MIKHAIL: A SUSPENSE - 29 in Hindi Fiction Stories by Hussain Chauhan books and stories PDF | मिखाइल: एक रहस्य - 29 - एक और ख़त

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मिखाइल: एक रहस्य - 29 - एक और ख़त


पारुल और कपिल ने मालदीव्स की चार रात पांच दिन के बंदोस आइलैंड रिसोर्ट वेकेशन के पैकेज को एल.एस.डब्ल्यू से सिलेक्ट किया था। मालदीव्स में एक्टिविटी करने को कुछ था नही अपनी ही फुरसत के हिसाब से ही दिन बिताने थे तो उन्होंने जय को अपने गाइड के तौर पर हटा दिया जिसका उनको एक हद तक आर्थिक फ़ायदा भी हुआ। अब चूंकि, आख़िरी कुछ दिनों में उन्होंने जय को अपने गाइड के तौर पर से हटा दिया था और सारी ट्रिप बुक हो चुकी थी तो जय बिल्कुल फ्री था। अपने इन खाली दिनों का इस्तेमाल करने के लिये उसने माहेरा से मुलाकात करने की सोची और तुरंत ही अपने फ़ोन से अगले दिन की दिल्ली की फ्लाइट बुक कर दी।

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मयंका ने विद्या को जो सनसनीखेज वीडियो और जानकारी के बारे में पता लगाने को कहा था वो एकदम सटीक निकली। अब यह पक्का हो चुका था कि, उनको जो वीडियो मिला था वो शत प्रतिशत असली था और अब वो इस पर बचीकूची तैयारियां कर के उसको रन करने वाली थी। ठीक दो दिन बाद जब रात 8 बजे मयंका ने अपने शो शत प्रतिशत में यह ब्रेकिंग न्यूज़ दिखाई तो इस ख़बर ने भारत के राजकरण को हिला कर रख दिया। तब चैनल के शो के बाद भी उन्हें नेट पर बहुत से रिव्यु मिले। ट्विस्टर पर जिधर देखो उधर सिर्फ इंडियन पॉलिटिक्स, रामदास पासवान, शत प्रतिशत, जैसे हैशटैग दिखाई देने लगे और TRP के मामले में वे और भी आगे बढ़ गए। यक़ीनन रामदास पासवान और जयदीप सरकार के लिये यह एक दुःखद खबर थी।

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जब आई. जी. प्रभु को घटी सारी वारदात के बारे में बताकर रामदास लौट रहा था ठीक उसी वक़्त उनका फ़ोन बजा, उसने देखा तो पार्टी हाई कमांड आफिस से आ रहा था। रात के लगभग 9 बजने को थे भला इस वक़्त पार्टी हाई कमांड से कैसे और क्यो फ़ोन आया होगा इसी ख़्याल में उसने बिना कोई देरी किये फ़ोन उठा लिया।

"आपको इस वक़्त की न्यूज़ देखनी चाहिये मि. पासवान।" सामने की छोर से बिना कोई फॉर्मेलिटी किये हुवे पासवान के बोलने की भी प्रतीक्षा किये बिना सीधा-सीधा आदेश आया। और अभी आपको आपके सारे पदों से हटाया जाता है, और जब तके आपको पार्टी हाई कमांड की तरफ से न कहा जाए तब तक आप कोई कदम नही उठाएंगे और कल ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर अपने इस्तीफे की जानकारी दे। चुनाव सर पर है और हम नही चाहते कि, आपकी वजह से पार्टी पर कोई लांछन लगे।"

रामदास इससे पहले की कुछ समझ पाता, कुछ बोल पाता फ़ोन कट चुका था।

"अब यह क्या मुसीबत है! कोई tv चालू करो रे बहनचोद!" भला ऐसा तो क्या हुआ होगा जो बिना कोई जानकारी दिए ही पार्टी ने उसको अपना इस्तीफा देने का आदेश दिया। उसका दिल ज़ोरो से धड़क रहा था, उसे यकीन हो चुका था कि बेहद ही कुछ खराब घटना उसके साथ घटी है लेकिन वह क्या थी अब बस यह जानना बाकी रह गया था।

"जैसा कि आप देख सकते है हमारे द्वारा दिखाई जा रही इस फुटेज में साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि, जिस शख्श का क़त्ल हुवा वो कितनी ही बेरहमी से हुआ है। आपके मन मे इस वक़्त कई सवाल उठ रहे होंगे जिन्हें हम एक-एक कर के बताने की कोशिश करेंगे

पहला सवाल कौन है यह आदमी जिसको इतनी बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया? तो आपको बतादे कि जिस आदमी का खून हुवा है वो दिव की मशहूर इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी महेक इंफ्रा का मालिक है जो बरसो पहले यूपी की नेता रामदास पासवान के अवैध कामो को अंजाम तक पहुंचाने का काम करता था।

भैयाजी के कत्ल का वीडियो और उससे जुड़ी खबरे tv पर प्रसारित होती हुवी देख रामदास एक दम सकपका गया और उसके हाथों से tv का रिमोट और एक फ़ाइल जो दूसरे हाथ मे वो अभी तक पकड़े हुवे था वो सरक कर नीचे गिर गयी। पार्टी हाई कमांड द्वारा उससे क्यो इस्तीफा मांगा गया था उसका कारण वो भलीभांति जान चुका था

अपने साथ हुई इस घटना का उसे इतना गहरा सदमा लगा कि उसी क्षण वो गिर पड़ा और बेहोश हो गया और उसे हल्का सा दिल का दौरा पड़ गया जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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मिनर्वा जो रोबर्ट की दूसरी पत्नी थी और पैरी की सौतेली माँ थी वो रोबर्ट के साथ चल रहे कुछ मनमुटाव की वजह से अब उनसे अलग रह रही थी लेकिन, अभी उनका कायदे से तलाक नही हुआ था। कायदे की नज़रों में अभी भी वे एक पति-पत्नी ही थे।

मिनर्वा चाहती थी कि रोबर्ट द्वारा चलाई जा रही एल.एस.डब्ल्यू. में उसे भी हिस्सेदारी मिले जिसपर पैरी बिल्कुल ही सहमत नही था और इसी के चलते मिनर्वा को पैरी के प्रति नफरत सी थी और यह बात हर किसी को ज्ञात थी।

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वो अपने सोफे पर बैठा हुआ था और सोफे के पास पड़ी चारपाई पर एक बटवा, एक रिवाल्वर और कुछ व्हिस्की औए वाइन की बोतलें रखी हुई थी। कुछ देर तक वो इन सब बेजान चीज़ों को घूरता रहा। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो की वो कोई अलग ही विचारो में खोया हो। कुछ ही पलों में वो अपने ख्यालो की दुनिया से बाहर आया और अपने हाथों में दस्ताने पहनने लगा ठीक वैसे जैसे कोई फॉरेंसिक वाला पहनता है।

दस्ताने पहनने के बाद धीरे से उसने बटवा उठाया और डस्टिंग का आरंभ किया। वो बड़ी ही अच्छी तरह से जनता था कि, डस्टिंग कैसे की जाती है। एक एक कर उसने चारपाई पर पड़ी सारि चीज़ों की डस्टिंग करते हुवे उनपर लगे हुवे फिंगरप्रिंट बरामद कर लिये। पारदर्शक उन प्लास्टिक की टेप पर बने उन फिंगरप्रिंट के निशानों को देख वो मंद-मंद मुस्कुराने लगा।

अभी जहां डग राइस जोहनी डे की मौत कैसे हुई और मिखाइल सिविक कौन है उसकी गुत्थी सुलझाने में लगे हुवे थे वो अपनी योजना को सफल बनाने के लिये एक कदम और आगे बढ़ चुका था।

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यूपी की मशहूर कही जाने वाली हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड नामक अस्पताल में रामदास को भर्ती कराया गया। रामदास की तबियत को सही होते होते दो से ज़्यादा दिन लग गए और तो और पार्टी हाई कमांड से उसे सारे पदों से बर्खास्त कर देने की वजह से उसके दुश्मन जो उसकी सत्ता के पावर के ड़र से छूपकर बैठे थे वे अब सक्रिय हो चुके थे। उसकी जान को ख़तरा है यह जानकर उसे पुलिस बल की सुरक्षा प्रदान की गई और साथ साथ न्यूज़ चैनल में उसके बारे में दिखाई गई खबरों की पुष्टि करने एवं उनका स्टेटमेंट लेने के लिये एक पुलिस अफसर को इस बारे में छानबीन करने के लिऐ केस सौंपा गया।

वैसे इतनी कड़क सेक्योरिटी में रामदास से मिलना मुश्किल था और वो यह तो कत्तई नही चाहता था कि हड़बड़ाहट में लिया गया कोई भी कदम उसकी सालो से बनी बनाई योजना पर पानी फेर दे।

हर सुबह रामदास की सेहत जल्द से जल्द ठीक हो जाये इसी उम्मीद में उसके अंधे भक्तगणों द्वारा उन्हें फूलो के बकेट भेजे जाते थे। हर बकेट में उनकी अच्छी सेहत के लिये कोई न कोई मेसेज ज़रूर होता था। लेकिन आज आया हुआ एक बकेट अन्य फूलो के बकेट की तुलना में अलग था उसमें उनकी सेहत के बारे में कोई जिक्र नही किया गया था। बल्कि उसमे एक ख़त डाला गया था।

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