shart e shiphaarish in Hindi Comedy stories by sunil Jadhav books and stories PDF | शर्त-ए -सिफारिश

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शर्त-ए -सिफारिश

 

लेखक -डॉ.सुनील जाधव 

“महाराज, हम सारे उपाय कर, थक चुकें हैं | फिर भी हमें पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही हैं | वैद्य के पास गये | जादू-मन्तर, टोना-टोटका, गंडा-तावीज, मन्दिर-मस्जिद, गिरजाघर - गुरुद्वारा प्रत्येक धर्म स्थल पर जा-जाकर मथा टेका, मन्नत माँगी पर मन्नत पूरी हुई ही नहीं | महाराज, लोगों ने पुत्र रत्न वाले बच्चों की फौज बना ली पर हमारी झोली सुनी की सुनी रह गयी | महाराज सारे दरवाजे बंद होने के बाद हम आपकी शरण में आये हैं | कृपया हमारी मदद कर दें |” पुत्र के आभाव से पीड़ित पति ने पत्नी के साथ महाराज के चरणों में पड़कर अपनी पीड़ा सुनाई थी |

इस पर उनके सामने बैठे लम्बी दाढ़ी, जटाधारी, गेरुवें वस्त्र परिधान किए, तेजस्वी मुखमंडल के धनी, ध्यान में मग्न महाराज सारी बातें त्रिकाल दर्शी की तरह कान से सुन रहे थे और अदृश्य नेत्र से भविष्य देख रहे थे | उनकी ख्याति थी कि उनके मुख से निकलने वाला प्रत्येक वाक्य सत्य साबित होता हैं | वे जिसके भी बारे में भविष्यवाणी करते वह सत्य हो जाता था | इसीलिए लोग उनके पास देश के कोने-कोने से आया करते हैं | कुछ क्षण बाद उनके मुख से वाणी प्रस्फुटित हुई, “बालक तेरे ग्रहों की दशा ठीक नहीं चल रही हैं | इसीलिए तेरे घर पुत्र सन्तान नहीं हो रही हैं | तू चाहे तो पुत्री का वरदान मैं दे दूँ | एक नहीं दो चार ले ले | एक पर एक फ्री डिस्काउंट ले ले | ...”  पुत्र आभाव से पीड़ित पति और पत्नी ने एक स्वर  में कहा, “ महाराज, आलरेडी हमें एक नहीं चार -चार पुत्रियों का वरदान बिन माँगे ही प्राप्त हुआ हैं | किन्तु इस बार हमें पुत्र रत्न के प्राप्ति की अपेक्षा हैं | ताकि हमारा वंश आगे बढ़ सकें |”

“बालक, तू चाहे तो पुत्रियाँ वंश चलाने का वरदान दे सकता हूँ | भविष्य को मोड़ सकता हूँ | तेरे दुखी जीवन को संवार सकता हूँ | चार और पुत्रियों का वरदान मैं दे सकता हूँ |” महाराज ने अपनी बात रख दी | किन्तु पुत्र पीड़ित पति और पत्नी मानने के लिए तैयार नहीं थे | उन्होंने सार्वजनिक अस्त्र के रूप में एक हजार एक सौ एक नारियल, पचास किलों पेढे, पाँच हजार, पाँच सौ एक रुपये  नगद का लालच रख दिया | महाराज किन्तु माने नहीं | पर एक बात से वे मान गये | पुत्र पीड़ित पति और पत्नी ने अपनी आँखों से गंगा-जमुना को प्रकट किया | उन्हें देख महाराज धन्य हुए | उनकी शक्ति से अवगत हुए | और अंत में उपाय सुझाया |

“बालकों, मैं तुम्हारी तपस्या से प्रभावित हुआ | मैं तुम्हें एक उपाय का सुझाव देता हूँ | तुम यदि वह करोगे तो तुम्हें सौ प्रतिशत पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी |” महाराज ने उवाच्य किया था |

प्रतिक्रिया के रूप में दम्पति ने अपनी जिव्हा को प्रकट किया | “महाराज, आप जैसा कहें हम करने के लिए तैयार हैं |” महाराज ने आँखें बंद की दायें हाथ को माथे पर रगड़ते हुए उपाय का सुझाव देते हुए कहा, “देखो बालकों, मैं साफ -साफ देख रहा हूँ कि तुम्हारी झोली भरने वाली हैं | तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होने वाली हैं | अब जश्न मनाने के लिए तैयार हो जाओ | यह जो बालक जन्म लेने वाला हैं, यह कोई सामान्य बालक नहीं हैं | यह बालक आपकी पत्नी किए गर्भ में तब ही प्रकट होगा जब तुम अपने गाँव के प्रत्येक घर के चौखट पर जाकर उनसे सिफारिश नहीं मांगते |”

“हम समझे नहीं महाराज ! सिफारिश |” दम्पति ने मासूम लहजे में  अपनी जिज्ञासा प्रकट की |

इस पर महाराज फिर बोले -‘हाँ, सिफारिश !’ जब गाँव का प्रत्येक व्यक्ति तुम्हारे लिए बालक होने की सिफारिश करेगा | तब ही यह बालक गर्भ में प्रकट होगा | इसीलिए बच्चा यहाँ से तुरंत जाओ | वरना कोई और इस तरह की सिफारिश कर देगा तो तुम इससे वंचित हो जाओगे | और इस बात का ख्याल रहे कि तुम्हारी सिफारिश सबसे पहले जानी चाहिए और सबसे अधिक संख्या में जानी चाहिए | और ख़ास बात तुम्हारी सिफारिश गर्भ में अप्रकट बालक को पसंद आनी चाहिये |”

दंपति को उपाय अच्छा लगा |वे गाँव के प्रत्येक चौखट पर जा जाकर गर्भ में अप्रकट बालक के लिए प्रकट होने की सिफारिश की बात करने लगें | लोगों में यह कौतूहल का विषय था | ऐसा उपाय न ‘भूतों न भविष्यति’ अर्थात अपनी रोजमर्रा की बोली में कहा जाये तो ‘अपने बाप जन्म में’ उन्होंने कभी सूना नहीं था | उन्हें इसमें कोई चमत्कारी बालक के आने की आहट सुनाई देने लगी थी | प्रत्येक व्यक्ति दम्पति के मान का सम्मान कर सिफारिश करने लगे | देखते ही देखते सारे गाँव ने सिफारिश कर दी | सिफारिश रेकॉर्ड तोड़ थी | इसका फल मिलना ही था | महाराज के बोल सत्य हुए | एक दिन पुत्र पीड़ित पत्नी ने उल्टी की | वैद्य ने उन्हें पुन: मातृत्व शक्ति प्राप्त होने की सूचना दी | उस दिन उस दंपति के जीवन में खुशियों की बरसात हुए, बाड आयी, सुनामी आयी .. आप जो चाहे अपने अनुरूप ख़ुशी को प्रकट कर सकते हैं | यह मैं आप पर सोंपता हूँ | आप मतलब इस व्यंग्य को पढ़ने वाले पाठक या सुनने वाले जिज्ञासु श्रोता | चलो इस स्पष्टीकरण के बाद आगे बढ़ते हैं |

            अजन्मे नेता के माता-पिता को बालक के इस दुनिया में प्रवेश करने की ख़ुशी मनाते अब नौ माह, नौ दिन बित गये | किन्तु बालक ने इस दुनिया में कदम रखा ही नहीं | अजन्मे नेता के माता-पिता सिद्ध महाराज के पास गये | उनके सामने अपनी समस्या रखी | और बाबा ने फिर से सत्य वचन कहा, “ आप जल्द ही एक पुत्र के माता-पिता बनोगे | किन्तु मैंने तुमसे कहा था | यह बालक कोई सामान्य बालक नहीं हैं | इस बालक में माँ के गर्भ में तब ही प्रवेश किया जब सारे गाँव के सामने तुमने बालक के आने की लोगों से सिफारिश करवाई थी | यह बालक अब भी यही चाहता हैं | वह इस दुनिया में तब ही कदम रखेगा जब गाँव के सारे लोग एक साथ एक जगह जमा होकर समूह के बालक के इस दुनिया में रखने की सिफारिश करें |” माता-पिता समझ गये | उन्होंने गाँव के एक मैदान में एक बड़ा स्टेज बनवाया और गाँव के सारे लोगों को एक साथ बुलाया और स्टेज से पिता ने सारे गाँव के सम्मुख आह्वान किया | “गाँव वालों आज मुझे फिर से तुम्हारे सिफारिश की जरूरत हैं | महाराज ने स्पष्ट कहा हैं, जब सारे गाँव के लोग एक साथ बालक के इस दुनिया में आने की सिफारिश करेंगे तो वह बालक इस दुनिया में कदम रखेगा | तो बोलो मेरे साथ एक स्वर में ‘बालक हम सिफारिश करते हैं कि इस दुनिया में अपना कदम रखें |” सारे गाँव वाले एक स्वर में सिफारिश करते हैं | जैसे ही सिफारिश की ध्वनि गर्भ में बालक तक पहुँचती हैं | बालक अपनी माँ के पेट में लात मारकर सूचना देता हैं कि अब वह बाहर की दुनिया में आने के लिए तैयार हैं | जैसे ही माँ के पेट में बालक के जन्म होने से पूर्व की प्रसव पीड़ा शुरू होती हैं | तो उसे तुरंत अस्पताल मोबाइल डॉक्टर वैन में पहुंचाया जाता हैं | कुछ ही देर में बालक के रोने की आवाज सुनाई देती हैं | बालक ने इस दुनिया कदम रख दिया था | लोगों में उत्साह का वातावरण बन जाता हैं | और कुछ देर बाद बालक को स्टेज पर लाया जाता हैं | सारे गाँव वाले उसका नाम सिफारिश से उत्पन्न होने के कारण और लोगों का नेतृत्व करने वाला समझकर उसका नामकरण करते हैं | नेता सिफारसीलाल|

            नेता सिफारसीलाल के माता-पिता की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था | वे खुशियों के पंख लगा कर आसमान में उड़ रहे थे | वे इस ख़ुशी का आभार व्यक्त करने के लिए बालक को उन्हीं सिद्ध महाराज के पास ले जाते हैं | महाराज बालक को देखकर उसकी भविष्य वाणी करते हैं | “आपका यह बालक एक दिन इस प्रान्त का बड़ा नेता बनेगा | धन-दौलत की कोई कमी नहीं होगी | वह लोगों का पैसा चुरायेगा पर लोगों को तनिक भी पता नहीं चलेगा | लोग खुद चुरवायें जाने पर भी अपने आप को धन्य मानेंगे | उसे लोग अपना प्रिय नेता मानेंगे | कोई चिंता की बात नहीं होगी |आपकी सौ पीढ़ी बैठकर खा सकते हैं, ऐसी कमाई होगी | लोग भर-भर कर धन समर्पित करेंगे | और एक बात... वह लोगों का काम तो करेगा लेकिन एक शर्त उसकी हमेशा रहेगी ...... “सिफारिश” | बिना सिफारिश के वह कोई भी काम नहीं करेगा | चाहे फिर वह उनके कितने भी निकट का क्यों न हो | गुणवान क्यों न हो | योग्य क्यों न  हो | उसकी नजर में गुणवान, योग्य वही होगा जो सिफारिश लायेगा और उनकी जी हुजूरी करता हुआ तलवे चाटेगा | छुट सिर्फ आपकी जाति के लोगों को होगी |” यह बात सुनकर भविष्य के नेता के माता-पिता दोनों ख़ुशी से नाच उठे | उनका बेटा इतिहास बनायेगा |

            बालक बड़ा हो गया और प्रान्त का बड़ा नेता बन गया | उसने अपने क्षेत्र की खूब प्रगति की | अपने और अपने परिजन के नाम पर स्कूल, कॉलेज, उद्योग-व्यवसाय न जाने क्या-क्या नहीं किया | चहूँ और वे लोगों के प्रिय नेता बन गये | उन्होंने राजनीति, स्कूल, कॉलेज, उद्योग-व्यवसाय आदि में कोई भेद भाव नहीं रखा बस सिर्फ अपने जाति के लोगों को बड़े पदों पर और अन्य जाति के लोगों को छोटे पदों पर सम्मानित किया |  पर “शर्त -ए -सिफारिश” से ही यह सब हुआ | “शर्त -ए -सिफारिश” को उन्होंने अपने जीवन का मूल मंत्र बना लिया था | सोते-जागते, उठते-बैठते, चलते-भागते, बोलते-सुनते हर पल उन्होंने इस मंत्र का जाप किया था | यह मंत्र उनके रोम-रोम में दौड़ रहा था | उनके अनुकरणकर्ता ने भी इसे अपना अभिन्न हिस्सा मान लिया था | और बार-बार “शर्त -ए -सिफारिश” से नेता को खुश किया जाता था | नेता खाना कम और “शर्त -ए -सिफारिश” सुनना अधिक पसंद करते थे | एक बार जब उनके पास कोई सिफारिश लेकर नहीं आया तब नेता की तबीयत बिगड़ गयी | सुख कर कांटा बन गये | लोगों में चिंता का विषय बन गया | नेता को समय पर “शर्त -ए -सिफारिश” नहीं मिली तो वह इस धरती लोक को छोड़ कर वापस चले जायेंगे | उनके चुराई कर्म में शामिल सारे कार्यकर्ता परेशान हो चुके थे | अपने भविष्य को लेकर चिंतित थे | नेता परलोक चले जायेंगे तो उनका क्या होगा | वे तो भूखे मरेंगे | उन्हें जल्द ही कुछ करना था | उन्हें उनकी ख़ुशी लौटा ने के लिए एक तरकीब निकाली गई | उनके स्कूल,कॉलेज, उद्योग,व्यवसाय में नये लोगों को नौकरी दी जायें | लोग नौकरी के लिए सिफारिश लेकर आएंगे | तो  नेता फिर से नेताओं के राजकुमार दिखने लगेंगे | चेहरा सेब जैसा दमकेगा पेट सोने और रुपयों से भरे गोदाम जैसा दिखेगा |  यह सोच कर कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हो गया | कार्य आगे बढ़ा | जो गुणवान और योग्य थे उन्हें छोड़कर जो भी सिफारिश लेकर आयेगा उन्हें ही नौकरी से सम्मानित करना तय किया गया | ऐसा ही हुआ | “शर्त -ए -सिफारिश” रंग लायी | नेता की तबीयत सुधर गयी | वे फिर से नेताओं के राजकुमार बन चुके थे | इस चमत्कार को देखकर उनके एक चमचे ने उनसे साल पूछा, “ नेता जी, मैं यह बात समझ नहीं पाया कि आप गुणवान और योग्य पद के दावेदार होने के बावजूद आपने “शर्त -ए -सिफारिश” को इतना क्यों महत्व दिया ? आप चाहे तो उनसे साठ लाख-सत्तर लाख रुपये ले लेते | पार्टी के काम आ जाता |”

हँसते हुए नेता जी ने अपने पेट के साम्राज्य पर हाथ फेरते हुए कहा, “चमचे जी, आप नहीं समझोगे | इसमें एक रहस्य हैं | आज वह रहस्य मैं तुम्हें सुनाता हूँ | गुणवान और योग्य व्यक्ति हमारे किस काम का ? नौकरी मिलने पर पैसा उसे मिलेगा | उसकी जिन्दगी सुधरेगी | पर इसमें हमारा क्या फायदा | और बिना फायदे के हम काम करेंगे तो सारे नेता लोक में हमारी “छी ..थू” हो जायेगी | और हमारी “छी ..थू” होते हुए क्या तुम देख सकते हो |”

 चमच ने हाँ के स्वर में कहा, “ नेता जी आप की  “छी...थू” हमारी “छी ..थू” हैं | आप जो करेंगे सोच समझ कर ही करेंगे | आपकी और हमारे मंगल की कामना से ही करेंगे |”

हँसते हुए, “चमच जी, आप बड़े समझदार हैं | आपकी तलवे चाटने की यह अदा हमें हमेशा से ही पसंद आती रही हैं | जो भी हमारी ऐसी चमचागीरी करेगा हमारा आशीर्वाद उसके साथ सदा बना रहेगा | ...चलो तुमने मुझसे एक सवाल पूछा था | उसका जवाब देता हूँ | हम नौकरी माँगने वालों से ६० या ७० लाख माँगेंगे तो लोग की नजरों में हम खलनायक बन जायेंगे | और यह हमारे उसूलों के खिलाफ हैं | इतने तो हम एक दिन में खाकर थूक देंगे | हमारा मतलब.. इससे हमारा पेट नहीं भरेगा | इससे ज्यादा से ज्यादा एक वक्त का हमारा पेट भरेगा | हमें तो हमेशा के लिए पेट भरने की व्यवस्था चाहिए | तब ही तो तुम्हारा भी पेट भरेगा | हमें ओट बैंक चाहिए ..ओट बैंक | यह ऐसा बैंक हैं, जिससे हम सदा सत्ता में रह सकते हैं | और अरबों रुपये आजीवन कमा सकते हैं | जिसके पास ओट बैंक होगा वही हमारे पास सिफारिश लेकर आ सकता हैं, गुणवान-योग्य व्यक्ति नहीं | हमारी नजरों में तो गुणवान और योग्य व्यक्ति मात्र वही होगा जो ओट बैंक की  सिफारिश लेकर आयेगा | और लोगों में हम चर्चा का विषय बनेंगे कि नेता ने किसी के भी पास से एक रुपये का सिक्का भी नहीं लिया | हम उनके आदर्श बनेंगे | और हमारे यह नौकर चुनाव के समय हमारा मुफ्त में काम करेंगे और गुणगान | समझे |..चमच जी !”

नेता के इस रहस्यमय बात को सुनकर चमच अपने इस धरती लोक में प्रकट होने को सार्थक मानने लगा था | और वह पहले से भी ज्यादा नेता का समर्थक बन चूका था | जीवन में सफलता के लिए उसने भी अपने जीवन का मूल बना लिया, आप भी बनाओ, मैं भी बनता हूँ ...“शर्त -ए -सिफारिश”