भाग १४
अब तक आपने देखा की शिवन्या अपना तलवारबाजी का अभ्यास करने के लिए पास ही के एक बड़े मैदान में अपना अभ्यास कर रही थी तभी वहा एक राजकुमार जेसे दिखने वाला नौजवान लड़का कबसे उन्हे देख रहा था, इसलिए राजकुमारी ने उसे अपने पास बुलाया अब आगे की कहनी देखते है।
वह लड़का शिवन्या के पास आया , शिवन्या ने अपनी तलवार को उस लड़के के गले के उपर रखा ओर कहा में कबसे देख रही थी तुम मुझे देख रहे थे, शिवन्या ने उस लड़के के आसपास तीन चक्कर लगाए फिर वह अपनी जगह पर आ कर खड़ी हो गई और बोली दिखावे ओर पहरवेश से तो कही के राजकुमार लगते हो कोन हो तुम..
हमारे राज्य के तो नही लगते वरना मुझे ऐसे नही देखते, उत्तर दो कोन हो कहा ओर के निवासी हो, उस लड़के ने राजकुमारी ने लगाई तलवार को आहीस्था से हाथ में लिया और राजकुमारी के हाथ में पकड़ा दिया।
उस लड़के ने भी राजकुमारी शिवन्या के आसपास तीन चक्कर लगाए ओर फिर अपनी जगह पर जहा वह खड़ा था वही फिर से खड़ा हो गया, उसने कहा दिखने में तो आप भी कही की राजकुमारी लग रही हो कोमल हाथ , चांद सा चेहरा , रेशम से बाल ओर अपने इन नरम हाथो को तलवार चला कर इतना कस्ट क्यों दे रही है आप, वह राजकुमारी शिवन्या के नजदीक जा कर बोलता है आपको तो परदे के पीछे रहना चाहिए वरना इस चांद से चहरे पर किसी की नजर लग जायेगी।
पहली बार राजकुमारी शिवन्या के इतने करीब कोई लड़का आ कर खड़ा हुआ था , राजकुमारी को उसकी ये सब बाते सुन कर बहुत क्रोध आया उसने उस लड़के को धक्का मार कर दूर कर दिया ।
शिवन्या ने कहा एक स्त्री के बारे में ऐसा सोचते हो की उसे परदे के पीछे रहना चाहिए उसे कमज़ोर समझते हो शर्म नही आती है , आपको क्या लगता है सिर्फ कोई मर्द ही तलवार चला सकता है एक स्त्री नही.. एक स्त्री चाहे तो समय आने पर मां काली का रूप धारण कर सकती है उसे कभी कम मत समझना, उस लड़के ने शिवन्या को शांत कराया ओर कहा इतनी शक्ति आवाज में इतना तेज आप कोई साधारण कन्या नही हो सकती कोन है आप तब शिवन्या ने कहा मेने भी आपसे बहुत पहले आपका परिचय पूछा था आपने नही बताया।
उस लड़के ने कहा नही में कोई अजनबियों को अपना परिचय नहीं देता खास कर कोई अजनबी लड़की को तो कदापि नही , शिवन्या ने कहा लगता है आपको कोई स्त्री भाती नही है कन्याओं से दुश्मनी लगती है तो फिर ठीक है में भी अपना परिचय तुम्हे देने में कोई रुचि नही रखती हु,
उस लड़के ने कहा तो फिर ठीक है अगर भगवान ने चाहा और वापस मिले तब जरूर परिचय बता दीजिएगा उस पर राजकुमारी शिवन्या कहती है नही में तुम जेसे बदतमीज लड़के से वापस कदापि मिलना पसंद नही करूंगी
उस नौजवान ने हस कर बोला ये हमारे बस में नहीं होता हम कब कहा किस व्यक्ति मुलाकात करने वाले है ये तो सिर्फ ऊपरवाला ही जानता है , तभी एक सफेद से रंग का एक दम दूध जैसा घोड़ा दौड़ते हुए मैदान में उस लड़के के पास आया।
ओर उस लड़के के गले लगने लगा उस लड़के ने कहा अरे मेरे प्यारे मित्र आ गए तुम बहुत देर लगा दी तुमने अपना भोजन ढूंढने में ओर खाने में , तब शिवन्या ने कहा यह इतना अच्छा घोड़ा आपका है तब उस लड़के ने कहा जी ओर इसे घोड़ा मत कहिए इसका नाम चेतक है ये मेरा साथी है शिवन्या को भी घोड़े बहुत पसंद है लेकिन उसने मन में कहा ये घोड़ा इस बद्तमीज लड़के का है इसलिए इस घोड़े के पास नही जाऊंगी वरना घोड़ा बहुत प्यारा है, ये घोड़ा इस लड़के को पसंद करता है जिसे बात करने तक की तमीज नही है।
फिर वह लड़का शिवन्या को कहता है आपके चेहरे को देख कर लगता है मन में मेरी बुराई कर रही है तब शिवन्या ने कहा नही तो ऐसा कुछ भी नही है फिर लड़के ने कहा ठीक है चलता हु और अगली बार मुलाकात में परिचय अपना दीजिएगा फिर वह लड़का अपने घोड़े पर बैठ कर जाने लगा तब राजकुमारी ने जोर से कहा अपने स्वप्न में मुलाकात कर लेना तब उस लड़के ने दूर से कहा ऊपरवाला किसी से भी मिलवा सकता है।
राजकुमारी से कभी भी किसी ने ऐसे बद्तमीज़ तरीके से पहले बात नही करी थी इसलिए उनको बहुत क्रोध आ रहा था उसने अपनी तलवार उठाई और वापस महल चलने लगी, फिर वह महल पहुंच गई प्रांगण में ही रानी निलंबा ओर राजा विलम पेड़ पौधे के पास खड़े थे उन्हों ने राजकुमारी को अति क्रोध में आते देखा रानी निलंबा ने कहा अरे पुत्री बहुत इधर आओ तो वह कुछ भी उत्तर दिए बगैर ही चली गई अपने कक्ष में ।
राजा विलम ने कहा राजकुमारी को क्या हुआ है पहले तो कभी ऐसे नही गई हमारे बुलाने पर तब रानी निलंबा ने कहा जरूर किसी से जगड़ा करके आई है लग रहा है। राजा ने कहा अब छोटी बच्ची तो है नही की किसी से ऐसे ही जगड़ कर आई हो जाओ आप पूछो उनसे फिर हमे बताना।
इस कहानी को यही तक रखते है , कहानी का अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊