madam sex? in Hindi Women Focused by pravin Rajput Kanhai books and stories PDF | मैडम सेक्स?

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मैडम सेक्स?

note - ये मतलबी दुनिया लोगो की मजबूरियों का हमेशा फायदा उठाती रही है, ऐसी ही कुछ कहानी हे स्मिता की, जिसे हर बार उसकी मजबूरी का फायदा उठाने वाले लोग मिले, तो चलिए पढ़ते हे उसी की कहानी.....





' हैलो, सेक्सी! तेरा फिगर तो बहुत मस्त है!' स्मिता के इंस्टाग्राम पर एक अनजान शख्स स्मिता की स्टोरी पर रिप्लाई देता है।

'साला हरामी!' स्मिता बोल उठी।

स्मिता ने उस शख्स की प्रोफाइल पर जाकर उसकी आईडी ब्लॉक कर दी। स्मिता ने अपना मोबाइल बैग में रखा और नौकरी के लिए इंटरव्यू देने घर से बाहर निकली।

दरवाजे पर जमींदार मगनलाल खड़ा हुआ था।

'अच्छा हुआ तुम बाहर ही मिल गई, लाओ किराया निकालो।'

'शेठ थोड़ा टाइम मिल सकता हो तो...'

'और कितना समय स्मिता, तुमने पूरे छह महीने से किराया नहीं दिया है। अगर मैं करूँ भी तो क्या करू! तु ही बता मुझे क्या करना चाहिए?'

'अगर आप मुझे कुछ और दिनों का टाइम दे देते तो... वैसे भी मैं नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही हूं, अगर मुझे नौकरी मिल गई तो मैं सारा किराया चुका दूंगी।'

'कब तक तुम मुझे यूं बेवकूफ बनाती रहोगी। देखो, मेरे पास एक रास्ता है। उसके बदले तुम पूरी अपनी जिंदगी घर का कोई किराया मत देना। अगर कुछ दिन के लिए तुम अपना शरीर...?'

स्मिता चुप रही।

'इसके बारे में सोचना, में दो दिनों के बाद फिर वापस आऊंगा, तब मुझे बता देना।'

स्मिता की आंखों में आंसू आ गए। रूमाल से अपने आंसू पोंछते हुए स्मिता इंटरव्यू देने के लिए पहुंचीं।

कई अन्य पुरुष भी यह इंटरव्यू देने आए थे। लगभग बारह पुरुषों के बीच स्मिता अकेली स्त्री थीं। सभी कैंडिडेट वेटिंग रूम में अपने नंबर का इंतजार कर रहे थे।

'क्या आप नौकरी के लिए आई हैं, मैडम?' प्रतीक्षालय में पास बैठे एक पुरुष कैंडिडेट ने स्मिता से पूछा।

स्मिता ने उसके सवाल का जवाब नहीं दिया।

'स्मिता जोशी।' रिसेप्सनिस्ट ने स्मिता का नाम लिया। स्मिता अपने बालों को ठीक करती हुई कमरे में दाखिल हुई।

'स्मिता जोशी, राइट?' इंटरव्यूअर ने पूछा।

'जी सर।' स्मिता ने जवाब दिया।

'तुमहे नौकरी क्यों चाहिए?'

' मेरी माँ पहले ही गुजर चुकी थी और अब पिताजी की तबीयत भी ठीक नहीं रहेती है। एक बहन है जो अभी पढ़ रही है। घर की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर आ पड़ीं। जब घर में एकमात्र कमाने वाला बीमार हो तो घर के अन्य सदस्यों को काम पर जाना पड़ता है। और इसलिए मुझे भी नौकरी की जरूरत है।'

तुम फ्रेशर हो। कोई वर्क एक्सप्रीअंश नही है। तुम्हारे ग्रेड भी उतने अच्छे नहीं हैं। मुझे कहना पड़ेगा की ये कंपनी तुमको नौकरी नहीं दे सकती।'

स्मिता का चेहरा उतर गया। वह कुर्सी पर से उठ खड़ी हुई, उसकी आँखों में निराशा थी, जैसे ही वह जाने वाली थी इंटरव्यूअर ने उसे रोकते हुए कहा। 'वैसे ये नौकरी पाने का एक तरीका है!'

'कौन-सा रास्ता?' स्मिता ने पूछा।

'अगर तुमको सच में इस नौकरी की ज़रूरत है, और तुम कुछ देने को राजी हो तो... तुम तो जानती ही होगी की कुछ पाने के लिए कुछ देना पड़ता है।'

'मैं समझी नहीं, सर?'

'अगर तुम सेक्स... वैसे भी मुझे नोकरी के लिए तुमसे मुकाबले तुमसे भी अधिक योग्य उम्मीदवार मिल सकता हैं। ये ऑफर सिर्फ तुम्हारे लिए है, बोलो तुम तैयार हो?'

स्मिता बिना कोई जवाब दिए कमरे से बाहर निकल गईं।
ऑफिस से निकलने के बाद स्मिता बस स्टैंड पहुंची, वो बस में चढ़ी। बस में बैठने के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं थी। वो थोड़ी सी जगह लेकर बस में खड़ी हो गई।

'राशन और पापा की दवाई के पैसे तो फोल और इंटरलॉक से हो जाएंगे, लेकिन ज्योति की फीस और मकान का किराया? मुझे कोई अच्छी जगह नौकरी मिल जाए तो मेरी सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी।' स्मिता ने सोचा।

स्मिता अपने खयालों में थी की वही स्मिता को पीछे से धक्का लगा। किसी का कठोर हाथ स्मिता की कमर और फिर उनके नितंब को छूआ। स्मिता ने अपने ख्यालों से बाहर आकर उन हाथों से अपने शरीर को हटाया। उधर एक और धक्का स्मिता को लगा, इस बार किसी के हाथ उसकी छाती पे... स्मिता आदमियों की भीड़ से बाहर निकली और अपनी मंजिल के एक स्टैंड से ठीक पहले बस से उतर गई।

चलते चलते स्मिता अपने घर पहुंची। जैसे ही उसने घर का दरवाजा खोला तो उसके होश उड़ गए, जब उसने देखा कि उसके पिता जमीन पर लहूलुहान अवस्था में पड़े हैं।

'डैडी, डैडी क्या हुआ आपको?' स्मिता ने अपने पापा को होश में लाने की कोशिश की। स्मिता अपने पिता को नजदीकी अस्पताल लेकर पहुंची। जो पैसे उसने राशन के लिए रखे थे, उससे अपने पिताजी को आपातकालीन विभाग में भर्ती करवा दिया।

'खून बहुत बह चुका है, इनको खून चढ़ाना पड़ेगा। तुम्हारे पापा का ब्लड 'ओ पॉजिटिव' है, हमारे अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। अगर आपके किसी परिचित का ब्लड ओ पॉजिटिव है, तो जांच करवाएं और उसे जल्द यहां बुलाएं। जल्दी ही आपको उसका इंतजाम करना होगा वरना उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है।

स्मिता ने अपनी संपर्क सूची से नंबरों की जाँच की, लेकिन उनके संपर्कों में से कोई भी उनकी मदद करने में सक्षम नहीं था।
स्मिता के दिमाग में एक आइडिया आया और उसने अपने इंस्टाग्राम में स्टोरी रखी। 'मेरे पिताजी को इमरजेंसी ओ पॉजिटिव ब्लड की जरूरत है, जिस किसी का भी ब्लड ओ पॉजिटिव है वो प्लीज मेरी मदद करे।

लगभग आठ मिनट बाद किसी ने उसके इंस्टाग्राम पर जवाब दिया।

'मैडम, ओ पॉजिटिव ब्लड तो है, लेकिन क्या मैडम मुझे सेक्स मिलेगा?'

एक अनजान शख्स का ऐसा जवाब पढ़कर स्मिता को बहुत दुख हुआ। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और बगल वाली बेंच पर बैठ गई। वह संसार के सभी पुरुषों को कोसने लगी।
जहां वह बैठी थीं, वहीं एक वार्ड बॉय उनके पास फॉर्म लेकर आया, 'मैडम सेक्स?' वार्ड बॉय ने कहा।

स्मिता अपनी बेंच से उठीं और उस वार्ड बॉय को पीटने लगीं. 'तूझे सेक्स चाहिए ये ले सेक्स।'

'अरे क्या चल रहा हे।' अस्पताल के कर्मचारी इकट्ठा हुए।

'उसने फॉर्म में मरीज का सेक्स नही लिखा था, जब मैं इनसे पूछने आया तो इन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया।' वार्ड बॉय ने कहा।

'मुझे माफ कीजिएगा मुझे गलती हो गई।' माफी मांगते हुए स्मिता फिरसे अपनी पास की बेंच पर बैठ गई। घंटों बीत जाने के बाद भी खून की इंतजाम नहीं हुआ।

( कुछ देर बाद)

'हमे क्षमा करें, हम आपके पिताजी को नहीं बचा सके।' डॉक्टर ने कहा।

थोड़ी देर बाद वही वार्डबॉय स्मिता के पास पहुंचा और कहा, 'पूरी रकम काउंटर पर दे दो और लाश ले लो।'

'लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं।' स्मिता ने कांपते हुए कहा।

'पैसा नहीं है, तो अस्पताल क्यों आई? तेरे बाप को घर पर ही रखना था ना।' वार्डबॉय ने कहा।

स्मिता पास की बेंच पर बैठी रही।

थोड़ी देर बाद एक आदमी स्मिता के पास आया और स्मिता के पास आकर बैठ गया।

'मैंने सुना है कि तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन ये अस्पताल तुम्हे बिना पैसे के तुम्हारे पिता का शव लेने नहीं देगा। मेरे पास एक रास्ता है।' इतना कहकर वो आदमी अपनी जेब में से अपना कार्ड और कुछ पैसे निकालता है। 'ये कुछ पैसे हैं, लेकिन बदले में तुमको मुझे कुछ देना होगा।'

'अगर तुम्हें इसकी जरूरत है, तो मैं तुम्हें इससे ज्यादा पैसे भी दूंगा, लेकिन बदले में तुम्हें मेरे साथ सेक्स करना होगा...'




- प्रविण राजपुत 'कन्हई'