Sathiya - 15 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 15

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साथिया - 15

समय धीरे-धीरे बढ़ रहा था।
उधर सार्थक नियति को ढूंढने की कोशिश कर रहा था और नियति जानकर उसे अवॉइड कर रही थी इसलिए उसकी पूरी कोशिश होती है कि वह सार्थक के सामने ना पड़े।

वैसे भी उन दोनों के सब्जेक्ट अलग-अलग थे तो इतने बड़े कॉलेज बिल्डिंग में क्लासेस में अलग-अलग लगती थी। उसके बाद नियति ने फुटबॉल ग्राउंड में आना भी छोड़ दिया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि दोबारा सार्थक से सामना हो और उसके दिल का हाल सार्थक को समझ में आए।

शिखा उसकी हालत समझ रही थी बावजूद इसके शिखा ने भी उसे नहीं बताया कि सार्थक उसे ढूंढ रहा है क्योंकि उसको नियति की बातों से अच्छा खासा अंदाजा हो गया था कि आगे जाकर प्रॉब्लम हो सकती है और वह नहीं चाहती थी कि उसकी खास सहेली की जिंदगी में कोई प्रॉब्लम आए। उसने भी यही सोच लिया कि कुछ दिन ऐसे ही निकलने देते हैं शायद सार्थक खुद ही नियति को ढूंढना बंद कर दे और बात नहीं की ही खत्म हो जाए।

शायद किस्मत ने उन दोनों की जिंदगी में कुछ और ही लिख रखा था।

दिल्ली में भी कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। अक्षत अपने एग्जाम की तैयारियों में लगा हुआ था इसी बीच एनुअल फंक्शन भी आ रहा था। एनुअल फंक्शन की तैयारियां भी शुरू हो गई थी। सुपर सीनियर के एग्जाम आने थे तो वह लोग उसमें इन्वॉल्व नहीं थे पर सभी जूनियर क्लासेज एनुअल फंक्शन की तैयारियों में जोर-शोर से लगे थे।

शालु और सांझ भी इसमें इंवॉल्व थी और साथ ही साथ मनु और इशान भी।


अक्षत के भी एग्जाम होने थे इसलिए उसने कॉलेज आना लगभग बंद ही कर दिया था। अक्षत केवल मनु को लेने और छोड़ने आता था और इसी बहाने सांझ के भी दीदार कर के चला जाता था।

कॉलेज में चलती बातों के बीच सांझ ने अक्षत के बारे में सोचना बिल्कुल छोड़ दिया था पर दिल का क्या करें जिसमें अक्षत समा गया था पर उसने तय कर लिया था कि दिल की बात दिल में ही रहेगी और किसी से भी कह कर वह अपना मजाक नहीं बनाएगी पर शालू उसकी बेस्ट फ्रेंड थी और धीरे-धीरे शालू उसके दिल का हाल समझ गई थी जो कि अक्षत को देखकर एक अलग ही लय में धड़कने लगता था।


इधर कुछ काम से नील कॉलेज आया था पर हमेशा की तरह आते ही उसकी विरोधी गैंग के साथ सामना हो गया और दोनों के बीच में एक झड़प हो गई।

नील का ऐसा ही था। उसकी कॉलेज मे अपनी गैंग थी जिसमे कुछ लड़कियां और लड़के थे।

अकसर ही कोलेज में उसकी विरोधी गैंग निखिल से उसकी झड़प होती रहती थीं।

नील और अक्षत दोस्त थे पर एकदम अलग। जहां अक्षत है एकदम शांत था वही नील थोड़ा गुस्से वाला था। वो जल्दी ही भड़क उठता था और इसी कारण उसके अक्सर ही लड़ाई झगड़े हो जाते थे। पर वो अब वह कॉलेज में सुपर सीनियर था और इस साल यहां से जाने ही वाला था एग्जाम के बाद तो उसने अपनी लड़ाई झगड़ों को विराम दे दिया था। और अब वह भी किसी से नहीं उलझता था। ऐसा नहीं था कि नील को लड़ाई झगड़े में मजा आता है बस जब भी कुछ गलत होते देखता था तो जहां अक्षत शांति से समझाता था वही नील की बात सिर्फ मुक्के और लातों से होती थी।


नील को देखते ही निखिल और उसका ग्रुप सामने आ गया।

"अब तो तुम्हारे दिन लद गए कोलेज में फिर काहे चले आते हो मूंह उठाकर। निखिल बोला।

" अभी तक मैं हुं कॉलेज में और कॉलेज छोड़ने के बाद भी इसी शहर में हुं।" नील बोला तो निखिल का गुस्सा बढ़ गया।

और वो आगे आकर निखिल नील से लड़ने लगा।

उनको झगड़ते देखा एक प्रोफेसर ने तो उनके बीच आकर उनको अलग किया और नील की तरफ देखा।

" अब आप के फाइनल एग्जाम आ रहे हैं । बेहतर होगा कि आप इन सब से दूर रहें ।" प्रोफेसर बोले और निखिल की तरफ देखा।

"और हां आप लोग भी अब इनसे उलझना बंद करो।" लगातार देख रहा हूं मैं सालों से तुम लोगों की लड़ाइयां खत्म ही नहीं होती है। पर अब बहुत हुआ खत्म करो और अगर आज के बाद तुम नील वर्मा से उलझते दिखे तो तुम्हें रेस्टीकेट करवा दूंगा।" प्रोफेसर बोले और चले गए।

"यह और अक्षत हर समय टॉप करते हैं जिस कारण यह प्रोफेसर के फेवरेट है मजबूरी हो गई है।" निखिल का साथी बोला।

" अब तो प्रोफ़ेसर भी इनकी इनका साइड लेने लगे हैं इसलिए अभी हम कुछ भी नहीं कर सकते।" दुसरा लड़का बोला तो निखिल के चेहरे पर गुस्से के भाव आ गए।

" देख लूंगा तुम सब को।" निखिल बोला।

" तुम कुछ कर भी नहीं पाओगे। पता है मुझे उस दिन जूनियर के साथ बदतमीजी करने की कोशिश कर रहे थे तो अक्षत ने क्या जबरदस्त तरीके से तुम को सबक सिखाया और आगे भी मैं तुम लोगों से बोल दे रहा हूं। भले हम इस यूनिवर्सिटी में रहे ना रहे पर अगर अपनी हरकतों से बाज नहीं आए ना तो हम वापस आकर तुम्हें यहां फिर से सबक सिखाएंगे।" नील बोला और फिर अपने ग्रुप के पास आकर खड़ा हो गया।

"क्या हुआ आते ही फिर से झगड़ा शुरू..!" नील की दोस्त रिया बोली।

" अरे झगड़ा नहीं मजबूर है बेचारे और कुछ कर नहीं सकते इसलिए बेमतलब की हरकतें करते हैं।" नील बोला।

" क्या मतलब?" रिया ने कहा।

नील अपनी बाइक से टेक लगाकर खड़ा हो गया और खास अंदाज में बोलने लगा।

"जल बिन मछली सी हालत हो गई आजकल उनकी।
मन ही मन द्वेष है मुझसे मगर कुछ कह नही सकते।
बैचैन है बेकाबू है वो बहुत शांत लहजे से मेरे
लड़ने की आदत पुरानी वो अपनी भुला भी तो नही सकते
चमचों की आड़ लेकर आ रहे खुद को नीचा दिखाते हुए
पर सामने से तो पंगे वो अब कभी मुझसे ले नही सकते।"


नील ने कहा तो सब मुस्कुरा उठे वहीं उधर से गुजरती हुई मनु ने जब नील की आवाज सुनी तो पलट कर देखा।

वह नील को वैसे भी पहचानती थी इस इस तरीके से कि वह अक्षत का दोस्त है पर बातचीत कम होती थीं।

"वाह वाह वाह वाह..!" मनु बोली तो नील और बाकि ने उसकी तरफ देखा।

"क्या बात कही है गुरु तुम तो छा गए..!" मानसी एकदम से बोली तो रिया को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।

" है जूनियर हम लोगों के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है अपना काम देखो।" रिया बोली।

" अरे तो मैं अपना काम ही तो देख रही हूं...! मैंने कहां आप लोगों के बीच बोला। अब जब सर ने इतनी शानदार तरीके से कोई बात कही तो फिर वाहवाही तो बनती है ना ? और आपको इतना क्यों बुरा लग रहा है रिया मैडम मैंने सिर्फ तारीफ की है उठा कर नहीं ले जा रही हूं आपके बॉयफ्रेंड को ?" मानसी बोली।


"और तुम्हारी औकात भी नहीं है उसे उठाकर ले जाने की समझी तुम? तुम्हें तो सिर्फ इसलिए मैं बर्दाश्त कर लेती हूं क्योंकि तुम नील के दोस्त अक्षत की फ्रेंड हो उसके घर में रहती हो वरना अच्छे से सबक सिखा देती।" रिया ने पैर पटकते हुए कहा।

उसे ना जाने क्यों पर मनु कभी पसंद नहीं आई थी।

"रिया मैडम आपको जो बोलना है आप बोलो ..! आपको अक्षत का नाम लेकर मुझ पर एहसान करने की जरूरत नहीं है। मैं अपनी लड़ाई खुद लड़ सकती । ओर वैसे भी मैंने ऐसा कहा क्या मैं तो हमेशा आप लोगों जहां होते हो वहां से साइड से निकल जाती हुं । कभी बोलती ही नहीं सिर्फ सर की तारीफ ही तो कर दी मैंने ऐसा भी क्या गुनाह कर दिया?" रिया ने कहा।


" कहा ना तुम्हें तारीफ करने की भी जरूरत नहीं है और खासकर मेरे नील पर नजर डालने की भी जरूरत नहीं है।" रिया बोली?

" रिया बात को क्यों बढ़ा रही हो? " नील बोला।

" तुम चुप करो....! मैं देख रही हूं आजकल तुम्हारी नजर बार-बार इस जूनियर की तरफ ही होती है। भूलो मत कि तुम और मैं दोस्त है।" रिया बोली।

"हां तो सिर्फ दोस्त ही तो है ना?" नील ने कहा।

" प्लीज आप लोग आपस में झगड़ा मत कीजिए .. ! मुझे आप लोगों के बीच में आने में कोई इंटरेस्ट नहीं है मैं तो अपने रास्ते जा रही थी और फिर से जा रही हूं।" मनु बोलि और वहां से निकल गई।


"क्या रिया तुमसे कितनी बार कहा है कि इस तरीके का मत किया करो? तुम सिर्फ़ मेरी दोस्त हो तुम्हें बात समझ में क्यों नहीं आती? और अगर तुम इसी तरीके की हरकत करती रहोगी तो मुझे दोस्ती भी खत्म करनी होगी।" नील बोला।

" और तुम क्यों नहीं समझते हो कि यह सिर्फ दोस्ती नहीं है , मैं तुम्हें प्यार करती हूं ! कितनी बार कहूं तुम्हें और मुझे नहीं पसंद की कोई मेरे अलावा तुम्हारी तरफ देखे।"रिया बोली..!


जाती हुई मनु के कानो मे उन लोगों की आवाज़ पड़ी तो उसके चेहरे पर फीकी मुस्कान आ गई।

"उसने मेरी तरफ नहीं देखा है और ना ही मेरे साथ फ्लर्ट किया है..! " नील बोला।

" तुम्हें कुछ नहीं दिखाई देता...! वह फ्लर्ट करती है अक्षत की आड़ लेकर अक्सर ही तुम्हारे आसपास मंडराती है। मुझे सब समझ में आ जाता है।" रिया बोली।

" यह तुम्हारा दिमाग का फितूर है और दूसरी बात यह कि मेरा न तो मानसी से और न तुमसे कोई ऐसा रिश्ता है तो प्लीज फालतू में इस तरह की बातें बोलकर माहौल मत क्रिएट करो? हम सिर्फ दोस्त हैं और तुमसे पहले भी कह चुका हूं बाकी इसके अलावा मैंने तुम्हारे बारे में न सोचा है और न कभी मैं सोचूंगा।" नील बोला।


"तुम्हें सोचने पर मैं मजबूर कर दूंगी और जो भी तुम्हारी तरफ देखेगा उसको तुमसे दूर जाने के लिए लिए मजबुर कर दूंगी।" रिया ने मन ही मन कहा और वहां से चली गई।

क्रामाय:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव