ignorant of life in Hindi Motivational Stories by Rakesh Rakesh books and stories PDF | जान के अंजान

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जान के अंजान

कभी एक महीने कभी एक सप्ताह कभी एक दिन कभी एक घंटा मिनट या पल के बाद राम के जीवन में विकट समस्या आ जाती थी।

राम सारे भगवानों से प्रार्थना कर चुका था कि भगवान मेरे जीवन को भी दुनिया के बाकी लोगों जैसा बना दें, समस्याएं तो आए, लेकिन इतनी विकट ना आए जिनका हल करना मेरे बस में ना हो, लेकिन कोई भी भगवान उसकी इस प्रार्थना को नहीं सुनता था।

वैसे वह अपनी पत्नी गेंदा से किसी भी बात की सलाह नहीं लेता था, क्योंकि वह अनपढ़ गंवार थी, लेकिन वह इस बार सोचता है, "बुजुर्ग कहते हैं कि कभी कभी अनजाने में अनपढ़ सीधे-साधे लोग भी ऐसी सलाह दे देते हैं, जो बड़े से बड़े विद्वान भी नहीं दे पाते हैं।"

इसलिए वह रात को खाना खाकर अपनी पत्नी से कहता है "मां के पैरों की मालिश आज रात जल्दी करके मेरे पास आ जाना।" राम की मां की टांगों में जोड़ों का दर्द रहता था।

बहुत दिनों बाद अपने पति की मीठी वाणी सुनकर गेंदा बहुत खुश हो जाती है, इसलिए वह उस रात अपनी सास की टांगों की उल्टी सीधी मालिश करके अपने पति राम के पास पहुंच जाती है।

और राम उससे पूछता है? "मैं किस भगवान की भक्ति करूं, जिससे कि मेरे जीवन में ऐसे संकट ना आए, जिनका हल करना मेरे बस में नहीं होता है जैसे कि साहूकार का कर्जा ब्याज के साथ कैसे उतारू जो मैंने अपनी और छोटी बहन की शादी के लिए लिया था, मां की जोड़ों की बीमारी का ईलाज गांव के वैध से करवाऊ या शहर के बड़े अस्पताल लेकर जाऊ, अगर शहर के बड़े अस्पताल लेकर जाऊं तो लाल जी की दुकान से छुट्टी कैसे लूं, जहां मैं नौकरी करता हूं, इसके अलावा पूर्वजों के हाथों से बने पुराने मकान को तोड़कर नया बनवाऊं या मकान की मरम्मत करके दस पांच साल ऐसे ही रहने दूं या और नया कर्जा साहूकार से ले लू।"

राम की पत्नी बिना सोचे समझे राम कि विकट समस्याओं का तुरंत हाल बता देती है कि "आप पागल होने का नाटक कर लो।"

"इससे क्या होगा।" राम पूछता है?

"आपको पागल समझ कर गांव का साहूकार अपना कर्जा किस से वसूल करेगा, क्योंकि कर्जा अपने लिया था, आपकी मां बुजुर्ग है, मैं अनपढ़ जाहिल बेरोजगार हूं और टूटे-फूटे मकान को लोग देखकर यह भी नहीं कहेंगे कि अपने बुजुर्गों के मकान को खंडहर बना दिया क्योंकि आप तो पागल हो और गांव में कोई तो ऐसा भला मनुष्य होगा, जो आपकी मां को पागल की मजबूर गरीब दुखी मां समझ कर आपकी मां का ईलाज करवा देगा और खाने-पीने की बात रही आपकी मां को दुखी बुढ़िया समझ कर कोई ना कोई खाना खिला दिया करेगा और आपको पागल समझ कर तरस खा कर खाना खिला दिया करेगा, रही मेरी बात में जवान हूं, कोई ना कोई मनचला मुझे अपने घर में रख लेगा, इसलिए मेरी बात को समझो क्योंकि बेचारे पागल दुनिया में होते हुए भी दुनिया में नहीं होते हैं।"

राम सोचता है कि "जिसे मैं आज तक अनपढ़ कम बुद्धि की समझता था, उसने मुझे इतना बड़ा ज्ञान दे दिया, मौत के बाद दुनिया की सारी समस्याएं रिश्ते नाते सब खत्म हो जाते हैं, लेकिन कोई भी इंसान मरना नहीं चाहता है, फिर क्यों मनुष्य जीने के लिए जीवन की सारी समस्याओं का डटकर मुकाबला क्यों नहीं करता है, यह बात मूर्ख विद्वान दोनों को समझ आती है।"