Horror Marathon - 36 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | हॉरर मैराथन - 36

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हॉरर मैराथन - 36

भाग 36

बंद पड़े पर्दे पर चित्र दिखाई देने लगे। भूत चित्र देखकर खुश होते। कभी उछल-उछलकर नाचने लगते। तभी एक भूत की नजर बसंतकुमार पर पड़ी। वह एकदम से उनके नजदीक आकर उन्हें डराने लगा। उसे देखकर बाकी भूत भी बसंतकुमार के इर्दगिर्द मंडराने लगे। वे बड़ा भयंकर शोर करके हो-हल्ला मचाने लगे। कटे-फटे चेहरों को देखकर भी बसंतकुमार नहीं डरे।

एक भूत अन्य भूतों से हंसकर कहने लगा। ये तो हमारे नए मालिक हैं इनके स्वागत में कोई कसर न छोड़ना।

बसंतकुमार ने कहा- हे शिवगणों मेरा सौभाग्य हैं कि मैं आपके दर्शन कर पाया। अगर आपके हाथों से मृत्युदंड भी मिले तो मैं शिवलोक प्राप्त करूंगा।

सभी भूत एक दूसरे की ओर देखने लगे। वह बसंतकुमार से कहने लगे- आपने हमें शिवगण कहा ?

बसंतकुमार : जी, आप तो मेरे भोले के अतिप्रिय व सदा उनके साथ रहने वाले हैं। इसीलिए मुझे आपसे कैसा भय और कैसी हानि ?

भूतों के चेहरे खुशी से खिल उठे। सब एक दूसरे से कहने लगे हम शिवगण हैं, भगवान शिव के प्रिय हैं।

उनमें से एक भूत बोला- हमने व्यर्थं ही इतने बरस गंवा दिए और यूँ ही भटकते रहे। हम भूतयोनि में आकर भी अंहकार को नहीं भूले।

बसंतकुमार- आप सब कौन हैं और भूतयोनि में कैसे आए।

भूत- हम भी कभी मनुष्य थे। गुंडागर्दी से शहर की नाक में दम किया करते। हफ्ता वसूली, चोरी-चकारी करके अपना गुजारा करते। शहर में दो गुट थे धरमुदादा और लाला भैया का। दोनों का आपस में छत्तीस का आंकड़ा था। अगर धरमु की गैंग का कोई छोकरा हमारे एरिया में दिख जाता तो हम उसकी धुलाई कर देते और यही हाल हमारा धरमुदादा के एरिया में होता।

उस समय शहर में मनोरंजन के नाम पर एकमात्र यही सिनेमाघर था। इसलिए यहां दोनों गुट एकसाथ टकरा गए। हम लोग हथियार तों साथ रखते ही थे अहंकार से हमने एक-दूसरे का खात्मा कर दिया। और तबसे ही भूत बनकर भटक रहे हैं। पर अब हमें अहसास हुआ हैं कि हम तो शिवगण हैं इसलिए अब हम बाबा अवन्तिकानाथ की सेवा करेंगे और शिवलोक जाएंगे। यह कहते हुए सभी भूत गायब हो गए और फिर कभी शिवसागर सिनेमाघर नहीं आए। भगवान शिव पर अटूट श्रध्दा व शिवभक्ति से बसंतकुमार ने भूत पर भी विजय पा ली थी।

नींद से जागकर भी इतनी डरावनी कहानी सुनाने के लिए आ गई शीतल। मीनू ने कहा।

यार मैंने सोचा कि तुम लोगों को थोड़ा सा डराने की कोशिश मैं भी कर लूं। शीतल ने कहा।

हां वैसे तेरी कहानी में डर तो था, पर शिव की भक्ति ने बसंतकुमार को बचा लिया। इस कहानी से एक बार फिर साबित हो गया कि भगवान के सामने बाकि सारी शक्तियों का कोई अस्तित्व ही नहीं है। सभी छह दोस्त आपस में बात कर रही रहे थे कि वहां एके लड़का कंधे पर बैग टांगे उनके पास आ गया। सभी ने उसे देखा और फिर साहिल ने उससे पूछा- कौन हो तुम और इतनी रात को जंगल में क्या कर रहे हो ?

उस लड़के ने कहा- मेरा नाम आकाश है और मैं अपने दोस्तों के साथ यहां घूमने के लिए आया था। जंगल में रास्ता भटक गया और मेरे सभी दोस्त पता नहीं कहां चले गए ? यहां मैंने आग जलते हुए देखी तो रास्ता तलाश करते हुए यहां आ गया।

ओह तो घूमने के दौरान रास्ता भटक गए हो। मीनू ने कहा।

हां, वैसे क्या मुझे थोड़ा पानी मिल सकता है, बहुत प्यास लगी है। काफी देर से रास्ता तलाश कर रहा था और मेरे पास जो पानी था वो खत्म हो गया। आकाश ने कहा।

राघव ने उसकी ओर पानी की बोतल बढ़ा दी और वो एक ही सांस में पूरी बोतल का पानी पी गया। बोतल जमीन पर रखते हुए उसने कहा, बहुत बहुत शुक्रिया।

फिर मानसी ने कहा- अगर तुम्हें भूख लगी हो तो हमारे पास कुछ चिप्स के पैकेट हैं, तुम चाहो तो वो ले सकते हो।

भूख भी लगी है पर ऐसा ना हो कि मैं चिप्स खा लूं और फिर आप लोगों के पास कुछ ना बचे। आकाश ने कहा।

नहीं हमारे पास बहुत है, तुम जितने चाहो उतने ले सकते हो। इस बार अशोक ने कहा।

फिर साहिल टेंट में गया और करीब 10 पैकेट चिप्स के लेकर आ गया। आकाश ने तीन पैकेट ले लिए और फिर पैकेट खेलकर चिप्स खाने लगा। बाकि सभी ने भी एक-एक पैकेट ले लिया। फिर आकाश ने कहा- वैसे आप सभी इतनी रात तक जाग रहे हैं, आपको नींद नहीं आ रही क्या ?

नींद नहीं आ रही थी, इसलिए सभी यहां बातें कर रहे थे। साहिल ने कहा।

ओह, पता नहीं मेरे दोस्त कहां होंगे, अब तो सुबह ही उनका कुछ पता चल पाएगा। वैसे अगर आप लोगों को परेशानी ना हो तो क्या मैं आप लोगों के साथ यहां वक्त गुजार सकता हूं। आकाश ने कहा।

हमें क्या परेशानी होगी। तुम बैठ सकते हो। वैसे हम यहां एक-दूसरे को भूतों की कहानी सुना रहे थे, तुम भी ज्वॉइन हो जाओ, अगर भूतों से डर ना लगता हो तो ? राघव ने कहा।

मैं किसी से भी नहीं डरता। इसलिए तो इतनी रात को जंगल में अकेला घूम रहा था। आकाश ने कहा।

तो क्या तुम्हें कोई भूतों की कहानी याद है, अगर है तो सुना सकते हो ? शीतल ने कहा।

एक या मैं दो कहानी सुनाता हूं। पर मेरी एक शर्त है, उस कहानी के दौरान कोई मुझे टोकेगा नहीं। अगर किसी ने टोका तो मैं अपनी कहानी बंद कर दूंगा। क्योंकि मैं जब कहानी सुनाता हूं और कोई मुझे टोके वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है। आकाश ने कहा।

ठीक है हमसे कोई तुम्हें नहीं टोकेगा, तुम अपनी कहानी सुनाओ। साहिल ने कहा।

मानसी, मीनू, अशोक, शीतल तुम सभी ने सुन लिया ना कोई बीच में टोकेगा नहीं। राघव ने कहा।

कोई नहीं टोकेगा और यह बात तू भी याद रखना। मीनू ने कहा।

टोकेगा नहीं, टोकेगा नहीं करके तुम लोग आपस में कितनी बात कर रहे हो, अब आकाश को अपनी कहानी भी तो शुरू करने दो। मानसी ने कहा।

आकाश तुम अपनी कहानी शुरू करो वरना ये लोग तो बोलते ही रहेंगे। ये लोग बोलते रहे तो तुम अपनी कहानी शुरू ही नहीं कर पाओगे। इसलिए जल्दी से अपनी कहानी शुरू कर दो। साहिल ने कहा।

इसके साथ ही आकाश ने अपनी कहानी शुरू की।

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