा था, अगर वो नहीं मिली तो हमारे लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी"

राजवीर-"हाँ जाइये ढूंढिए उसको, यह सब आप की ही वहज से हुआ हैं"

ड्राइवर-"मेरी....मगर"

राजवीर-"बाते करते रहेंगे या ढूंढेंगे भी"

(ड्राइवर अंकल गाड़ी लेकर गौरी को ढूंढने निकल जाते हैं, वो गौरी के घर मिठाइयां लेकर जाते हैं ताकि किसी को शक ना हो लेकिन गौरी वहां नहीं मिलती हैं, राजवीर अपनी दूसरी गाड़ी से ऑफिस चला जाता हैं, गौरी का ना मिलना इनको ज़्यादा बेचैन कर रहा था, ड्राइवर अंकल उसे ढूंढने अनाथालय भी जाते हैं लेकिन वहां भी वो नहीं मिलती हैं, सुबह से शाम हो जाती हैं लेकिन गौरी का कही पता नहीं चलता हैं, ड्राइवर अंकल थक हार कर वापस घर लौट आते हैं)

राजवीर-"यह कैसे हो सकता हैं, कहा जा सकती हैं?,"

ड्राइवर अंकल-"पता नहीं बेटा जी वो कहा चली गयी, मैंने बहुत ढूंढा उसे यहाँ तक उसके घर भी गया था लेकिन वो लोग इस बात से बिलकुल अनजान हैं"

राजवीर-"उनको शक़ तो नहीं हुआ ना"

ड्राइवर अंकल-"नहीं बिलकुल नहीं, मैं मिठाइयां लेकर गया था, सब बहुत खुश लग रहे थे"

बेला-"बेबी अब क्या होगा, हमारी शादी कैसे होगी अब"

राजवीर-"तुम फिक्र मत करो, मैं जल्द ही उसे ढूंढ लूंगा"

बेला-"बेबी चलो ना हम ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं, वहा कोई दिक्कत नहीं आएगी हमें"

राजवीर-"जान......मैं यहाँ से नहीं जा सकता, यहाँ मेरे पापा के सपने बसते हैं, यहाँ मुझे एक पहचान मिल चुकी हैं, और मैं उसे अब खोना नहीं चाहता"

बेला-"बेबी अगर वो लड़की नहीं मिली तो....."

राजवीर-"फिर हमें शादी के लिए वेट करनी होगी"

बेला-"बट कब तक, मुझसे वेट नहीं किया जा रहा"

राजवीर-"बेला अपने कमरे में जाओ, मुझे कुछ काम करना हैं"

बेला-"सी यू जान....."

(राजवीर ने कई सारे लोगो को गौरी को ढूंढने में लगा दिया था लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल रहा था, कहने को तो अब राजवीर ने अपने बैडलक से छुटकारा पा लिया था लेकिन जो उसने गौरी के साथ किया था, उसकी क़ीमत अभी चुकानी बाक़ी थी, गौरी के गए दो सप्ताह हो गए थे , राजवीर अपने काम के सिलसिले में किसी मीटिंग में जा रहा था, लेकिन तभी उसकी गाड़ी को किसी बेलगाम ट्रक वाले ने ठोकर मार दिया, उस समय ड्राइवर अंकल उसके साथ नहीं थे बल्कि उसका दूसरा ड्राइवर साथ गया था जिसकी मौत उसी समय हो गयी थी, राजवीर की साँसे चल रही थी लेकिन उसकी हालत बहुत नाजुक थी, सड़क से उठा कर लोगो ने उसे पास के सिटी अस्पताल में एडमिट करवा दिया था, जब ड्राइवर अंकल को पता लगा तो वो फ़ौरन उस हॉस्पिटल में आ गए और वहां से वह राजवीर को बड़े अस्पताल में ले गए)


continue ...........