Horror Marathon - 24 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | हॉरर मैराथन - 24

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हॉरर मैराथन - 24

भाग 24

हरिसिंह सबसे पहले कॉलेज गया जहाँ उसने दाखिला लेने के लिए फॉर्म जमा किया। उसके बाद कॉलेज के आसपास ही नौकरी की तलाश करने लगा। जब कही भी नौकरी नहीं मिली तो वह कॉलेज के केन्टिंग में आकर बैठ गया। वेटर आर्डर लिखने के लिए हाथ में कॉपी पेन लिए उसके सामने खड़ा हो गया। उसने खाना ऑर्डर कर दिया।

वेटर जब खाना लगाने लगा तब उसने हरिसिंह से पूछा- साहब कुछ परेशान लग रहें हो ?

हरिसिंह- हाँ भाई नौकरी की तलाश में हूं।

वेटर- कॉलेज में कोशिश की ? वहाँ लाइब्रेरी में एक लड़के की जरूरत है।

हरिसिंह (चहकते हुए)- सच में.. ?

वेटर- जी साहब।

भोजन कर लेने के बाद हरिसिंह लाइब्रेरी की ओर चल दिया। वहाँ उसे पार्ट टाइम जॉब मिल गई।

अब हरिसिंह मन लगाकर अपनी पढ़ाई करता। वह देर रात तक पढ़ाई किया करता। ऐसे ही एक दिन रात के करीब 1 बजे जब वह पढ़ रहा था, अचानक कमरे की लाइट झपक-झपक करने लगी। और फिर बंद हो गई। कमरे में घुप्प अंधेरा हो गया। हरिसिंह ने मोबाईल का टोर्च ऑन किया तो उसे अपने बिस्तर पर एक लड़की दिखी, जिसके लंबे खुले बाल थे और वह नीचे गर्दन किये हुए बैठी थी। हरिसिंह ने डर के मारे टॉर्च बंद कर दिया। उसका सीना जोर-जोर से धड़कने लगा। वह मूर्ति की भांति कुर्सी पर बैठा रहा। तभी लाइट आ गई और हरिसिंह ने देखा बिस्तर पर कोई नहीं था। वह फिर भी डर के कारण अपनी जगह से हिल न सका।

उसने मोबाइल में हनुमान चालीसा रिपीट मॉड पर लगा ली। आज वह जमीन पर अपना बिस्तर लगाकर सो गया। उसे चालीसा सुनकर नींद आ गई। रातभर हनुमान चालीसा बजती रही। सुबह जब वह उठा तो उसे रात को हुई घटना याद आई। वह श्यामू के पास गया और उसे सारी आप-बीती सुनाई।

श्यामू- क्या भैया आप भी पढ़े-लिखे होकर ऐसी बातों में यकीन कर रहें हो। जरूर आपका भ्रम होगा। क्योंकि अकेले इंसान को हर चीज में भूत ही नजर आता है।

हरिसिंह को भी श्यामू की बात ठीक ही लगी। वह कॉलेज चला गया। शाम को वह अपने कमरे पर पहुंचा। ताला खोलते समय उसके हाथ कांप रहें थे। कमरे में प्रवेश करते ही उसने सबसे पहले बत्ती जलाई। पलंग की और देखने मात्र से ही उसके रोंगटे खड़े हो जाते। वह भोजन करके आज जल्दी ही सो गया।

रात करीब 2 बजे किसी के रोने की आवाज से उसकी नींद खुल गई। आवाज बाथरूम से आ रहीं थी। हरिसिंह डरते हुए बाथरूम की ओर गया। जैसे ही वह बाथरूम के दरवाजे पर पहुँचा। रोने की आवाज बंद हो गई। वह बिना दरवाजा खोले ही अपने बिस्तर की ओर जाने लगा। दो-चार कदम चला ही था कि फिर से सिसकियों की आवाज आने लगीं। वह फिर से बाथरूम की ओर गया। इस बार उसने दरवाजा खोलकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था।

लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए हरिसिंह ने बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया। उसके माथे पर पसीने की बूंदे छलक आईं। अपनी टीशर्ट की बाह से उसने अपने माथे से पसीना पोछा। जैसे ही उसने मुंह ऊपर उठाया। उसे पँखे पर एक लड़की झूलती दिखाई दी। जो हरिसिंह को एकटक देख रहीं थी। हरिसिंह की तेज चीख रात के सन्नाटे को चीरती हुई चारों दिशा में गूंज उठी। वह बेहोश होकर वही धड़ाम से गिर पड़ा।

पड़ोस के सुंदरलाल चीख सुनकर बाहर आए। उन्होंने हरिसिंह के कमरे का दरवाजा खटखटाया। जब कोई आहट नहीं हुई तो दरवाजे को धक्का देकर खोला गया। हरिसिंह बेसुध जमीन पर पड़ा था जिसे तुरन्त अस्पताल ले जाया गया। सुबह जब हरिसिंह की नींद खुली तो खुद को अस्पताल में पाकर वह चौक गया। नर्स ने उसे बताया कि आपकी कॉलोनी के कुछ लोग आपको बेहोश अवस्था में यहां लाये थे। पर अब आप ठीक हैं, डॉक्टर जब राउंड पर आएंगे तब चेकअप करके आपको छुट्टी दे देंगे।

अस्पताल से छुट्टी मिलने पर हरिसिंह अपने कमरे पर आ गया। जैसे ही वह आया कमला काकी भी उसके पीछे कमरे में आई।

वह उससे कहने लगीं- बेटा खाने-पीने का विशेष ध्यान रखा करो। कुछ देर बात करने के बाद वह चली गई।

श्यामू तक भी यह खबर पहुंच गई थी। वह भी हरिसिंह से मिलने आया। इस बार उसे भी यकीन हो गया कि हरिसिंह के कमरे में भूत हैं। शाम को वह भूत-बाधा से निजात दिलाने वाले जानकर को लेकर आया। जानकर ने धागों को अभिमंत्रित करके, कमरे के दरवाजे पर बांध दिया। हरिसिंह को दवाई की डोज के कारण नींद आ गई। उसने एक सपना देखा, सपने में एक लड़की उससे कह रहीं थी। हम आपको अब परेशान नहीं करेंगे। हमको मुक्त कर दो।

सुबह जब हरिसिंह की नींद खुली तो उसने दरवाजे पर बंधे धागे निकाल दिए। और रात का इंतजार करने लगा। रात को जब वह पढ़ रहा था । तब उसे पीछे से किसी ने पुकारा- हरि

डर के बावजूद हरि ने इस बार हिम्मत करके आत्मविश्वास से पीछे देखा। वहीं लड़की थीं। वह आँखों में आँसू लिए हरिसिंह से कहने लगीं। मैं भी आपकी तरह ही प्रशासनिक सेवा का लक्ष्य लिए यहां आयी थीं, पर पहली बार मिली असफलता से इस कदर टूट गई कि मैंने आत्म हत्या कर ली। तबसे ही मैं इस पिशाच योनि में भटक रहीं हूँ। यहाँ न ही खाना मिलता हैं न ही पानी।

मैं प्रत्येक छात्रों तक यह बात पहुंचाना चाहती हूं, कि कभी भी असफलता से हिम्मत न हारे। बार-बार प्रयास करते रहे। अगर आप जिंदा रहेंगे तो अपने लक्ष्य तक जरूर पहुँचेंगे। इतने महत्वाकांक्षी न बनें जिसके कारण असफलता को स्वीकार करने की शक्ति खो बैठे। असफलता ही सफलता प्राप्त करने की पहली सीढ़ी है।

हरिसिंह ने उस लड़की से वादा किया कि वह उसकी बात को जन-जन तक पहुंचाएगा। लड़की यह सुनते ही गायब हो गई। हरिसिंह ने उस लड़की की कही बातों को कॉलेज व हर जगह लिखवाया।  कमला काकी ने भी कमरे में उस लड़की के नाम पर भागवत कथा करवाई ताकि उसे पिशाच योनि से छुटकारा मिल सकें। उसके बाद कभी भी हरिसिंह को अपने कमरे में कोई डरावनी घटना घटित होते नहीं दिखीं। उसने अपने कमरे में भी लड़की की बातों की तख्ती बनवाकर लगा दी और उन बातों पर अमल करता।

कॉलेज के इम्तिहान खत्म होते हैं लोक सेवा की विज्ञप्ति को देखकर हरिसिंह प्रसन्न हुआ। उसने दिन रात मेहनत करके परीक्षा की तैयारी की और वह अपने पहले ही प्रयास में सफल हो गया। जब वह अधिकारी बना तब उसने अपनी सफलता का श्रेय उस लड़की को भी दिया जो पिशाच योनि से मुक्त हो गई थी।

कहानी पूरी होते ही राघव जोर-जोर से हंसने लगा। राघव को इस तरह से जोर से हंसते देख सभी चौंक गए। फिर मीनू ने पूछा ओए, पागल हो गया है क्या इतना क्यों हंस रहा है।

अरे, हंसू नहीं तो और क्या करूं ? देखा अब पिशाच भी पढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। क्या यार साहिल तुझे और कोई कहानी नहीं मिली। मतलब थोड़ा डराता, कुछ अलग करता तो फिर कहानी सुनने का मजा भी आता। राघव ने कहा।

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