Dil hai Hamara Khilona nahi... - 1 in Hindi Love Stories by Diya Jethwani books and stories PDF | दिल हैं हमारा खिलौना नहीं... - 1

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दिल हैं हमारा खिलौना नहीं... - 1

स्वाति:- अरे रेणु....क्या बात हैं आज तो जंच रही हैं....। आए हाए.... किसी की नजऱ ना लगे... ।
रेणु:- मिल गई तुझे फुरसत मेरे लिए...!
स्वाति:- गुस्सा क्यूँ होतीं हैं मेरी जान... तुने शादी इतनी हड़बड़ी में की कि हजारों काम छोड़ कर मुझे आना पड़ा..। अब वहाँ बॉस के फोन पर फोन आ रहें हैं और यहाँ तेरी शादी के हजारों काम...। जब से आई हूँ तेरे ही कामों में लगी हुई हूँ मैडम...।
रेण मुस्कुराते हुए :- बेस्ट फ्रेंड बनना इतना आसान हैं क्या डियर...।
स्वाति उसकों गले से लगाते हुए:- हां ये तो बिल्कुल सही कहा तुने..।
लेकिन एक बात तो बता यार ये शादी का प्लान इतनी अचानक से...।
रेणु:- सब बताती हूँ... पहले तु शांति से कुछ देर बैठ तो सही..।
स्वाति पास में रखी कुर्सी पर बैठते हुए:- ले बैठ गई... अब ये बता ये सब क्या माजरा हैं.... इतनी भी क्या जल्दी थी जान मेरी...। अरे थोड़ा वक्त तो दिया होता मुझे भी तैयारी का..।
रेणु:- तु तो जानती हैं डियर.... राज के बारे में....।
स्वाति:- हां.... पर तुने तो कहा था वो अभी शादी नहीं करना चाहता... पहले शेटल होना चाहता हैं.... फिर अचानक...
रेणु:- हां डियर .... वहीं तो मुझे भी समझ नहीं आ रहा की अचानक से उसने शादी का बोला.... मैं तो खुद बहुत सरप्राइज हो गई थी... जब उसने कहा...। पिछले दो साल से हम रिलेशन में हैं... और इन दो सालों में मैनें ना जाने कितनी बार उसे शादी के लिए कहा... हर बार वो यहीं कहता था की पहले कुछ करने दो... अच्छी नौकरी लगने दो..।
स्वाति:- तो क्या उसे कोई जॉब मिल गई हैं..?
रेणु:- नहीं डियर...।
स्वाति:- तो फिर तुमने पुछा नहीं... की अचानक कैसे हां कर दी..!
रेणु:- पुछा... बहुत बार पुछा डियर...उसने कहा... बहुत जल्द एक बहुत बड़ी कम्पनी में जॉब मिलने वाली हैं... इसलिए अब शादी का सोच लिया हैं..।
स्वाति:- कौनसी कम्पनी... कुछ बताया उसने..?
रेणु:- नहीं... सीआईडी आफिसर....इतना सब नहीं पुछा मैने..। तु भी ना हर बार की तरह बस सवाल पर सवाल करतीं रहतीं हैं..। क्या तु खुश नहीं हैं मेरी शादी से..!
स्वाति:- अरे नहीं मेरी जान...ऐसा नहीं हैं... बस सब कुछ बहुत जल्दी जल्दी हो गया ना इसलिए..। मैं तो बहुत खुश हूँ.. की तुने जिससे प्यार किया उससे ही तेरी शादी हो रहीं हैं... बहुत किस्मत वालीं हैं तु मेरी जान...। काश अपनी भी जिंदगी में कोई ऐसा चाहने वाला आ जाए...।
रेणु:- डांट वैरी डियर... तुझे भी मिलेगा...। लेकिन अपना वादा याद हैं ना...! जब भी मिलेगा... सबसे पहले मुझे बताएगी...।
स्वाति:- हां... मेरी जान... याद हैं... अच्छे से याद हैं... लेकिन पहले मिलने तो दे...।

दोनों सहेलियाँ मस्ती करते हुए आपस में बतिया रहीं थी की तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी..।

तुम दोनों का भरत मिलाप हो गया हो तो मैं अंदर आ जाऊँ...।

रेणु आवाज सुनते ही दौड़ती हुई आवाज की तरफ़ गई....।
रेणु ने वहाँ खड़े शख्स को झट से अपने गले से लगा लिया और रोने लगी... और रोते रोते बोली:- मुझे तो लगा आप आओगे ही नहीं भाई...।
रितिक:- बहन की शादी हो और भाई ना आए.... ऐसा कभी हो सकता हैं क्या पगली...। अब रोना बंद कर वरना तेरा मेकअप खराब हो जाएगा... और मुझे हर बार की तरह पापा की डांट खानी पड़ेगी..।
रेणु मुस्कुराते हुए थोड़ा दूर हुई और यहाँ वहाँ नजरें घुमाकर बोली:- भाभी नहीं आई..?
रितिक:- नहीं... वो नहीं आई... लेकिन मैं हूँ ना...। टेंशन मत ले..। समय के साथ साथ सब ठीक हो जाएगा..।
अभी तु स्वाति के पास बैठ मैं बाकी सबसे मिल लेता हूँ...।
रितिक ने रेणु के माथे पर किस किया और कहा:- बहुत खुबसूरत लग रही हैं आज मेरी छिपकली...। ऊपरवाला तुझे हमेशा खुश रखें..।


ऐसा कहकर रितिक वहाँ से चला गया...। उसके जाने के बाद रेणु स्वाति के पास आई...लेकिन स्वाति जैसे कहीं खोई हुई हो..।
रेणु:- हैलो.. डियर... कहाँ खो गई. .?
स्वाति :- नहीं कुछ नहीं... बस ऐसे ही...। वो सब छोड़ ओर बता... हनीमून का क्या प्लान हैं जान...। तुझे तो राज ने सब पहले ही बता दिया होगा..।
रेणु मुस्कुराते हुए :- स्वाति... तु भी ना... कभी नहीं सुधरेगी..।


रिश्तों के ताने बाने से भुनी इस कहानी का अगला भाग जल्द ही...।