Prem Diwani Aatma - 11 in Hindi Love Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 11

Featured Books
Categories
Share

प्रेम दीवानी आत्मा - भाग 11

"रात बहुत हो गई है, खाना खाकर अपने घर चली जाना।" सिद्धार्थ ने कहा

"नहीं मैं घर पर ही खाना खाऊंगी वरना मां बहुत नाराज होगी। अंकिता कहती है

सिद्धार्थ गैरों की तरह अंकिता की तरफ देखकर कहता है "ठीक है न जाने कितने दिन तुम हमारे साथ हो कौन सा रोज तुम्हें हमारे साथ खाना खाना है।"

अंकिता के पहले से ही डॉक्टर टोनी की वजह से दुखी दिल को सिद्धार्थ की यह बात सुनकर और दुख पहुंचता है, इस वज़ह से उसकी आंखों से टप टप आंसू टपकने लगते हैं, लेकिन सिद्धार्थ उसे रोता हुआ देखकर चुप करवाने की जगह अपने परिवार के साथ घर की छत से उतरकर खाना खाने चला जाता है और खाना खाने के बाद मां पिताजी बहन मंजू से कुछ भी बात किए बिना अपने कमरे में सोने चला जाता है,
लेकिन उसे अंकिता डॉक्टर टोनी के बारे में सोच-सोच कर बहुत बेचैनी होती है कि अगर डॉक्टर टोनी ने अंकिता के प्यार को अपना लिया तो मेरा क्या होगा अंकिता के बिना मेरी जिंदगी बेरंग हो जाएगी।

अंकिता जब अपने घर पहुंचती है, तो उसकी मां खाना पकाने की जगह अपने मुंह भोले तांत्रिक भाई के साथ नंदू की आत्मा को कैद करने कि योजना मोहल्ले के प्रधान और मोहल्ले के प्रमुख लोगों के साथ बना रही थी, और अंकिता का खाना पकाने के लिए इंतजार कर रही थी, उसके पिता भी अंकिता का इंतजार कर रहे थे, कि कब अंकिता आएगी कब खाना पकाएगी।

परन्तु डॉक्टर टोनी की ना और सिद्धार्थ को खुद ना कहने की वजह से उसे उस रात खाना पकाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर था, इसलिए वह अपने पिता से कहती है "आज बाहर का खाना खा लेते हैं, मेरी तबीयत ठीक नहीं है, खाना पकाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर है।"

"ठीक है पास वाली मार्केट के पंजाबी रेस्टोरेंट से कुछ खाने के लिए खरीद कर ले आओ, जा मां से पैसे ले ले।" अंकिता के पिता बोले

अंकिता को जिस छोटे रास्ते से घर के पास वाली मार्केट में जाना था, उस रास्ते पर अंधेरा रहता था और लोगों का कहना था कि रास्ते के बीचो-बीच में जो पीपल का पुराना पेड़ है, उस पर चुड़ैल रहती है, और अंधेरे सुनसान रास्ते का फायदा उठाकर लुटेरे भी वहां लूटपाट करते हैं, इसलिए लोग ज्यादा रात होने के बाद उस छोटे रास्ते की जगह कॉलोनी के लंबे रास्ते से कॉलोनी के पास वाली मार्केट में जाना पसंद करते हैं और अंकिता यह सब जानने के बाद भी हिम्मत करके आधा रास्ता पार कर लेती है, तो उसे जब अपनी कॉलोनी दूर और पुराना पीपल का पेड़ करीब नज़र आता है तो उसका पूराने पीपल की चुड़ैल का डर और अधिक बढ़ने लगता है क्योंकि रास्ते के दोनों तरफ की झाड़ियों से झींगुरों की आवाज़, सर्दी कोहरे की सन्नाटे वाली अंधेरी रात, दूर तक खाली मैदान छोटे-छोटे खेत ऊंचे ऊंचे हाई टेंशन बिजली के खंभे दूर गंगा नदी के ऊपर उड़ते सफेद रंग के पक्षी नंदू की आत्मा की वजह से भूत प्रेत पर पूरी तरह विश्वास इस डरावने दहशत से भरे माहौल में अंकिता की हिम्मत ना दूर पैदल घर जाने की होती है ना ही पास मार्केट जाने की होती है।

तभी पीछे से कोई उसे आवाज देकर रुकने के लिए बोलता है, सन्नाटे में उस युवक कि आवाज इतनी तेज गूंजती है कि वह आवाज उसे पहचान में नहीं आती है कि वह किसकी आवाज़ है।

और अंजान आवाज समझ कर अंकिता डर दहशत की वजह से पूराने पीपल के पेड़ की तरफ ही भागने लगती है।

लेकिन जब वह युवक अपने मोबाइल की टॉर्च जालाता है, तो अंकिता को शांति मिलती है कि पीछे से कोई इंसान ही आ रहा है, लेकिन फिर भी उसका डर खत्म नहीं होता है कि कहीं कोई लुटेरा तो नहीं है यह।

और वह युवक अंधेरे को चीरता हुआ उसके पास पहुंचता है, वह उस युवक को देखकर चैन की सांस लेती है, क्योंकि वह युवक कोई और नहीं सिद्धार्थ था।

सिद्धार्थ अंकिता के पास आते ही पूछता है? "मैंने अपने कमरे की खिड़की से तुम्हें इस तरफ आते हुए देखा था, इसलिए मैंने सोचा अकेले रात को इस सुनसान रास्ते पर जाना ठीक नहीं है, इस रास्ते पर रात को लुटेरे भी मिल जाते हैं और पूराने पीपल की चुड़ैल का तो डर है ही तुम्हें सब मालूम है, फिर भी तुम इस रास्ते पर अकेले क्यों आई, दूसरे रास्ते से चली जाती है, वह लंबा रास्ता है, लेकिन सुरक्षित तो है, वहां हमेशा भीड़भाड़ रहती है, वैसे इतनी रात गए क्या लेने जा रही हो तुम मार्केट।"

"मां खाना पकाने के लिए मेरा इंतजार कर रही थी और आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है।" अंकिता कहती है

सिद्धार्थ खराब तबीयत की सुनकर अंकिता का हाथ पकड़ कर कहता है "बुखार तो नहीं है, चलो साथ चलते-चलते बात करते हैं और बोलता है "कल डॉक्टर टोनी से मिलवाओगी ना देखता हूं, तुम्हारी पसंद कैसी है।"

छोटा ही संकट सही लेकिन संकट में सिद्धार्थ के यूं अचानक मिलने के बाद अंकिता को बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वह सोचती है, मैं सिद्धार्थ को गैर बनाकर कैसे इससे दूर रहकर जिऊंगी, शायद मुझे भी धीरे-धीरे सिद्धार्थ से प्रेम हो रहा है।

पंजाबी रेस्टोरेंट में पसंद का खाना न मिलने की वजह से अंकिता सिद्धार्थ के साथ थोड़ा सा दूर दूसरी बड़ी मार्केट में साउथ इंडियन खाना लेने रिक्शे से जाती है।

चार लोगों का खाना खरीदने और रिक्शे में आने जाने की वजह से उसके सारे पैसे खत्म हो जाते हैं और मार्केट के पार्क के पास आइसक्रीम की रेहड़ी को देखकर उसका आइसक्रीम खाने का मन करने लगता है, इसलिए वह सिद्धार्थ से कहती है "दो आइसक्रीम ले लो घर पहुंच कर पैसे दे दूंगी।"

अंकिता को सर्दी के मौसम में आइसक्रीम खाने के बाद सर्दी जुकाम होने की बात उससे दो वर्ष छोटा सिद्धार्थ उसे ऐसे समझता है, जैसे माता-पिता अपने छोटे जिद्दी बच्चे को समझते हैं।

सिद्धार्थ का यह बड़ापन अंकिता को बहुत अच्छा लगता है, इसलिए वह प्यार से उसके कंधे पर सर रख लेती है।

उसके सिद्धार्थ के कंधे पर सर रखते ही वहां से अपनी कार से गुजर रहा डॉक्टर टोनी अंकिता सिद्धार्थ के पास से अपनी कार का तेज होरन बजा कर निकालने के बाद थोड़ी दूर आगे जाकर अंकिता सिद्धार्थ के बिल्कुल सामने अपनी कर रोक देता है।