Wo Nigahen - 24 in Hindi Fiction Stories by Madhu books and stories PDF | वो निगाहे.....!! - 24

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वो निगाहे.....!! - 24











उन्हें उस हाल में देख.......
निगाहे बैचेन सी हो गई.....!!
















हास्पिटल....!

इस वक़्त धानी के फ़ादर साहब (धीमान) को एग्जामिन किया जा रहा था l
मायूर बेटा क्या हुआ धीमान को? सुबह हि तो हमारी बात हुई थी तब तो एकदम बढिया था!प्रकाश जी परेशानी से बोले l साथ उर्मी जी भी बोली हा मायूर बताओ क्या बात है?
मायूर ~पता नहीं क्या हुआ माँ पा अंकल को? जब मैं अंकल को देखा तो वो अपना सीना सहला रहे थे l फिर मैं जीजे के साथ यहाँ आ गया !
मायूर कि बात सुनकर प्रकाश जी के माथे पर सल पड़ गये !
वो कुछ बोले नहीं! बस मायूर का सिर सहला दिया!
मायूर !!तेज बेटा कहाँ है दिख नहीं रहे हैं?
वो माँ ...जीजे किसी से बात फोन पर बात कर रहे है अभी आते हि होंगे !
उर्मी जी धानी के मम्मी राधा जी के पास आ गई ! भाभी जी उनके कन्धे पर हाथ धरे बोली l
अपनत्व का स्पर्श पाकर राधा जी उर्मी जी के गले लग बिलख पडी l

भाभी जी शान्त हो जाईये भाई साहब एकदम दुरुस्त हो जायेगे! आप अपनी तबियत खराब कर लेगी!

कुछ समय बाद.....!!

इन्हें माइनर अटैक हुआ है सही समय पर आप लोग नहीं लाते तो बड़ा हादसा हो सकता था इंजेक्शन दे दिया जिससे इन्हें आराम मिल जायगा कुछ दवाय बता दे रहा हूँ हो सके तो समय पर दे! खुशनुमा महोल मिले जादे स्ट्रेस ना ले कोशिश करे तनावमुक्त रहे!
सुबह तक आप लोग ले जा सकते है आज प्रोपर आराम करने कि आवश्यकता है उन्हें !!

जी शुक्रिया डाक्टर साहब आपका!भावुक होकर उर्मी जी बोली!

अरे इसमे शुक्रिया कि क्या बात है ये तो हमारा फ़र्ज है! मुस्कुरा डाक्टर साहब बोल चले गये!!

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हाँ आप परेशान मत हो !!!अंकल जी बिल्कुल ठीक है कल सुबह उन्हें डिस्चार्ज मिल जायगा!! तेज श्री से बोला!

हम्म!! तेज जी अब दिल को राहत मिली पापा(धीमान )जी को आराम है !

और तुम अपना धानी का ख्याल रखना हम लोग सुबह हि मिलते हैं !

थोड़ी देर बाद बातचीत कर फोन रख दिया!

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अगले दिन... शाम का समय....!!

प्रकाश जी इस समय धीमान जी के कमरे में थे.... जब से होस्पिटल से आये थे सब लोग धानी के घर पर थे! कमरे में प्रकाश जी और धीमान जी हि थे उन्हें आराम था अब! प्रकाश जी धीमान जी को एक टक देखे जा रहे थे... नहीं नहीं एक टक नहीं धीमान जी को घूर हि रहे थे वो भी बुरी तरिके से! दोनों हाथ फ़ोल्ड किये हुये थे! कुछ बोल भी नहीं रहे थे!

प्रकाश जी के ऐसे घूरने से धीमान जी चिढ से बोले.... क्या है ऐसे क्यों घूर रहा है जब से आया मुहँ से बोल नहीं फ़ूटे है मैं इतना बीमार पड़ गया वो नहीं दिख बस घूरे जा रहा है! चेहरे पर इस समय धीमान जी के दुनिया जहाँ का मासूमियत पसरा था!!

प्रकाश जी और भी घूरने लगे फिर भी कुछ नहीं बोले मुहँ फ़ेर कर खिड़की के पास खड़े हो गये!

अरे सुन ना ऐसे क्यों खड़ा हो गया मुझसे मुहँ मत फ़ेर ना ऐसे मत कर ना यार नहीं नहीं तो सच्ची में चला जाऊगा हमेशा के लिए!!

पड़ेगा एक ना सारी बकवास निकल जायेगी तेरी बुढौती और बीमारी का भी लिहाज नहीं करुगा समझा! क्यों क्यों तुझसे बोलु ऐसा क्या हो गया जो तूने अपना ये हाल बना लिया पता भी है भाभी जी का रो रो बुआ हाल हो रखा था अपनी धानी कुछ बताया हि नहीं उसे जिस दिन पता चला ना जवाब देते फ़िरना समझा! सबकी जान पर बन आई थी तुझे कुछ पता भी है! अब बकेगा मुहँ से कुछ! गुस्से और नाराजगी से प्रकाश जी बोले!

यार तनिक तमीज से बात कर ना !घूरते हुए धीमान!

तमीज और तुझसे आईने शक्ल देखो बड़ा आया तमीज वाला! मुहँ बनाकर प्रकाश जी!

शक्ल तो रोज हि देखता हूँ कितना हैडसम तो हूँ अपने चेहरे पर हाथ फ़ेरते हुये बोले!

धीमान जी के ऐसे करने से प्रकाश जी फिर घूरने लगे! तू बता रहा है कि नहीं कि मैं जाऊ यहाँ से!

अच्छा ठीक बताता हूँ तू पहले मेरे पास बैठ आकर ना!

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धानी का कमरा.....

धानी अब पहले से काफ़ी बेहतर थी!! श्री तेज मायूर सब थे और मम्मिया अपने कमरे में!

जीजा जी वामा को भी ले आते कितने दिन हो गये उससे मिले हुये! धानी तेज से बोली!

ठीक है ले आऊगा किसी दिन वैसे कह रही थी आने को लेकिन पापा को कुछ काम था उससे तो वो आ ना सकी! ये सारी बातें छोड़ो अब ये बताओ तुम दोनों का गठबन्धन कब किया जाय! दोनों पर अपनी नजरे जमाते हुये तेज बोला!

ऐसे पूछने पर मायूर और धानी दोनों हि सकपका गये! श्री तो अपनी मन्द मन्द मुस्कुराहट से मजे ले रही थी चुप चुप कर तेज को निहारे जा रही थी! बेचारी शर्मिले स्वाभाव की वजह से खुलकर अपनी चाहत नहीं दिखा पाती है!!

दोनों को कुछ ना बोलते देख तेज भौओ उचकाते हुए भई बोलना है कि नहीं! या फिर जाऊ पापा लोगों के पास आपकी प्रेम कहानी बताने! वैसे भी मुझे सब कुछ पता है समझे दोनों!! शरारत से तेज मुस्कुरा दिया!




































क्रमशः!