Tumse Na Ho Payega in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | तुमसे न हो पाएगा फिल्म रिव्यू

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तुमसे न हो पाएगा फिल्म रिव्यू

नौकरी करने वाले युवाओं को एक बार यह फिल्म देखनी चाहिए। यह फिल्म उन युवाओं के लिए एक एक शिक्षा है जो यह जानते हुए आजीवन नौकरी करते हैं की एक दिन उन्हें उनके व्यवसाय से संतोष मिलेगा पर वह कभी आता नहीं और आयुष्य एक ट्रेन की तरह गति से आगे बढ़ता चला जाता है और आखिर एक दिन व्यक्ति हताश होकर उस नौकरी को ही जीवन का उद्देश्य स्वीकार कर जीवन के उत्तरदायित्व निभाता चला जाता है।

तुमसे न हो पाएगा अक्सर उन व्यक्तियों को सुनना पड़ता है जो लोग कुछ अलग राह पर चलना चाहते है। कुछ बढ़ा कुछ विशेष करना चाहते हैं। पर शुरुआती सफलता सबके भाग्य में नहीं होती इसलिए समाज के अन्य लोग, रिश्तेदार, अडोस पड़ोस वाले आ जाते हैं आपको यह याद दिलाने की तुमसे न हो पाएगा।

फिल्म बनी है एक अंग्रेजी किताब पर जिसका नाम है हाउ आई ब्रेव्ड अनु आंटी एंड को फाउंडेढ़ मिलियन डॉलर कंपनी, यह अनु आंटी कोई भी वो व्यक्ति समझ लीजिए जिसने आपको एक प्रायोजित कार्य में व्यस्त रखने का उत्तरदायित्व लिया है। वैसे लोगों को नए काम पसंद नहीं, बस सफलता उनके लिए एक सुनिश्चित मार्ग है और उसका हर एक कदम पूर्वक्योजित होना चाहिए।

फिल्म के नायक को उनकी वर्तमान नौकरी पसंद नहीं, एक दिन वह हिम्मत करके अपनी नौकरी छोड़ देता है और कुछ नया सहस करने की ठानता है। उसे क्या करना है वह नही जानता इसलिए अनेक अलग अलग विचार और योजनाएं और विकल्प ढूंढता है। आखिर एक दिन उसे एक विचार पसंद आता है जिसपर उसे काम करने की प्रबल इच्छा हो जाती है। विचार है की अकेले रहने वाले युवाओं को घर के खाने जैसा टिफिन पहुंचाना। खाना बनेगा घरों में और पूहंचेगा कार्यालयों ऑफिसों में उन लोगों के पास जो अपने घर के खाने के लिए तरस रहे हैं।

यह कार्य इतना सरल था नहीं। पहले ग्राहक ढूंढो, फिर उन स्त्रियों को जो अपने घर दूसरों के लिए खाना बनाकर कमाना चाहतीं हैं और उन दोनों को जोड़ने के लिए टिफिन का एक जगह से लेना और दूसरी जगह पहुंचाना। फिल्म के मुख्य किरदार के कुछ दोस्त भी इस व्यवसाय में जुड़ते हैं और बहुत कठिन रास्तों से निकलकर एक व्यवसाय को चलाते हैं।

पर क्या यह धंधा चल पाया? कितना और कैसे? यह तो फिल्म में ही देख लीजिए।

बात करते हैं अनु आंटी की, इस किरदार ने अपने बेटे को अपनी परवरिश का मार्केटिंग मटीरियल बना रखा है। उसका बेटा एक रैंकर है, अच्छी कॉर्पोरेट जॉब करता है और अच्छी लड़की भी घुमाता है। बस यही बात अनु आंटी हर पीडोसी मां को सिखाती फिरती है की कैसे बच्चों के अच्छे भविष्य का निर्माण हो। जो उनके जैसा नहीं करता वो उनकी दृष्टि से असफल व्यक्ति है। इस किरदार के साथ और उसी पूर्वनियोजित जीवन के साथ लड़ाई है हमारे नायक की।

यह फिल्म बहुत बड़े प्रश्न मां बाप के लिए खड़े करती है। जैसे की क्या पढ़ाई केवल अच्छी नौकरी के लिए है? क्या युवा पीढ़ी अपना व्यवसाय चुनने के लिए स्वतंत्र है? क्या इस समाज में असफल होना वर्जित है?

साथ ही यह फिल्म आज के नए भारत के युवा को मार्गदर्शन और शिक्षा दे रही है की किस तरह एक स्टार्टअप शुरू होता है, टूटता है और फिर खड़ा किया जा सकता है? कितनी और कैसी हिम्मत और विश्वास हो तो स्टार्टअप सफलता तक पहुंचे?

फिल्म के एक लेखक नितेश तिवारी हैं जिन्हें हम दंगल और छिछोरे फिल्म के लिए जानते हैं। उनके लेखन में व्यक्ति को इच्छा शक्ति और विश्वास की चर्मसीमा देखने को मिलती है। फिल्म के अन्य कलाकार बहुत ही अच्छी अदाकारी करते दिखे। सभी आपको किसी न किसी ओटीटी पर मिल जायेंगे। अच्छी कहानी और निर्देशन हो तो युवा कलाकार भी एक अच्छी फिल्म दे सकते है।

तुमसे न हो पाएगा हॉट स्टार ओटीटी पर है। हर १८ से ३० साल के युवा को देखनी चाहिए।

आपको यह रिव्यू कैसा लगा और यह फिल्म कैसी लगी, अवश्य कमेंट करके साझा करें।

– महेंद्र शर्मा