Horror Marathon - 12 in Hindi Horror Stories by Vaidehi Vaishnav books and stories PDF | हॉरर मैराथन - 12

Featured Books
Categories
Share

हॉरर मैराथन - 12

भाग 12

अब मीनू ने अपनी कहानी शुरू की।

राजशेखर संयुक्त परिवार में रहने वाले सबसे बड़े पुत्र हैं। उनके 3 अन्य भाई- पुष्पशेखर, चन्द्रशेखर एवं शेखर भी उनके साथ एक ही घर में रहते हैं। राजशेखर के पिता सूर्यप्रकाश का निधन केंसर से हो गया था। अतः परिवार का बड़ा बेटा होने के नाते सारी जिम्मेदारी अब राजशेखर के कंधों पर आ गई। राजशेखर अपनी माता शांतिदेवी को युवावस्था में ही अस्थमा की बीमारी के चलते खो बैठे थे।

माता-पिता का साया सर से उठ जाने पर कम उम्र में ही समय ने राजशेखर को वृद्ध सा बना दिया था। उनके काले घने बाल समय से पहले ही सफेद हो गए, जिम्मेदारी के बोझ ने चेहरे पर कई लकीरें खींच दी थीं। राजशेखर परिवार के मुखिया के तौर पर पूरे परिवार का ध्यान रखते थे।

राजशेखर की तीन बेटियां व एक बेटा था। कमाई के नाम पर एक मात्र पैतृक दुकान थीं, जिससे स्वयं और भाइयों का खर्च वहन करना मुश्किल था। छोटे भाई भी कम निठल्ले न थे। मुफ्त की रोटियां तोड़ते हुए उन्हें कभी भी लाज नहीं आतीं। राजशेखर के पिता सूर्यप्रकाश की अंतिम इच्छा अपने दो कुंवारे पुत्रो का विवाह करना थी। इसलिए राजशेखर ने साहूकार से कर्ज लेकर अपने दोनों भाईयों का विवाह धूमधाम से किया। विवाह के बाद भी दोनों भाई चंद्रशेखर व पुष्पशेखर नौकरी के लिए टस से मस न हुए।

तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी राजशेखर ने पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का पालन किया। फिर भी भाइयों व उनकी पत्नियों को मिनमेख निकालकर उन्हें जलील करने का अवसर मिल ही जाता। परिवार में घटित हर बुरी घटना का जिम्मेदार वह राजशेखर को ही मानते।

एक रात पुष्पशेखर नशे में धुत्त होकर घर पहुँचा। वह लड़खड़ाते हुए सीढ़ी चढ़ रहा था कि उसे सीढ़ी पर काले रंग की साड़ी पहने, लंबे खुले बालों में, गहरी काले रंग की आँखों वाली एक महिला दिखी जिसकी उम्र 30-35 लग रहीं थी। उसका चेहरा बुझा-बुझा सा था, उसके सफेद चेहरे पर काली आँखे डरावनी लग रहीं थीं, उसके होठों का रंग भी काला था। उसकी काली साड़ी की बॉर्डर पर सफेद पत्तियों की डिजाइन बनी हुई थी। महिला को देखकर पुष्पशेखर दो सीढ़ी नीचे उतर गया। नशे में चूर होने पर वह ठीक से खड़ा भी नहीं रह पा रहा था।

महिला उसे बिना पलक झपकाएं देख रहीं थी। उसके शांत चेहरे पर अचानक एक मुस्कान फैल गई, जो शांति के बाद आने वाले तूफान की तरह थी। पुष्पशेखर ने वहाँ से भागने का प्रयास किया जो असफल रहा। वह जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुँचा, उसे वहाँ वहीं महिला दिखी। इस बार महिला ने अपने दोनों हाथ पीछे किये और हाथों को दरवाजे से टिकाकर वह दरवाजे पर चढ़ने लगीं।

उसका चेहरा पुष्पशेखर की ओर था। पुष्पशेखर ने देखा कि महिला के उल्टे पैर थे। अब तो मानो उसका सारा नशा उतर गया। मारे डर के वह दहाड़ता हुआ चीखने लगा। रात के सन्नाटे में उसकी चीख भयंकर लग रहीं थी। तभी महिला ने उस पर हमला कर दिया। जिसके कारण वह गिर पड़ा। उसकी चीख से परिवार के सभी सदस्य जाग गए थे। सभी अपने-अपने रूम से निकलकर उस दिशा की और दौड़ पड़े जहाँ से पुष्पशेखर की आवाज आ रहीं थी।

परिवार के सदस्यों ने देखा कि पुष्पशेखर जमीन पर पड़ा जलविहीन मछली की भाँति तड़प रहा था। राजशेखर ने तुरंत एम्बुलेंस के नम्बर डायल कर दिए। थोड़ी ही देर बाद रात्रि के सन्नाटे में एम्बुलेंस का सायरन चारो दिशा में गूंजने लगा। पुष्पशेखर को शहर के सबसे बड़े हॉस्पिटल में भर्ती कर दिया गया। टॉप स्पेशलिस्ट बुलाये गए। अस्पताल में सिर्फ एक ही व्यक्ति को ठहरने की अनुमति दी गई बाकी लोग घर लौट गए।

अगली सुबह परिवार के सभी लोग व अन्य परिचित लोगों का अस्पताल में तांता लग गया। सभी यह जानना चाहते थे कि अचानक पुष्पशेखर को क्या हो गया? फिलहाल डॉक्टर बीमारी को पकड़ नहीं पा रहे थे, इसलिए सिवाय नई-नई जाँच के पर्चो व दवाईयो के बिल भरने का कहने के अलावा उनके पास कहने को कुछ नहीं था। पुष्पशेखर का मित्र जो बीती रात शराब के ठेके पर पुष्पशेखर के साथ ही था, वह बार-बार यहीं कह रहा था, कल तो अच्छा भला था, फिर अचानक क्या हो गया ?

पुष्पशेखर की पत्नी उस पर तंज कसकर उसे सुनाते हुए बोली- यह सब शराब के कारण ही हुआ हैं। मैं उनसे कहती रहीं कि शराब छोड़ दो। पर मेरी कौन सुनता हैं। मुंह बनाते हुए उसने राजशेखर की ओर देखा, और कहने लगी लोग तो चाहते ही हैं कि हम बर्बाद हो जाए।

तभी नर्स ने आकर कहा आप लोग बारी-बारी से मरीज से मिल सकते हैं। पुष्पशेखर से मिलने सबसे पहले उसकी पत्नी गई। पुष्पशेखर की आंखे खुली हुई थीं, वह बहुत कुछ कहना चाहता था पर गले से आवाज नहीं निकली। पत्नी खरी-खोटी सुनाकर चली गई। उसे जरा भी अंदाजा नहीं था कि पुष्पशेखर की हालत बहुत गम्भीर हैं जिसके बचने की उम्मीद न के बराबर थी।

राजशेखर जब अपने भाई से मिलने गए, तब पुष्पशेखर की आँखों के छोर से आँसू बहने लगें। आँखों के इशारे से उसने बड़े भाई से बात करने की कोशिश की। राजशेखर ने उसके सर पर हाथ रखकर कहा- मत घबरा छोटे तू जल्दी ही स्वस्थ हो जाएगा।

सभी परिवार के सदस्य पुष्पशेखर से मिलने के बाद उदास हो गए। सब समझ गए कि अब तो भगवान ही बचा सकते हैं। और एक रात वह मनहूस घड़ी भी आ गई जब पुष्पशेखर ने दुनिया को अलविदा कह दिया। राजशेखर की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई। वह पुष्पशेखर के बच्चों का ख्याल अपने बच्चो से भी अधिक रखते।

एक वर्ष बीत गया। इन दिनों चन्द्रशेखर का बर्ताव अपने बड़े भाई के प्रति बदल गया। राजशेखर का पुष्पशेखर के बच्चों के प्रति बढ़ता लगाव उसे खलता था। उसके मन में सम्पत्ति को लेकर लालच पनप रहा था। इन सब बातों के कारण उसके मन में घृणा व द्वेष बढ़ता ही गया। उसकी पत्नी अनिता भी आग में घी डालने का काम करतीं रहीं। उसी के कहने पर चंद्रशेखर दुकान पर जाने लगा।

एक दिन चंद्रशेखर रात 12 बजे दुकान से फ्री होकर अपने रूम की ओर जा रहा था। दुकान घर के नीचे ही बनी थीं, जिसके ऊपर बने मकान में राजशेखर का परिवार रहता था, पीछे की ओर बनी ईमारत में अन्य भाई रहते थे। दुकान और पीछे की इमारत के बीच खाली जगह थीं, जहाँ पर राजशेखर के घर पहुँचने के लिए सीढ़ी बनी हुई थीं। सीढ़ी के ठीक सामने सीमेंट से बनी बड़ी सी पानी की टंकी थीं, जिससे पूरे घर व दुकान में पानी सप्लाई होता था।

मीनू अपनी कहानी कहती जा रही थी। इस बीच राघव उठा और उसने पानी की बोतल ले ली। इसके साथ वो कुछ चिप्स के पैकेट भी अपने बैग से निकालकर ले आया। उसने सभी को एक-एक चिप्स का पैकेट थमा दिया और फिर से अपनी जगह पर आकर बैठ गया। मीनू ने भी पानी पिया और अपना चिप्स का पैकेट खोलकर चिप्स खाने लगी।

इस दौरान मानसी ने कहा- यार कहानी तो मजेदार लग रही है, क्या पूरे परिवार को वो महिला मार देगी ? मीनू जल्दी से बता ना कि आगे क्या हुआ ?

____________