ghoomar movie review in Hindi Film Reviews by Mahendra Sharma books and stories PDF | घूमर फिल्म रिव्यू

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घूमर फिल्म रिव्यू

ये फिल्म भले ही एक काल्पनिक कहानी पर बनी हो पर इसका मूल एक सच्ची कहानी पर निर्भर है। करोली टकाकस नाम की हंगेरियन शूटर का जब दांया हाथ बुरी तरह से घायल हुआ था तो उसने हार नहीं मानी और उसने बाएं हाथ से प्रेक्टिस करके शूटिंग मेडल जीता था। इस कहानी का बीज लेकर बनाई गई घूमर, जिसके पृष्ठ भूमि पर है क्रिकेट। यह खेल जो लगभग 90% भारतीय समझते हैं और करीब 70% लोग कभी न कभी गली मुहल्ले या मैदान पर खेल चुके हैं। तो क्या क्रिकेट, दिव्यांगता, सपने और प्रतिभा को जोड़ती यह फिल्म आपको पसंद आई या आएगी?

फिल्म का ट्रेलर देखकर मुझे भी लगा की एक लड़की सैयामी खैर जो क्रिकेटर बनने वाली है, उसका भारतीय टीम में सिलेक्शन होने वाला है और अचानक उसका दांया हाथ किसी हादसे में कट जाता है, फिर उसे अभिषेक बच्चन जैसा कोच प्रेरित करके वापस खेलने के लिए तैयार करता है और एक दिन वह खेलकर कमाल करती है। पर कहानी इतनी आसान नहीं है। हां यह सब है जो लिखा है पर उससे आगे भी है जो ट्रेलर में नहीं दिखा।

चलो बात करते हैं इस प्रकार की परिस्थिति की जिसमें आपका दायां या फिर मूल हाथ जिससे आप जीवन के सभी काम प्राथमिकता से करते हैं अगर वह टूट जाए या हमेंशा के लिए चला जाए तो क्या होगा? आप निराश होंगे, थोड़ा खुदको, थोड़ा ईश्वर को कोसने की शुरुआत करोगे, फिर धीरे धीरे इस सत्य को स्वीकर करोगे। दोस्त , भाई बहन और मां बाप की मदद से जीवन जरूरी काम अपने दूसरे हाथ से करना सीखोगे, और फिर जीवन सामान्य होना शुरू होगा, आपको सामाजिक सहानुभूति मिलेगी और मदद भी।

पर आपको अगर बोला जाए की ऊपर बोली हुई कोई बात आपको नहीं मिलेगी तो? बस इतना नहीं, आपको वापस खिलाड़ी बनना है तो? और दिव्यांगों के साथ नहीं सक्षम खिलाड़ियों के साथ खेलना है तो क्या सोचना होगा आपका?

आप या मैं, इतने बड़े सपने देखने से भी डरते हैं। एक तरफ दिव्यांग शरीर और दूसरी तरफ अपने सपनों का पीछा करना , दोनों विपरीत दिशाएं हैं। जहां लोग इन घटनाओं के बाद जीवन को सीमित कर देते हैं, वहां इस फिल्म की हिरोइन अनीना मतलब सैयामि खैर अपने जीवन की दुर्घटना को भूलकर अपने सपनों का पीछा करती है और उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में शिक्षित और प्रेरित करता है उसका गुरु पदम सिंह मतलब अभिषेक बच्चन।

फिल्म में लोजिक है और मैजिक भी। खेल से जुड़ी फिल्में अक्सर प्रेक्षकों को बहुत रोमांचित और प्रेरित करतीं हैं, और इस फिल्म में भी वह बात है। क्रिकेट में रुचि रखने वालों को इस फिल्म में बहुत ही रोमांच और जानकारी मिलने वाली है जो शायद सामान्य तौर पर खेल वाली फिल्मों में कम दिखती है। क्रिकेट की तकनीकी बातों को और खास तौर पर बोलिंग को लेकर फिल्म में बहुत ही सटीक और बारीकी जानकारी प्राप्त होगी।

खेल से जुडी फिल्में अन्य फिल्मों से अलग होतीं हैं क्योंकि खेल की बारीकी और कलाकारों का उस खेल के लिए उत्साह उनकी अदाकारी में दिखना अनिवार्य है। अन्यथा कहानी दर्शक के दिलो दिमाग को स्पर्श नहीं कर पाती।

इस फिल्म में सैयमी खैर की अदाकारी में एक क्रिकेट का जनून दिख रहा है। उनकी मेहनत इस किरदार में रंग लाई है। अभिषेक बच्चन एक निराश असफल पूर्व क्रिकेट की भूमिका में हैं और वे क्रिकेटर अनीना को प्रशिक्षित और प्रेरित करते हैं।

अभिषेक बच्चन इस फिल्म में भी फिर एक बार सिद्ध करते हैं की गंभीर किरदार करने में उनका कोई जवाब नहीं। शबाना आज़मी बनीं हैं अनीना की दादी और उसकी तकनीकी सलाहकार। उनके जैसा कोई बुजुर्ग घर में हो तो कोई युवा कभी निराशा में आए ही नहीं। अंगद बेदी की भूमिका अच्छी है पर बहुत ही मर्यादित है।

क्रिकेट पर बनीं फिल्मों में एम एस धोनी द अन टोल्ड स्टोरी, 83, सचिन ए बिलियन ड्रीम्स, अजहर, शाबाश मिथू और कौन प्रवीण तांबे जैसी फिल्में बनीं हैं। जिसमें व्यक्तिगत तौर पर मुझे धोनी और 83 बहुत पसंद आईं। सचिन की फिल्म अच्छी नहीं लगी क्योंकि वह फिल्म कम डॉक्यूमेंट्री अधिक थी।

भविष्य में महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ियों पर फिल्में बनेंगी इस बात पर बिलकुल भी संदेह नहीं। क्रिकेट के अलावा दंगल फिल्म कुश्ती पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म बनी है जिसमें फोगाट बहनों की सफलता के कठिन परिश्रम को दर्शाया गया था। वह फिल्म पूरे देश को प्रेरित कर गई।

आर बाल्की फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं। पा , पैडमैन और मिशन मंगल की कहानी बाल्की ने लिखी है, उन्हें तथ्यों के साथ मानवीय संवेदना को जोड़कर एक संवेदनशील कहानियां लिखने और फिल्में बनाने में आनंद मिलता है और उतना ही प्यार उन्हें दर्शकों से मिलता है।

फिल्म के अखरी 30 मिनिट बहुत ही सुंदर और संवेदनशील हैं, आप इस फिल्म को जी 5 ओटीटी पर देख सकते हैं।

आपको यह फिल्म कैसी लगी और कैसा लगा मेरा फिल्म रिव्यू, अपना अनुभव अवश्य लिखें।

– महेंद्र शर्मा