Wo Maya he - 80 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 80

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वो माया है.... - 80



(80)

डॉ. हिना ने अपने सामने रखा पानी पिया। उन्हें कुछ देर के ब्रेक की आवश्यक्ता महसूस हो रही थी। उन्होंने विशाल से कहा,
"कुछ देर का ब्रेक लेते हैं। उसके बाद बातचीत आगे बढ़ाएंगे। तुमको कुछ चाहिए ?"
विशाल भी थकावट महसूस कर रहा था। उसने कहा,
"डॉक्टर मैडम अगर चाय मिल जाती तो अच्छा होता।"
डॉ. हिना ने अपने लिए कॉफी और कुकीज़ मंगाईं। विशाल के लिए एक कप चाय लाने को कहा। उसके बाद वह वॉशरूम इस्तेमाल करने चली गईं। कुछ देर बाद उनकी कॉफी और विशाल की चाय आ गई। उन्होंने कुकीज़ की प्लेट विशाल की तरफ बढ़ाई। उसने एक उठा ली।
चाय पीते हुए विशाल इस टेस्ट के बारे में सोच रहा था। वह अभी तक समझ नहीं पा रहा था कि इस टेस्ट का मतलब क्या है ? डॉ. हिना ने उससे वही सारे सवाल किए हैं जिनके बारे में वह पुलिस को पहले ही बता चुका था। उससे इस टेस्ट से पहले कहा गया था कि उसके व्यवहार में कुछ समस्या है। जो उसके अपराध से संबंधित हो सकती है। इसलिए डॉ. हिना उसके व्यवहार की जांच करेंगी। उसने स्वीकार कर लिया। पहले कभी कभी विशाल को खुद भी ऐसा लगता था कि उसके भीतर एक द्वंद्व चल रहा है। अपनी पत्नी और बेटे के साथ खुशी के पल बिताते हुए अचानक वह उदास हो जाता था। उसे ऐसा लगने लगता था कि वह इस तरह खुश रहकर सही नहीं कर रहा है। कुसुम जब हंसती थी तो उसकी हंसी के साथ अचानक उसे माया का गिड़गिड़ाना सुनाई पड़ता था। उसे कुसुम का हंसना बुरा लगने लगता था। एक दो बार कुसुम ने भी उसके अचानक बदलते मूड के बारे में टोंका था।
वह पुष्कर को बहुत चाहता था। लेकिन उसकी खुशी जब घरवालों की खुशी का कारण बनी तो उससे सहन नहीं हुई। उसे यह तो लगता था कि उसके साथ कुछ समस्या है। लेकिन समस्या क्या है वह समझ नहीं पाता था।
अपनी कॉफी पीते हुए डॉ. हिना मन ही मन रूपरेखा तैयार कर रही थीं कि बातचीत को आगे कैसे बढ़ाना है। उन्हें समझना था कि विशाल का दूसरा रूप जिसने कुसुम और मोहित को ज़हर दिया था वह पुष्कर के मामले में सक्रिय क्यों नहीं हुआ ? माया जो पहले दूसरे रूप से बात करती थी इस बार उसने सीधा विशाल से संपर्क क्यों किया ? वह सोच रही थीं कि सवालों का क्रम किस तरह रखा जाए कि विशाल से सारी बात सुगमता से पता की जा सके।
ब्रेक लेने के बाद डॉ. हिना बेहतर महसूस कर रही थीं। उन्होंने विशाल से कहा,
"अब हम दोबारा बातचीत शुरू करते हैं।"
विशाल ने भी हाँ में सर हिला दिया। डॉ. हिना ने दोबारा टेस्ट शुरू करने का इशारा किया। कुछ पल सोचने के बाद उन्होंने सवाल किया,
"तुमने कहा कि माया दो बार तुम्हारे सपने में आई थी। पहली बार मोहित के जन्मदिन से पहले। तब उसने धमकी दी थी कि वह तुम्हारे घर की खुशियां छीन लेगी। दोबारा तुम्हारे भाई पुष्कर की शादी तय होने के बाद तुम्हारे सपने में आई। उसने दोबारा फिर वही धमकी दी।"
"हाँ.... लेकिन इन दो मौकों के अलावा वह एकबार और हमारे सपने में आई थी।"
डॉ. हिना के लिए यह बात नई थी। उन्होंने कहा,
"उन दो मौकों के अलावा वह कब तुम्हारे सपने में आई और उसने तुमसे क्या कहा ?"
विशाल ने एकबार कमरे पर नज़र दौड़ाई। खुद को कुर्सी पर सही तरह से व्यवस्थित किया। उसके बाद बोला,
"पुष्कर की बरीक्षा हो गई थी। घरवाले खुश थे पर हमें बुरा लग रहा था। हमारी अपनी पसंद का उन लोगों के लिए कोई मोल नहीं था। पुष्कर ने ज़िद की तो उसकी बात मान ली। उसी बीच हमारे घर की गाय मंगला की भी अचानक मौत हो गई। घरवाले डरे भी पर पुष्कर की शादी नहीं तोड़ी। इस बात से हम बहुत नाराज़ थे। पर कुछ कर नहीं पा रहे थे। मन ही मन जो हो रहा था उससे नाखुश थे। लेकिन ऊपर से हंसते रहना पडता था। यह बात और अधिक तकलीफ देती थी। इसी स्थिति में एक रात माया फिर हमारे सपने में आई थी।"
विशाल यह कहकर रुक गया। डॉ. हिना इंतज़ार कर रही थीं कि वह आगे बताए। कुछ पलों के बाद विशाल ने कहा,
"माया हमारे सपने में आकर हम पर हंस रही थी। हमसे कह रही थी कि हम कायर हैं। सिर्फ छिप छिपकर रोना जानते हैं। ना हिम्मत करके उसका हाथ थाम पाए थे और ना ही अब हिम्मत करके अपने साथ हो रहे इस अन्याय को रोक पा रहे हैं। उसने हमसे कहा कि अगर हिम्मत है तो घरवालों ने तुम्हारे साथ जो अन्याय किया था उसका बदला लो। उनसे उनकी खुशियां छीन लो। उनके कारण ही तुम्हारी सारी खुशियां तुमसे छिन गई हैं। कुसुम और मोहित के समय हमने अपना बदला लिया था। एकबार फिर घर में खुशियां आ रही हैं। तुम भी इससे खुश नहीं हो। अब तुम्हारी बारी है। यह कहकर वह चली गई थी।"
"तो माया के कहने पर तुमने पुष्कर को मारने के लिए कौशल को भेजा था।"
"हाँ.... उसका सपना आने के बाद हम रात भर सोचते रहे। हमें उसकी बात सच लगी। कभी कभी हम खुद भी अपने बारे में ऐसा ही सोचते थे। हमें लगा कि माया सही कह रही है। इस तरह घुटते रहने से कुछ नहीं होगा। सबको अपना सुख प्यारा है तो हम भी अपने सुख के लिए कुछ करेंगे। हमने पहले पवन से बात की। उसके ज़रिए कौशल से बात करके पुष्कर को मारने का काम सौंप दिया।"
विशाल ने पुलिस के सामने भी यही कहा था कि उसने माया के कहने पर ही कौशल को पुष्कर की हत्या करने को कहा था। डॉ. हिना ने अगला सवाल किया,
"तुमने पुष्कर की हत्या के लिए कौशल को भेजा था। पर उसने कत्ल नहीं किया। क्या माया उसके बाद भी तुम्हारे सपने में आई‌ ? तुमसे यह कहा कि तुम नहीं कर सके इसलिए मुझे बदला लेना पड़ा।"
"नहीं....वह बस तीन ही मौकों पर हमारे सपने में आई थी।"
"माया तीन बार तुम्हारे सपने में आई। उसने कभी तुम्हारे सामने आकर बात क्यों नहीं की ?"
"हम कह नहीं सकते। शायद उसकी आत्मा इसी तरह हमसे बात कर सकती हो।"
"लेकिन तुम्हारी चचेरी बहनों और मम्मी को उसके होने का एहसास हुआ था। वह उनके सामने आ सकती थी तो तुम्हारे सामने क्यों नहीं ?"
विशाल ने कुछ सोचकर कहा,
"इस विषय में हम कुछ नहीं कह सकते हैं। माया उन्हें अपने होने का एहसास इसी तरह कराना चाहती होगी।"
डॉ. हिना ने कुछ सोचकर कहा,
"विशाल तुमको पूरा यकीन है कि तुम्हारे घर में जो बुरा हुआ उसके लिए माया ज़िम्मेदार है।"
"बिल्कुल.... उसने श्राप दिया था कि हमारे घर में खुशियां नहीं आने देगी। उसने अपना श्राप सच कर दिखाया। पहले कुसुम और मोहित को मार दिया। उसके बाद जब कौशल नहीं मार पाया तो उसने खुद पुष्कर को मार दिया।"
डॉ. हिना की जब बद्रीनाथ से बात हुई थी तो उन्होंने एक बात बताई थी। जाड़े की रात में खुली छत पर बैठे हुए विशाल अपने आप से कह रहा था कि माया अब मेरा कुछ नहीं बिगड़ सकती है। उसका अस्तित्व खत्म होने वाला है। यह बात उस समय बद्रीनाथ को अजीब लगी थी। डॉ. हिना ने उस बात का ज़िक्र करते हुए पूछा,
"तुमने उस दिन यह बात क्यों कही थी ? तुम्हें ऐसा क्यों लगता था कि वह तुम्हारा कुछ बिगड़ बिगाड़ सकती है ?"
विशाल ने कहा,
"पुष्कर की मौत के बाद माया हमारे सपने में नहीं आई थी। लेकिन मम्मी को और हमारी दोनों चचेरी बहनों को उसके होने का एहसास हुआ था। उस दिन भी मम्मी को ऐसा लगा था कि वह आसपास है। हमें लगने लगा था कि वह अभी भी संतुष्ट नहीं हुई है। वह हमारा और हमारे परिवार का बुरा कर सकती है। तांत्रिक ने कहा था कि वह उसे वश में कर लेगा। इसलिए हमने कहा था कि अब वह हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। उसका अस्तित्व खत्म होने वाला है।"
डॉ. हिना के पास अब पूछने के लिए कुछ नहीं था। उन्होंने साइकोलॉजिकल टेस्ट खत्म होने की घोषणा की। उन्होंने विशाल को उसके अंदर छिपे माया और उसके दूसरे रूप के बारे में बता दिया। सच सुनकर विशाल बहुत हैरान हुआ।

विशाल के साथ जो बातचीत हुई थी उसके आधार पर डॉ. हिना ने अपनी रिपोर्ट तैयार की। उन्होंने रिपोर्ट में लिखा कि विशाल माया को बहुत चाहता था। लेकिन अपने घरवालों के दबाव में कुछ नहीं कर पाया। उसकी इस अवस्था ने उसके अंदर उसके एक और रूप को जन्म दिया। यह रूप माया से हमदर्दी रखता था। जैसे जैसे विशाल अपने नए जीवन में व्यस्त होता गया उसका यह हिस्सा उसे ही नापसंद करने लगा। दूसरा रूप इस बात से आहत था कि कुसुम ने आकर माया की जगह ले ली थी। मोहित के जन्म के बाद वह जगह और मज़बूत हो गई थी। इसी समय उस रूप से माया का जन्म हुआ। वह माया से हमदर्दी रखता था और उसे इंसाफ दिलाना चाहता था। कुसुम और मोहित की मौत के बाद वह शांत हो गया था।
पुष्कर की शादी तय होने से विशाल नाराज़ था। वह इस बात से चिढ़ा था कि घरवालों ने उसकी पसंद को ठुकरा दिया था पर पुष्कर की हर बात मान ली। इस बात का उसके मन में गुस्सा था। विशाल मानता था कि माया के श्राप ने उसकी पत्नी और बेटे की हत्या की है। विशाल के इस विश्वास के कारण उसे लगा कि माया इस बार भी बदला लेगी। पर वह अपने कुछ ना कर पाने से शर्मिंदा था। इस शर्मिंदगी के कारण ही उसे माया का तीसरा सपना आया जिसमें माया उसे खुद बदला लेने के लिए उकसा रही थी। उसके प्रभाव में उसने पुष्कर को मरवाने का प्लान बनाया।