Horror Marathon - 14 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | हॉरर मैराथन - 14

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हॉरर मैराथन - 14

भाग 14

मीनू तू इसकी बातों पर ध्यान मत दे, बहुत मजेदार कहानी है। आगे बता क्या हुआ। मानसी ने अब मीनू से कहा।

मानसी और शीतल की बात सुनकर राघव, अशोक और साहिल चुप ही थे और अब वे मीनू की ओर देख रहे थे। मीनू ने फिर से अपनी कहानी को आगे बढ़ाया।

महिला- यह घर कभी मेरा हुआ करता था। मेरे पति की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाइयों की नजर इस घर पर थीं, लेकिन यह घर मेरे नाम पर था। मुझे मेरे देवर हर तरह से प्रताड़ित करते ताकि मैं घर उनके नाम कर दूँ। ऐसे ही एक बार मैंने अपने देवर को यह कहते सुन लिया कि भैया को तो उनकी बीमारी के कारण मारना आसान था पर इस भाभी को कैसे मारे ? लोगों को हम पर शक होगा और हम फँस जाएंगे।

इतना सुनकर मेरा खून खौल गया और मैं गुस्से से लाल-पीली होतीं उन दुष्टों से जा भिड़ी। अपना राज उजागर होता देख उन्होंने मेरी हत्या कर दी और मुझे इसी घर में पानी की टँकी के पास दफना दिया, और लोगो से कह दिया कि मैं लापता हो गई। उसके बाद एक-एक को मैंने मौत के घाट उतार दिया। फिर तुम्हारे पिता ने यह घर मेरे देवर के बेटे से खरीद लिया। जो मेरे साथ हुआ वहीं मैंने तुम्हारे बड़े भाई के साथ होता देखा। इसलिए मैंने तुम्हारे भाइयों को भी मार दिया।

महिला- मैं अब इस घर को छोड़ रहीं हूं । पर हमेशा याद रखना- अपने से बड़े-बुजुर्गों का चाहे वह दादा-दादी, माता-पिता, बड़े भाई या बहन हो सबका सदैव सम्मान करना। उनकी उपेक्षा कभी मत करना। बड़े-बुजुर्ग ही वह लोग हैं जिन्होंने तुम्हारे सुखद जीवन के लिए दुःखों को झेलकर भी तुम्हें हर खुशियां दी, तुम्हारे उज्जवल भविष्य की नींव रखी।

यह कहकर महिला गायब हो गई। उसके बाद वो महिला कभी वहां नजर नहीं आई। शेखर की अपने बड़े भाई के प्रति सम्मान की भावना के कारण उस महिला को मुक्ति मिल गई थी। महिला के जाने के बाद शेखर ने पूरी बात राजशेखर को बताई। राजशेखर ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा- मैंने अपने भाईयों में कभी कोई भेदभाव नहीं किया था। मेरे परिवार के लिए मुझसे जितना अधिक अच्छा हो सके मैंने हमेशा उसके लिए कोशिश की है और आगे भी करता रहूंगा। राजशेखर की यह बात सुनने के बाद उसके दोनों मृत भाईयों की पत्नियों को भी अपनी गलती का अहसास हो गया था और अब यह पूरा परिवार खुशहाल जिंदगी जी रहा था।

इसके साथ ही मीनू की कहानी पूरी हो गई थी। कहानी पूरी होते ही राघव ने कहा- ये पहली कहानी है, जिसमें भूत ने किसी को नुकसान पहुंचाया हो। क्यों मानसी क्या कहती है ?

हां, अब तक की कहानी के भूत तो शरीफ थे, इस कहानी की महिला भूत ने ना सिर्फ अपने देवरों को बल्कि राजशेखर के भाईयों को भी मौत के घाट उतार दिया। हालांकि ये भूत भी कुछ शरीफ सी ही थी। इसके साथ ही मानसी हंस देती है।

वैसे कहानी बहुत अच्छी थी। एक भूत ने एक परिवार को खुशहाल बना दिया। साहिल ने कहा।

हां वरना राजशेखर तो पूरी जिंदगी अपने परिवार को एक करने की कोशिश करता रहता, पर शायद कभी सफल भी नहीं हो पाता। पर भूत ने उसका काम आसान कर दिया। अशोक ने अपनी बात रखते हुए कहा।

शीतल तू कुछ नहीं कहेगी ? मीनू ने कहा।

यार मेरी तो वैसे ही हालत खराब हो रही है और तुम लोग ये सब बंद भी नहीं कर रहे हो। पता नहीं इस घने जंगल में इतनी रात को तुम्हें भूतों की कहानी सुनने और सुनाने के अवाला कोई और टॉपिक भी नहीं मिला। शीतल ने लगभग चिढ़ते हुए कहा।

शीतल की बात पूरी होते ही मानसी जोर से चीख पड़ी। सभी ने एक साथ उसकी ओर देखा और साहिल ने पूछा- क्या हुआ मानसी?

मानसी ने कहा- वो... वो... मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरा हाथ पकड़ा था।

यहां कौन है जो तेरा हाथ पकड़ेगा ? राघव ने कहा।

सच में फ्रेंड्स मैंने अपने हाथ पर अभी महसूस किया है कि किसी ने मेरा हाथ पकड़ा था। मानसी ने कहा।

मैं कह रही थी ना कि पेड़ के पीछे कोई था। तब मेरी बात कोई नहीं मान रहा था। और मानसी तू क्या कह रही थी कि मैं यह सब बंद करने के लिए आइडिया लगा रही हूं, सभी को डरा रही हूं। शीतल ने कहा।

तू भी ना मानसी कुछ भी। यहां हम छह लोगों के अलावा कोई नहीं है तो फिर तेरा हाथ कौन पकड़ेगा। मुझे तो लग रहा है कि ये शीतल को डराने के लिए मजाक कर रही है। अशोक ने कहा।

लग नहीं रहा है अशोक, ये मजाक ही कर रही है। इसे पता है कि शीतल डर रही है इसलिए ये ऐसा कर रही है। मीनू ने कहा।

चल अब छोड़ों और अब तो सिर्फ एक ही नाम बचा है, साहिल का। अब साहिल की कहानी सुनते हैं। राघव ने कहा।

यार अब बस भी करो। टाइम देखों, थोड़ी देर के लिए सो जाते हैं। लगभग डेढ़ बज रहा है। शीतल ने कहा।

यार सोना ही होता तो फिर घर पर ही रहते ना, इतनी दूर जंगल में सोने के लिए थोड़े ही आए हैं। देखों कितना एडवेंचर मिल रहा है। क्यों मानसी क्या कहती है ? साहिल ने कहा।

अ... अ... हां मुझे तो नींद नहीं आ रही है। मानसी ने इधर उधर देखा और फिर कहा- चल अब तू अपनी कहानी शुरू कर। अपने हाथ को सहलाते हुए मानसी ने कहा।

यार तुम लोगों कभी मेरी बात नहीं सुनते हो। मुझे बहुत डर लग रहा है और अब भूतों की कहानी बंद कर दो। वैसे भी मुझे नींद आ रही है और मैं सोने के लिए जा रही हूं। तुम लोग सुनाते रहो एक-दूसरों को अपनी भूतों की कहानियां। शीतल ने गुस्से के साथ यह बात कही।

देख अगर तू सो जाएगी तो ट्रिप का खर्च पूरा देना होगा। मीनू ने कहा।

ओए तुम्हारे इस खर्च के चक्कर में क्या कोई सोएगा भी नहीं। मैं सोने जा रही हूं और ट्रिप का खर्च भी नहीं दूंगी। अब तुम लोग बैठों अपनी भूतों की कहानी के साथ। गुड नाइट। इतना कहने के साथ ही शीतल वहां से उठी और एक टेंट में चली गई।

चलो छोड़ों दोस्तों, हो सकता है उसे सच में नींद आ रही हो। जिसको सोना है वो जाकर सो सकता है और जिसे नींद नहीं आ रही है वो यहां आराम से बैठ सकता है। राघव ने कहा।

हां, साहिल अब तू अपनी कहानी शुरू कर। अशोक ने कहा।

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