Luck by chance again !! - 6 in Hindi Fiction Stories by zeba Praveen books and stories PDF | Luck by chance again !! - 6

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Luck by chance again !! - 6

(जिस तरह गौरी का घर शादी के माहौल में जगमगाया हुआ था वैसा राजवीर का घर बिलकुल ना था, गौरी गाड़ी से उतरते ही चारो तरफ नज़रे दौड़ाने लगी, घर के नौकरों के आलावा कोई रिश्तेदार नहीं लग रहा था, बारात से वापस लौटते समय ही बैंड-बाजे वाले चले गए थे, राजवीर के कहने पर घर के नौकर गौरी का सारा सामान गाड़ी से निकाल कर उसके कमरे में शिफ्ट करने लगे, गौरी मन ही मन सोचने लगी "शायद अमीर लोग ऐसे ही शादी करते हैं", एक औरत आयी वो गौरी को उसका कमरा दिखाने के लिए अपने साथ ले गयी, घर अंदर से बहुत बड़ा और ख़ूबसूरत था, किसी महल से कम नहीं लग रहा था, राजवीर ऊपर अपने कमरे में चला गया, उसके पीछे बेला जा रही थी, गौरी का कमरा निचे ही था वो राजवीर को जाते हुए देख रही थी, गौरी भी अपने कमरे में चली गयी, अंदर से कमरा काफी बड़ा था और अच्छे से सजाया हुआ भी था लेकिन कही से भी दुल्हन का कमरा नहीं लग रहा था, गौरी के साथ सुनीता नाम की एक नौकरानी भी थी वो उसके सभी सामान को जगह पर रख रही थी)

गौरी-"आपका नाम क्या हैं?"

सुनीता-"मेरा नाम सुनीता हैं, आप को किसी भी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो मुझे बता दीजियेगा, मेरा कमरा आपके बगल वाला ही हैं"

गौरी-"सुनीता दीदी, आपसे एक बात पुछु"

सुनीता-"जी बिलकुल पूछिए ना मालकिन"

सुनीत-"राजवीर जी, शुरू से ही ऐसे ही गुस्से वाले हैं क्या, आपको पता हैं कितना गुस्सा किया था उन्होंने छोटू पर, और इनके गुस्से की वजह से सब कुछ जल्दी-जल्दी करना पड़ा(चेहरे को सिकुडाते हुए)"

सुनीता-"मालकिन हम भी सुने हुए हैं, साब जी बहुत गुस्सा करते हैं, वैसे हम सब पर तो अभी तक नहीं किये लेकिन जब से बड़े मालिक गए हैं ना इन्हे छोड़ कर, तब से थोड़ा टेंशन में रहने लगे हैं"

गौरी-"ओह....इनको अपने पापा के जाने का गम हैं, सुनीता दीदी....पता नहीं क्यूँ यह घर हमें शादी का घर नहीं लग रहा, इतना बड़ा घर हैं इसमें बहुत ही कम लोग रहते हैं, और शादी वाले दिन तो वैसे ही बहुत सारे रिश्तेदार लोग आते हैं लेकिन यहाँ तो कोई भी नहीं हैं, सिर्फ आप लोगो के आलावा"

सुनीता-"मालकिन, जब बड़े मालिक ज़िंदा थे तब बहुत सारे लोग आते जाते रहते थे लेकिन जब से वो गए हैं हमने भी यहाँ किसी को आते नहीं देखा हैं, इनके कोई रिश्तेदार नहीं आते हैं यहाँ, साब जी का कोई भाई-बहन भी नहीं हैं, वो अकेले ही इतने बड़े घर में रहते हैं"

गौरी-"कैसे रिश्तेदार हैं इनके, शादी के मौके पर भी नहीं आते हैं, वैसे यह बताइये वो गोरी औरत कौन हैं जो उनके साथ ऊपर गयी हैं अभी"

सुनीता-"कौन बेला मैडम....क्या बताये आपको बहुत ही चंठ हैं, हम लोगो को तो कुछ समझती ही नहीं हैं, कल ही आयी हैं ऑस्ट्रेलिया से, साब जी की दोस्त हैं, फिर से हम सब का नाक में दम करेगी"

गौरी-"अच्छा तो इसका नाम बेला हैं, यह साब जी के साथ ही रहती हैं क्या"

सुनीता-"नहीं....साब जी के बगल वाला कमरा उनका हैं, अच्छा हम अब चलते हैं कोई दिक्कत हो तो हमें बता दीजियेगा"

गौरी -"जी....सुनीता दीदी राजवीर जी....."

सुनीता-"वो आ जायेंगे कुछ काम करने के लिए गए हैं अपने कमरे में, आप फ़िक्र मत कीजिये"

(गौरी मन ही मन सोचने लगी,"अमीर लोगो के घर में दूल्हा-दुल्हन का कमरा भी अलग-अलग होता हैं" सुनीता के जाने के बाद गौरी कमरे के चारो तरफ देखने लगी, राजवीर का इंतज़ार करते-करते थक गयी थी, वो थोड़ा मन बहलाने के लिए अपने सामान को अलमीरा में सजाने लगी, वक़्त थमने का नाम नहीं ले रहा था, देखते ही देखते बारह बज गए थे, गौरी की निगाहे बार-बार दरवाज़े की तरफ जा रही थी, किसी की भी चलने की आहट बाहर से नहीं आ रही थी, गौरी थक गयी थी वो बिस्तर पर लेटते ही सो गयी, सुबह जब सुनीता दीदी ने दरवाज़ा खटखटाया तब जाके उसकी आँखे खुली, देखा तो सुबह के आठ बज रहे थे, उसे माँ की बातें याद आने लगी उन्होंने बोला था ससुराल में ज़्यादा देर तक मत सोना, सुनीता दीदी अंदर आयी,

सुनीता -"मालकिन....उठ गए आप, चलिए आपको बाथरूम तक छोड़ देते है"

गौरी-"सुनीता दीदी राजवीर जी कहा हैं?"

सुनीता-"साब जी तो आज सवेरे-सवेरे ही ऑफिस चले गए, आप मुँह धो लीजिए मैं नाश्ता लगा देती हूँ आपका"

गौरी"ऑफिस चले गए....लेकिन इतनी जल्दी क्यूँ ??"

सुनीता-"कोई काम रहा होगा......आप भी न दुनिया भर की टेंशन लेने लगती हैं"

गौरी-"दीदी ठीक हैं हम नहीं ले रहे टेंशन, आप मेरा नाश्ता मेरे कमरे में ही भिजवा दीजियेगा लेकिन पहले हमें पूजा करनी हैं?"

सुनीता-"ठीक हैं मालकिन......मैं बाहर हॉल में पूजा की तैयारी करवा देती हूँ, आप भी वही आ जाईएगा"

गौरी-"ठीक हैं "

(गौरी नाश्ता करने के बाद थोड़ी देर के लिए बगीचे में घूमने चली गई, राजवीर की गर्लफ्रेंड बेला बे-ढंगे कपडे पहन कर हॉल में घूम रही थी, बेला जानबूज कर मोबाइल पर बातें करते हुए गौरी को सुना रहीं थी, गौरी सुनीता से पूछती हैं-
गौरी-"सुनीता दीदी.....यह लड़की यहाँ से कब जाएगी?"
सुनीता-"पता नहीं मालकिन, साब जी ही जानते हैं इसके बारे में"
गौरी-"यह अक्सर ही यहाँ आती रहती हैं क्या?"
सुनीता-"हाँ आती रहती है........ पिछली बार एक महीने तक रह कर गयी थी"
गौरी-"इसके चाल चलन ठीक नहीं लगते हैं, इसके घर वाले इसे कैसे भेज देते हैं यहा इतने दिनों के लिए...... "
सुनीता-"पता नहीं मालकिन ..... अमीर घर के तौर तरीके ही अलग होते हैं"
(गौरी और सुनीता दोनों बगीचे में टहलते-टहलते ऐसे ही कही-कही की बातें किये जा रही थी, उधर राजवीर अपने कारोबार को चलाना अच्छे से सीख चुका था, जब से उसने गौरी के घर से रिश्ता जोड़ा था तब से उसका बिज़नेस मुनाफे में ही जा रहा था, वो अब किसी भी तरह गौरी से पीछा छुड़ाने का प्लान सोच रहा था जिससे वो ख़ुशी-ख़ुशी उसके जीवन से चली जाये, ड्राइवर अंकल के कहने पर राजवीर कुछ दिन के लिए गौरी से इस सिलसिले में बात करने पर रुक जाता हैं, शाम को जब वो घर आता हैं तब गौरी, सुनीता के साथ छत पर घूम रही थी, राजवीर को देख कर वो निचे आने लगती हैं, राजवीर जब हॉल में आता हैं तब बेला उसे देख कर उसके गले से जाकर चिमट जाती हैं, वही सीढ़ी से गौरी निचे आ रही थी, जब वो राजवीर और बेला को ऐसे देखती हैं तो रुक जाती हैं, राजवीर की निगाहे भी उसे ढूंढ रही थी जब वो गौरी को देखता हैं तो बेला को दूर करने लगता हैं और वहा से वो सीधा अपने कमरे में चला जाता हैं, बेला भी उसके पीछे जाती हैं, गौरी उदास मन से अपने कमरे में चली जाती हैं-
राजवीर-"जान तुम्हे समझाया था न, उसके सामने कुछ मत करना ऐसा"
बेला-"बेबी क्या हो गया, क्यूँ इतना गुस्सा कर रहे हो"
राजवीर-"मैं गुस्सा नहीं कर रहा, निचे सब के सामने मुझे हग करने की क्या ज़रूरत थी, यहाँ जो मर्ज़ी हैं वो करो..... "
बेला-"बेबी तुम तो ऐसे रियेक्ट कर रहे हो जैसे वो रियल में तुम्हारी बीवी हैं"
राजवीर-"लीगली तो वही हैं मेरी बीवी"
बेला-" तो जाओ न अपने लीगल बीवी के पास, यहाँ क्या कर रहे"
राजवीर-"आर यू गेटिंग जेलस..."
बेला-"नो...."
(गौरी अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठ कर फूट-फूट कर रोने लगी, राजवीर आज भी अपने कमरे में ही था, उसने अभी तक गौरी से बात भी नहीं किया था जब से उसे शादी करके लाया था, उसी समय सुनीता, गौरी के लिए चाय लेकर आती हैं)
सुनीता-"मालकिन, क्या हुआ आपको, क्यूँ रो रही हो आप"
गौरी-"सुनीता दीदी, राजवीर जी हमसे शादी क्यूँ किये, वो तो हमारी तरफ सही से देखते भी नहीं हैं, क्यूँ हमारी ज़िन्दगी बर्बाद की उन्होंने"
सुनीता-"मालकिन क्या हुआ, कुछ बोला हैं साब जी ने"

गौरी-"एक लड़की शादी के बाद कैसे एक अनजान घर में बस जाती हैं क्यूंकि उसे वहा ढेर सारा प्यार मिलता हैं अपने पति का, यहाँ तो मेरे पति मुझे देखते तक नहीं हैं"
सुनीता-"मालकिन...... सब ठीक हो जायेगा, आप चिंता मत कीजिये, साब जी दिल के बुरे नहीं हैं"
गौरी-"कुछ ठीक नहीं होगा अब, शादी का दूसरा दिन हैं आज, और अभी तक राजवीर जी हमारे पास नहीं आये हैं बल्कि उस चुड़ैल के साथ ही रह रहे हैं"
सुनीता-"मालकिन......आप चाय पी लीजिये, मैं खाना बनाने जा रही हूँ"
गौरी-"दीदी...... मेरी गलती कहा हैं बताओ मुझे, क्यूँ मेरे साथ ऐसा किया उन्होंने"
सुनीता-"मालकिन मैं समझ सकती हूँ आपकी पीड़ा, लेकिन आप उम्मीद रखिये सब ठीक हो जायेगा"
गौरी-"दीदी मैं किस उम्मीद पर यहाँ रहूं, मुझे यह भी नहीं पता इस सब के पीछे इनकी मंशा क्या थी, क्यूँ समाज के सामने अच्छे बनने का ढोंग कर रहे थे यह लोग"

सुनीता-"मालकिन......आप ने साब जी से शादी की हैं और आप ही उनकी बीवी हैं, अगर वो नहीं आ रहे आपके पास तो आप जाइये उनके पास"

गौरी-"मगर कैसे, वो चुड़ैल तो उनके साथ हैं न"

सुनीता-"मालकिन वो उनके साथ नहीं रहती हैं बल्कि साब जी के साथ वाला कमरा उनका हैं"

गौरी-"अच्छा यह बताइये इनके बीच कुछ हैं तो नहीं ना, क्यूंकि जब राजवीर जी आये थे तब वो लड़की उनसे चिपक रही थी"

सुनीता-"मालकिन....जो भी हैं या था अब आप उनकी बीवी हैं और यही सच्चाई हैं और अब उस बेला को यहाँ से भागना होगा, आप एक बीवी का फ़र्ज़ निभाइये और जाइये उनके पास"

(सुनीता की बातें सुनने के बाद, गौरी को थोड़ी हिम्मत मिली, वो राजवीर के कमरे में जाने को तैयार हो गयी, दरवाज़े के बस कुछ कदम की दुरी पर ही खड़ी थी के राजवीर और बेला की हसी-मज़ाक की आवाज़ कमरे से बाहर तक आ रही थी, गौरी को यह समझने में देर नहीं लगा की दोनों एक साथ ही हैं, वो वापस अपने कमरे में आ गयी, गौरी को कमरे की तरफ वापस आते देख सुनीता भी आ गयी)

सुनीता-"मालकिन क्या हुआ आप वापस क्यूँ आ गयी?"

गौरी-"दीदी मुझे अकेला छोड़ दीजिए"

सुनीता-"लेकिन....."

गौरी(चिल्लाते हुए)-"जाइये आप......"

(सुनीता वहा से चली जाती हैं, उसके जाते ही गौरी ज़ोर से अपना दरवाज़ा बंद करती हैं और बिस्तर पर लेट कर फूट-फूट कर रोने लगती हैं)

continue .......