Wo Maya he - 81 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 81

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वो माया है.... - 81



(81)

अदीबा ने अपनी रिपोर्ट्स की सीरीज़ से अब तक पाठकों को बांध कर रखा था। उसने अपनी सीरीज़ में पुष्कर और दिशा की प्रेम कहानी, उनकी शादी में आई दिक्कतों, माया के श्राप के कारण पुष्कर के घर के माहौल के बारे में बताया था। उसने लिखा था कि इस सबके बीच पुष्कर ने किस तरह दिशा का साथ दिया था। उसके बाद पुष्कर की दुखद हत्या और उसके कारण दिशा के जीवन के खालीपन के बारे में लिखा था। बहुत से लोग इन रिपोर्ट्स को पढ़ने के बाद दिशा के लिए हमदर्दी महसूस कर रहे थे।
दिशा और पुष्कर के साथ विशाल भी चर्चा में था।‌ उसके साइकोलॉजिकल टेस्ट की बात सुनने के बाद सब यह जानना चाहते थे कि उसकी समस्या क्या है ? सभी को साइकोलॉजिकल टेस्ट की रिपोर्ट का इंतज़ार था।
अदीबा विशेष जांच अधिकारी साइमन मरांडी द्वारा बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में आई थी। उसके अलावा कुछ स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के अखबारों के रिपोर्टर मौजूद थे। प्रिंट मीडिया के अलावा टीवी और डिजिटल मीडिया के पत्रकार भी वहाँ मौजूद थे। साइमन ने कहा था कि वह विशाल की गिरफ्तारी और उसके साइकोलॉजिकल टेस्ट के बारे में मीडिया से बात करेंगे। सबको इंतज़ार था कि कब साइमन और उसकी टीम मीडिया से बातचीत करने आएंगे।
कुछ इंतज़ार के बाद साइमन और इंस्पेक्टर हरीश मीडिया के सामने आए। सबसे पहले साइमन ने विशाल और कौशल की गिरफ्तारी के बारे में बताया। मीडिया को बताया कि विशाल ने कौशल को पुष्कर की हत्या करने की सुपारी दी थी। जिस टैक्सी से पुष्कर और दिशा जा रहे थे उसका ड्राइवर इस्माइल भी कौशल से मिला हुआ था। सारी बात विस्तार से बताने के बाद साइमन ने कहा कि इस अपराध के लिए पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। कुछ दिनों में उन पर मुकदमा चलेगा। यह बताने के बाद साइमन ने कहा कि कौशल हत्या करने के इरादे से ही पुष्कर के पीछे गया था। किंतु वह ऐसा कर नहीं पाया। यह सुनते ही वहाँ उपस्थित मीडिया के लोगों में सुगबुगाहट शुरू हो गई। एक पत्रकार ने सवाल किया,
"सर कौशल पुष्कर की हत्या के इरादे से गया था। पुष्कर की हत्या के समय कौशल वहाँ मौजूद भी था। फिर आप किस आधार पर कह रहे हैं कि उसने हत्या नहीं की।"
साइमन ने बड़े शांत तरीके से जवाब देते हुए कहा,
"पुष्कर की हत्या एक धारदार हथियार से हुई थी। कौशल ऐसा कोई हथियार लेकर नहीं गया था। उसका प्लान तो गोली मारकर हत्या करने का था।"
उसी पत्रकार ने दूसरा सवाल किया,
"पर इस आधार पर तो नहीं कहा जा सकता है कि उसने हत्या नहीं की। वह पुष्कर की हत्या के इरादे से आया था। यह बात उसने खुद स्वीकार की है। रही धारदार हथियार की बात तो हो सकता है कि उसके पास ऐसा हथियार रहा हो। हत्या के बाद उसने वह हथियार कहीं फेंक दिया हो।"
साइमन ने उसी शांति से जवाब दिया,
"जिस लकी ढाबे में दिशा और पुष्कर रुके थे वहाँ काम करने वाले एक लड़के चेतन ने पुष्कर की लाश मिलने के बाद कौशल को फोन पर हत्या के बारे में बात करते हुए सुना था। अगर कौशल ने हत्या की होती तो वह हत्या करते ही वहाँ से भाग जाता। लाश मिलने तक वहाँ रुकता नहीं। इससे स्पष्ट है कि उसने हत्या नहीं की। दूसरी बात कौशल और इस्माइल का जो प्लान था उसके हिसाब से हत्या ढाबे पर ना करके गज़ियाबाद से कुछ पहले एक सुनसान जगह की जानी थी।"
एक दूसरे पत्रकार ने पूछा,
"आपने बताया कि कौशल मोटरसाइकिल से पुष्कर के पीछे गया था। पुलिस ने जो रिपोर्ट इससे पहले मीडिया को दी थी उसके अनुसार लाश से कुछ ही दूरी पर मोटरसाइकिल के पहिए का निशान पाया गया था। क्या वह निशान कौशल की मोटरसाइकिल के पहिए का नहीं था ?"
इस बार इंस्पेक्टर हरीश ने जवाब दिया,
"हमने कौशल की वह मोटरसाइकिल जब्त करके उसके टायर के निशान को उस जगह मिले निशान से मिलाया था। वह कौशल की मोटरसाइकिल के पहिए का निशान नहीं था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि वहाँ कोई और मौजूद था जिसने यह हत्या की।"
अदीबा ने खड़े होकर पूछा,
"सर चेतन की हत्या लगभग उसी तरह से हुई थी जैसे पुष्कर की। पुलिस को इन दोनों हत्याओं में इस समानता का क्या कारण नज़र आता है ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने जवाब दिया,
"दोनों हत्याओं में एक जैसा हथियार इस्तेमाल किया गया है। रही बात इस समानता के कारण की तो साफ है कि दोनों का हत्यारा एक ही है। चेतन ने अपनी हत्या वाली रात मुझे मैसेज किया था कि अगले दिन वह मुझसे मिलना चाहता है। फिर उसी रात उसकी हत्या हो गई। शायद उसके पास कोई ऐसी जानकारी थी जो पुष्कर के हत्यारे को पकड़ा सकती थी। इसलिए उसने चेतन की हत्या कर दी।"
अदीबा ने एक और सवाल पूछा,
"जिस रात चेतन की हत्या हुई थी उस रात उसके मालिक सूरज पाल को मोटरसाइकिल पर लगभग उसी समय उसी जगह पर जाते देखा गया था। क्या सूरज पाल का हाथ इन दोनों हत्याओं में हो सकता है ?"
इंस्पेक्टर हरीश ने इस सवाल का भी जवाब दिया। उसने कहा,
"पुष्कर की हत्या में तो उसका कोई हाथ नहीं हो सकता है। इस बात की गवाही उस दिन ढाबे पर काम करने वाले दो कर्मचारियों ने दी थी कि वह सारा समय ढाबे के अंदर था। पुष्कर की लाश मिलने पर जब हल्ला उठा तब वह बाहर आया था। गवाही देने वालों में एक चेतन भी था। अब बात आती है चेतन की हत्या में उसका हाथ होने की तो उस समय हमने अच्छी तरह पूछताछ की थी‌। उसके पास हत्या करने का कोई मकसद नहीं था। फिर भी हमने उससे दोबारा पूछताछ करनी चाही तो पता चला कि वह ढाबा बंद करके अपने गांव चला गया है। कुछ अखबारों में ताबीज़ वाली बात से वहम फैलाया गया था कि इन हत्याओं के पीछे किसी अदृश्य शक्ति का हाथ है। इससे वह डर गया था। पर हमारे सब इंस्पेक्टर कमाल हसन अली उसे लेने उसके गांव गए हैं। आने पर हम उससे फिर से पूछताछ करेंगे।"
ताबीज़ वाली बात करके इंस्पेक्टर हरीश ने अदीबा पर तंज़ किया था। अदीबा ने उस विषय में कुछ बोलना सही नहीं समझा और बैठ गई। कुछ और पत्रकारों ने सवाल किए। उनके जवाब में साइमन ने कहा कि पुलिस अब एक नए सिरे से पुष्कर और चेतन के हत्यारे की तलाश शुरू कर रही है। जल्दी ही अच्छे नतीजे सामने आएंगे।
पुष्कर और चेतन की हत्या के मामले में अब कोई सवाल नही बचे थे। सब अब विशाल की साइकोलॉजिकल टेस्ट की रिपोर्ट के बारे में जानना चाहते थे। साइमन ने डॉ. हिना सैयद द्वारा दी गई रिपोर्ट की जानकारी देने के बाद कहा,
"साइकोलॉजिकल टेस्ट की रिपोर्ट से पता चलता है कि विशाल डिसोसिएटिव पर्सनालिटी डिसऑर्डर नाम की बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी के अनुसार उसके अंदर दो और व्यक्तित्व हैं। उनमें से ही एक ने उसकी पत्नी और बेटे को ज़हर दिया था। यह केस बारह साल पुराना था और बाहर नहीं आया था। हमने अपनी तरफ से इस केस की पड़ताल की थी। उस समय समीरा नर्सिंग होम के मालिक डॉक्टर आकाश की तलाश जारी है। उसने यह जानते हुए भी कि मामला ज़हर देने का है पुलिस को सूचना नहीं दी थी। हम इस केस के लिए भी चार्जशीट दाखिल करेंगे। फिलहाल कुछ और दिन विशाल को पुलिस कस्टडी में रखा जाएगा।"
विशाल की बीमारी और उसकी पत्नी और बच्चे की मौत की जानकारी ने मीडिया की दिलचस्पी बढ़ा दी थी। मीडिया ने कुछ और सवाल किए जिनके जवाब साइमन ने दिए। सारे सवालों के जवाब मिल जाने के बाद प्रेस कांफ्रेंस समाप्त हो गई।

मीडिया में विशाल की चर्चा जोरों पर थी। लोगों के लिए यह एक नए तरीके का केस था। एक शख्स के भीतर उसका ही एक ऐसा रूप होना जिसके बारे में उसे ही पता ना हो यह एक अचंभित करने वाली बात लग रही थी।‌ उसके एक रूप ने उसकी पत्नी और बच्चे को ज़हर देकर मार दिया था लेकिन वह इस बात से अनभिज्ञ था। यह बात बहुत से लोगों को समझ नहीं आ रही थी। इसका परिणाम यह हुआ कि मीडिया में इस मनोवैज्ञानिक बीमारी के बारे में चर्चा होने लगी थी। कई केसेज़ का हवाला देकर इस स्थिति को समझाया जा रहा था। डॉ. हिना ने अपनी रिपोर्ट में जो स्पष्टीकरण दिया था वह भी लोगों के सामने रखा जा रहा था। माया और विशाल की कहानी भी चर्चा में थी।
इस सबके कारण लोग बंटे हुए नज़र आ रहे थे। कुछ लोग इस बीमारी को समझ कर विशाल के प्रति हमदर्दी रखते थे। उनका मानना था कि विशाल के साथ इतना बुरा हुआ। जिसके कारण वह मानसिक रूप से बीमार हो गया। कुछ लोग ऐसे थे जिनका कहना था कि गलती विशाल की थी। अगर वह माया को इतना चाहता था तो उसका साथ देना चाहिए था। पहले उसने हिम्मत नहीं दिखाई। बाद में अपनी स्थिति को इस मानसिक बीमारी के पीछे छिपाना चाहता है। लोग यह भी कह रहे थे कि किसी मानसिक बीमारी का हवाला देकर विशाल को माफ नहीं करना चाहिए। उसे सज़ा मिलनी चाहिए।
इस सबके बीच इंस्पेक्टर हरीश ने डॉ. आकाश के बारे में पता करने के लिए फिर संतोष गुप्ता से संपर्क किया। दिल्ली से लौटकर संतोष गुप्ता ने उससे बात की थी। संतोष गुप्ता का कहना था कि उन्होंने ही डॉ. आकाश को अपना भवानीगंज का मकान किराए पर दिया था। उसने उसमें अपना नर्सिंग होम खोल लिया। बाद में जब उन्हें उस डॉक्टर के बारे में गलत बातें सुनाई पड़ीं तो उन्होंने उससे मकान खाली करने को कहा। पर एकदिन उन्हें पता चला कि डॉक्टर सबकुछ छोड़कर भाग गया है। उन्होंने उसके बारे में पता करने का प्रयास किया। कुछ पता ना चलने पर उन्होंने नर्सिंग होम का सामान हटवा कर मकान किसी और को किराए पर दे दिया था। फिर कुछ दिनों के बाद उसे बेच दिया। उन्हें नहीं पता कि उसके बाद डॉ. आकाश कहाँ चला गया था। पर उन्होंने कुछ लोगों से सुना था कि वह एक फ्रॉड था।
पुलिस ने कोशिश की पर डॉ. आकाश के बारे में कुछ पता नहीं चला। अब पुलिस सिर्फ विशाल के उस कुबूलनामे पर निर्भर थी जो उसने अपने दूसरे रूप में डॉ. हिना के सामने साइकोलॉजिकल टेस्ट में किया था।