नया आशियाना
शेखर एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट था . वह एक छोटे शहर में अपनी पत्नी लता और दस साल की बेटी रेणु के साथ एक मकान में रहता था . वह एक छोटा मकान था जो उसकी पैतृक संपत्ति थी . शेखर का वेतन ज्यादा नहीं था पर इतना भी कम नहीं था कि उसकी जरूरतें पूरी न हों .
एक बार बरसात के दिनों में मोहल्ले में पीलिया रोग फ़ैल रहा था . लता भी इसी रोग की शिकार हुई और चंद दिनों में उसका निधन हो गया . मरने के पहले अपने पति से कहा “ मैं तो बचने वाली नहीं हूँ . रेणु का ख्याल रखना . उसकी परवरिश अच्छी तरह करना और शादी अच्छे घर में करना . “
रेणु की मामी ममता उसी शहर में कुछ दूरी पर रहती थी . ममता विधवा थी और उसकी एक बेटी थी . उसकी बेटी का ब्याह हो गया था , वह किसी अन्य शहर में रहती थी . लता के देहांत की सूचना मिलते ही वह शेखर के घर आयी . लता की अंतिम क्रिया सम्पन्न होने के कुछ दिनों बाद तक ममता कुछ दिन वहीँ रही . उसके बाद वह बोली “ शेखर अब मुझे जाना होगा . तुम अकेले रेणु की देखभाल नहीं कर पाओगे इसलिए अभी मैं रेणु को साथ ले कर जा रही हूँ . जब तक कोई पुख्ता इंतजाम नहीं कर लेते रेणु मेरे ही पास रहेगी . “
“ पुख्ता इंतजाम मतलब ? “ शेखर ने पूछा
“ मेरी मानो तब लता की वर्षी पर उसका श्राद्ध करने के बाद तुम शादी कर लो . अभी रेणु बच्ची है , उसकी और तुम्हारी दोनों की देखभाल करने वाली चाहिए . फिर तुम्हारी गृहस्थी की गाड़ी फिर से पटरी पर आ जाएगी . “
ममता रेणु को ले कर अपने घर आयी . एक साल बाद शेखर ने दूसरी शादी की . उसकी नयी बीबी का नाम कमला था . शुरू में एक दो साल तक कमला ने रेणु का ख्याल रखा पर उसने भी दो बच्चों को जन्म दिया , एक बेटी रमा और छोटा बेटा अमन . कमला की बेटी सुंदर थी , वह अपनी माँ पर गयी थी जबकि रेणु रंग रूप दोनों में साधारण थी . कमला अब अपने बच्चों की देखभाल में रेणु को भी लगा देती . रेणु जब कभी बोलती “ माँ , मुझे पढ़ाई करनी है . “
तब कमला का ताना सुनने को मिलता “ भगवान् ने रंग रूप तो दिया नहीं है . तुम क्या समझती हो तेरी पढ़ाई देख कर कोई तुम्हें ब्याह ले जायेगा . “
जैसे जैसे रमा बड़ी होती गयी रेणु का तिरस्कार वह भी करने लगी थी पर उसका छोटा भाई अमन का व्यवहार अच्छा था . वह रेणु से अपनी पढ़ाई में मदद मांगता और रेणु उसकी सहायता करती और उसे प्यार भी करती . रेणु जब बी. कॉम फाइनल में थी उसके पिता की मृत्यु हो गयी . उन्हें दिल का दौरा पड़ा था . मृत्यु के पहले उन्होंने रेणु से कहा था “ बेटे , अब तुम ही इस परिवार की नैया संभाल सकती हो . मेरे बाद अपनी माँ और छोटे भाई बहन का ख्याल रखना . आगे भगवान् को जो मंजूर . “
संकट की घड़ी में एक बार फिर ममता मामी ने आ कर सबकी मदद की और कुछ दिनों तक शेखर के परिवार का साथ दिया .
शेखर के गुजर जाने के बाद अब चार जनों की जिम्मेदारी सबसे बड़ी बेटी रेणु पर आना तय था . शेखर की बीबी पढ़ी लिखी नहीं थी . शेखर की कंपनी से कुछ रुपये मिले थे जिससे कुछ महीनों तक परिवार का गुजारा हो जाता पर इसके आगे बहुत कुछ करना बाकी था . घर के खर्च के अलावा रेणु , रमा और अमन की पढ़ाई लिखाई और शादी के खर्चे . रेणु ने उस कम्पनी में जा कर मैनेजर से बात की .
मैनेजर ने पूछा “ तुम कहाँ तक पढ़ी हो ? “
“ सर , अगले महीने मेरी B.Com फाइनल की परीक्षा है . “
“ यह तो बहुत अच्छी बात है . तुम एग्जाम समाप्त होते ही मुझ से मिलो . एक महीने की ट्रेनिंग लेनी होगी , उस दौरान तुम्हें एक फिक्स्ड स्टाइपेंड मिलेगा . उसके बाद एक डिपार्टमेंटल टेस्ट देना होगा . अगर तुम क़्वालीफाई कर गयी तब तुम्हें असिस्टेंट अकाउंटेंट का जॉब ऑफर किया जायेगा . होप यू कैन डू इट .”
“ मैं प्रयास करूंगी सर . “
गुड , बेस्ट ऑफ़ लक . अब तुम जा कर अपनी परीक्षा की तैयारी करो . “
रेणु के मन में एक आस जगी कि उसे यह नौकरी मिलने की संभावना है . “
एक महीने बाद रेणु ने पिता के दफ्तर में ट्रेनिंग शुरू किया . उसके एक महीने के अंदर उसने डिपार्टमेंटल टेस्ट दिया और क़्वालीफाई किया . फिर जब वह मैनेजर से मिली तो उसने कहा “ गुड , तुम्हारा ऑफर एक सप्ताह के अंदर तुम्हें मिल जायेगा , बार बार ऑफिस की दौड़ लगाने की जरूरत नहीं है . ज्वाइन करने के पहले तुम्हें एक अंडरटेकिंग देनी होगी कि दो साल के पहले तुम नौकरी नहीं छोड़ सकती हो वरना तुम्हें पूरे दो साल का वेतन लौटाना होगा . समझ गयी न ? “
“ यस सर , उसकी नौबत नहीं आएगी . “
इस के 15 दिनों के अंदर रेणु ने जॉब ज्वाइन किया . रेणु का वेतन अच्छा ख़ासा था , इतना कि घर के खर्चों के बाद कुछ बचत भी हो जाती थी . हाँ , बचत के लिए रेणु ने अपना निजी खर्च बस अपनी बुनियादी जरूरतों तक सीमित रखा और अपने ऊपर एक पैसा भी बेकार खर्च नहीं होने दिया . भाई बहन दोनों की पढ़ाई भी अच्छे स्कूल में हो रही थी .
अभी रमा अट्ठारह साल की भी नहीं हुई थी कि कमला को अपनी बेटी की शादी की चिंता सताने लगी जबकि रेणु तीस के करीब थी . कमला का कहना था रेणु पहले भाई बहनों को सैटल होने दे फिर उसकी शादी की बात होगी . उसको डर था कि रेणु शादी के बाद ससुराल चली जाएगी और शायद उसकी कमाई पर उनलोगों का हक़ नहीं रह जायेगा . कमला कहती कि जब उसका अपना बेटा अमन नौकरी करने लगे तभी रेणु को अपनी शादी की बात सोचनी चाहिए हालांकि स्वयं रेणु के मन में अपनी शादी की बात अभी तक आयी भी न थी . वह तो अपने पिता के कहे गए अंतिम बातों पर खुद अमल कर रही थी .
इधर कमला चुपचाप रमा की शादी ठीक करने में लगी थी . हालांकि रमा में कोई अच्छी बात नहीं थी सिर्फ इसके अलावा कि वह देखने में सुंदर थी फिर भी आजकल सीरत से ज्यादा सूरत की कद्र होती है . रमा की शादी जल्दी ही तय हो गयी पर इस बात की भनक अभी तक रेणु को नहीं लगी थी . सब ठीक कर जब कमला ने रेणु से पैसों का इंतजाम करने के लिए कहा
.
रेणु ने कहा “ अचानक पैसे कहाँ से लाऊँ ? आपने पहले क्यों नहीं बताया था ? ऑफिस से लोन लेना होगा . दो सप्ताह तक लग सकते हैं .”
खैर रेणु ने दस दिनों के अंदर ऑफिस से रुपयों का इंतजाम कर दिया . “
एक दिन रेणु मामी के यहाँ गयी तब उसने रेणु से कहा “ दो दिन बाद शाम में रमा की सगाई है . “ तब जा कर उसे सगाई वाली बात पता चली . खैर रेणु को इस से कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था .
अगले दिन उसकी सौतेली माँ ने कहा “ कल तुम दफ्तर से छुट्टी ले लेना , रमा की सगाई है . “
रेणु ने कहा “ हाँ , मैंने हाफ डे छुट्टी की अर्जी दे दी है , सगाई शाम को है न ? “
“ हाँ , पर तुम्हें किसने कहा ? “ कमला ने पूछा
“ मामी ने , आपने तो पहले की तरह कुछ नहीं बताया मुझे . “
“ उनका का काम ही ऐसा होता है , इधर उधर की बात कर मुझे बदनाम करना . “
“ नहीं , मामी ऐसी नहीं हैं , उनके मन में कोई खोट नहीं है . आपने शादी तय किया , उसके लिए मुझसे रूपये भी लिए और शादी या सगाई के प्रोग्राम के बारे में मुझसे बात करना भी जरूरी नहीं समझा . खैर छोड़िये मुझे आपसे इसकी उम्मीद नहीं करनी चाहिए , वैसे मामी हम सभी का बराबर ख्याल रखती हैं , उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है . “
“ ठीक है , ठीक है बड़ी आई मामी वाली . ये लिस्ट लो और शाम को लौटते समय सगाई के लिए कुछ सामान लेती आना . “ बोल कर कमला ने एक पेपर रेणु को दिया और रेणु ने चुपचाप उसे ले लिया
रमा की सगाई हुई और उसके कुछ ही दिनों के बाद उसकी शादी भी हो गयी . रमा अपने ससुराल चली गयी . रेणु ने भी यह सोच कर चैन की सांस ली कि उसकी एक बड़ी जिम्मेदारी पूरी हुई .रेणु पहले की तरह अपना काम करती . अब उस पर अपनी माँ और छोटे भाई की जिम्मेदारी रह गयी थी .
एक दिन दफ्तर से लौटते समय शाम को रेणु अपनी मामी से मिलने गयी . वह बहुत थकी थकी लग रही थी . मामी ने उसे प्यार से चाय नाश्ता कराया फिर समझाया “ रेणु , एक बात कह रही हूँ बुरा नहीं मानना . “
“ आपकी किसी बात का मैंने आजतक बुरा माना है क्या ? मेरा भला सोचने वाली एक आप ही तो हैं मामी . बिना संकोच के कहें . “
“ तेरी उम्र भी बत्तीस की हो गयी है . कब तक अपनी सौतेली माँ और भाई की चक्की में पिसती रहोगी . कभी अपने बारे में भी सोच . कभी तेरा मन नहीं करता कि जब ऑफिस से लौटे तो कोई तेरा हालचाल पूछे . प्यार के दो शब्द बोले तेरा दुःख दर्द बांटे या तेरी ख़ुशी में अपनी ख़ुशी ढूंढें . “
“ मामी मन तो बहुत कुछ चाहता है पर मेरी किस्मत में जो नहीं लिखा वो मुझे कहाँ से मिलेगा . “
“ सिर्फ किस्मत से कुछ नहीं मिलता है बल्कि उसके लिए सही दिशा में प्रयास करना होता है . “
“ तो मैं क्या करूं ? तुम ही बताओ . पापा ने अंतिम क्षणों में मुझे जो जिम्मेदारी दी थी उसे छोड़ कर भाग जाऊं ? “
“ मैं ऐसा नहीं कहती . अभी भी समय है , सिर्फ दूसरे का आशियाना न बना कर अपना घर भी बसा लो . वैसे अब कुछ जिम्मेदारी रमा भी उठा सकती है . मैंने कुछ सोचा है तेरे लिए . “ मामी ने कहा
रेणु बोली “ मामी , क्या सोचा है तुमने ? तुम हमेशा मेरा भला ही सोचती हो , मैं जानती हूँ . “
“ मेरी नजर में एक लड़का है . वह भी तुम्हारी तरह अभी तक अपने भाई बहनों को सेट्ल करने में लगा था . अब वह इन जिम्मेदारियों से मुक्त हो गया है . पर उसकी उम्र करीब 38 साल की है और बचपन से ही उसके एक पैर में कुछ खराबी है . एक पैर का पंजा थोड़ा मुड़ा हुआ है जिसके कारण कुछ लंगड़ा कर चलता है . वह बैंक में मैनेजर है और मेरी ससुराल का दूर का रिश्तेदार है . मैं उसे अच्छी तरह जानती हूँ , बहुत भला लड़का है . तेरे ऑफिस के ठीक सामने जो बैंक है न , उसी में मैनेजर है . “
“ ओह , उसे मैंने भी ऑफिस आते जाते देखा है . “
“ तो क्या मैं तेरे लिए उससे बात करूँ ? “
“ अभी नहीं , मुझे कुछ सोचने के लिए समय दो मामी . “
“ ठीक है , मैंने तुम्हे बस एक सलाह दिया है . बाकी सब सोच विचार कर के ही फैसला करना . मैं किसी तरह का दबाव नहीं दे रही हूँ . तुम फ्री हो अपना फैसला लेने के लिए .
कुछ दिनों बाद एक दिन जब रेणु ऑफिस से लौटी जो कमला ने कहा “ अगले सप्ताह रमा दामाद जी के साथ आ रही है . शादी के बाद पहली बार आ रही है . उसकी और दामाद जी की बिदाई में कुछ खर्च करना पड़ेगा . कल कुछ रुपये मुझे देना . “
पहली बार रेणु का धैर्य टूटा और उसने नाराज होकर कहा “ माँ , कभी पैसे के अलावा और कुछ बात किया है आपने ? कभी मेरी किसी एक भी जरूरत के बारे में सोचा है ? जब देखो पैसा पैसा , जैसे पैसे छापने की मशीन है मेरे पास . पापा ने तुम्हारे नाम से जो डिपाजिट किया था उसे तोड़ कर कुछ खर्च तुम भी कर सकती हो . “
“ उस डिपाजिट को मैंने अमन की शादी के लिए रखा है . बहू के लिए कुछ गहने आदि खरीदने के लिए . “
“ वाह , माँ वाह . बहुत अच्छा इन्साफ है आपका , बड़ा नेक इरादा है न . मुझे जिंदगी में कुछ नहीं चाहिए , बस कोल्हू के बैल की तरह पिसती रहूँ आप लोगों के लिए . मैं ऑफिस से पहले ही बहुत एडवांस ले चुकी हूँ , उसकी किश्त काट कर हाथ में पेमेंट कम ही मिलता है . अब मैं और बोझ नहीं सहन कर सकती हूँ . “
“ पैसे नहीं देने हैं तो नहीं देना . ज्यादा रोब नहीं दिखाओ . “ बोल कर पैर पटकते हुए कमला वहां से चली गयी
वैसे रेणु हमेशा अपना लंच घर से ही बना कर पैक कर लेती थी . उस दिन रेणु उसी कैंटीन में खाने गयी थी जहाँ बैंक मैनेजर रोज जाता था . इत्तफाक से सिर्फ एक चेयर खाली थी जो मैनेजर के सामने थी . रेणु ने जा कर पूछा “ क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ ? ”
बैठते हुए रेणु ने आई कार्ड पर उसका नाम देखा , मनोहर नाम था उस बैंक मैनेजर का
जी , श्योर “ मुस्कुरा कर उसने कहा और रेणु थैंक्स बोल कर बैठ गयी . रेणु ने काउंटर से कूपन खरीद लिया था , वेटर आ कर उस से कूपन ले गया . कुछ देर की खामोशी के बाद बैंक मैनेजर ने कहा “ मैंने पहली बार आपको यहाँ देखा है हालांकि सामने बस स्टॉप पर आपको उतरते हुए अक्सर देखा है . “
“ जी , मैं लंच बॉक्स घर से ले कर आती हूँ . आज किसी कारण देर होने से लंच नहीं ला सकी हूँ . “
“ कोई बात नहीं , मैं यहाँ रोज खाता हूँ . यहाँ का खाना अच्छा है और ये लोग सफाई पर पूरा ध्यान देते हैं . “
वेटर प्लेट दे गया . उस दिन कुछ ख़ास बात नहीं हुई , लंच के बाद रेणु ने उठ कर मनोहर को नमस्ते किया और वह अपने ऑफिस की ओर बढ़ी . तभी उसने देखा कि एक लड़का बस से उतरते समय गिर पड़ा , वह वहीँ रुक गयी . कुछ लोग तमाशा देख रहे थे पर मनोहर लंगड़ाते हुए ही उसके पास पहुँचा . तब तक लड़का उठ कर अपने कपड़े झाड़ रहा था . मनोहर ने देखा कि उसके दाहिने हाथ में खरोचें आईं थीं . वह बगल की केमिस्ट दुकान से बैंड एड स्ट्रिप ले आया और उसकी खरोंचे साफ़ कर उस पर स्ट्रिप लगा दिया . फिर कैंटीन से एक ठंडा लेमोनेड ला कर दिया और कहा “ बहुत गर्मी है , इसे पी लो और बोतल कैंटीन में लौटा देना . “
“ जी , आपने अनजाने के लिए इतना सब किया . बहुत धन्यवाद . “ लड़का बोला
इसके बाद रेणु अपने दफ्तर चली गयी . बाकी पूरे दिन मनोहर के बारे में मामी की कही बात उसे याद आने लगी . ऑफिस से लौटते वक़्त वह मामी के घर गयी . मामी ने पूछा “ तब तुमने कुछ फैसला किया ? “
“ किस बारे में मामी ? “ जानबूझ कर अनजान बनते हुए रेणु ने कहा
“ अरे उसी बैंक मैनेजर के बारे में ? “
“ ओ , तुम मनोहर की बात कर रही हो ? “
“ मैंने तो कभी मनोहर का नाम नहीं लिया है . लगता है उस से मिल चुकी हो . “
“ नहीं यह तो इत्तफाक था आज मैं लंच नहीं ले गयी थी और कैंटीन में एकमात्र खाली कुर्सी उसी के सामने थी . सो वहीँ बैठना पड़ा . उसके शर्ट पर आई डी कार्ड पर उसका नाम देखा था मैंने . “
“ चलो , अच्छा रहा . जो भी हो दोनों ने एक दूसरे को देख तो लिया . तब क्या सोचा है मनोहर के बारे में ? “
“ मामी , अब सोचना तुम्हें है . अपनी बात मैं खुद से तो नहीं करने वाली हूँ . “ रेणु ने शरमा कर कहा
“ ठीक है बाकी तुम अपनी मामी पर छोड़ दो . “
कुछ दिनों बाद मामी ने मनोहर और रेणु को एक होटल में मिलवाया . कुछ देर तक उन के साथ रही फिर दोनों को कुछ देर के लिए अकेले में बात करने के लिए छोड़ दिया . जब तक वह लौट कर आई दोनों की केमिस्ट्री मिल चुकी थी और दोनों विवाह के लिए तैयार थे . मामी ने रेणु से कहा “ अभी यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताना . “
एक महीने के बाद रेणु और मनोहर की शादी कोर्ट में होनी थी . शादी के एक दिन पहले मामी ने आ कर कमला से कहा “ कल रेणु की कोर्ट मैरेज है . वह कल रात से अपने पति के घर में रहने लगेगी . “
“ ऐसा अचानक नहीं हुआ होगा , सब आपका किया कराया है न . “
“ ऐसा है भी तो इसमें गलत क्या है ? रेणु और मनोहर दोनों ने शादी करने का फैसला किया है . “
“ वो आपकी ससुराल वाला लंगड़ा मनोहर जिसे मैंने बचपन में आपके यहाँ देखा था ? “
“ हाँ वही . और शायद शादी के बाद रेणु नौकरी करने की जरूरत भी न पड़े . “
“ अगर मैं रेणु की शादी ठीक करती तो कम से कम उस लंगड़े से तो नहीं होने देती . “ कमला ने मुँह बिचका के कहा
“ तुम्हारा बस चले तो तुम उसकी शादी ही नहीं होने देती . “
कमला पैर पीटती हुई वहाँ से चली गयी .
दूसरे दिन रेणु की शादी थी . मामी ने कमला और अमन को कोर्ट में आने को कहा था , साथ ही रमा के यहाँ भी खबर भेज दिया था . पर शादी के समय रेणु के घर से सिर्फ अमन आया था . उसने अपने जीजू को पैर छू कर प्रणाम किया फिर रेणु का पैर छूने के लिए झुका . रेणु ने बीच में ही उसे रोक कर गले लगाया . उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे . रेणु ने पूछा “ तुम क्यों रो रहे हो ? “
“ ये ख़ुशी के आँसू हैं दीदी ,आई विल मिस यू दीदी . “
शादी के बाद रेणु और मनोहर दोनों शाम को कमला का आशीर्वाद लेने आये थे . मनोहर अपनी कार से आया था . लौटते समय रेणु ने अमन से कहा “ अच्छे से पढ़ना , एक महीने बाद तुम्हारा बी ए फाइनल की परीक्षा है . “
अमन बोला “ दीदी तुम से एक रिक्वेस्ट है . “
“ कहो “
“ वैसे तो मैंने बी ए के बाद एम बी ए करने का सोचा था . पर अब यह संभव नहीं दिख रहा है . क्या तुम अपने दफ्तर में कोई नौकरी लगवा सकती हो . अब घर की जिम्मेदारी मुझ पर है न . मैं चपरासी की नौकरी भी कर सकता हूँ . “
रेणु ने कहा “ अरे पगले , ये किसने कहा है कि घर की जिम्मेदारी सिर्फ तुम पर है ? मैं हूँ न , तेरी बड़ी बहन ? मेरा अमन भी अफसर बनेगा , मैं बनाऊंगी डोंट वरी . “
मनोहर ने अमन का हाथ पकड़ कर अपने पास बुलाया और कहा “ तुम जहाँ तक पढ़ना चाहो पढ़ो , यह हम दोनों की जिम्मेदारी रहेगी . तुम सिर्फ मन लगा कर पढ़ो . तुम्हारी दीदी ने मुझ से यह बात पहले ही कर रखी है . तुम्हें अपनी दीदी पर भरोसा है न . “
“ प्लीज ऐसी बात न कहें . दीदी पर कोई भी आँख मूँद कर भरोसा कर सकता है . “ अमन ने अपने कान पकड़ कर कहा
“ तब तुम अपनी पढ़ाई जारी रखो .तुम सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो बाकी अपनी चिंताएं हम पर छोड़ दो . हम सब तुम्हारे साथ हैं . अच्छा अब दीदी को अपने नए आशियाने ले जाने दो मुझे . “
रेणु मनोहर की कार में बैठ कर अपने नए आशियाने की तरफ चल पड़ी .
समाप्त
नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है .