Jindagi ke Rang Hazar - 3 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | जिंदगी के रंग हजार - 3

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जिंदगी के रंग हजार - 3

इकीसवीं सदी
औरत अब घर की चारदीवारी में कैद नही रही।जल,थल,नभ को छोड़िए उसके कदम अंतरिक्ष मे भीपड़ चुके है।जीवन का कोई भी क्षेत्र हो औरत मर्द के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।ऐसे क्षेत्रों की भी कमी नही है,जिनमे औरत मर्द से आगे निकल चुकी है।तो क्या यही आज की हकीकत है?
अगर आपका उतर हाँ है तो आप गलत है।सौ प्रतिशत गलत है।दुनिया की आधी आबादी का बड़ा हिस्सा आज भी मर्द का गुलाम है।आज भी शोषण,अत्याचार,जुल्म,उत्पीड़न का शिकार है।युद्ध हो या आतंकवाद उसका दंश औरत को ही झेलना पड़ता है।युद्ध होने पर हजारों,लाखो औरते विधवा हो जाती है।यह सिलसिला कालांतर से चला आ रहा है।रामायण का युद्ध हो या महाभारत का या प्रथम विश्वयुद्ध हो या दूसरा लाखो औरतों को विधवा होना पड़ा।छोटे मोटे युद्ध तो दुनिया के किसी ने किसी कोने में लगातार चलते रहते है।
आतंकवाद का शिकार भी औरते ही होती है।आतंकवादी ताकत के बल प्रारतो को अपनी गुलाम बनाकर उनका दैहिक शोषण करते है।युद्ध की सिथति में औरतों को बलात्कार का शिकार होना पड़ता है।वियतनाम युद्ध हो या बंगला देश का युद्ध।
क्या आतंकवाद या युद्ध से इतर नारी की सिथति ठीक है।या नारी को आज भी गुलाम या दोयम दर्जे की समझ के लोग है।
आज भी ऐसे लोगो की कमी नही है जो औरत को अपनी गुलाम समझते हैं।पत्नी को दोयम दर्जे की मानते है और उसके साथ अच्छा व्यवहार नही करते।उसके साथ मारपीट और गाली गलौज आम बात है।
मै एक पुराना वाक्या सुनाता हूँ।शायद इस बात को तीस साल से ज्यादा हो गए।उन दिनों मैं किराए के मकान में रहता था।हमारे पीछे के मकान में एक पति पत्नी किराए पर रहते थे।शायद बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे।औरत का नाम आशा था।उसका पति प्राइवेट जॉब करता था।उसे बहुत कम पगार मिलती थी।उस पगार में मकाम का किराया और घर का खर्च।
आजकल तो सरकारों ने बहुत सुविधा दे दी है।गरीब लोगों को फ्री का राशन और आयुष्मान कार्ड के अलावा अस्पतालों में फ्री में इलाज।पहले ऐसा नही था।सरकारी अस्पताल में दिखा तो आप फ्री सकते थे लेकिन दवा बाजार से लेनी पड़ती थी।
आशा के सिर में दर्द रहता था।अब पति की इतनी आय नही थी कि अच्छे डॉक्टर को दिखा सके या पति ने कभी उसकी चिंता ही नही की।जब भी तेज दर्द होता वह दर्द की गोली खा लेती या सिर बांधकर पड़ जाती।
औरत बीमार हो या तबियत खराब हो या मन न हो।उसे घर के सब काम करने के साथ रात को पति को शारीरिक सुख भी देना है।और इस सुख का परिणाम आशा गर्भवती हो गयी।जब डिलीवरी का समय आया तो पति उसे गांव में छोड़ आया अपनी माँ के पास।
एक दिन पति के पास फोन आया कि आशा का पैर फिसल गया और सीढ़ी से गिर गयी है।और समाचार मिलने पर पति गांव चला गया।
एक दिन गांव से मकान मालिक के पास फोन आया कि आशा का गर्भपात होने से मौत हो गयी क्योकि गांव में बेहतर चिकित्सा सुविधा नही थी।
और एक दिन पति लौट आया लेकिन अकेला नही दूसरी दुल्हन के साथ
आशा की तेरहवीं होते ही उसने दूसरी शादी कर ली थी।