Wo Maya he - 93 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 93

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वो माया है.... - 93



(93)

अदीबा को पता चला था कि पुलिस ने हुसैनपुर से दो आदमियों को गिरफ्तार किया है जो पुष्कर और चेतन की हत्या के केस में संदिग्ध हैं। पुलिस ने अभी तक इस विषय में कोई सूचना नहीं दी थी। अदीबा मिली हुई सूचना के साथ अखलाक के केबिन में गई। उसे सारी बात बताई। अखलाक ने उस पर विचार करने के बाद कहा,
"अदीबा इधर पुष्कर और चेतन की हत्या को लेकर हमारे पास बताने लायक कुछ नहीं बचा था। हमने दूसरे केस पर ध्यान देना शुरू कर दिया था। लेकिन दिशा और पुष्कर पर लिखी तुम्हारी सीरीज़ ने लोगों की दिलचस्पी अभी भी उस केस में बनाकर रखी है। लोग जानना चाहते हैं कि केस में कुछ नया हुआ या नहीं। अब एकबार फिर समय आ गया है उन्हें नई जानकारी देने का।"
"सर मैं भी वही सोच रही थी। पुलिस ने तो इस विषय में कोई सूचना नहीं दी है। मैं सोच रही थी कि इंस्पेक्टर हरीश से मिलकर इस बारे में जानकारी लेती हूँ।"
"उसका कोई फायदा नहीं होगा। इंस्पेक्टर हरीश साइमन मरांडी के साथ है। कुछ नहीं बताएगा। तुम हुसैनपुर जाओ। वहाँ जाकर कुछ पता चल सकता है।"
"ठीक है सर.... मैं अभी हुसैनपुर के लिए निकल जाती हूँ।"
अखलाक ने अपनी घड़ी देखकर कहा,
"यह ठीक रहेगा। पर तुम अपनी स्कूटी से मत जाओ। अगर तुम ड्राइव कर पाती तो मेरी कार से चली जाती।"
"सर मैं मैनेज कर लूँगी। आप परेशान मत होइए।"
अखलाक ने कुछ सोचकर कहा,
"ठहरो मैं जग्गू से बात करता हूँ। अगर वह गाड़ी ले जाने को तैयार हो तो उसके साथ चली जाना।"
अखलाक ने जग्गू ड्राइवर से बात की। वह तैयार हो गया। अखलाक ने उससे कहा कि वह अदीबा को लेकर हुसैनपुर चला जाए। अदीबा जग्गू के आने की राह देखने लगी। उसी समय निहाल केबिन में आया। निहाल विशाल के केस पर नज़र रखे था। अदीबा भी केस के बारे में जानना चाहती थी। निहाल ने बताया,
"सर विशाल का केस अगले हफ्ते शुरू हो रहा है। पर विशाल ने तय किया है कि वह कोई वकील नहीं लेगा। वह नहीं चाहता है कि मानसिक बीमारी के आधार पर वह अपने गुनाह से छुटकारा पाए।"
यह खबर सुनकर अदीबा वापस बैठ गई। उसने कहा,
"उसका केस तो खालिद मुस्तफा लड़ने वाले थे ना। वह तो माने हुए वकील हैं। फिर विशाल तैयार क्यों नहीं है ?"
निहाल ने कहा,
"जैसा मुझे सुनने को मिला है उसके पापा जेल में उससे मिले थे। उसे समझाया भी था। पर वह माना नहीं। शायद अपने किए पर पछतावा हो।"
अखलाक ने कुछ सोचकर कहा,
"निहाल तुम विशाल के घरवालों से जाकर मिलो। जो भी है उसकी रिपोर्ट तैयार करो। कल ही उसे छापते हैं। अदीबा भी जा रही है कुछ नया लाने के लिए।"
निहाल ने अदीबा की तरफ देखकर कहा,
"तुम कहाँ जा रही हो ?"
अदीबा ने उसे सारी बात बताने के बाद कहा,
"देखो शायद कोई दिलचस्प बात पता चल जाए।"
निहाल ने उसे शुभकामना दी और केबिन से निकल गया। कुछ देर में जग्गू भी आ गया। अदीबा उसके साथ हुसैनपुर चली गई।

अदीबा हुसैनपुर के पुलिस स्टेशन में बैठी थी। उसने वहाँ के एसओ सुंदरलाल से चार दिन पहले हुई दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी मांगी। सुंदर लाल ने कहा,
"मैडम उस गिरफ्तारी के बारे में हम कुछ नहीं बता सकते हैं। उस टीम को इंस्पेक्टर नासिर ने लीड किया था‌। वही आपको जानकारी दे सकते हैं।"
"सुंदरलाल जी इंस्पेक्टर नासिर से मेरी मुलाकात करवा दीजिए।"
"मैडम उस गिरफ्तारी के अगले दिन से ही वह छुट्टी पर हैं। किसी रिश्तेदार की शादी के लिए गए हैं। परसों तक आ जाएंगे।"
अदीबा सोच में पड़ गई। वह तो यह सोचकर आई थी कि उस गिरफ्तारी के बारे में बहुत सी जानकारी लेकर जाएगी। पर सुंदरलाल ने अपनी तरफ से कुछ भी बताने से मना कर दिया था। गिरफ्तारी करने वाली टीम का लीडर इंस्पेक्टर नासिर छुट्टी पर था। अदीबा ने कहा,
"सर कुछ तो मदद कीजिए। आप इस गिरफ्तारी के बारे में कुछ बताइए।"
"मैडम उन दोनों को शाहखुर्द ले जाया गया है। आप वहीं जाकर पता कर लीजिए।"
सुंदरलाल यह कहकर अपना फोन देखने लगा। अदीबा के दिमाग में एक बात आई। उसने कहा,
"सर मैं शाहखुर्द ही जाने वाली थी। फिर मुझे लगा कि गिरफ्तारी जिस केस के लिए हुई है वह बहुत महत्वपूर्ण है। उस केस के लिए साइमन मरांडी जैसे पुलिस ऑफिसर को विशेष रूप से भेजा गया था। गिरफ्तारी अपने आप में बहुत बड़ी है। इसलिए सोचा कि जिस पुलिस स्टेशन के क्षेत्र में यह बड़ा काम हुआ है वहीं पूछताछ करूँ। मुझे लगा कि इस महत्वपूर्ण सफलता से इस पुलिस स्टेशन का नाम जुड़ना चाहिए। पर मैं अब शाहखुर्द पुलिस स्टेशन से ही सारी बात पता कर लूँगी।"
वह उठकर खड़ी हो गई। उसने कहा,
"आपने मुझे समय दिया उसके लिए धन्यवाद...."
अदीबा ने जानबूझकर सफलता में पुलिस स्टेशन का नाम जोड़ने की बात कही थी। उसकी बात सुनकर सुंदरलाल ने अपना ध्यान फोन से हटा लिया। उसने अदीबा को रोकते हुए कहा,
"रुकिए.....उस दिन कंट्रोल रूम से आदेश मिलने पर मैंने ही उस गिरफ्तारी के लिए टीम तैयार की थी। हमारी टीम ने सूझबूझ और बहादुरी दिखाई। ना सिर्फ उन दोनों को पकड़ा बल्की पुलिस के एक प्रमुख खबरी को भी उनके चंगुल से छुड़ाया।"
अदीबा अपनी कुर्सी पर बैठ गई। उसने कहा,
"सर प्लीज़ थोड़ा विस्तार से जानकारी दे दीजिए। मुझे अच्छी सी रिपोर्ट तैयार करनी है।"
"मैडम....वह तो बता देंगे। पर रिपोर्ट में हमारा और पुलिस स्टेशन का नाम आना चाहिए।"
"बिल्कुल सर....आपका तो विशेष उल्लेख करूँगी। आखिर टीम आपने तैयार की थी।"
सुंदरलाल ने उस दिन ललित और पुनीत की गिरफ्तारी के बारे में सारी जानकारी दे दी। अदीबा ने उससे कुलभूषण का नंबर भी ले लिया। एकबार फिर उसने सुंदरलाल को आश्वासन दिया कि उसका और उसके थाने के नाम का रिपोर्ट में विशेष उल्लेख करेगी।
सारी जानकारी के साथ अदीबा वापस अपने ऑफिस लौटी। उसने अखलाक को गिरफ्तारी के विषय में सारी जानकारी दी। अखलाक खुश होकर बोला,
"तुमने तो बहुत अधिक जानकारी बटोर ली।"
"थैंक्यू सर मैं इस पर रिपोर्ट तैयार करके आपको ईमेल कर दूँगी जिससे परसों के अंक में छप सके।"
"अदीबा अभी इसकी रिपोर्ट तैयार करो। कल ही इसे छपना है।"
"पर कल तो निहाल की विशाल वाली रिपोर्ट छपेगी।"
अखलाक ने कुछ सोचकर कहा,
"निहाल की रिपोर्ट आगे छप सकती है। पर इसका कल ही छपना ज़रूरी है। इस रिपोर्ट से हम फिर नंबर एक पोजीशन पर आ जाएंगे।"
अदीबा सोच में पड़ गई। उसे लग रहा था कि निहाल को बुरा ना लगे। उसने कहा,
"सर निहाल ने भी मेहनत की है। उसकी रिपोर्ट...."
अखलाक ने उसे रोकते हुए कहा,
"डोंट वरी अबाउट हिम.... मैं उसे समझा दूँगा। लेकिन तुम्हारी रिपोर्ट का कल अखबार में आना ज़रूरी है।"
अदीबा ने घड़ी देखी। उठते हुए बोली,
"सर मैं रिपोर्ट तैयार करके आपको दिखाती हूँ।"
अदीबा बाहर आई तो निहाल अपनी डेस्क पर बैठा था। उसे देखकर बोला,
"उम्मीद है तुमने तो एकबार फिर कुछ बहुत महत्वपूर्ण पता किया होगा।"
अदीबा कुछ नहीं बोली। वह हल्के से मुस्कुरा दी। निहाल ने उससे कहा,
"आकर ज़रा मेरी रिपोर्ट देख लो। कोई सुधार की ज़रूरत हो तो बताओ।"
अदीबा उसकी डेस्क पर गई। उसकी रिपोर्ट पढ़ने लगी। निहाल ने विशाल और उसके घरवालों के पछतावे के बारे में बहुत अच्छी तरह से लिखा था। रिपोर्ट पढ़कर उसने कहा,
"बहुत अच्छा लिखा है निहाल....."
तारीफ सुनकर निहाल के चेहरे पर चमक आ गई। उसने कहा,
"तुम्हारे मुंह से तारीफ सुनकर बहुत अच्छा लगा। जाकर सर को दिखाता हूँ। कल छप जाएगी।"
अदीबा को यह सोचकर बुरा लगा कि अखलाक की बात सुनकर निहाल का दिल टूट जाएगा। पर वह कुछ करने की स्थिति में नहीं थी। उसे परेशान देखकर निहाल ने कहा,
"क्या बात है अदीबा ? रिपोर्ट में कोई कमी है। बता दो मैं ठीक कर दूँगा।"
"इट्स परफेक्ट...बट....."
कहते हुए अदीबा रुक गई। निहाल ने कहा,
"अदीबा जो भी है बता दो। मैं तो तुम्हें ही अपना आदर्श मानता हूँ।"
यह सुनकर अदीबा को और तकलीफ हुई। उसने कहा,
"तुम सर को जाकर अपनी रिपोर्ट दिखाओ।"
यह कहकर वह अपनी डेस्क पर बैठ गई। निहाल कुछ समझ नहीं पाया। वह अपनी रिपोर्ट पर चर्चा करने के लिए अखलाक के केबिन में चला गया। अदीबा ने खुद को संभाला। उसने रास्ते में ही अपनी रिपोर्ट का ड्राफ्ट दिमाग में बना लिया था। अब बस उसे टाइप करना था। वह अपने काम में लग गई।
कुछ देर बाद निहाल अखलाक के केबिन से निकल कर आया। वह मायूस दिख रहा था। अदीबा ने उसे देखकर कहा,
"आई एम सॉरी निहाल। मैंने सर को समझाने की कोशिश की थी। पर....."
निहाल उसके पास आकर बोला,
"कोई बात नहीं अदीबा। मायूसी तो हुई है। पर तुम्हारी रिपोर्ट खबर रोज़ाना के लिए ज्यादा फायदेमंद होगी।"
अदीबा ने उसकी पीठ थपथपा कर कहा,
"तुमने बहुत जल्दी बहुत कुछ सीख लिया है। तुम मुझे अपना आदर्श मानते हो। इस बात पर मुझे गर्व हो रहा है। तुम बहुत आगे तक जाओगे।"
निहाल अपनी डेस्क पर चला गया। अदीबा अपनी रिपोर्ट तैयार करने लगी। कुछ देर में उसकी रिपोर्ट पूरी हो गई। उसने एकबार उसे पढ़ा। सब सही था। उसने रिपोर्ट अखलाक को भेज दी। वह उसके केबिन की तरफ जा रही थी तभी दिशा का मैसेज आया।
'बहुत दिनों से बात नहीं हुई....फ्री हो तो फोन करो....'
अदीबा ने जवाब भेजा।
'घर के लिए निकल रही हूँ....पहुँच कर फोन करती हूँ....'
मैसेज भेजकर वह अखलाक के केबिन में चली गई। अखलाक को रिपोर्ट पसंद आई। उसने कहा कि कल ही रिपोर्ट प्रकाशित हो जाएगी।
घर आकर अदीबा ने दिशा से बात की। दिशा ने उसे अपने और अनिर्बान के बीच बढ़ती दोस्ती के बारे में बताया। वह बहुत खुश लग रही थी पर अभी भी पुष्कर से जुदाई का दर्द उसकी बातों में झलक रहा था।