The Author Kavya Soni Follow Current Read काव्यजीत - 6 By Kavya Soni Hindi Poems Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books दीपोत्सव प्रभु श्री राम,सीता जी और लक्ष्मण जी अपने वनवास में आजकल दंड... बैरी पिया.... - 47 शिविका जाने लगी तो om prakash ne उसका हाथ पकड़ लिया ।" अरे क... राइज ऑफ ज्ञानम ज्ञानम (प्रेरणादायक एवं स्वास्थ्य ज्ञान)उपवास करने और मन्दिर... नक़ल या अक्ल - 74 74 पेपर चोरी डॉक्टर अभी उन्हें कुछ कहना ही चाहता है कि तभी... शून्य से शून्य तक - भाग 34 34=== आशी पन्नों पर पन्ने रंगती जा रही थी, अपने... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Kavya Soni in Hindi Poems Total Episodes : 6 Share काव्यजीत - 6 (1) 1.7k 4.2k 1.ये जो दर्द मीठा सा हैबेचैन से अहसास हैबहके से मेरे जज़्बात हैखुमारी उसके इश्क की हैप्यार नैन की चाहत उसका दीदार हैजो नज़रों के सामने वो आ जाएदिल ये पाए करार हैक्या ये ही प्यार है?हमसफ़र बनने को वो भीक्या ऐसे ही बेकरार है?उसकी इजहार ए मुहब्बत कादिलबर इंतजार है 2.तुम क्यों इतना याद आते होदिल को बेचैन कर जाते होमैं चंचल तितलियों सीक्यों दिल में अपने कैद किए जाते होखुले गगन में मेरा ठिकानामैं क्या बनू किसी का आशियानामेरी चाहत ना बन तू दीवानाखुशियां ना तुम पाओगेमुझे अपनी ख्वाहिश जो बनाओगेना बन तू परवानावरना एक दिन तुम्हे है जल जानाना बांध तू अपने मन सेतड़प और बेचैनी पाओगे जीवन सेतुम खामोश दरिया लगते हैमैं मचलती लहर सीक्यों इतना याद करते होक्यों तुम याद आते होबेचैन सा मन कर जाते हो3.हर किसी ने छोड़ा मेरा साथजिंदगी तू क्यों नहीं हो जाती नाराज़छोड़कर तू भी चली क्यों नहीं जातीकिस वजह तू छोड़ नहीं पातीया दर्द और तड़प मेरी देखखुशियां तू है पातीदो चेहरों का भार ना अब हमसे उठाया जाएदिल में दर्द का तूफान समेटेअब ना हम मुस्कुराया पाएकदर ना करे किसी तोसुना है खुदा हमसे वो छीन लेते हैबेमतलब बेवजह सी ये जिंदगीतुमसे मुझे जुदा क्यों भी करते है बेबसी जो दी जो रब ने सौगातबेजान दिल देते ना पनपने देतादिल में एहसासए जिंदगी तुझे देते है इजाजतछोड़ जा तू ना रही तुमसे हमे कोई चाहत4.सुनोदिल में मेरे जो है बोल दूं सारे जमाने को बताकरराज़ ए मुहब्बत खोल दूं थामे जो तू हाथ मेरातेरे रंग में रंग जाऊंबंधन इस जग के सारे मै तोड़ दूंजिंदगी मेरी उदास हैखुशियों पर मेरा भी हो जाए इख्तियारप्रीत डोर जो तुमसे मै जोड़ लूतेरे लिए प्रीत लिखने दिन गुजर जाएरातें भी बीते तेरे ख़यालो मेख्वाबों की राह तेरी तरफ जो मै मोड़ लूचाहत ,ख्वाहिशें , सुकून ,राहतें तुमसे मुझे मिले तमामसाथ तेरा जो मिले इस जग मै छोड़ दूंकर दूं जिंदगी अपनी मै तेरे नाम.5.बड़े दिनों बाद दिल में ये ख्याल आयाक्यों न खुद का लिखा पढ़ा जाएखोकर वक्त के आगोश मेंबीते लम्हों में गुम रहे फिर होश मेंकुछ पन्ने पढ़े हमनेकवियत्री होने के ख्याल मेंभ्रम पाले बैठे थे जहन मेंभ्रम टूटते जरा भी देर ना लगीहर पन्ने पर एहसासों कीकहानी थी सजीहर पन्ने को जब जोड़ातू ही मिला कही ज्यादा कही थोड़ातुमसे ही हर लफ्ज़ की थी शुरुआततुम पर हर अल्फ़ाज़ का था अंजामफिजाओं में भी तेरे अहसास की मिली सरगोशियांहर लफ्ज़ तोड़े ये खामोशियांमहक तुम्हारी तेरे ख्यालों में खींच कर ले जाएखुद को तुझमें ढूंढती मैं तुझमें ही दिल खो जाएंकैसे तुम्हे बताएं शब्दो को तू शायद ना समझ पाएहर अहसास हर बात तुमसे ही जुड़ीमेरे शब्दो की लड़ियां तेरी राह ही मुड़ीमेरी हर कविता कहानी में तुमशायरा होने के वहम से बाहर निकले आज हम ‹ Previous Chapterकाव्यजीत - 5 Download Our App