रिश्ते… दिल से दिल के
एपिसोड 26
[आकृति को भी पता चला सारा सच]
गरिमा जी बेहोश हो गई थीं और होश में लाने की कोशिशों के बाद भी होश में नहीं आ रही थीं तो उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। दामिनी जी के विनीत जी को फोन करने पर वो भी प्रदिति के साथ हॉस्पिटल में ही आ गए। दामिनी जी ने उन्हें ये भी बता दिया कि रश्मि जी उन्हीं के साथ हैं ये बात सुनकर एक बार के लिए विनीत जी के दिमाग में सवाल भी आया कि रश्मि जी वहां कैसे पहुंच गईं पर ये सोचने से ज़्यादा ज़रूरी अभी हॉस्पिटल पहुंचना था इसलिए वो बिना कुछ कहे हॉस्पिटल पहुंच गए। वहां पहुंचने पर उन्हें दामिनी जी, रश्मि जी और आकृति तीनों ही परेशान खड़े दिखाई दिए।
विनीत जी ने वहां पहुंचकर दामिनी जी से सवाल किया, "मां! क्या हुआ गरिमा को? उसकी ये हालत…?"
दामिनी जी ने नम आंखों से कहा, "पता नहीं, बेटा! हमने जब रश्मि के चिल्लाने की आवाज़ सुनी तो हम गरिमा के कमरे में पहुंचे और वहां गरिमा को बेहोश पाया। मुझे तो खुद समझ नहीं आ रहा कि उसे हुआ क्या है!"
दामिनी जी की बात सुनते ही विनीत जी और प्रदिति की नज़र रश्मि जी पर चली गई जोकि अपनी गर्दन झुकाए खड़ी थीं। विनीत जी उनके पास आए और उनको देखते हुए थोड़ी कड़क आवाज़ में बोले, "रश्मि! अभी मेरे दिमाग में बहुत सारे सवाल हैं जिनका जवाब सिर्फ तुम ही दे सकती हो। पहला सवाल कि तुम सहगल मेंशन में क्या करने गई थी और दूसरा सवाल कि ऐसा क्या हुआ जो गरिमा की ये हालत हो गई? बताओ…"
रश्मि जी अब भी अपनी नजरों को झुकाकर खड़ी थीं उन्होंने गले से थूक गटका और कुछ बोलने को हुईं पर उनके मुंह से कुछ भी नहीं निकला।
विनीत जी ने फिर से उन्हें पूछा, "रश्मि! मैं कुछ पूछ रहा हूं तुमसे, जवाब दो।"
"वो… विनीत जी…", रश्मि जी कुछ बोलने को हुईं कि दहकती नजरों से उन्हें देखते हुए आकृति बोली, "हां, पूछिए अपनी इस प्यारी वाइफ से; आज इन्हीं की वजह से मेरी मॉम की ये हालत है। ना जाने क्या किया इन्होंने मेरी मॉम को जो वो हॉस्पिटल पहुंच गईं?"
फिर वो रश्मि जी के पास आकर गुस्से से बोली, "सबकुछ तो छीन लिया आपने मेरी मॉम से अब उनकी जान भी लेना चाहती हैं आप? अब तक मेरे पास मेरे डैड भले ही ना थे पर मुझे हर पल लगता था कि वो हमेशा मेरे साथ हैं पर आज जब मॉम ने मुझे इनकी घिन्होनी सच्चाई बताई तो ये हमेशा के लिए मर गए मेरे लिए। अब मेरे पास सिर्फ मेरी दादी और मॉम हैं तो प्लीज मैं आपके हाथ जोड़ती हूं मेरी मॉम को हमसे छीनकर मुझे और मेरी दादी को अकेला मत कीजिए। आप रहिए अपनी इस फैमिली के साथ खुश और हमें हमारी फैमिली के साथ खुश रहने दीजिए… प्लीज!"
"अक्कू!", आकृति की बातें सुनकर दामिनी जी ने उसे रोकते हुए कहा लेकिन वो फिर भी नहीं रुकी और फिर रश्मि जी से बोली, "भगवान मेरी मॉम को कुछ नहीं होने देंगे। मैं जानती हूं उन्हें जल्द ही होश आने वाला है और मैं नहीं चाहती कि जब उन्हें होश आए तब वो आप जैसे लोगों को देखें और फिर से उनकी तबियत खराब हो जाए इसलिए प्लीज़ चले जाइए, यहां से भी और हमारी ज़िन्दगी से भी।"
"अक्कू! बस करो। बहुत बोल लिया तुमने।", दामिनी जी ने आकृति के पास आकर गुस्से से कहा लेकिन वो तो चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थी। वो फिर से उन तीनों से बोली, "अभी भी आप बेशर्मों की तरह यहां खड़े हैं! जाइए यहां से वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"
"अक्कू!", कहकर दामिनी जी ने आकृति को एक तमाचा जड़ दिया। आकृति को इसकी ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी वो एक तरफ झुक गई और अपने गाल पर हाथ रखे स्तब्ध रह गई। सभी ने हैरानी से दामिनी जी की तरफ देखा।
विनीत जी दामिनी जी से बोले, "मां! ये…"
दामिनी जी ने विनीत जी को हाथ दिखा दिया और आकृति से बोलीं, "हां, आज गरिमा की हालत की वजह रश्मि की कही हुई बातें ही हैं लेकिन वो बातें सच थीं और ये सच एक ना एक दिन गरिमा के सामने आना ही था।"
सभी ने दामिनी जी की तरफ हैरानी से देखा कि उन्हें कैसे पता चला कि गरिमा की इस हालत को वजह रश्मि जी की कही हुई बातें हैं तो वो सभी के सवाल का जवाब देते हुए बोलीं, "रश्मि को इस तरह चुप देखकर और गरिमा को इस हालत ने देखकर मुझे समझ आ गया है कि रश्मि ने उसे सारा सच बता दिया है।"
दामिनी जी ने कहा तो प्रदिति और विनीत जी की नज़र रश्मि जी पर चली गई।
दामिनी जी आगे बोलीं, "उस एक सच की वजह से ना जाने कितनी गलतफहमियां, कितनी तकलीफें हम सबके बीच जन्म ले चुकी थीं। वैसे भी इस एक सच के छिपने की वजह से सबकी ज़िन्दगी में कोहराम मच गया है। अच्छा हुआ जो आज रश्मि ने गरिमा को सब बता दिया।"
फिर वो रश्मि और विनीत जी के पास आकर नम आंखों से बोलीं, "हर किसी को तो कसम देकर बांध लिया था इसने, मुझे भी और प्रदिति को भी। पर अच्छा हुआ जो इसने रश्मि को कोई कसम नहीं दी शायद इसलिए क्योंकि रश्मि ने पहले भी गरिमा की हालत देखी थी तो वो गरिमा को कुछ नहीं बताएगी। लेकिन, बेटा! वो इस तरह और भी ज़्यादा तड़प रही थी। इस वजह से ना तो वो चैन से जी पा रही थी और ना ही हम सब।"
फिर वो आकृति के पास आकर उसकी तरफ इशारा करके बोलीं, "और ये तुम्हारी बेटी अपनी मां की तरह ही अपने पिता को गलत समझ बैठी है, ना जाने क्या क्या नहीं सुनाए जा रही है! पर अब समय आ गया है कि ये भी उस सच से रूबरू हो।"
"मां! प्लीज़ अक्कू को कुछ मत बताइएगा।", विनीत जी ने कहा तो दामिनी जी अपनी आंखें छोटी करके बोलीं, "नहीं, विनीत! अब तो ये सच गरिमा को भी पता चल चुका है तो अक्कू को भी इसे जानने का पूरा हक है।"
दामिनी जी ने आकृति को सारा सच बता दिया। जिसे सुनकर आकृति धम से वहीं बेंच पर बैठ गई। उसकी आंखों से बेतरतीबी से आंसू बहने लगी।
प्रदिति ने आकर उसे संभाला। आकृति ने उसे नज़रें उठाकर देखा तो वो ज़ोर से रोते हुए प्रदिति के गले लग गई और बोली, "मुझे माफ कर दीजिए, दी! मैंने आपको, डैड को, मासी को सभी को गलत समझा पर आप सभी ने तो इतना बड़ा त्याग किया था। मुझे माफ कर दीजिए मैंने क्या–क्या नहीं कहा आपको!"
"नहीं, अक्कू! तुम रोओ मत। तुम्हें तो सच पता ही नहीं था इसलिए तुम्हारी इसमें कोई गलती नहीं है।", प्रदिति ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
आकृति उससे अलग हुई और विनीत जी की तरफ देखा। फिर अपनी नजरें झुकाकर वो विनीत जी और रश्मि जी के पास आई, "सॉरी! मैंने आपको इतना सब बोल दिया… आय एम रियली सॉरी।"
विनीत जी हल्का सा मुस्कुराए और उसके सिर पर हाथ फेरकर बोले, "नहीं, बेटा! तुम्हें माफी मांगने की ज़रूरत नहीं है बल्कि तुम्हारे ये सब बोलने से मुझे तो तुम पर गर्व हो रहा था।"
विनीत जी की बात सुनकर आकृति उन्हें हैरानी से देखने लगी तो विनीत जी बोले, "जब मैं गरिमा, तुम्हें और मां को छोड़कर गया था ना तो दिल में हमेशा से एक डर था कि गरिमा को जो तकलीफ मिली थी वो उससे कैसे बाहर निकल पाएगी, कैसे संभालेगी वो खुद को? पर आज जब तुम मुझसे अपनी मां के लिए लड़ रही थी तो बहुत खुशी हुई मुझे कि मेरी बेटी ने अपनी मां के लिए मुझे लड़ाई की… मैं समझ गया कि मेरी बच्ची अपनी मां को कभी तकलीफ नहीं होने देगी, वो हमेशा अपनी मां की खुशियों के लिए पूरी दुनिया से लड़ जायेगी। इसलिए तुम्हें माफी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
विनीत जी ने जैसे ही कहा तो आकृति उनके गले लग गई।
सभी की आंखों से आंसू बह रहे थे लेकिन होठों पर एक मुस्कान भी थी।
…
"हे शिव जी! प्लीज़ हमारी मां को ठीक कर दीजिए।", प्रदिति हॉस्पिटल के मंदिर में हाथ जोड़कर बैठी शिव जी की मूर्ति के आगे उनसे प्रार्थना कर रही थी।
उसके पास में बैठी आकृति भी शिव जी से हाथ जोड़कर बोली, "शिव जी! यूं तो मैने कभी मन से आपको पूजा नहीं की पर आज पूरे मन से, पूरी श्रद्धा के साथ ये मांग रही हूं… प्लीज़ हमारी मॉम को एकदम ठीक कर दीजिए।"
…
"डॉक्टर!", जैसे ही डॉक्टर कमरे से बाहर आए विनीत जी ने उन्हें रोकते हुए कहा, "मेरी वाइफ… वो ठीक है ना?"
डॉक्टर ने एक गहरी सांस लेकर बोला, "देखिए, मिस्टर सहगल! जैसी उनकी हालत है, अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। उन्हें किसी बात से कोई गहरा सदमा लगा है। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं उन्हें ठीक करने की बाकी वो ऊपरवाला ही सब कर सकता है।" कहकर डॉक्टर वहां से दूसरी तरफ चले गए।
उनके जाते ही विनीत जी ने रश्मि जी की तरफ देखा और बोले, "क्यों किया तुमने ये, रश्मि? क्यों बताया गरिमा को सारा सच? जानती थी ना तुम कि इस सबके बारे में अगर गरिमा को पता चलेगा तो उसकी जान को खतरा हो सकता है फिर भी तुमने ये किया!"
रश्मि जी ने अपनी नम आंखों के साथ कहा, "मुझे माफ कर दीजिए, विनीत जी! मैं खुद नहीं चाहती थी कि गरिमा की जान को कोई भी खतरा हो पर मैं क्या करूं मुझसे नहीं देखा जा रहा था आप सबको इतनी तकलीफ में, ऊपर से गरिमा ने आपको जो बातें कहीं जब उनसे मुझे बहुत तकलीफ हुई तो आपकी तकलीफ के बारे में तो मैं सोच भी नहीं सकती।"
"मेरी तकलीफ से बढ़कर गरिमा की जान है, रश्मि! अगर उसे कुछ भी हुआ तो… मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा।" कहकर विनीत जी अपना चहरा ढकते हुए वहीं बेंच पर बैठ गए। रश्मि जी को विनीत जी की बातों से कोई तकलीफ नहीं हुई क्योंकि वो जानती थीं कि ये सब उन्होंने गरिमा की फिक्र ने कहा।
दामिनी जी ने विनीत जी के कंधे पर हाथ रखा तो उन्होंने अपने चहरे से हाथ हटाया और नजरें उठाकर उन्हें देखा तो वो बोलीं, "बेटा! कुछ नहीं होगा उसे। हम सबकी दुआएं और हमारे शिव जी गरिमा के साथ हैं। वो जल्द ही होश आने वाला है। देखना, अब हमारा टूटा हुआ परिवार फिर से जुड़ने वाला है।"
दामिनी जी की बात सुनकर विनीत जी उनके गले लग गए। उनके गले लगे ही वो बोले, "मां! बहुत याद किया मैंने आपको।"
दामिनी जी उनके सिर को सहलाते हुए बोलीं, "मैं तो तुम्हें कभी भूली ही नहीं थी।"
एक बार फिर दोनों की आंखें नम हो गईं और उन दोनों को देखकर रश्मि जी की भी आंखों से आंसू छलक आए और चहरे पर एक हल्की मुस्कान भी।
क्रमशः