Aise Barse Sawan - 13 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 13

Featured Books
Categories
Share

ऐसे बरसे सावन - 13

शकुंतला जी - अरे नहीं बेटा मैं तो आपके भाई से कह रही थी की जब वह नहीं रहता है तो अधीरा मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखती हैं l

अधीरा - नहीं ,आप झूठ बोल रही हैं ,भाई के मुह से मैंने चिमपो सुना था l

अभी - ओ चिमपो , मैं ऑफिस जा रहा हूँ , तू माँ पापा का ध्यान रखना और चिमपो की तरह इधर-उधर कूदना नहीं l

अधीरा चिढ़ कर भाई को मारने भागती हैं आगे आगे अभी और पीछे पीछे अधीरा अभी को पकड़ने वाली होती हैं तभी वह किसी से जोर से टकरा जाती है तभी वह गार्डन में लगे झूले से जोर से टकरा जाती है और उसके घुटने में बहुत तेज चोट लग जाती हैं और बहुत सारा खून निकलने लगता है जिसे देखकर अभिराम बहुत ही घबरा जाता है ll

वह चोट वालीं जगह को बहुत तेज से दबा कर रखता हैं ताकि खून बंद हो जाये पर खून निकलना बंद नहीं होता l फिर वह अधीरा को फर्स्ट ऐड देता उस है जिसमें वह चोट वाली जगह पर पैड लगाकर टाइट पट्टी बांध देता हैं l

फिर तुरंत ही कार निकालता है और डॉक्टर मीरा के क्लिनिक में ले जाता है जहाँ पर डॉक्टर पहला ड्रेसिंग खोलकर घाव को अच्छे से एँटीबायटिक लोशन से साफ़ करके ड्रेसिंग कर देती हैं चोट लोहे से लगी थी इसलिए वह नर्स को उसे टेटनस का इंजेक्शन देने के लिए बोलती हैं l

इंजेक्शन का नाम सुनते ही अधीरा अपने भाई से बड़े प्यार से बोलती हैं भाई आपको तो पता हैं न मुझे इंजेक्शन से कितना डर लगता है l

अभिराम - यह तो अंधे की तरह भागते वक़्त सोचना चाहिए था l

अधीरा - क्या भाई सब आपकी वज़ह से हुआ न आप मुझे चिढ़ाते और न मैं आपके पीछे भागती और न यह सब होता l फिर रोते हुए चोट भी मुझे लगी और इंजेक्शन भी मुझे ही लगेगा l

डॉ मीरा जो वहीं खड़ी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी बोली जल्दी ठीक होना हैं तो इन्फेक्शन से बचने के लिए इंजेक्शन तो लगवाना ही पड़ेगा l

अधीरा - क्या मीरा दी आप और भाई दोनों ही एक जैसे हो , मैं आप दोनों से ही बात नहीं करूंगी l

डॉ मीरा - चलो अच्छा है, मैं तो सरदर्द से बच गयी नहीं तो तुम्हारी बातें सुनकर मेरा जो सरदर्द शुरू होता बिना टेबलेट के तो नहीं जाता l

अधीरा चिढ़ते हुए , "भाई मीरा दी को देखो मुझे कैसे बोल रहीं हैं , मेरी वज़ह से इनका सरदर्द हो जाता है भाई अपनी दोस्त से कह दो मुझसे बिल्कुल भी बात न करे l"

इतने में सिस्टर ट्रे में रखकर इंजेक्शन ले आई
इंजेक्शन को देखते ही अधीरा का छोटे बच्चों की तरह चिल्लाना शुरू हो गया l

अभी - अरे चीमपो , तुम चिल्ला क्यों रही हैं आंखें खोलो और देखो वह नर्स ट्रे के साथ तुमसे काफी दूर खड़ी हैं l

अधीरा - भाई के कहने पर धीरे-धीरे पहले एक आंख फिर दूसरी आंख खोलती हैं l नर्स को दूर खड़ी देख कर भाई , अब मुझे इंजेक्शन नहीं लगेगा ?

अभिराम - अभी तो तुम मुझसे बहुत नाराज थी बोली बात नहीं करोगी अब क्या हो गया l

अधीरा - क्या भाई बताओ ना ?

अभिराम -" इंजेक्शन तो तुम्हें लग चुका "

अधीरा - " कब, कैसे, मुझे तो पता ही नहीं चला "l

अभिराम - "जब तुम चिल्ला रही थी "

अधीरा -" थैंक यू मीरा दी, लव यू सो मच "

अभिराम - "अब ये क्या हैं , अभी तो तुमने कहा था मीरा से बात नहीं करोगी l"

अधीरा - वो आपको क्या,, ये मीरा दी और मेरे बीच की बात हैं....क्यों हैं न मीरा दी

डॉ मीरा - हाँ, बिल्कुल ,
अभिराम , अधीरा अब बिल्कुल ठीक हैं तुम इसे घर ले जा सकते हो और हाँ पांच दिनों तक ड्रेसिंग करवाने के लिए इसे रोज लेकर आना l

अभिराम - ओके थैंक्स मीरा, कहकर वो चले जाते हैं l


कैप्टन अभिराम की पहली मुलाकात मीरा से उत्तराखंड में हुई थी l

उत्तराखण्ड में भारी बारिश और चट्टान खिसकने की आपदा की वज़ह से जान माल का भारी नुकसान हुआ था.... लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ, सीआरपीएफ ,भारतीय सेना की टीम मौजूद थी l

कैप्टन अभिराम और उनकी टीम भी लोगों की मदद के लिए वहां पहुंचे थे l लोगों के स्वास्थ्य सेवा के लिए मेडिकल टीम के द्वारा मेडिकल कैम्प की व्यवस्था की गयी थी उसी मेडिकल टीम की सदस्य के रूप में डॉक्टर मीरा भी वहां पहुंची हुई थी l

इन सभी टीमों ने मिलकर लोगों को बचाने और उन्हें स्वास्थ्य सेवा देने मे दिन रात एक कर दिया था l

चारों ओर तबाही ही तबाही का मंजर था चट्टान खिसकने से काफी लोग बुरी तरह घायल हो गये थे बाढ़ और तूफ़ान में काफी लोगों का घर, परिवार के सदस्य बह गये थे l प्रकृत्ति ने पुरजोर से अपना तांडव मचा रखा था.... जिससे जो हो सकता था वे सभी एक दूसरे की मदद के लिए कर रहे थे .......सबकी एक ही कोशिश थी किसी तरह लोगों की जान बचाई जा सके l

इसी आपदा में लोगों को बचाते हुए अभिराम की नज़र डूबती हुई एक औरत पर पड़ी.....जो खुद को और अपनी छोटी बच्ची को ( जिसे उसने अपनी चुन्नी के सहारे अपने शरीर से बांध रखा था ) बचाने के लिए एक पेड़ की डाल का सहारा ले रखी थी लेकिन वह डाल कभी भी तेज तूफान और बहाव में टूट कर बह सकता था l

तेज तूफान में किसी तरह कैप्टन अभिराम उस महिला की मदद के लिए पहुंचा तो वह महिला रोती हुई बोली भैया मेरा परिवार इस तूफान में बह गया है पर मेरी बच्ची को बचा लो..... आप मुझे बचा पाओ या न बचा पाओ मेरी इस बच्ची को जरूर बचा लेना l


क्या कैप्टन अभिराम उस बच्ची और उसकी माँ को तूफान से सुरक्षित बचा कर बाहर निकल पाएगा .....

जानने के लिए पढ़ते रहिए .....
" ऐसे बरसे सावन "
ll जय श्री राधे कृष्णा ll