Wo Maya he - 90 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 90

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वो माया है.... - 90



(90)

साइमन और उसके साथियों को देखकर ललित और पुनीत फिर चुप हो गए। साइमन, इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल उन दोनों के सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठ गए। तीनों कुछ पल खामोश रहे। साइमन की नज़र उन दोनों के चेहरों पर टिकी थी। उसने पूछा,
"तुम दोनों उस मकान में क्या कर रहे थे ?"
ललित ने पुनीत की तरफ देखा। उसने इशारा किया कि जवाब वह देगा। उसने साइमन की तरफ देखकर कहा,
"हम दोनों वहाँ रहते थे। पुलिस ने अचानक धावा बोल दिया। हमें गिरफ्तार कर लिया। आप लोग हमें यहाँ ले आए। पूछना तो हम चाहते हैं कि आप लोग हमें यहाँ क्यों लाए हैं ?"
साइमन समझ रहा था कि वह ऊपर से निडर बनने की कोशिश कर रहा है। अंदर से वह बहुत डरा हुआ है। साइमन ने उसे घूरा। उसके बाद बोला,
"पुलिस का खबरी कुलभूषण उस मकान में बेहोश मिला। उसके हाथ पैर बंधे थे। तुम कहते हो कि पुलिस ने अचानक धावा बोलकर तुम दोनों को गिरफ्तार कर लिया। मुझे बताओ कि कुलभूषण को तुम लोगों ने बांधकर क्यों रखा था ?"
साइमन के घूरने से ललित का मुश्किल से संजोई हुई हिम्मत टूट गई। उसने पुनीत की तरफ देखा। वह और भी डरा हुआ था। उसने एकबार फिर अपनी हिम्मत बटोरने की कोशिश की‌। उसने कहा,
"हमें नहीं पता था कि वह पुलिस का आदमी है। मैंने उसे घर के अंदर तांकझांक करते हुए पकड़ा था। उसे पकड़ने के चक्कर में हाथापाई हुई। उस दौरान मेरा हाथ कसकर पड़ गया। वह बेहोश हो गया। मुझे और मेरे साथी पुनीत को लगा कि कोई चोर है। इसलिए उसके हाथ पैर बांध दिए।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"उसे बेहोश कर दिया। हाथ पैर बांधकर कमरे में बंद कर दिया। तुम्हें अगर वह चोर लगा था तो पुलिस को फोन क्यों नहीं किया ?"
"हम लोग फोन करने ही वाले थे तब तक पुलिस आ गई।"
यह कहकर ललित ने साइमन पर नज़र डाली। वह उसकी तरफ देख रहा था। ललित नर्वस हो गया। उसने अपनी आँखें झुका लीं। साइमन ने कहा,
"जब पुलिस पहुँची तो तुम लोग मकान के ऊपरी हिस्से में बने कमरे में थे। घर में चोर घुसा था उसे छोड़कर तुम लोग वहाँ क्या कर रहे थे ?"
ललित ने कोई जवाब नहीं दिया। साइमन ने आगे कहा,
"जब इंस्पेक्टर नासिर ऊपर कमरे में पहुँचा तब तुम्हारे साथी के हाथ में एक अजीब सी मूर्ति थी। एक प्लास्टिक बैग में राख और कुछ सूखे हुए फूल थे। कमरे की एक दीवार काली थी। ऐसा लग रहा था जैसे किसी काले चित्र को पोंछने की कोशिश की गई हो। क्या करते थे उस कमरे में कि उसकी सफाई करने की ज़रूरत महसूस हुई ?"
ललित अभी भी कुछ नहीं बोला। साइमन ने गुस्से में कहा,
"तुम दोनों को पता था कि कुलभूषण पुलिस का आदमी है। तुम दोनों चाहते थे कि उस जगह से सारे निशान मिटा दो जिससे पुलिस को तुम्हारे काले कारनामों का पता ना चले।"
इस बार साइमन ने पुनीत की तरफ देखकर कहा,
"बताओ यही बात है ना ?"
पुनीत पहले ही बहुत डरा हुआ था। साइमन की दमदार आवाज़ सुनकर वह कांपने लगा‌। वह डर के मारे इधर उधर देख रहा था। स्थिति बिगड़ते देख ललित ने कहा,
"हम दोनों उस कमरे में ध्यान हवन करते थे।"
"तो इसमें परेशान होने वाली ऐसी क्या बात थी कि तुम दोनों पुलिस के आने के डर से सफाई करने लगे।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने सवाल किया। उसके सवाल को आगे बढ़ाते हुए इंस्पेक्टर हरीश ने पूछा,
"दीवार पर कौन सा चित्र था जिसे मिटाने की कोशिश की थी ? वह मूर्ति किसकी थी ?"
साइमन का पूरा ध्यान ललित और पुनीत पर था। वह महसूस कर रहा था कि दोनों ही बहुत डरे हुए हैं। उनके चेहरे से स्पष्ट था कि उन्हें अपना भांडा फूट जाने का भय था। उसने कहा,
"वक्त ना बर्बाद करते हुए मैं सीधे सीधे पूछ रहा हूँ। तुम दोनों तंत्र मंत्र में यकीन रखते हो। लोगों की हत्या करके कोई अनुष्ठान कर रहे हो। अब कुछ भी छिपाकर कोई लाभ नहीं है। सब सच सच बता दो।"
ललित डरा हुआ था पर अभी भी उसने अपनी हिम्मत बनाए रखी थी। अब तक पुलिस ने सिर्फ आशंका जताई थी‌। ऐसी कोई बात नहीं कही थी जिससे स्पष्ट हो कि उनके पास कोई ठोस सबूत है। इस बात से उसे बल मिला था। वह चाहता था कि अपनी तरफ से घबरा कर कुछ ऐसा ना बोल दे जो उसके और पुनीत के खिलाफ चला जाए। वह जानता था कि जब तक वह और पुनीत कुछ स्वीकार नहीं करते हैं पुलिस सिर्फ इल्ज़ाम लगा सकती है। उनके खिलाफ कुछ साबित नहीं कर सकती है। उसने पुनीत की तरफ देखा। आँखों ही आँखों में उसे शांत रहने का इशारा किया। उसके बाद साइमन की तरफ देखकर बोला,
"हम दोनों कोई तंत्र मंत्र नहीं करते हैं। जो मूर्ती हमारे हाथ में थी वह हमारे समाज के एक देवता की मूर्ती है। हमारे समाज में सुख शांति की कामना करते हुए उसकी पूजा होती है। हम अपने देवता की मूर्ती खुद अपने हाथों से मिट्टी से गढ़ते हैं। आप ना जाने कौन सी हत्याओं की बात कर रहे हैं हमें नहीं मालूम।"
ललित ने अपनी बात पूरे आत्मविश्वास के साथ कही थी। साइमन समझ रहा था कि वह आसानी से हिम्मत नहीं हारेगा। उसने पिछली चार हत्याओं के साथ साथ चेतन और पुष्कर की हत्या के बारे में बताने के बाद कहा,
"चेतन की हत्या करने के बाद जब हत्यारा भाग रहा था तब चेतन के ढाबे के मालिक ने उसे देखा था। उसने उसकी बाइक पर खोपड़ी वाला स्टिकर देखा था। वही स्टिकर कुलभूषण ने तुम्हारी बाइक पर देखा। वैसा ही स्टिकर तुम्हारे साथी पुनीत के ऑटो पर भी था। इंस्पेक्टर नासिर के साथी ने उस दीवार की तस्वीर अपने फोन पर ली थी जिसे तुम लोगों ने साफ किया था। तुमने भले ही मिटा दिया हो पर फिर भी जो बच गया था उससे लगता है कि वहाँ खोपड़ी का निशान ही बना था।"
स्टिकर वाली बात से ललित के चेहरे पर परेशानी उभरी। पर उसने एकबार फिर अपने आप को संभाल लिया। उसने कहा,
"हो सकता है कि कत्ल करने वाले की बाइक पर खोपड़ी वाला स्टिकर लगा हो। ऑनलाइन ऐसा स्टिकर आसानी से मिल जाता है। आप खोजेंगे तो बहुत सी बाइकों और गाड़ियों पर यह स्टिकर मिल जाएगा। आप क्या सबको इस केस से जोड़ देंगे।"
इस बार ललित कुछ अधिक ही आत्मविश्वास से बोला। साइमन ने कहा,
"तर्क अच्छा है तुम्हारा पर उन सबकी बाइक चेतन की हत्या वाली जगह के पास नहीं दिखी थी।"
"वह मेरी बाइक थी यह आप कैसे कह सकते हैं ? उस ढाबे वाले ने मुझे देखा था या बाइक का नंबर आपको बताया था ?"
ललित ने सवाल करके साइमन की तरफ देखा। साइमन ने महसूस किया कि कुछ देर पहले वह जितना डरा हुआ लग रहा था अब उतना नहीं था। साइमन ने पुनीत की तरफ देखा। उसके चेहरे पर डर तो था पर वह इस उम्मीद से ललित को देख रहा था कि वह सब ठीक कर देगा। ललित के बढ़ते आत्मविश्वास से साइमन भी अब कुछ चिंतित हो गया था। उसे लग रहा था कि जितना आसान उन लोगों ने सोचा था उतना आसान नहीं होगा। इन लोगों के मुंह से गुनाह कबूल करवाने के लिए कुछ ठोस सामने रखना होगा। उसने भी अपनी आवाज़ में पूरा आत्मविश्वास लाकर कहा,
"पुलिस हवा में तीर नहीं चला रही है। हमारे पास भी बहुत कुछ ऐसा है जो यह साबित कर देगा कि तुम और तुम्हारा साथी किसी तंत्र मंत्र के चक्कर में हत्याएं कर रहे हो। अभी हम लोग ज़रूरी काम से जा रहे हैं। तब तक तय कर लो कि हमारी मदद करनी है या नहीं। अब तुम लोगों के बचने का कोई रास्ता नहीं है। अभी तो हमारे खबरी को अपनी कैद में रखने के इल्ज़ाम में गिरफ्तार हुए हो। जल्दी ही हत्या की चार्जशीट भी दाखिल करेंगे।"
साइमन ने कांस्टेबल से कहा कि उन दोनों को उनकी सेल में ले जाए। कांस्टेबल ललित और पुनीत को वहाँ से ले गया। उनके जाने के बाद इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर हमें तो लगा था कि दोनों खुद ही सब कुबूल कर लेंगे। लेकिन यह यह ललित तो शातिर मालूम पड़ता है।"
साइमन ने कहा,
"हमसे भी चूक हो गई। उन्हें गिरफ्तार करने के उत्साह में हमने जल्दबाज़ी कर दी। पहले उन्हें घेरने के लिए किस तरह सवाल करने हैं इसकी रूपरेखा तैयार कर लेनी चाहिए थी। लेकिन हम भी उन्हें ऐसे ही नहीं जाने देंगे।"
सब इंस्पेक्टर कमाल सोच रहा था कि उनके पास अभी तक उन दोनों के विरुद्ध कोई भी ठोस सबूत नहीं है। फिर उन्हें घेरा कैसे जाएगा। उसने अपने मन की बात साइमन को बताई। साइमन ने कहा,
"पुष्कर की लाश के पास बाइक के टायर के निशान थे। उस निशान से ललित की बाइक के निशान को मैच करते हैं।"
यह सुनकर इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल दोनों के चेहरे पर चमक आ गई। साइमन ने आगे कहा,
"हरीश तुम बाइक के टायर के निशान मैच करवा कर रिपोर्ट लेकर आओ।"
साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"हमें अब इनके नाम पता चल गए हैं। इनके बारे में और बातें पता करते हैं। कुछ ना कुछ सामने ज़रूर आएगा। कमाल तुम इन दोनों की तस्वीरें लेकर शाहखुर्द और आसपास के इलाके में पता करो। हो सकता है किसी से कुछ अहम जानकारी मिल जाए। मैं कुलभूषण से कहता हूँ कि वह हुसैनपुर में इन दोनों के बारे में पता करे। अब पूरी तरह से जुट जाओ। मैं पुरानी हत्याओं से भी इनके संबंध के सबूत इकट्ठा करता हूँ।"
इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल चले गए। साइमन ने कुलभूषण को फोन करके नया आदेश दिया।