कभी - कभी लगता है की ।
हम कब कहा ओर किससे मिलेंगे ये सब नियति तय करती है ।
BY THE WAY I AM A.J.
ABHIMANYU JOSHI ....
मै एक मिडल क्लास फेमिली से बिलोंग करता ।
एक खतरनाक ओर भयंकर फॅमिली ।
क्युकी हमारे यहा कोई बात सीधी तरीके से होती ही नहीं ।
इनवेंटसन हो या शादी पहले रहेता है ।
धूम धड़ाका ओर ऑर्केस्ट्रा ।
कुछ भी कहेलो पर ऐसी फेमिली सब को नहीं मिलती ।
या फिर भगवान ऐसी फेमिली किशिकों ना दे ।
MOST DRAMATIC FEMILY IN THE WORLD .
बोले तो बाबू कुछ समज नहीं आ रहा ।
मेरा तो दिमाग घुमरेल रे बाबा ।
अगर अनुपमा ने हमारे बीच जन्म लिया होता तो वो तो कब की गुजर चुकी होती ।
हमारे यहा शादी ओर प्रसंगों मे गेंग वॉर छिड़ जाता है ।
जैसे बुआ की गेंग अलग ओर चाची की गेंग अलग ।
बीच वाले बिचारे खामखा पीस जाते है ।
ना इधर के ओर न ही उधर के ।
हमारे गुजराती मे बोले तो ।
" ધોબી નો કુતરો ના ઘર નો ના ઘાટ નો "
ये तो रहा मेरा परिचय आई अब जानते है ।
मेरी प्रियतमा के बारे मे ।
आज मैंने उसे पहेली बार देखा था ।
मानो की जैसे खुदा ने पूरा खूबसूरती का खजाना ही खाली करके उसे बनाया हो ।
वो रेशमी जुलफ़े , जील सी आंखे ।
एक दफा तो ऐशा लगता था जैसे ।
कोई ख्वाबों की मल्लिका आज वक्त निकालकर स्वर्ग से पृथ्वी पे आई है ।
मै उसके ख्वाबों मानो खोने ही वाला था की ।
तबही मुजे आवाज सुनाई दी ।
हेय प्रिया मीट माइ ब्रो अभिमन्यु ।
हाय मे प्रिया ।
प्रिया पटेल ।
बस नाम सुनके ही दिल गार्डन गार्डन हो गया ।
जितनी खुशी उसको लेकर नहीं थी ।
उससे भी ज्यादा खुशी उसके नाम को लेकर थी ।
क्यू जानते हो ।
કેમ કે તે ગુજરાતી છે .
बस ऐसे ही मै एक शादी मे उससे मिला था ।
ओर बस पूरा दिन उसे ही देखता रहा ।
पता नहीं कब जाने शादी पूरी हो गई ।
तबही दिव्यानशी मेरे पास आई ओर बोली ।
शादी तो हो गई ।
अब क्या खुद की राह देख रहा है ।
अगर बोले तो प्रिया से करवादु ।
दिव्या की बच्ची ।
आज कल बहोत बोलने लगी है तू ।
इतना कहेकर मैंने बात को टाला ।
पर उस दिन से ऐशा लगा की अगर उससे मिलना है ।
तो दिव्यानशी को समजाना पड़ेगा ।
आखिरकार थी तो मेरी बहन ।
बिचारी कब - तक उसके बारे मे मुजसे छुपाती ।
उस दिन से मेरा एक ही मिसन रहा ।
मिसन " KNOW ABOUT PRIYA PATEL "
उसके लिए इतनी महेनत की ।
अगर इतनी महेनत किसी ओर के लिए करता तो आज जासूस हो जाता ।
बहोत मन्नते करके दिव्यानशी को मनाया ओर प्रिया के बारे मे पता लगाया ।
पर ये क्या उसकी फेमिली भी अपुन के जैसी ही थी ।
ये तो नहेले पे दहेला हो गया ।
मानो चाँद को ग्रहण लग गया ।
हमारे गुजराती मा बोले तो ।
" શૂરી વચ્ચે સુપારી "
क्या इस फाफड़े ओर जलेबी की प्रेम कहानी पूरी होगी जानने के लिए पढिए ।
गलिया भाग- २