Horror Marathon - 34 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | हॉरर मैराथन - 34

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हॉरर मैराथन - 34

भाग 34

मानसी ने अपनी कहानी को कुछ देर के लिए रोका और पानी की बोतल उठाकर पानी पीने लगी। मीनू, राघव, साहिल और अशोक की नजरें मानसी पर ही टिकी हुई थी। वे सभी अब भी खामोश थे। मानसी ने पानी की बोलत फिर से जमीन पर रखी और फिर से अपनी कहानी कहना शुरू की।

विमलेंद्र को देखकर गुस्साई लड़की के चेहरे के भाव बदल गए। लड़की ने पूछा- कौन हो तुम ?

विमलेंद्र : पूरनप्रताप सिंह का पोता।

लड़की : चरणप्रताप सिंह को जानते हो ?

विमलेंद्र : हाँ मेरे छोटे दादाजी थे।

इतना सुनकर लड़की गायब हो गईं। विमलेंद्र को कुछ समझ नहीं आया। वह अपने कमरे में आ गया। हवेली का राज अब भी अधूरा था। बेचैनी से विमलेंद्र कमरे में चहल कदमी करता रहा। उसकी रात जागते हुए ही कटी। जब सुबह हुई तो वह गाँव के सबसे वयोवृद्ध दीनानाथ के पास गया। उसने दीनानाथ से 60 के दशक में हवेली के बारे में जानकारी माँगी। पहले तो दीनानाथ आनाकानी करने लगे फिर विमलेंद्र के अनुनय पर उसे हवेली का राज बताने लगे-

छोटे सरकार बात उन दिनों की है जब मेरी आयु 14 या 16 बरस की होगी। मैं आपकी हवेली में माली का काम किया करता था। बड़े ठाकुर बहुत ही तुनकमिजाज और अनुशासनप्रिय थे। उनका रुतबा ऐसा था कि उनके सामने कोई नजर मिलाकर बात नहीं कर पाता था। उनके छोटे भाई चरणप्रतापसिंह को एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की से प्रेम हो गया था और प्रेम के कारण वे बागी हो गए। वह उसी लड़की से विवाह की जिद पर अड़े रहे। बड़े ठाकुर ने अपने खानदान की इज्जत को मिट्टी में मिलता देख एक युक्ति सोची उन्होंने चरणप्रतापसिंह से कह दिया कि उनका विवाह उसी लड़की से होगा, पर उसके पहले कुलदेवी के दर्शन करना होंगे। चरणप्रतापसिंह राजी खुशी से माता के दर्शन करने चले गए। उनकी अनुपस्थिति में उस लड़की को हवेली बुलाया गया और उसे जिंदा ही हवेली में चुनवा दिया गया। यह राज कोई नहीं जानता क्योंकि उस समय बड़े ठाकुर के विश्वसनीय लोग ही मौजूद थे, उनमें मेरे पिता भी शामिल थे। जब चरणप्रतापसिंह लौटे तब तक गाँव में यह अफवाह फैला दी गई थी कि वह लड़की किसी लड़के के साथ भाग गई और इसीलिए उसके परिवार को समाजजन ने समाज से अलग करके गाँव से निकाल दिया। चरणप्रतापसिंह आजीवन कुँआरे रहे। और बड़े ठाकुर की मृत्यु कुछ दिन बाद दिल का दौरा पड़ने से हो गई। मेरे पिता गम्भीर बीमारी से ग्रसित हो गए। मरने से पहले उन्होंने अपने पाप को स्वीकार करते हुए मुझे यह सारी कहानी सुनाई थी।

कहानी को सुनकर विमलेंद्र दुःख करने लगा। उसने तुरन्त मजदूरों को बुलवाया और हवेली में उस जगह की पहचान की जहां उस लड़की को चुनवाया गया था। वह जगह चरण प्रतापसिंह का कमरा थी जहां उनकी बड़ी सी तस्वीर के पीछे एक दीवार बनी दिखी जो नई ईट से बनी हुई थी। दीवार तोड़ने पर एक कंकाल निकला। जिसका अंतिम संस्कार विमलेंद्र ने कर दिया।

विमलेंद्र ने सभी गाँव वालों को इकट्ठा किया और सबको सम्बोधित करते हुए कहा- क्या किसी से प्रेम करना गुनाह हैं ? क्या किसी का मध्यमवर्गीय होना गुनाह है ? क्या खानदानी होने की यही पहचान हैं कि अपनी झूठी शानो-शौकत के लिए किसी की हत्या करवा दी जाए ? अगर मेरे सभी प्रश्नों का जवाब हां हैं तो फिर आप लोग राधा-कृष्ण की पूजा करना छोड़ दीजिए। ऑनर किलिंग करने वाले समाज के उन सभी ठेकेदारों से मैं पूछना चाहता हूँ कि किसने आप लोगो को किसी की हत्या का अधिकार दिया। आपकी इज्जत हत्यारा बनने से नहीं घटी ? आपकी नाक नहीं कटी अपने ही बच्चो का गला घोंटने पर ?

जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता जीवन से जुड़ा अधिकार है। वैदिक सभ्यता में भी स्वयंवर जैसी प्रथा थी। ऑनर किलिंग न सिर्फ एक घिनौना अपराध हैं बल्कि मानवता पर कलंक है। विमलेंद्र ने कहा- मेरे परम पूज्य दादाजी से जो भूल हुई उसका मैं प्रायश्चित करता हुँ और इस तरह की रूढ़िवादी सोच का खंडन करता हूं। मैं विमलेंद्र प्रतापसिंह आप सबके सामने यह घोषणा करता हूं कि मैं अपने घर पर काम करने वाली लड़की मुस्कान को अपने जीवनसाथी के रूप में चुनता हूं और यह मेरा सौभाग्य हैं कि एक सर्वगुण सम्पन्न लड़की से मैं विवाह करूंगा।

गाँव वाले सिर को झुकाए विमलेंद्र की बात सुनकर शर्मिंदा हुए। उन सभी लोगों को अपने किये पर पछतावा हुआ, जिन्होंने ऑनर किलिंग जैसे अपराध को करके महापाप किया था। गाँववासी ने संकल्प लिया कि वह कभी भीं ऑनर किलिंग जैसा अपराध न खुद करेंगे और न ही दूसरों को करने देंगे।

वाह यार मानसी, एक सामाजिक मुद्दे को जोड़ते हुए तुने बहुत ही अच्छी कहानी सुनाई और एक अच्छा संदेश भी दे दिया। मीनू ने कहा।

हां, यार बहुत ही अच्छी कहानी रही। प्रेम में जात-पात, कुल-धर्म, अमीरी-गरीबी की कोई जगह नहीं होती है यह तुने इस कहानी से बता दिया। साहिल ने कहा।

हां और सलाम है विमलेंद्र की सोच को भी जिसने अपने दादा की गलती को माना और उसे सुधारा साथ ही प्रायश्चित के तौर पर मुस्कान से शादी का निर्णय लिया। राघव ने कहा।

हां बेचारे चरणप्रताप सिंह, अपने प्यार की खातिर पूरी जीवन कुंवारें ही रहे। वैसे कहानी में जो संदेश हैं ना उसके लिए मानसी को भी एक सलाम तो बनता है। अशोक ने कहा।

बस करो दोस्तों इतनी तारिफ करोगे तो मेरा दिमाग चढ़ जाएगा। वैसे हर कहानी का कोई उद्देश्य और कोई सीख होना चाहिए, इसलिए मैंने इस कहानी को ऑनर किलिंग से जोड़ दिया था। मानसी ने कहा।

वे सभी बातें कर रही रहे थे कि शीतल भी उठकर बाहर आ गई। उसने आते ही कहा, अरे तुम लोगों को सोना नही है क्या ? अब तक जाग रहे हो ? वैसे क्या कर रहे हो तुम लोग ?

हम तो अब भी भूतों वाली कहानी ही सुन और सुना रहे हैं। वैसे तू उठकर क्यों आ गई, तू तो सो जा। हम तो अभी कुछ देर और बैठेंगे। हम सभी को बहुत मजा आ रहा है। मानसी ने कहा।

यार मच्छरों के कारण नींद नहीं आ रही है। इसलिए सोचा यही आकर बैठ जाउं। वैसे तुम्हारा ये भूतां का कार्यक्रम कब तक चलने वाला है ? शीतल ने कहा।

जब तक सभी को बहुत नींद ना आए तब तक तो चलेगा ही। अशोक ने कहा।

वैसे अब कौन सुना रहा है कहानी। शीतल ने पूछा।

अब तक तो किसी का नाम नहीं आया है सामने। राघव ने कहा।

ठीक है तो फिर मैं एक कहानी सुना देती हूं। शीतल ने कहा।

ते अब तुझे डर नहीं लगेगा ? साहिल ने कहा।

तुम सब हो ना, अगर मुझे डर भी लगेगा तो। शीतल ने इतना कहा और अपनी कहानी शुरू की।

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