सिद्धार्थ अपने मृत नंदू भैया की आवाज सुनकर सोचता है "शायद कुछ दिनों से मैं अंकिता और उसके परिवार से ज्यादा ही जुड़ गया हूं, और अंकिता कि बहन सीमा की वजह से मुझे अपने नंदू भैया की बार-बार याद आती है, इसलिए शायद मैं खुद ही कल्पना कर लेता हूं कि इस समय नंदू भैया क्या सोच रहे होंगे।" अंकिता के जाने के बाद सिद्धार्थ को अपनी पसंदा का त्यौंहार दिवाली मनाने की खुशी एकदम से गायब हो जाती है, सिद्धार्थ का कॉलेज अंकिता के कॉलेज के पास ही था, सिद्धार्थ फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट था, और अंकिता फाइनल ईयर की स्टूडेंट थी।
अंकिता के जाने केे बाद अपने कॉलेज पहुंच कर सिद्धार्थ का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है, इसलिए वह अंकिता के कॉलेज के साथ बने पार्क में अकेला जाकर बेंच पर बैठ जाता है।
उस पार्क में सिद्धार्थ को अकेला बैठा हुआ देखकर अंकिता का सबसे अच्छा मित्र विक्रम सिद्धार्थ के पास आकर उससे पूछता है? "यहां उदास अकेले क्यों बैठे हुए हो।"
विक्रम को देखकर सिद्धार्थ को अंकिता की और ज्यादा याद आने लगती है, इसलिए सिद्धार्थ विक्रम को अपने पास आने से पहले दूर से ही हड़बड़ाहट में विक्रम से पूछता है? "क्या अंकिता की बहन की ससुराल के पास ही तुम्हारी बहन ने नई कोठी खरीदी है।"
"हां, यह अंकिता ने बताया होगा अंकिता उस दिन तुम्हारे सामने ही तो मेरी बहन से मिलने गई थी।" विक्रम कहता है
सिद्धार्थ सोचता है "मैं उस दिन अंकिता को कितना गलत समझ रहा था कि विक्रम की बहन तो विदेश में रहती है, तो फिर अंकिता विक्रम के साथ किस से मिलने जा रही है।
कुछ सोच का सिद्धार्थ कहता "हां मुझे अंकिता ने बताया है और तुम दिवाली से पहले जब भी अपनी बहन से मिलने जाओ तो मुझे भी साथ लेकर चलना, क्योंकि अंकिता अपनी बहन सीमा की ससुराल दिवाली मनाने गई हुई है।
"अच्छा तो मैं फिर वही अंकिता के साथ अपनी बहन के घर जाकर दिवाली मनाऊंगा।" विक्रम की यह बात सुनकर सिद्धार्थ गुस्से में कहता है "दिवाली पर नहीं मुझे अभी इसी वक्त अंकिता की बहन की ससुराल लेकर चल।" अचानक सिद्धार्थ को पागलों जैसी हरकतें करते हुए देखकर विक्रम घबराकर अपनी गाड़ी में सिद्धार्थ को बिठा कर डॉक्टर के पास ले जाता है, लेकिन डॉक्टर के पास ले जाने की जगह न जाने कैसे विक्रम को खुद भी पता नहीं चलता है कि वह कब सिद्धार्थ को साथ लेकर सीमा कि ससुराल पहुंच गया है।
अंकिता की बहन सीमा की ससुराल पहुंचते ही सिद्धार्थ पागलों जैसी हरकतें करना छोड़ कर विक्रम से पूछता है? "मुझे तुम यह कहां ले आए हो।" विक्रम उसे क्या जवाब देता विक्रम खुद सोच में था कि मैं अपनी कर लेकर डॉक्टर की जगह सीमा की ससुराल कैसे पहुंच गया हूं।
इस अचंभे में पड़ा विक्रम सिद्धार्थ से कहता है "मैं तो तुम्हारी तबीयत खराब होने के बाद तुम्हें डॉक्टर के पास लेकर जा रहा था, मैं खुद समझ नहीं पा रहा हूं, कि मैं अंकिता की बहन सीमा की ससुराल कैसेेे पहुंच गया हूं।"
"क्या यह अंकिता की बहन की ससुराल है, जल्दी यहां से वापस चलो अगर अंकिता की बहन ने मुझे यहां देख लिया तो वह सोचेगी अंकिता के पीछे-पीछे यहां तक आने का न जाने मेरा क्या मकसद है।" सिद्धार्थ कहता है
और जैसे ही विक्रम अपनी कर बैक करके सिद्धार्थ के साथ वहां से जाने लगता है, तो अंकिता उसे देखकर आवाज देकर रुकने के लिए कहती है।
और विक्रम के साथ कार में सिद्धार्थ को बैठा देखकर और दुखी होकर सोचती है कि "सिद्धार्थ की दीवानगी मेरे लिए धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है, यह ना तो सिद्धार्थ के लिए अच्छा है और ना मेरे लिए ही।"
विक्रम कार में बैठे-बैठे ही अंकिता को सारी बात बताता है कि हम तुम्हारी बहन की ससुराल कैसे पहुंचे।
विक्रम की सारी बात सुनकर अंकिता कहती है "सिद्धार्थ की तो सुबह से ही तबीयत खराब है, लेकिन तुम्हारी बात मुझे समझ में नहीं आ रही तुम डॉक्टर के पास जाने की जगह यहां मेरी बहन की ससुराल में कैसे पहुंच गए क्या आज तुमने दिन में ही बियर पी ली है ।"
अंकिता को किसी बड़ी लंबी गाड़ी वाले से बात करते हुए देखकर अंकिता की बड़ी बहन सीमा भी वहां पहुंच जाती है और वहां पहुंचते ही उसकी नज़रें सिद्धार्थ से मिलने के बाद वह सर्दी के मौसम में पसीने पसीने हो जाती है, क्योंकि उसे सिद्धार्थ उसके बड़े भाई नंदू की तरह दिखाई दे रहा था।
लेकिन अंकिता अपनी बहन सीमा पर ध्यान दिए बिना सिद्धार्थ विक्रम को चाय पीने के लिए घर के अंदर लेकर आ जाती है और चाय पीते पीते जब भी सिद्धार्थ अंकिता की बहन सीमा की तरफ अपने मृत भाई नंदू की तरह देखता था, तो सीमा डर से सहम जाती थी और वह एक ही बात बार-बार सोचती थी कि "सिद्धार्थ जल्दी से जल्दी मेरे घर से जाएं।"
लेकिन जब विक्रम कहता है कि "मैं तो आज की रात अपनी बहन के घर रुकूंगा।" तो बीमार सिद्धार्थ को अकेले घर भेजने की जगह अंकिता सिद्धार्थ से कहती है "घर पहुंचते पहुंचते तुम्हें बहुत रात हो जाएगी, इसलिए आज की रात यहीं रुक जाओ।"
तो अपनी बहन अंकिता की यह बात सुनकर सीमा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है, क्योंकि उसे महसूस हो गया था कि सिद्धार्थ के अंदर उसका बड़ा भाई नंदू छुपा हुआ है और आज रात उसका पति विशाल भी घर पर नहीं है।
अंकिता को सिद्धार्थ इसलिए बदला बदला लग रहा था, क्योंकि वह सोच रही थी कि सिद्धार्थ उसके लिए यहां तक आया है, लेकिन वह मेरी परवाह किए बिना मेरी बहन सीमा पर ज्यादा ध्यान दे रहा है, जैसे सीमा जब रसोई घर में जाती थी तो सिद्धार्थ उसके पीछे-पीछे रसोई घर में पहुंच जाता था और जब सीमा छत पर सूखे हुए कपड़े उतारने गई तो सिद्धार्थ छत पर पहुंच गया था।
सिद्धार्थ की इन अजीबोगरीब अनोखी हरकतों का जिम्मेदार अंकिता अपने को समझ रही थी, क्योंकि उसने दिवाली की शॉपिंग उसके साथ करने का वायदा किया था और दिवाली का त्यौहार साथ में धूमधाम से मनाने कि कहा था और सिद्धार्थ विक्रम को पसंद नहीं करता था, उसको अपनी बहन सीमा के घर आकर अपने साथ दिवाली मनाने का मौका दे दिया था।
परंतु जब सिद्धार्थ कहता है कि "मैं सीमा के कमरे में सोऊंगा बहुत सालों से सीमा के बिना मैं अकेले श्मशान घाट में सो रहा हूं।" तो सिद्धार्थ की यह बात अंकिता को पहले मजाक लगती है, किंतु जब वह अपनी बात पर अड़ जाता है, तो अंकिता सोचती है, यह एक ही दिन में अचानक सिद्धार्थ को क्या हो गया है, इसकी तो मानसिक स्थिति बिल्कुल ही खराब हो गई है।
लेकिन सीमा अब तक पूरी तरह समझ चुकी थी कि सिद्धार्थ के शरीर में उसके मृत भाई नंदू कि आत्मा घुस गई है और नंदू की आत्मा मेरे साथ मिलन ना होने की वजह से शायद आज तक भटक रही है।