No problem, we will win the next World Cup after 4 years in Hindi Motivational Stories by Dr Yogendra Kumar Pandey books and stories PDF | कोई बात नहीं, 4 साल बाद जीतेंगे अगला विश्व कप

Featured Books
  • तुझी माझी रेशीमगाठ..... भाग 2

    रुद्र अणि श्रेयाचच लग्न झालं होत.... लग्नाला आलेल्या सर्व पा...

  • नियती - भाग 34

    भाग 34बाबाराव....."हे आईचं मंगळसूत्र आहे... तिची फार पूर्वीप...

  • एक अनोखी भेट

     नात्यात भेट होण गरजेच आहे हे मला त्या वेळी समजल.भेटुन बोलता...

  • बांडगूळ

    बांडगूळ                गडमठ पंचक्रोशी शिक्षण प्रसारण मंडळाची...

  • जर ती असती - 2

    स्वरा समारला खूप संजवण्याचं प्रयत्न करत होती, पण समर ला काही...

Categories
Share

कोई बात नहीं, 4 साल बाद जीतेंगे अगला विश्व कप

कोई बात नहीं,चार साल बाद जीतेंगे अगला विश्व कप

आज एक अरब से ऊपर भारतीयों का विश्व कप जीतने का सपना फिर चकनाचूर हो गया। भारत की पारी समाप्त होते-होते भारतीय प्रशंसकों को इस बात की आशंका तो थी कि केवल 240 रन बनाने के कारण मुकाबले कड़ा रहेगा, लेकिन अहमदाबाद की पिच का मिजाज भारतीयों के पक्ष में कभी रहा नहीं रहा। भारतीय बल्लेबाजी बेअसर थी,इसी तरह से भारतीय गेंदबाजी भी इस विश्व कप के अपने चिर परिचित अंदाज में वही कमाल आज नहीं दोहरा पाई।

इस विश्व कप क्रिकेट के फाइनल को मैं अपने घर में ही टीवी स्क्रीन पर देखना चाहता था, लेकिन एक आवश्यक यात्रा के लिए मुझे ठीक उसी समय घर से निकलना पड़ा, जिस समय ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग शुरू हो रही थी। राजनांदगांव से दुर्ग होते हुए सड़क मार्ग से रायपुर की यात्रा के दौरान लगभग पूरे समय मोबाइल टीवी स्क्रीन पर आंखें गड़ाए इस मैच के हर पल का साक्षी बनता रहा। दुर्ग से लेकर रायपुर और फिर बलौदा बाजार मार्ग में यात्रा के दौरान हर कहीं क्रिकेट का ही जश्न भरा माहौल था।सड़के लगभग वीरान थीं,इसका एक कारण रविवार का दिन होना भी है लेकिन सबसे बड़ा कारण था, विश्व कप क्रिकेट का फाइनल और चार वर्षो के बाद आयोजित होने वाले इस महामुकाबले में भारत अपने शक्तिशाली चिर प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया से खेल रहा था।कहीं - कहीं सड़क के बगल में बड़ी टीवी स्क्रीन पर भी सैकड़ो दर्शक मैच का लुत्फ उठा रहे थे।जाहिर सी बात है कि लोग इस मैच को लाइव देखना चाहते थे।

हम भारतीय दर्शकों की आशा धीरे-धीरे धूमिल पड़ती गई और मोबाइल टीवी पर शुरुआत में लगभग 4.8 करोड़ दर्शकों के मैच देखने का आंकड़ा मेरे वापसी के समय ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग के दौरान मैच खत्म होते-होते कुछ ही लाख का रह गया था।मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में जाते-जाते भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली अपनी आंखों में आंसुओं की बूंदें नहीं छिपा पाए तो मोहम्मद सिराज ग्राउंड पर ही रूआंसा थे।यही हाल सभी भारतीय दर्शकों का भी अवश्य रहा होगा। अब तक के विश्व कप के सभी मुकाबले में अपराजित ऑस्ट्रेलिया को लीग मैच में एक बार हरा चुकी टीम इंडिया के खिताब जीतने की प्रबल संभावना थी।ऐसा हम किस्मत के आधार पर नहीं सोच रहे थे क्योंकि टीम ने पिछले दो-तीन वर्षों में एक चैंपियन और हमेशा अच्छा खेलते रहने वाले की लय प्राप्त कर ली थी,जैसी स्थिति एक समय ऑस्ट्रेलिया की हुआ करती थी। विश्व कप के लगभग सभी मुकाबले में दबदबे के बाद भी आखिर हम हार गए।

यह क्रिकेट का महाकुंभ था और हम जैसे आम भारतीय दर्शक एक विश्व कप के बीतने के बाद अगले विश्व कप की प्रतीक्षा करने लगते हैं। क्रिकेट विशेषज्ञ नहीं होने के बाद भी इस खेल में गहरी रुचि होने के कारण मैंने सोचना शुरू किया।क्या के. एल. राहुल के बदले ऋषभ पंत जैसे विशेषज्ञ विकेटकीपर के नहीं होने से नुकसान हुआ क्योंकि ऑस्ट्रेलिया की बैटिंग की शुरुआत में राहुल के दस्ताने से अनेक गेंदें फिसलीं।क्या घातक गेंदबाजी कर रहे जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी के पहले स्पैल के तुरंत बाद मोहम्मद सिराज को बॉलिंग देना था, क्योंकि कुलदीप यादव और ऑलराउंडर की हैसियत रखने वाले रविंद्र जडेजा की स्पिन गेंदबाजी के बाद मोहम्मद सिराज को पांचवें गेंदबाज के रूप में उतारा गया और क्या इससे सिराज का आत्मविश्वास कुछ खंडित हो गया होगा? भारतीय टीम छह विशेषज्ञ बल्लेबाजों,चार विशेषज्ञ गेंदबाजों और रविंद्र जडेजा के रूप में एक ऑलराउंडर के साथ उतरी थी। यह कांबिनेशन 5 5 1 भी हो सकता था। भारतीय खेमे में एक विशेषज्ञ पांचवें गेंदबाज की कमी निश्चित रूप से मैच में दिखी। शायद ऐसा कांबिनेशन इसलिए नहीं उतारा गया क्योंकि 6 4 1 के कांबिनेशन से ही अब तक जीत मिलती आ रही थी,पर फाइनल का मुकाबला निश्चित रूप से कड़ा ही होने वाला था और इसमें पिच के अनिश्चित व्यवहार को लेकर सतर्कता रखना आवश्यक था।पारी की शुरुआत में धुआंधार खेल रहे रोहित शर्मा को अगर अपने विकेट बचाकर शुभमन गिल स्ट्राइक देते रहते तो बात दूसरी हो सकती थी, लेकिन उन्होंने भी विस्फोटक अंदाज में बल्लेबाजी शुरू की। अगर शुरुआती 10 ओवर तक भारत का कोई विकेट नहीं गिरता तो कहानी कुछ और होती।

मैच खत्म होते-होते कई तरह के विश्लेषण सामने आने लगे हैं जिसमें रोहित शर्मा के आउट होने को मैच का टर्निंग प्वाइंट कहा जा रहा है।श्रेयस अय्यर का आउट होना भी घातक रहा।पहले बल्लेबाजी भारत के लिए नुकसानदेह सिद्ध हुई। मैं सोचने लगा,”भाई!यह कैसी पिच है जो आधे समय के बाद अपना रंग बदल लेती है। क्या सचमुच ऐसा था?”

जब कोहली और राहुल ने संभल कर खेलते हुए टीम के स्कोर को आगे बढ़ाया और जब बड़े हिट मारने की बारी थी तो दुर्भाग्यवश दोनों ही आउट हो गए।जब भारत की पारी के समापन अवसर पर तेज खेलने की जरूरत थी तो उसके स्थान पर शायद 50 ओवर पूरे खेलने का मनोवैज्ञानिक दबाव रहा होगा कि सूर्यकुमार यादव आज भी अपने टी 20 वाले रंग में नहीं थे और एक- एक सिंगल लेकर नॉन स्ट्राइकिंग एंड पर पहुंच रहे थे।

घर पहुंचा तो मेरा मुंह उतर चुका था और ऑस्ट्रेलिया 200 रनों के नजदीक पहुंच गई थी। श्रीमती जी ने भोजन के लिए कहा पर मैंने मना कर दिया। मैं अभी भी आशान्वित था कि किसी एक ओवर में चमत्कार हो जाए और तीन विकेट खो चुकी ऑस्ट्रेलिया के विकेटों का आगे पतझड़ शुरू हो जाए लेकिन दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हो सका। मैच के हाथ से फिसल जाने के बाद मैंने खुद को सांत्वना देते हुए कहा,” कोई बात नहीं, टीम इंडिया इस विश्व कप की सर्वश्रेष्ठ टीम थी और केवल आज की शाम हम अच्छा नहीं खेल सके।आज के खेल में सराहनीय प्रदर्शन के कारण पैट कमिंस के नेतृत्व वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम सचमुच जीत की हकदार थी।दुर्भाग्य से हम जो एक मैच अच्छा नहीं खेल सके,वह इस विश्व कप का फाइनल था। कोई बात नहीं टीम इंडिया!अगली बार।अगले विश्व कप में हम और अधिक मनोवैज्ञानिक मजबूती तथा प्लान बी और प्लान सी के साथ मैदान में उतरेंगे।टीम इंडिया हम आपके साथ हैं।”

)

डॉ. योगेंद्र कुमार पांडेय