Rajkumari Shivnya - 13 in Hindi Mythological Stories by Mansi books and stories PDF | राजकुमारी शिवन्या - भाग 13

The Author
Featured Books
  • जर ती असती - 1

    असं म्हणतात की, मनुष्य जेव्हा जन्माला येतो तेव्हाच हे ठरून ज...

  • नियती - भाग 33

    भाग 33इकडे मायरा अश्रू गाळत... डाव्या हातात ओढणी घेऊन डोळे प...

  • वाटमार्गी

    वाटमार्गी       शिदु देवधराच्या तांबोळातल्या कलमाना आगप फूट...

  • परीवर्तन

    परिवर्तन राजा चंडप्रताप नखशिखांत रक्‍ताने भरत्ला होता. शत्रू...

  • स्कायलॅब पडली

    स्कायलॅब पडली                           त्यावर्षी ११ जुनला श...

Categories
Share

राजकुमारी शिवन्या - भाग 13

भाग १३

अब तक आपने देखा कि राजा विलम ने राजकुमारी शिवन्या के कहने पर साधु का अपमान करने वाले उस दुराचारी आदमी को कारावास में रहने की सजा दी , अब आगे की कहनी देखते है।

राजकुमारी शिवन्या सभा समाप्त होते ही अपने कक्ष में चली गई , वह आज पूरे नगर में खुले पाव से चली थी उपर से इतनी गर्मी थी जमीन काफी गरम थी इस वजह से उनके पाव में छाले हो गए थे , वह अपने कक्ष में जाकर थोड़ी देर विश्राम करने लगी तभी वहां रानी निलंबा एक पीले रंग का लेप ले कर शिवन्या के कक्ष में आती है, शिवन्या अपनी माता को देख कर उठने वाली होती है तभी रानी निलंबा कहती है आप लेटी रहिए पुत्री मुझे पता है आपके पैरो में बहुत छाले हो गए है, ओर वह आपको पीड़ा दे रहे होंगे इसलिए में आपके लिए यह आयुर्वेदिक लेप ले कर आई हु इससे छाले ठीक हो जाएंगे ओर आपको बेहद आराम मिलेगा।

तभी राजकुमारी शिवन्या कहती है ,ठीक है माता आप लाई है तो लगा भी दीजिए, रानी निलंबा ने हाथ में लेप लिया और शिवन्या के पैरो में आहिस्ता आहिस्ता लगा दिया अब शिवन्या को पहले से अच्छा लग रहा था, रानी निलंबा कहती है राजकुमारी मुझे आपसे कुछ महत्वपूर्ण विषय पर बात करनी है , उस पर शिवन्या कहती है तो कहिए ना माता क्या बात है कुछ हुआ है क्या?

रानी निलंबा कहती नही नही कुछ हुआ नहीं है परंतु पुत्री आपने मुझसे कहा था कि आप शादी के लिए लड़का दिखेंगी आपको स्मरण तो है ना , शिवन्या बोलती है जी अवश्य ,मुझे पता है मेने कहा था तब रानी ने कहा कल आपको देखने के लिए एक राजकुमार और उनके माता पिता हमारे महल आने वाले है क्या आप वह राजकुमार को देखने के लिए तैयार है ?? उस पर शिवन्या कहती है जी में वह राजकुमार को देखने के लिए अवश्य तैयार हु किंतु मेरी एक शर्त है, यह बात सुनकर रानी निलंबा कहती है कैसी शर्त पुत्री? तब शिवन्या कहती मुझे अगर उसमे एक राजकुमार में होने वाले सारे गुण देखे तो ही में उसे पसंद करूंगी वरना में मना कर दूंगी।

रानी कहती है हा तो ठीक है हमे भी मंजूर है लेकिन आप उनके सामने मना मत कीजिएगा मुझे कोई इशारा कर देना तो में समझ जाऊंगी और आपसे एक ही विनती है पुत्री आप उनके सामने एक संस्कारी , सुशील ओर समझदार राजकुमारी बन कर आना कही उनके सामने भी कोई शरारत मत कर देना। राजकुमारी शिवन्या रानी के कान के पास गई और बोली वो तो कल सोचूंगी यह कह कर हस कर अपनी तलवार बाजी का अभ्यास करने पास ही के एक मैदान में भाग कर चली गई ,ओर रानी निलंबा मन में कहती है पता नही ये कब सुधरेगी और कहा, है शिव जी अपनी इस नटखट शिवन्या के साथ हमेशा रहना🙏।

शिवन्या मैदान के बीचों बीच जा कर खड़ी हो गई और अपनी तलवार को जोर जोर से चला कर अभ्यास करने लगी, उनका अभ्यास जारी ही था, तभी वहा पर एक राजकुमार जैसा दिखने वाला नौजवान गुजर रहा था वह अकेला जा रहा था, तभी उसने दूर से देखा एक लड़की जोर जोर से तलवार चला रही है, उसने थोड़ी देर वहा पर शिवन्या को तलवार चलाते हुए देखा , शिवन्या अपना अभ्यास करने में व्यस्त थी फिर भी उनको पता था की कोई लड़का उसे दूर से देख रहा था।

शिवन्या ने अपना अभ्यास रोका और उस लड़के को देखा और इशारे से उसे पास बुलाया , वह लड़का शिवन्या के पास जाता है।

इस कहानी को यही तक रखते है दोस्तो कहानी का अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊