Hotel Haunted - 42 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 42

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 42

"कभी-कभी हम अपनी जिद और ख्वाहिशों मैं इतने अंधे हो जाते है कि हमे पता ही नही चलता की हम दूसरो के दिलो को कितनी तकलीफ पहुंचा रहे है,उस रात के हादसे के बाद आंटी ने उसे बहुत दूर भेज दिया और इसका असर यह हुआ की उसका दिल जैसे पत्थर सा हो गया,जिस बात को भूलने के लिए,उसको दूर रखने के लिए आंटी ने हमेशा कोशिश की मेरी वजह से वो दर्द एक बार फिर उसकी जिंदगी में आ गया।"आंखो से फिसलते हुए आंसु की एक बूंद मेरे हाथ पर गिरी, उन सब बातो के बारे मैं सोचते हुए मैने अपनी आंखे बंध करली।


आंशिका मेरे कंधे पर हाथ रखा,मैंने अपनी आंखे खोलकर देखा तो वो मेरे सामने खड़ी थी,उसने मेरी आंखो मैं देखकर कहा "खुद को दोष देना बंध कर दो श्रेयस,तुम कभी किसी के दर्द की वजह नही बन सकते बल्कि तुम तो वो इंसान हो को दूसरो के दर्द को समझता है,उसे दूर करता है।जैसा तुमने कहा कि उस हादसे की वजह से ट्रिश को एक गहरा सदमा पहुंचा पर उससे देखकर कभी ऐसा नहीं लगता जैसे ऐसा कुछ उसकी जिंदगी मैं हुआ होगा,तुम्हारी वजह से उसने फिर मुस्कुराना सीखा,वो जब भी तुम्हारे साथ होती है तो बहुत खुश दिखती है,यह सब तुम्हारे जैसा एक दोस्त ही कर सकता है इसलिए तुम अपने आप को दोष देना बंध कर दो।" यह बात सुनकर मैं उसके चेहरे को देखता ही रह गया,उसकी बात सुनकर ऐसा लगा मानो दिल से एक बोझ हल्का हो गया हो,आंशिका अब सामने सूरज की ओर मुंह करके खड़ी हुई थी जो बादलो के बीच से बाहर आकर अपनी कोमल रोशनी बिखेर रहा था और ठंडी हवाएं उसके बालो को धीरे-धीरे से हवा मै लहरा रही थी।


मैने अपनी आंखे बंध करली और "Thank you" बस इतना ही कहा जिसे सुनकर उसका चेहरा खिल उठा।कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद उसने कहा "श्रेयस,चलो अब हमे चलना चाहिए।"
"हां तुम चलो मैं कुछ देर मैं आता हूं।" मेरा जवाब सुनकर वो घूरकर मेरी ओर देखने लगी,उसे यूं घूरते देख मैं हल्का सा हंस पड़ा और उसके साथ टेरेस से नीचे आ गया।टेरेस से नीचे आने पर एक वॉशरूम चली गई और मैं Main Gate के पास उसका इंतज़ार कर रहा था तभी मैने देखा की सामने सेम चलता हुआ मेरे पास आकर रुक गया,वो जैसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा था,पर उसे समझ नही आ रहा था कि शुरू कहा से करे? आखिर मैने ही उससे पूछा "अब कैसी तबियत है दोनो की?"
मेरी बात सुनकर वो मेरी ओर देखने लगा और फिर कहा "अनमोल को होश आ गया है,वो कुछ दिनों मैं ठीक हो जाएगा पर अभी की चोट ज्यादा होने की वजह से कुछ दिन rest करने के लिए कहा है,अजीब सी बात है अभी ने ट्रिश के साथ यह सब किया फिर भी तुम उसकी तबियत के बारे में पूछ रहे हो।"


"हैरानी की बात है हम लोग पहले जब भी मिले है हमने सिर्फ लड़ाई की है पर आज तुमसे ऐसे बात करके हुए अजीब सा लग रहा है।"श्रेयस की बात सुनकर वो कुछ देर चुप रहा।
"देखो श्रेयस, I'm really very sorry about this,मैं नही जानता था कि अभी ट्रिश के साथ ऐसा कुछ करने कि कोशिश करेगा वरना मैं उसे जरूर रोक लेता,उसने जो किया वो बहुत गलत था इसलिए मैं तुम दोनों से माफी चाहता हूं।"


"कमाल की बात है उन दोनो के साथ रहने बवाजूद तुम उन दोनो से कितने अलग हो।"
"इसमें हैरानी वाली कोई बात नही है,आखिर मैं भी किसी का भाई हूं और मेरी भी एक बहन है इसलिए ट्रिश की हालत मैं अच्छे से समझ सकता हूं।" इतना कहने के बाद वो वहा से चला गया। सेम अभी वहा से गया ही था की आंशिकाने पीछे से आते हुए कहा "तुम अभी सेम से बात कर रहे थे?"
"वो कुछ नही.....बस अभी की ऐसी हरकत की वजह से मुझसे सॉरी कहने आया था।"मेरी बात सुनकर वो मेरी ओर देखती रही।


हम दोनो चलते हुए पार्किंग की ओर बढ़ रहे थे,कॉलेज मैं भीड़ बहुत कम थी,वहा पहुंचकर आंशिका ने मुझसे कहा,"वैसे एक बात है श्रेयस,जिसकी वजह से मुझे टेंशन हो रहे है।" यह सुनकर मैंने उसकी ओर देखा "अभिनव के डेड इस शहर के बहुत बड़े Businessman है,उनकी कई जगह पर अच्छी पहचान है,उन्होंने अभी को कभी किसी चीज के लिए मना नही किया उसे पूरी छूट दे रखी है,यही वजह है कि उसमे इतना Ego और Attitude आ गया है,अब तुमने सबके सामने अभिनव को इतनी बुरी तरह से मारा है तो कही उसका बदला लेने कर लिए वो तुम्हे या ट्रिश को कही नुकसान ना पहुंचाएं?"


उसकी बात पर मैं हल्का सा मुस्कुरा पड़ा,"अपने बेटे से वो चाहे कितना भी प्यार करते हो पर जहां तक मुझे पता है वो अपने Business और Reputation से उतना ही प्यार करते है इसलिए मुझे नही लगता की वो जल्दबाजी मैं ऐसा कोई कदम उठायेंगे जिसकी वजह से Public मैं उनकी image खराब हो।"
यह बात सुनकर उसने हैरानी भरी नजरों से मेरी ओर देखकर पूछा,"क्या मतलब?"
"मतलब यही कि जब अभी ट्रिश के पैरो मैं गिरकर उससे माफी मांग रहा था और उसने उस वक्त जो भी कहा था वो मेरे कहने मिलन ने सब कुछ रिकॉर्ड कर लिया है,मैं पहले से ही जनता था कि अभी पर हाथ उठाने से उसके डेड चुप नहीं बैठनेवाले इसलिए मैने पहले ही इसका इंतजाम कर दिया था,अब सोचो की अगर यह बात मीडिया तक पहुंच जाएं तो उनके Business पर बहुत बड़ा Negative Effect पड़ेगा इसलिए मैने उन्हे recording की copy भेजकर के दिया है कि अगर ट्रिश को कुछ हुआ तो यह copy सीधे मीडिया और पुलिस तक पहुंच जाएगी।"


मेरी बात सुनने के बाद वो कुछ पल हैरान होकर मुझे ही देखती रही "मैं नही जानती थी की इस भोले चेहरे के पीछे इतना शातिर दिमाग़ भी हो सकता है।" इस बात पर हम दोनो मुस्कुरा पड़े और उसके बाद वो चलीं गई।
कहते है कि वक्त जितना अच्छा होता है वो उतनी ही जल्दी बितता है,आंशिका और दोस्तो के साथ की वजह से ट्रिश अब धीरे-धीरे Normal होने लगी थी,जैसे-जैसे वो Normal हो रही थी मेरी जिंदगी मैं खुशी बिखर रही थी।मां का प्यार तो था ही पर अब भाई भी college मैं मुझसे अच्छे से बात करने लगा था और आंशिका से मेरी ज्यादा बात तो नहीं होती थी पर हम कभी कॉलेज मैं मिल जाते थे।उन्ही आंखो ही आंखो के खेल मैं 2 महीने कब बीत गए पता ही नहीं चला और November का month आ गया,साथ ही आया वो दिन जो मेरी मां के लिए बहुत खास था यानी हमारा Birthday।



आंख मलते हुए मैं बिस्तर से उठा और फ्रेश होकर बाहर आया मेरे लिए आज का दिन भी नॉर्मल दिन की तरह ही होता है पर मेरी मां के लिए यह एक खास दिन है,बाहर आकर देखा तो "Happy Birthday बेटा" कहते हुए शिल्पा ने हर्ष के माथे को चूमा।
"Thank you Mom पर मेरा गिफ्ट कहा है?" हर्ष ने Excitement के साथ पूछा।
"कैसा गिफ्ट?
"Mom आपने वादा किया था की इस बार मुझे वो गिफ्ट जरूर मिलेगा,यह बात ठीक नही है।" हर्ष ने थोड़ा ना हुए कहा,जैसे वो कोई छोटा बच्चा हो,इस बात पर शिल्पा ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, जैसे ही हर्ष ने शिल्पा के हाथ मै देखा वो खुशी के मारे झूम उठा,उसने बिना गवाएं वो चाबी उठाई और शिल्पा के गले लगते हुए कहा,"Thank you mom..... thank you.... Thank you so much you're the best आपने सबसे बड़ा गिफ्ट दे दिया मुझे।"
"क्या कोई अपनी mom को thank you कहता है भला? हमेशा ऐसे ही खुश रहना,तुम्हारी खुशी को किसी को नजर ना लगे।" इतना कहने के भाड़ शिल्पा ने अपनी आंखो के काजल को हर्ष के कान के पास लगा दिया।
"Oho....mom ये क्या है?" हर्ष ने मुंह बनाते हुए कहा जिसे देखकर शिल्पा मुस्कुराने लगी,मैं दूर खड़ा उन्हे कब से देख रहा था,मां और भाई को देखकर ऐसा लग रहा था मानो प्यार और मासूमीयत उनके साथ चल रही हो।


हर्ष का फोन बजा, उसने फोन को पिक करते हुए कहा "हां अवि बोल....अरे थैंक यू यार....हां बस निकल रहा हूं,एक मिनिट होल्ड कर" इतना कहने के बाद हर्ष ने शिल्पा के गाल को चूमते हुए कहा "Thanks mom once again" उसने मुड़कर फोन को अपने कान से लगाया तभी हम दोनो की नजरें आपस मैं मिली "Happy Birthday" मैने धीरे से कहा तो भाई एनआर हंसते हुए अपनी गर्दन हां मैं हिला दी।
"मैं के रहा था कि मैं तुझे और निधि को पिक कर लूंगा बस 10 मिनट मैं पहुंचा।" इतना कहने के बाद हर्ष अपनी कार लेकर घर से निकल गया।


भाई के जाने के बाद मैं चलते हुए मां के पास आया उनके पैर छुए और इनको गले लग गया, मां ने मेरे चेहरे पर हाथ फिराते हुए कहा "Happy Birthday Shreyas" उनके दोनो हाथो को थामते हुए मैने कहा "Thanks Mom"
"हर्ष ने तो अपना गिफ्ट ले लिया पर हर बार की तरह तूने बताया नही की तुझे क्या चाहिए?"उनकी बात सुनकर मैं मुस्कुरा पड़ा मुझे ऐसे हंसता देख उन्होंने सवाल किया "ऐसे हंस क्यों रहा है?" मैने उन्हे पकड़कर सोफे पर बिठाया और उनके पास बैठते हुए कहा "जिसके पास दुनिया की सबसे बड़ी खुशी....आप जैसी मां हो उसे भला किसी गिफ्ट की कैसे जरूरत होगी?"मेरी बात सुनकर मां ने मेरे माथे पर अपने होठ रख दिए,मैने खड़े होते हुए कहा "अगर आप फिर भी कुछ देना चाहती है तो आपके हाथ का बना हुआ Breakfast दे दीजिए जिसे खाकर मैं जल्दी से कॉलेज के लिए निकल सकू।" उसके बाद उन्होंने अपने हाथो से मुझे खिलाया।मैं कॉलेज जाने के लिए निकल रहा था,मां हॉल मैं खड़ी होकर मुझे देख रही थी,मैं थोड़ा आगे बढ़ा और वापिस मां के पास आते हुए कहा "मां आपने भाई की तरह मुझे अपनी आंखो का टुकड़ा नही दिया।"
"मुझे लगा की तुझे भी हर्ष की तरह अच्छा नहीं लगेगा।"
"ऐसा कैसे हो सकता है....आपकी दी गई हर चीज मेरे लिए उतनी ही किमती है जितनी सूरज के लिए उसकी रोशनी।" इतना सुनने के बाद उन्होंने अपनी आंखो का काजल मेरे गाल के पास लगाते हुए कहा "किसी की नजर ना लगे तुजे।"



"आपके रहते मुझे दूसरो की क्या खुद मेरी भी नजर नहीं लग सकती।" मैने हंसते हुए उसके पैर छुए और कॉलेज के लिए निकल गया।शिल्पा श्रेयस को जाते हुए देख रही थी,उनकी आंखो से आंसु छलक आया और भरी गले के साथ कहा "इतना प्यार मत कर श्रेयस अपनी मां से बिछड़ने पर टूट जाएगा तू,प्यार की वजह से जितनी खुशी मिलती है उससे कई ज्यादा दर्द उसके बिछड़ने पर होता है।" इतना कहकर उसने अपनी हाथ मै रखे Report की ओर देखा जो ध्रुव कुछ दिन पहले लाया था।कुछ देर शिल्पा वही खड़ी रही और किचन की तरफ चली गई।
जिंदगी अपनो के साथ आगे बढ़ती है,अपनो से मिला प्यार और अपनापन ही हमे जीने का हौसला देता है,पर यही एहसास हमसे छीन जाएं तो जिंदगी किसी कोरे पन्ने की तरह हो जाती है जो किताब में होता जरूर है पर उसका कोई मतलब नहीं है और इस बात का ख्याल ही दिल मैं घबराहट पैदा कर देता है।


क्लास में जैसे ही पहुंचा तो देखा कि भाई को सब विश कर रहे थे, उसको खुश देखकर मुझे भी अच्छा लग रहा था, मैंने सब पर से नज़र हटाई और अपनी सीट की तरफ बढ़ने लगेगा कि तभी मेरे कानों में आवाज पड़ी जिसने मेरे कदम रोक दिए "ओय हीरो कहां जहां रहा है?" आवाज को पहचानते ही मैं मुड़ा और सामने खड़े चेहरे को देख मुस्कुराया,ट्रिश सामने खड़ी अपने पुराने अंदाज़ में मुझे घूर रही थी,उसे इस तरह से देखकर बहुत अच्छा लग रहा था।

"वही पर जहां पर क्लास में घुसने के बाद सारे बच्चे जाते हैं" मैंने अपने हाथ से अपनी सीट की तरफ इशारा किया।

"अच्छा!!जैसे मुझे तो इस बात का पता ही नहीं था।" मेरे करीब आते हुए ट्रिश ने कहा।

"हां शायद, तभी ऐसे बेवकूफी भरे सवाल कर रही है।" इतना कहकर मैं अपनी सीट की तरफ बढ़ने लगा तो उसने पीछे से मेरा बैग खींच लिया जिससे मैं पीछे की तरफ मुड़ गया।

"oyyy....क्या है?" मैंने अपना चश्मा ठीक करते हुए उसकी तरफ गुस्से से देखा।

"यह attitude किसी ओर को दिखाना, बड़ा smart हो गया ना, रुक अभी बताती हूं क्या है?" कहते हुए ट्रिश मेरे करीब आई,उसके हाथ मेरे चेहरे से कुछ ही दूरी पर थे,उसको मेरे इतने करीब देखकर मुझे डर लगने लगा, मन में कई सवाल उठेंगे लगे की आख़िर ये लड़की आज क्या करना चाहती है? उसकी आँखों में देखने पर मुझे कुछ गड़बड़ लग रही थी,उसके सांसों की गर्मी मुझे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी, अपने होठों को मेरे कान के बिल्कुल करीब लाकर कहा "Happy Birthday Shreyas" उसके होठों से निकले शब्दों को सुनकर मैने चैन की सांस ली पर दूसरे ही पल फिर मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया, जैसे ही उसने मुझे विश किया उसके तूरंत बाद ही उसने अपने होठ मेरे गाल पर रख दिए और मुझसे कसकर लिपट गई "many many happy returns of the day" इतना कहकर वो अपनी बाहें ओर कसने लगी पर मेरा शरीर तो ये सोच के ही हिल गया चुका था कि पूरी क्लास इस वक्त क्यां सोच रही होगी? यह सब सोचते ही मैं अपने ख्यालों से बहार आया और अपनी नजरें उठाई तो मुझे एक ओर झटका लगा।


"वाह.....क्या शुरुआत हुई है आज के दिन की क्योंकि मुझे नहीं पसंद ये दिन फिर से नहीं" सामने खड़ी आंशिका पे जैसी ही नज़र पड़ी मेरी तो सर घुमने लगा, आंशिका ने मेरी तरफ देखा और फिर मुस्कुराते हुए अपने सीट की ओर चली गई।मैंने ट्रिश को अपने से अलग किया तो वो मेरी तरफ देखती हुई हंस रही थी। मेंने अपना हाथ उठाकर हल्का गुस्सा दिखाते हुए इशारा किया "ये क्या था?" मेरा इशारा देख त्रिशि ने शरारती टोन मैं कहा "तुम तो ऐसे के रहे हो जैसे तुम्हे मजा नही आया।"

"हा जरा भी मजा नही आया और ऐसी हरकतें मत किया करो।"

"अच्छा ऐसी बात है तो रुक" इतना कहकर उसने मेरा कॉलर पकड़ा और अपने होठ मेरे होठ के बिलकुल पास ले आई,उसको इतने करीब देखकर मैं घबरा गया और वही पर गिर गया जिसे देखकर वो जोरो से हंसने लगी।वो हंसते हुए एक बेंच पर बैठ गईं मैं घूरते हुए उसके पास वाली बेंच पर बैठते हुए कहा "तुझसे दूर रहने मैं ही भलाई है।"

कुछ देर बाद वो शांत हुई "अच्छा तो फिर पार्टी कहाँ है मेरी? "उसने Excitement से पूछा।

"पार्टी चाहिए.....पहले गिफ्ट तो दे" मैंने उसकी बात का मज़ाक उड़ाते हुए कहा और फिर अपनी सीट की ओर जाने लगा। उसने फिर से मेरा बैग खींच लिया लिया और मैं फिर लड़खड़ाते हुए पीछे की तरफ़ हो गया, "क्या है अब?" मैने अपना चश्मा ठीक करते हुए कहा।

"तुझे अपने सीट पर जाने की इतनी जल्दी क्यों है?अब 2 मिनट चुप-चाप यहा पर खड़ा रह। "उसने अपनी उंगली दिखाते हुए कहा तो में पुतले की तरह खड़ा रहा, उसने अपने बैग मैं हाथ डाला तो उसके हाथ मै एक छोटा सा बॉक्स था उसने बॉक्स मेरी तरफ उछालते हुए कहा "यह....ले।" मैने हड़बड़ाते हुए बॉक्स catch किया।

"नहीं ट्रिश यार.... मैं तो मज़ाक कर रहा था, तू जानती है कि मैं कोई गिफ्ट नहीं लेता।"

"ऐसा थप्पड़ पड़ेगा ना तो यह चोपलू वाला सारा नाटक भूल जायेगा समझा, चुपचाप रख इसे।"उसने मेरे हाथ में गिफ्ट को थमा दिया "क्या लड़की है ये? "मैंने मन में सोचा और उसकी तरफ देखा तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी।

"अब क्या है?"

"अब खोलेगा की नहीं, हां उसे ऐसे ही देखता रहेगा?" उसके कहते ही मैंने जल्दी से गिफ्ट खोला तो मेरे सामने वो गिफ्ट आ गया।"पसंद आई ना?" उसके कहते ही मेने हां में गर्दन हिलाई। "जानती थी, तुझे watches का बहुत शौक है तो मुझे ये अच्छी लगी तो मैंने ले ली " उसके कहते हाय मैंने वॉच को सब तरफ से देखा तो सच बहुत सुंदर थी।

"नहीं यार ट्रिश ये मैं नहीं ले सकता, वैसे भी बहुत महंगा है ये...सॉरी" मेने देखो उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।"oh god कैसा लड़का है ये कोई लड़की जब सामने से पैसे खर्च कर रही तब भी इसे प्रोब्लम है" इतना कहकर उसने बॉक्स मेरे हाथ से लिया और मेरे हाथ मै घड़ी पहना दी तभी उसका फोन बजने लगा, उसने कॉल पिक किया "हां मॉम... क्या...रुको एक" मिनट "कहती हुई वो क्लास से बाहर चली गई।


"फुउउ....बच गया..." मैंने अपनी आंखों को बंध करते हुए कहा और जैसे ही आँखें खोलीं सामने खड़ी आंशिका मुझे देख रही थी।

"Happiest birthday Shreyas" आंशिका ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया

"Thanks" इतना कहकर मैंने उससे हाथ मिलाया।

"मेरी पार्टी कहाँ है फिर?" आंशिका ने भी वो सवाल किया जो थोड़ी देर पहले ट्रिश ने किया था।

"वो...वो" समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, ट्रिश वाला जवाब तो दे नहीं सकता था और इस पल कुछ नया दिमाग में आ नहीं रहा था, पर मैं कुछ कहता था उसने पहले मेरी Wrist को थोड़ा मोडते हुए कहा।

"Wow....New Watch.... Beautiful वैसी ट्रिश की पसंद बहुत अच्छी है।" आंशिका ने अपने बगीचे को हल्का सा मटकाते हुए कहा।

" हां...वो मानी नहीं और पकड़ा के चली गई।"

"क्यों तुम्हे गिफ्ट्स पसंद नहीं और वैसे भी आज तो तुम्हारा हक है गिफ्ट लेने का, आंटी ने भी तो दिया होगा?" आंशिका ने मेरी तरफ देखकर मुझसे पूछा।

" नहीं.....आंशिका में गिफ्ट नहीं लेता...ये तो ट्रिश ने जबरदस्त पकड़ा दिया मुझे।"मेरी बात सुनते ही अंशिका की मुस्कान छोटी हो गई, "क्यों ऐसा....क्यो?"

"क्या गिफ्ट लूं, मेरे पास सब कुछ है, मां खुद ही मेरा गिफ्ट है तो कुछ और क्या मांगू उनसे "मेरी बात सुन के आंशिका कोई रिएक्शन दे पत्ती उससे पहले.... क्लास में मिस Jenny आ गई, जिसकी आवाज से आंशिका घूम गई और श्रेयस भी उनकी तरफ देखने लगेगा, लेकिन दोनों इस बात से अंजान थे कि जिस वक्त को ये दोनों थाम के खड़े हैं।

मिस. को देखते ही आंशिका ने अपनी नजरें फिर से श्रेयस की तरफ की और तभी उससे ध्यान आया कि उसका हाथ अभी भी श्रेयस के हाथों में है, "मिस आ गई है" आंशिका ने अपनी पलकें उठे हुए कहा।

"हां जानता हूं" पर मैं उसकी हिलती पलकों में इतना खोया था कि मुझे ध्यान नहीं रह रहा कि आंशिका क्या कहना चाहती है।"तो प्लीज़ मेरा हाथ तो मुझे दे दो" आंशिका ने जैसी ही ये बात कही तो मैंने अपने हाथ की तरफ देखा तो मैंने अभी भी उसके हाथों को पकड़ा हुआ था, ये देखते ही मैंने एक दम से हाथ खिच लिया "I'm sorry" मेरी बात सुनते ही वो अपनी Seat की ओर जाने लगी उसने जाते हुए अपनी प्यारी सी मुस्कान गई और अपनी जगह पर जाकर बैठ गई।मैं अपनी सीट पर जाकर बैठ तो मैंने देखा मेरे बगल मैं ट्रिश बैठी हुई थी और वो फ़ोन मैं लगी हुई थी,मैं उसकी तरफ ही देख रहा था,मुझे उसकी ओर घूरता हुआ देखकर उसने इशारे से पूछा "What!?"


"तू यहां पर क्या कर रही है?"
"क्यों कई यहां पर नही बैठ सकती और वैसे भी आज मेरा यहां बैठने का मन हुआ तो बैठी हूं।"
"ठीक है पर मुझे क्लास के बीच मैं Disturb मत करना।"
"देखते है...जब तक मेरे फोन की battery खत्म नहीं हो जाती तब तक तुझे कोई problem नही होगी।"इतना कहकर वो फिर फोन मैं लग गई।मेरी आगे की बेंच पर मिलन और श्रुति बैठे हुए थे।मिस ने क्लास शुरू कर दी और में किताब मैं अपना ध्यान देकर बैठ गया।कुछ देर बाद मिस ने कहा
"Hmm तो क्लास Before We Continue Further.....On The Bases of your Last Project मैं आप सबको एक Information देना चाहतीं हूं।जो प्रोजेक्ट आप सब ने सबमिट किया था अब उसमें से कुछ Best Projects select किए जाएंगे On behalf That उनमें से कुछ Students को Final Project के लिए select किया जाएगा सिर्फ यही वजह थी कि मेने आपको इस प्रोजेक्ट के लिए इतना फोर्स किया था पर वो आपका लास्ट चांस था, अब जिनके Projects Select होंगे वो Final Live Project के लीजिए choose किए जाएंगे, उन सभी को एक ऐसा Live Experience दिया जाएगा जो उनके Future Carrier में बहुत Helpful होगा। So Guys Be Prepare , Maybe Within 10 Days I Will Gave You The Names Of Those Students" मिस की ये बात सुन के क्लास में हल्का सा शोर मचा गया, "यानी I'm already in that Project'' ट्रिश ने फोन पे गेम खेलते हुए कहा।मेने उसका फोन छिनते हुए कहा "अच्छा वो क्यूं ?" "वो इसलिए idiot क्योंकी मेरा प्रोजेक्ट तूने Complete किया था तो मेरे fail होने का सवाल ही पैदा नहीं होता " उसने इतना कहकर मेरे हाथ से फोन छीन लिया। कुछ देर बाद क्लास खत्म हो गई और मिस के जाते ही सब लोग क्लास के बाहर जा रहे थे तभी हर्ष ने सब को कुछ कहने के लिए रोक दिया।
"Guys.....One Minute Please आज मेरे घर पर पार्टी है और आप सब उसमे invited है" हर्ष के कहते ही सब Cheer करने लगे....ट्रिश ने इस बात को सुनकर मेरी तरफ देखा और आंखों से इशारे से पूछा, 'ये सब क्या' है?'तो मैंने भी अपने कंधे उचकते हुए कहा, 'पता नहीं?'


To Be Continued......