scientist and lion in Hindi Short Stories by Rajesh Rajesh books and stories PDF | वैज्ञानिक और शेर

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वैज्ञानिक और शेर

दिवाकर वैज्ञानिक कोलकाता शहर में रहता था, उसका बचपन एक अनाथ आश्रम में बीता था, दिवाकर पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था इस वजह से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक वैज्ञानिक बन गया था।

दिवाकर के जीवन में धन दौलत शोहरत किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन उसके जीवन में बहुत ज्यादा अकेलापन था।

दिवाकर कुछ दिनों के लिए किसी काम से सर्दियों के मौसम में अपनी गाड़ी से ऊटी जाता है।
और ऊटी के होटल में ठहरने बाद एक दिन दिवाकर सुबह-सुबह सदियों के मौसम में जोगिंग करने जाता है।

उस दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। दिवाकर को कड़ाके की ठंड में पेड़ के नीचे गोल मटोल भोला भाला शेर का बच्चा ठंड से ठिठुरता हुआ दिखाई देता है।

उस शेर के बच्चे को देखकर दिवाकर को वह शेर बच्चा का बच्चा बहुत ही भोला लगता है, उस गोल मटोल शेर के बच्चे को देखकर उसे उस पर तरस के साथ बहुत प्यार भी आता है, इसलिए वह उस शेर के बच्चे को उठाकर अपने ओवर कोर्ट में छुपा कर होटल ले आता है और होटल के कमरे में दूध ब्रेड मक्खन खिलाकर उसे अपने साथ रजाई में छुपा कर सुला लेता है।

दिवाकर वैज्ञानिक शेर के बच्चे की परवरिश एक मनुष्य के बच्चे की तरह करता है, उसे टीवी का रिमोट चलाना पानी का नल खोलना कपड़े धोना आदि इंसानों द्वारा करने वाले सारे काम सिखा देता है और इन सब कामों के बाद शेर के बच्चे को हिंदी इंग्लिश की कविताएं भी सीखता है और शेर के बच्चे को शुद्ध शाकाहारी खाना खिलाता है।

शेर के बच्चे के उसके घर में आ जाने के बाद से दिवाकर का अकेलापन भी दूर हो जाता है।

उन्हीं दिनों दिवाकर एक आविष्कार में इतना व्यस्त हो जाता है कि वह अपने खाने-पीने शेर के बच्चे पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पता है।

धीरे-धीरे शेर का बच्चा बड़ा हो जाता था, और एक दिन जब दिवाकर को घर आने में देर हो जाती है, तो शेर अपने घर की खिड़की से बार-बार झांक कर देखाता है कि मेरा दिवाकर कब तक आएगा, तभी कुछ जंगली कुत्ते शेर को देख लेते हैं और भौंक भौंक कर आस पास के लोग इकट्ठा कर देते हैं।

इतने में दिवाकर अपने घर पहुंच जाता है, दिवाकर अपने घर के आगे लोगों की भीड़ और जंगली पालतू कुत्तों को भौंकते हुए देखकर समझ जाता है कि जंगली कुत्तों ने शेर को देख लिया है।

इसलिए दिवाकर घर में घुसते ही बिना सोचे समझे शेर को डांटने लगता है।

और जब उसका गुस्सा शांत होता है, तो वह जब ध्यान से शेर के बच्चे को देखता है, तो शेर कुत्तों के डर और दिवाकर के डांटने की वजह से बुरी तरह कोने में बैठकर कंपा पर रहा था।

और अचानक उसी समय सोचते सोचते डरे हुए शेर को देखकर दिवाकर को दिल का दौरा पड़ा जाता है।

और शेर का बच्चा तुरंत टेलीफोन दिवाकर के सामने रख देता है, दिवाकर फोन करके डॉक्टर को बुलाता है, डॉक्टर दिवाकर का पूरा चेकब कहता है "अगर आपको अपनी जान बचानी‌ है, तो काम से ज्यादा अपनी सेहत पर ध्यान दें।"

डॉक्टर की यह बात सुनने के बाद दिवाकर का दिल बहुत दुखी हो जाता है, वह सोच में पड़ जाता है कि मेरे बिना मेरे प्यारे शेर का क्या होगा दिवाकर उसी दिन शेर को उसके जंगल में छोड़ने का फैसला ले लेता है।

और उसे अपनी गाड़ी से कोलकाता से ऊटी लेकर जाता है और जिस जंगल के पास से उसने शेर के बच्चे को ठंड में कांपता हुआ उठाया था, उस जंगल के पास अपनी गाड़ी रोक कर शेर को उतारने के बाद अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़कर वहां से भागने लगता है।

शेर दिवाकर को उसे छोड़ता हुआ भाग कर देख कर दिवाकर की गाड़ी के पीछे-पीछे भागना शुरू कर देता है।

अपने प्यार शेर को छोड़ने के बाद दिवाकर की आंखों से आंसू टपकने लगते हैं, इसलिए वह बार-बार पीछे मुड़कर शेर को देखता है और इस कारण से उसका ड्राइविंग से ध्यान हट जाता है और उसकी गाड़ी एक पेड़ से टकरा जाती है।

एक्सीडेंट के बाद गाड़ी का दरवाजा खुल जाता है, दिवाकर आधा अंदर और आधा बाहर गाड़ी से लटक जाता है।

शेर भाग कर दिवाकर के पास आता है और दिवाकर को अपनी जीभ से चाटने लगता है।

दिवाकर रोते-रोते शेर के सर पर हाथ फेरता है, दिवाकर के प्राण निकल जाते हैं।

शेर ने ऐसे दृश्य टीवी पर काई बार देखे थे, इसलिए शेर समझ जाता है कि दिवाकर की मौत हो गई है और शेर दिवाकर के सीने पर सर रखकर रोने लगता है।

उसी समय उस रोड पर एक ट्रक आ जाता है, ट्रक ड्राइवर और उसका क्लीनर समझता है कि जंगली शेर ने किसी मनुष्य पर हमला कर दिया है।
इसलिए वह दूसरे ट्रक गाड़ियों को रुकवा कर उनके साथ मिलकर लाठी डंडे से शेर पर हमला कर देते हैं।

उन ट्रक गाड़ियों वालो में से एक ड्राइवर कपड़े कागज और पेट्रोल का गोला बनाकर शेर पर फेंक देता है, इसलिए शेर डर कर पूंछ दबाकर वहां से जंगल की तरफ भाग जाता है।

घने जंगल में शेर भागते भागते एक अखरोट के पेड़ के नीचे पहाड़ी पत्थरों से बने चबूतरे पर जाकर लेट जाता है, क्योंकि पूरे दिन के सफ़र से वह बहुत थक चुका था।

इसलिए उसे ज्यादा थकान की वजह से नींद आ जाती है और जब शेर की नाक पर एक पत्थर आकर लगता है तो वह गहरी नींद से हद हड़बड़ाहट कर उठता है।

गहरी नींद से उठने के बाद उसे दूर गीदड़ गधा दिखाई देते हैं, जो उसे दूर से पत्थर मार रहे थे।

शेर चिल्ला कर कहता है "क्या हुआ भैया मुझे क्यों पत्थर मार रहे हो।"

शेर कि बिल्ली जैसी आवाज सुनकर गीदड़ गाधा हंसने लगते हैं और हिम्मत करके शेर के पास आते हैं, अपने पास आने के बाद शेर इनको दिवाकर और अपने जीवन की पूरी कहानी सुनाता है।

उसके जीवन की पूरी कहानी सुनाने के बाद दोनों बहुत दुखी होते हैं, उस दिन से वह शेर के पक्के मित्र बन जाते हैं।

जब शेर दोनों से कहता है "मुझे सुबह ब्रेकफास्ट करने की आदत है।"

तो शेर की यह बात सुनकर गीदड़ और गधा एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं, फिर गधा पूछता है? "भैया यह ब्रेकफास्ट क्या होता है।"

फिर शेर मुस्कुराकर कहता है "जो सुबह-सुबह थोड़ा बहुत खाना खाते हैं, उसे शहर में ब्रेकफास्ट कहते हैं।"

फिर दोनों हंसने लगते हैं और फिर इधर-उधर देखकर कहते हैं "अभी थोड़ी देर में ही खाने का इंतजाम हो जाएगा।"

जब वह आपस में बात कर रहे थे, तभी अखरोट के पेड़ के पीछे से सीढ़ियो कि आवाजें सुनाइए देने लगती है, सीढ़ियों की आवाज सुनने के बाद वह शेर से खुश होकर कहते हैं कि "खाने का इंतजाम हो गया है।"

क्योंकि अखरोट के पेड़ के पीछे से भालू बंदर के बच्चे सीटियां मारकर आंख मार कर इशारे कर रहे थे, गधे गीदड़ को अपने पास बुलना का वह दोनों शेर के डर से गधे के पास नहीं आ रहे थे।

उनको देखकर गधा गीदड़ भालू बंदर के पास जाते हैं और दोनों बच्चों का हाथ पकड़ कर शेर के पास लाते हैं।

शेर उनको भी अपनी कहानी सुनाता है, शेर की कहानी सुनाने के बाद वह भी शेर के पक्के मित्र बन जाते हैं।

फिर बंदर अखरोट के पेड़ के ऊपर चढ़कर बहुत से अखरोट पेड़ से तोड़कर शेर के आगे फेक देता और भालू का बच्चा मधुमक्खियां के छत्ते से शहद निकाल कर शेर कि दावत करता है।

एक दिन शेर को दिवाकर की बहुत याद आती है, इसलिए वह अंग्रेजी की कविता गुनगुनाता हैं, गधा उसकी कविता सुन कर कहता है "शेर भैया थोड़ा तेज तेज सुनाओ।"

शेर अपनी सुरीली आवाज में कविता सुनाता है, उन सब जानवरों को कविता समस्त तो नहीं आती पर शेर का कविता सुनाने का तरीका उन सबको बहुत प्रसंद आता है।

शेर कि कविता सुनाने के बाद यह सारे जानवर अपना पेट पकड़ पकड़ कर खूब हंसते हैं और हंस हंसकर जमीन पर लोटपोट हो जाते हैं।

उस दिन के बाद यह सब रोज खाना खाने के बाद शेर से कविता सुना करते थे।

एक दिन एक शेरनी उसी जगह उनके पास वाली नदी में पानी पीने आती है।

शेर की कविता सुनकर वह शेर के सामने शादी का प्रस्ताव रख देती है और फिर खुश होकर शेर शादी के प्रस्ताव को कबूल कर लेता है, जिस दिन शेर और शेरनी की शादी होती है, सारे जानवर मिलकर खूब नाचते गाते हैं और स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाते हैं।

शेरनी को शेर की एक बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आती थी कि वह जंगल में कहीं भी जाता है, तो छोटे-बड़े जानवर शेर से छेड़खानी करते हैं, यहां तक की उसकी पूंछ भी पकड़ कर हिला देते हैं और उसके आगे का खाना भी उठा कर खा जाते हैं।

इस वजह से शेरनी शेर को एक डरपोक शेर समझने लगती है, लेकिन ऐसा नहीं था, वह सब जंगली जानवर शेर से सच्चा प्यार करते थे।
वह शेर के लिए अपनी जान देने के लिए भी तैयार रहते थे।

कुछ दिनों बाद शेरनी दो बच्चों को जन्म देती है, वह अपनी शिक्षा से उन दोनों बच्चों को लड़ाकू खतरनाक खूंखार शेर बनना चाहती थी, क्योंकि वह ‌उनके पिता शेर को एक डरपोक से समझती थी।

शेर शेरनी की इस गलत शिक्षा के हमेशा खिलाफ रहता था, शेरनी की इस गलत शिक्षा की वजह से एक दिन शेरनी के दोनों बच्चे जंगली ताकतवर हटे-कटे भैंसों से जानबूझ कर झगड़ा मोल ले लेते हैं।

भैसे उन दोनों को पटक पटक कर जान से मार देता है, दोनों बच्चों की मौत की खबर सुनकर शेर शेरनी से कहता है "आज तुम्हारी गलत शिक्षा की वजह से मेरे दोनों बच्चों की जान चली गई।

कहानी का संदेश- शिक्षा की वजह से मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति बढ़ जाती है, दूसरा माता-पिता का एक ही छोटी सी गलत शिक्षा बच्चों का भविष्य बर्बाद कर सकती है।