Live happily and let live happily. in Hindi Short Stories by Piyush Goel books and stories PDF | आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.

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आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.

एक मछुआरा रोज़ाना मछलियाँ बेच कर अपने परिवार का लालन पालन करता था, बात बहुत पुरानी हैं,एक दिन जैसे ही मछली पकड़ कर अपनी टोकरी में रख रहा था,एक मछली बहुत ज़ोर-ज़ोर से उछल कूद कर रही थी बड़ी ही बेचैन थी,मछुआरे ने अपनी टोकरी से निकाल कर देखा तो मछली की आँखें नम थी,तभी मछली ने एक मोती उगल दिया,उस पर लिखा था,भैया मुझे छोड़ दो,मेरे बिना मेरे बच्चे मर जाएँगे. मछुआरे को तरस आ गया और उस मछली को छोड़ आया.और वो मोती अपने पास सुरक्षित रख लिया.ऐसे ही चलता रहा,पर बात मछुआरे को लग गई,एक दिन फिर ऐसा ही हुआ,एक मछली ज़ोर-ज़ोर से उछल कूद कर रही थी आँखें नम थी,जैसे ही हाथों में लिया एक मोती निकला, उस पर लिखा था मेरे बिना मेरी माँ मर जायेगी, मछुआरे का मन फिर पसीज गया और उस मछली को भी छोड़ आया और मोती अपने पास रख लिया और सोचने लगा अगर ऐसे ही चलता रहा तो मेरा तो काम बंद हो जायेगा.समय गुजरता रहा,एक दिन फिर ऐसा ही हुआ,आज मोती पर लिखा था, भैया मेरे बिना मेरी पत्नी नहीं रह पायेगी,मछुआरे से रहा नहीं गया,आज पूरा का पूरा मछली से भरा टोकरा तलैया में लोटाया,और तीनों मोती अपनी जेब में रख अपने घर को वापिस चल दिया,मछुआरे ने ये सारी बाँते अपनी पत्नी को बताई और कहाँ अब मैं यह काम नहीं कर पाऊँगा.मैं अपने मन के आगे हार गया मैं अब मछलियाँ नहीं पकड़ पाऊँगा, दोनों ही बड़ी सोच में पड़ गये,कैसे परिवार का लालन पालन होगा.एक दिन मछुआरा बड़े ही परेशान मन से तलैया के पास जाकर बैठ गया और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा,तभी एक मछली बाहर आई और बोली भैया, आप चिंता ना करे आपने हमारे लिए इतना किया हैं,अब हमारा वक़्त हैं एक-एक करके बहुत सारी मछलियाँ बाहर आ गयी और हर मछली एक- एक मोती उगल कर चली गई और बोली आप बिलकुल भी चिंता मत करना जब भी आपका मन करे मिलने आते रहना.मछुआरे ने सारे मोती इकट्ठा कर घर की और चल दिया इतने सारे मोती देख कर पूरा घर फूला न समाया और मछुआरे ने एक नया व्यापार शुरू कर दिया,बड़े आनंद के साथ जीवन जी रहें हैं.जब भी मन करता हैं तलैया के पास जाकर मछलियों से मिल आता हैं.आनंद से जियो और आनंद से जीने दो. परिचय:पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक,पीयूष गोयल 1७ पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखा हैं इसके अलावा पीयूष ने हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखित पुस्तक "मधुशाला"को सुई से लिखा हैं ,और ये दुनिया की पहली पुस्तक हैं जो सुई से व् दर्पण छवि में लिखी गई हैं इसके बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुस्तक "गीतांजलि"( जिसके लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था) को मेहंदी कोन से लिखा हैं. पीयूष ने विष्णु शर्मा जी की पुस्तक "पंचतंत्र"को कार्बन पेपर से लिखा .अटल जी की पुस्तक "मेरी इक्यावन कवितायेँ"को मैजिक शीट पर लकड़ी के पैन से लिखा और अपनी लिखित पुस्तक "पीयूष वाणी" को फैब्रिक कोन लाइनर से लिखा हैं सं 2003 से 2022 तक 17 पुस्तके लिख चुके हैं.