Aise Barse Sawan - 14 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 14

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ऐसे बरसे सावन - 14

तेज तूफान में किसी तरह कैप्टन अभिराम उस महिला की मदद के लिए पहुंचा तो वह महिला रोती हुई बोली भैया मेरा परिवार इस तूफान में बह गया है पर मेरी बच्ची को बचा लो..... आप मुझे बचा पाओ या न बचा पाओ मेरी इस बच्ची को जरूर बचा लेना l

अब आगे-

कैप्टन अभिराम उस महिला को हिम्मत देते हुए कहता है.....आप चिंता मत करो हम लोग हैं.... हम आप और आपकी बच्ची दोनों को बचा लेंगे .....खुद को बचाते हुए किसी तरह महिला के थोड़ा पास पहुँचता हैं और उस महिला को उसकी बच्ची को उसे पकड़ाने के लिए कहता है महिला एक हाथ से पेड़ की डाल पकड़े खुद को संभालते हुए अपनी बेटी को सुरक्षित कैप्टन अभिराम के हाथों में सौंपती हैं l

कैप्टन अभिराम जब तक उसकी बेटी को अपनी गोद में संभालता हैं..... तब तक उतने में तेज तूफान का झोंका आता है और वह डाली के साथ उस औरत को भी (जिसका सहारा लेकर वह औरत अब तक बची हुई थी) अपने साथ बहा कर ले जाता है l

अभिराम की आँखों के सामने ही वह महिला तूफान के साथ बह गयी l अपनी आंखों के सामने घटे इस मंज़र को देखकर अभिराम का दिल दहल जाता है....वह डर से उस बच्ची को अपने सीने से लगा लेता है l

अपनी टीम की मदद से वह बच्ची को सीने से लगाये किनारे तक पहुंच जाता है....वह बच्ची उस वक़्त बहुत ही डरी सहमी सी थी ......इसी बच्ची के माध्यम से ही अभिराम की मुलाकात डॉक्टर मीरा से होती है l

अभिराम बच्ची के चेकअप के लिए डॉक्टर मीरा के पास लेकर जाता है .....डॉ मीरा उसका चेकअप करती हैं और कहतीं हैं वह अब बिल्कुल ठीक है बस थोड़ा ज्यादा डरी हुई है....वह बच्ची अभिराम का हाथ बिल्कुल भी नहीं छोड़ती वह उसे छोडकर जाने की कोशिश करता हैं पर वह जोर जोर से रोने लगती है ....अभिराम का उसकी मासूमियत देखकर उसका दिल भर आता है और उसे समझाता हैं देखो मैं तुम्हें छोडकर कहीं नहीं जा रहा हूँ....और देखो यह डॉक्टर दीदी भी हैं आपके पास लेकिन फिर भी वह अभिराम का हाथ नहीं छोड़ती......डॉ मीरा हालात को समझते हुए अभिराम से कहती हैं, मैं अभी इसे नींद का इंजेक्शन दे देती हैं.......2 ,3 घंटे सो लेगी तो थोड़ा उसका डर खत्म हो जायगा....तब तक आप उसे मेरे पास छोडकर अपना बाक़ी का काम भी देख सकते हैं l

अभिराम डॉक्टर मीरा की बात से सहमत हो जाता है और बच्ची के सोने के बाद अपने लोगों के बचाव कार्य में लग जाता है l

3 घंटे बाद बच्ची नींद से जागती हैं और फिर से रोना शुरू कर देती हैं जब वह किसी भी नर्स से नहीं संभलती है तो डॉक्टर मीरा अभिराम के पास मैसेज भेजती हैं .....मैसेज मिलते ही अभिराम वहां तुरंत पहुंच जाता है lउसे देखते ही बच्ची उससे चिपट जाती है और रोने लगती है....अभिराम किसी तरह उस बच्ची को चुप कराता हैं.....तब जाकर वह बच्ची शांत होती है l

उत्तराखण्ड के हालात को सम्भलने में 2 महीने लग जाते हैं,, सभी लोग अपने परिवार को सम्भालने में लगे थे ..... धीरे-धीरे अपने रोजमर्रा के जीवन मे वापस लौट रहे थे ......इस तूफान में बहुत से लोगों ने घर बार के साथ-साथ अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को खो दिया था..... तो वहीं किसी का पूरा परिवार ही समाप्त हो गया था l

काफी छानबीन के बाद भी उस बच्ची के परिवार और रिश्तेदारों का कोई पता नहीं चल रहा था....इस बीच अभिराम समय निकालकर उस बच्ची से मिलता रहा बच्ची की हालत भी सुधर रही थी अब अभिराम और उस बच्ची दोनों को ही एक दूसरे से लगाव हो गया था.....वह मीरा को भी बहुत पसंद करती थी जब अभिराम नहीं होता तब वह बच्ची मीरा के साथ रहती थी l मीरा और अभिराम भी एक-दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे l

अभिराम का उत्तराखंड का काम खत्म हो गया था और अब उसे अपनी टीम के साथ यूनिट में वापस भी लौटना था l

अब तक की कोशिशों के बाद भी अभिराम और डॉक्टर मीरा को उस बच्ची के परिवार और किसी भी रिश्तेदार का पता नहीं चल पाया था l और दूसरी तरफ जिनके परिवार का पता नहीं चल पाया था ...... पुलिस उन्हें अनाथ आश्रम भेजने की तैयारी कर रही थी l

अभिराम को उस बच्ची से बहुत लगाव हो गया था इसलिए वह उसे अनाथ आश्रम नहीं छोड़ना चाहता था इसलिए वह उसे गोद लेने की सोचता है और इस संबंध में डॉक्टर मीरा से बात करता हैं और मदद के लिए कहता है l

गोद लेने वाली बात के संबंध में वह अपने माता-पिता से बात करता हैं जिसका पता चलने अभिराम के माता-पिता उससे बहुत ही नाराज होते है......और कहते हैं तुम्हारे सामने पूरी जिंदगी पड़ी है इस बच्ची के चक्कर में अपना भविष्य मत खराब करो.....एक अनाथ बच्ची के जिसका ना धर्म का पता हैं न कुल का पता हैं..... उसके पिता हो जानकर तुमसे कोई लड़की शादी नहीं करेगी ,जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा l

लेकिन अभिराम अपने माता-पिता की कोई दलीलें नहीं सुनता हैं और उसकी जिद्द से मजबूर होकर उसके माता-पिता को उसकी बात माननी पड़ती हैं..... उसके माता-पिता (शकुंतला देवी और अभिमन्यु प्रताप सिंह) आपस में बहुत ही विचार विमर्श के बाद यह तय करते हैं कि उस बच्ची को अभिराम के गोद लेने की बजाए वे दोनों गोद लेंगे इस बात को तय करते हैं l

जिसके लिए अभिराम भी मान जाता है और बहुत ही खुश होता है l वह डॉक्टर मीरा की मदद से सारे कानूनी कार्यवाही पूरी करता हैं और अपने माता-पिता के साथ उस बच्ची को लेकर वह वापस अपने घर जबलपुर आ जाता है l

उस नन्ही बच्ची से वह कहता है देखो बेटा यह आपका नया घर हैं और यह दोनों आज से आपके माँ पापा हैं और आज से आपका नाम अधीरा हैं l

बच्ची से - बताओ क्या नाम है आपका ?

बच्ची - अधीरा

अभिराम खुश होते हुए .... मेरी प्यारी बहन अधीरा ....
और उसे गोद में लेते हुए उसके माथे पर किस करता है और अधीरा भी खुश होकर उसे किस करती हैं l फिर दोनों खिलखिलाने लगते हैं l

शुरू में अभिराम अधीरा की वज़ह से 2 महीने की छुट्टी लेता है और उसका बहुत अच्छे से ध्यान रखता है शुरू में तो अधीरा अभिराम को छोडकर किसी के पास नहीं जाती लेकिन धीरे-धीरे सबके भरपूर प्यार के कारण अधीरा भी इस परिवार में घुलने लगी l समय के साथ उसने भी इस परिवार को अपना लिया है l

इसी तरह दिन बीत जाते हैं और अधीरा पूरी तरह इस परिवार की बेटी और अभिराम की सगी बहन बन जाती हैं l

डॉ मीरा अपनी प्रैक्टिस खत्म कर वापस जबलपुर आ जाती है और यही पर खुद का क्लिनिक खोल देती हैं l जिस वज़ह से अभिराम और उसके परिवार से अक्सर मुलाकात होती रहती हैं l

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए....
"ऐसे बरसे सावन "
ll जय श्री राधे कृष्णा ll