Wo Maya he - 86 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 86

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वो माया है.... - 86



(86)

साइमन ने उन चारों हत्याओं के बारे में कुछ और बातें पता की थीं। उन चारों हत्याओं में मरने वाले गरीब तबके के लोग थे। ऐसे लोग जो छोटे छोटे काम करके अपना जीवन चला रहे थे। यदि हत्या के पैटर्न को छोड़ दिया जाए तो उनका आपस में कोई संबंध नहीं था। प्राप्त जानकारी को जोड़ने पर साइमन को एक बात समझ आई थी कि कातिल ऐसे लोगों को मार रहा था जो गरीब थे और उनके घरवाले उनके केस को लेकर अधिक दबाव नहीं बना सकते थे। पुष्कर को छोड़ दिया जाए तो छह में से बाकी के पाँच मृतकों की स्थिति वैसी ही थी।
साइमन ने इन चारों हत्याओं के बारे में जो कुछ पता चला था वह अपने साथियों इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल को बता दिया था। उसने इस पर और चर्चा करने के लिए एक मीटिंग बुलाई थी। अब तक साइमन ने जो प्वाइंट्स बनाए थे वह सब एक बोर्ड पर लिख दिए थे। उन प्वाइंट्स को दोहराने के बाद उसने कहा,
"अब तक हमारे सामने जो कुछ भी आया है हम उसके आधार पर कातिल की मानसिकता को समझने का प्रयास करेंगे। इससे उस तक पहुँचने में हमें मदद मिल सकती है। आप लोगों के सामने मैंने जो प्वाइंट्स रखे हैं उसके आधार पर बताइए कि आपकी कातिल के बारे में क्या राय है। आप लोगों की राय जान लेने के बाद मैं अपनी बात भी कहूँगा।"
इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल ने एक दूसरे की तरफ देखा। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"कमाल पहले तुम बताओ....."
सब इंस्पेक्टर कमाल कुछ सोचने के बाद बोला,
"सर ने जो प्वाइंट्स हमारे सामने रखे हैं उनके आधार पर मुझे लगता है कि कातिल मानसिक रूप से बीमार है। हत्याएं करने के पीछे उसका कोई खास मकसद नहीं है। उसे बस हत्या करने में मज़ा आता है। इसलिए उसने इतने कत्ल किए।"
यह कहकर उसने साइमन और इंस्पेक्टर हरीश की तरफ देखा। इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"कमाल मुझे लगता है कि वह मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। पर सिर्फ मज़े के लिए हत्याएं नहीं कर रहा है। मानसिक रूप से बीमार लोग अक्सर किसी अंधविश्वास में लिप्त होते हैं। मुझे लग रहा है कि वह ऐसे ही किसी अंधविश्वास का शिकार है।"
साइमन ने इंस्पेक्टर हरीश की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा,
"तुम्हारा प्वाइंट सही लग रहा है हरीश। कातिल मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति है जो किसी अंधविश्वास के चलते ऐसा कर रहा है। मुझे लगता है कि वह किसी मकसद की प्राप्ति के लिए ऐसा कर रहा है। जैसे कि ताकत या पैसा पाने के लिए। यह भी हो सकता है कि उसे लगता हो कि ऐसा करके वह सदैव जवान रहेगा या उसके अंदर अनोखी ताकत आ जाएगी। उसे तय वक्त में कुछ निश्चित कत्ल करने हैं। इसलिए वह आसान शिकार ढूंढ़ता है। एक क्षेत्र में कत्ल करके आगे बढ़ जाता है। कत्ल करने का तरीका बदल देता है जिससे पकड़ा ना जाए।"
सब इंस्पेक्टर कमाल ने कहा,
"सर आपका मतलब है कि यह सारी हत्याएं किसी खास मनोकामना की पूर्ति के लिए एक अनुष्ठान के अंदर की जा रही हैं।"
साइमन ने कहा,
"हाँ.....कमाल तुमने अच्छा प्वाइंट उठाया। यह किसी खास प्रयोजन के लिए किए गए अनुष्ठान का हिस्सा हो सकता है।"
इंस्पेक्टर हरीश ने अपनी राय रखते हुए कहा,
"सर अक्सर ऐसे अनुष्ठान समूह में किए जाते हैं। फिर हम ऐसा क्यों मानकर चल रहे हैं कि यह काम एक आदमी का है ? इसके पीछे एक ग्रुप हो सकता है।"
साइमन ने कहा,
"हरीश यह एक आदमी का ही काम है। एक तो सारी हत्याओं में एक पैटर्न है। दूसरा अगर कोई ग्रुप होता तो वह कई जगहों पर सक्रिय होता। हमें कई जगहों से इस तरह की हत्याओं की सूचना मिलती। एक ही आदमी है जो अलग अलग क्षेत्रों में हत्या कर रहा है। सभी हत्याओं में समय का अंतर भी यही कहता है।"
इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"कातिल एक ऐसा शख्स है जो अपनी किसी व्यक्तिगत मनोकामना के लिए लोगों को मार रहा है। मुझे लगता है कि उसके पास हत्याओं की संख्या का कोई निश्चित लक्ष्य है। लेकिन वह नहीं चाहता है कि पकड़ा जाए। इसलिए अपना क्षेत्र बदल देता है। ऐसे लोगों को मार रहा है जो आसानी से शिकार बनाए जा सकते हैं।"
सब इंस्पेक्टर कमाल के मन में एक बात आई थी। उसने कहा,
"एक बात और है सर इसने अब तक तीन क्षेत्र चुने हैं। हर एक में सिर्फ दो हत्याएं की हैं। यह ठीक है कि पकड़ा ना जाए इस डर से वह एक जगह से दूसरी जगह चला जाता है। पर दो हत्याएं करने के बाद। यह बात गौर करने लायक है। हर बार दोनों हत्याएं एक तरीके से की गई हैं इसका कोई खास कारण है।"
साइमन जो नए प्वाइंट आ रहे थे उन्हें भी लिख रहा था। उसने यह प्वाइंट भी लिख लिया। सब इंस्पेक्टर कमाल ने आगे कहा,
"सर मेरे मन में एक और बात आ रही है ?"
साइमन ने कहा,
"मन में जो भी आ रहा है बिना किसी संकोच के कहो। इस तरह चर्चा करके हम किसी नतीजे पर पहुँच सकते हैं।"
"सर कातिल ने सभी हत्याओं में गर्दन के खास हिस्से पर वार करके सबको बेहोश किया था। इसका मतलब है कि उसे शरीर के विभिन्न प्रेशर प्वाइंट्स के बारे में जानकारी है। वह एक एक्सपर्ट है। एक ही वार में बेहोश कर देता है। दूसरा उसने जितने भी कत्ल किए हैं उनमें मृतकों की लंबाई उससे कम रही होगी। जैसे पुष्कर की लंबाई पाँच फीट पाँच इंच है। कातिल की ऊँचाई पाँच फीट पाँच इंच से अधिक होनी चाहिए। तभी वह एकदम सही तरीके से गर्दन पर वार कर पाया।"
साइमन ने सब इंस्पेक्टर कमाल के इस विश्लेषण की तारीफ करते हुए कहा,
"बाकी मृतकों की लंबाई भी पाँच फीट के आसपास थी। यह कातिल की तलाश में एक महत्वपूर्ण बात साबित हो सकती है।"
तीनों ने कुछ और बातों के बारे में चर्चा की। मीटिंग खत्म करने से पहले साइमन ने कहा,
"हम लोगों ने कातिल के बारे में बहुत सारी बातों पर चर्चा की है। यह सही है कि अभी तक हमने जिन प्वाइंट्स पर चर्चा की है सब अनुमानित हैं। लेकिन यह अनुमान सिर्फ तुक्के नहीं हैं। हमने अपने अनुमान प्राप्त जानकारियों के आधार पर बनाए हैं। अब हमें इनके आधार पर कातिल की तलाश करनी है। हमको एक टीम की तरह काम करना है। हर जानकारी एक दूसरे के साथ साझा करनी है।"
इंस्पेक्टर हरीश और सब इंस्पेक्टर कमाल ने उसकी बात से सहमति जताई। मीटिंग खत्म हो गई। दोनों अपने अपने काम पर चले गए।

बद्रीनाथ सामने लगी लोहे की सीखचों वाली जाली के उस पार खड़े विशाल को देखकर भावुक हो गए थे। उसकी हालत पर गौर करके उनकी आँखें भर आई थीं। वह बहुत कमज़ोर दिखाई पड़ रहा था। विशाल का भी वैसा ही हाल था। सामने अपने पापा को देखकर अब तक रोककर रखे गए आंसू उसी तरह आँखों से उमड़ रहे थे जैसे कि बांध तोड़कर पानी बाहर आता है। दोनों ही अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश में नाकाम थे। उनकी इच्छा एक दूसरे को गले लगाने की थी। पर बीच में लोहे की जालियां उन्हें ऐसा करने से रोक रही थीं।
दोनों जब जी भरकर रो चुके तो उन्होंने अपनी आँखें पोछीं। बद्रीनाथ ने पूछा,
"कैसे हो बेटा ?"
यह सवाल करने के बाद बद्रीनाथ को लगा कि उन्होंने बेवजह का सवाल पूछा है। विशाल के चेहरे से ही स्पष्ट था कि वह ठीक नहीं है। लेकिन बात की शुरुआत करने के लिए उन्हें यही समझ आया था‌। विशाल भी जानता था कि उन्हें अपना हाल बताने की ज़रूरत नहीं है। उसे देखकर जिस तरह उसके पापा की आँखों से आंसू बहने लगे थे वह बता चुके थे कि उसके हाल पर ही वह रो रहे हैं। उनकी तकलीफ भी विशाल ने उनके चेहरे पर पढ़ ली थी। उसने ना तो उनके सवाल का जवाब दिया और ना ही उनसे उनका हालचाल पूछा। बद्रीनाथ ने आगे कहा,
"जगदीश नारायण ने कहा है कि आगे के केस में उनके लिए तुम्हारी पैरवी करना संभव नहीं होगा। हमें तुम्हारे लिए कोई और वकील ढूंढ़ना होगा। जो यह साबित कर सके कि तुमने जो किया था वह अपनी मानसिक बीमारी के चलते किया था। हम कोशिश कर रहे हैं कि जल्दी ही कोई और वकील तलाश कर लें।"
विशाल कुछ नहीं बोला। वह बस बद्रीनाथ के चेहरे की तरफ देख रहा था। बद्रीनाथ ने आगे कहा,
"तुम फिक्र मत करना बेटा। हम तुम्हें बचाने की पूरी कोशिश करेंगे।"
बद्रीनाथ ने यह बात कही तो थी। पर अपनी कोशिश में वह कितना कामयाब हो पाएंगे वह खुद नहीं कह सकते थे। आजकल उनके लिए कोई भी काम विश्वास के साथ कर पाना मुश्किल था। घर से बाहर निकल कर लोगों से मिलने में उन्हें डर लगता था। बहुत हिम्मत करके वह विशाल से मिलने आ पाए थे। लेकिन अपने बेटे को तसल्ली देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यह बात कही थी।
विशाल भी उनकी मनोदशा को समझ रहा था। उन्हें इस हाल में देखना उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने कहा,
"पापा आप परेशान मत होइए। चाहे किसी भी स्थिति में हो पर हमने कुसुम और मोहित को ज़हर दिया था इस बात का हमें बहुत पछतावा है। सज़ा भुगत कर ही हम इससे छुटकारा पा सकते हैं। इसलिए ना आप वकील के लिए परेशान होइए और ना मुझसे मिलने आने के लिए। हम आपको कोई सुख नहीं दे सके। अब आप हमारे लिए यह तकलीफ उठाएंगे तो हमें और खराब लगेगा।"
अपनी बात कहकर विशाल वहाँ से चला गया। जाते हुए उसने बद्रीनाथ की तरफ देखा भी नहीं। बद्रीनाथ की आँखें भी आंसुओं से धुंधला गई थीं।