Aise Barse Sawan - 10 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 10

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ऐसे बरसे सावन - 10

अभिराम अपनी बहन से शरारती अंदाज में क्या "चिमपो " तु कुछ भी पहन ले , लगेगी तो चिंपैंजी ही

अधीरा, "मुह बनाकर गुस्से मे भाई को आंखें दिखाते हुए भाईइइइ .....घर में बोलना मुझे कॉफी बनाने के लिए बिल्कुल भी नहीं बना कर दूंगी तब पीते रहना माँ के हाथ की कॉफी l

"ओहो, मेरी प्यारी बहन ऐसा ज़ुल्म मत करना मुझ पर ,चल तुझे जो चाहिए वो ले ले , मैं दिलाता हूं न तुझे "

अधीरा..ह्म्म्म्म ....अब आए न लाइन पर l

अभिराम और अधीरा की नोक-झोंक में स्वरा अभिराम की आँखों से ओझल हो जाती हैं, वो फिर स्वरा को नजरों से तलाशने की कोशिश करता हैं पर वो नजर नहीं आती l

दूसरी तरफ अधीरा ,क्या भाई आपका ध्यान किधर हैं ?

फिर खीझते हुए माँ देखो ,भाई को पता है की मुझे सिर्फ इन्हीं की सिलेक्ट किए हुए ड्रेस पसंद हैं फिर भी ड्रेस सिलेक्ट करने में कितना इतरा रहें हैं l

अभिराम - सॉरी चिमपो

अधीरा - माँ देखो ना भाई को

माँ - क्या है तुम दोनों, कम से कम जगह तो देख लिया करो ,
तुम दोनों भाई बहन कहीं पर भी लड़ना शुरू कर देते हो l
चलो जल्दी जल्दी शॉपिंग कर लो, मुझे घर मे भी बहुत काम है l

शॉपिंग करने के बाद सभी लोग बिलिंग काउन्टर के
पास आ जाते हैं , दीवाली की वज़ह से काउन्टर पर भीड़ था और अभिराम का कुछ सामान रह जाता है तो वह लाइन में अपनी बहन को खड़ा कर ऊपर जाने के लिए लिफ्ट मे जाता है l

अभिराम जिस लिफ्ट से ऊपर जाने के लिए चढ़ा था अगले फ्लोर पर स्वरा भी उसी लिफ्ट में आ जाती हैं l

उस पल में दोनों बिल्कुल ही अकेले था स्वरा को इतने पास देखकर अभिराम अंदर ही अंदर बहुत ही खुश था पर इतने पास होने उसके एहसास से ही उसके हाथ पांव ठंडे पड़ गए थे ( उस वक़्त यदि उसने चेहरे पर मास्क नहीं लगा रखा होता तो कोई भी उसकी चेहरे की नर्वसनेस् को पढ़ सकता था ) वह स्वरा से बात करने की हिम्मत जुटाता उससे पहले ही स्वरा की मंजिल आ गयी और वो लिफ्ट से बाहर चली गई l

और अभिराम खुद को कोसने में लगा था ," क्या कैप्टन अभिराम, बॉर्डर पर तो दुश्मनों के छक्के उड़ा देते हो और प्यार के मैदान में तुम्हारी हवा निकल गई"l

अभिराम खुद के ख्यालों में ही खोया था तबतक अधीरा का फोन आ जाता है,,क्या भाई, आप कहां हो जल्दी से आ जाओ हमारा नंबर आने वाला है l

"हाँ हाँ बस आ ही रहा हूँ मेरी माँ l"

वह लिफ्ट से उतरकर जल्दी से अपना समान लेता है और फिर ग्राउंड फ्लोर पर बिलिंग के लिए जाता है l

अभिराम और अधीरा वहां से निकलकर पटाखा बाजार की तरफ जाते हैं l अभिराम पटाखा बाजार से थोड़ी दूर कार पार्किंग में कार पार्क करता हैं उसी समय किसी का फोन आता है और वह उससे फोन पर बात करने लग जाता है और दूसरी तरफ इशारे से अधीरा को आगे बढ़ने पटाखे पसंद करने के लिए कहता है और खुद धीरे-धीरे दुकान की तरफ बढ़ता है l

अधीरा पटाखे की दुकान के पास पटाखे लेने के लिए जब पहुंचती है तो उसे देख कर दो लड़के
(जो दुकान से अलग खड़े थे) कहते हैं - "ओए होए क्या पटाखा है जो खुद एक पटाखा हैं वह भी पटाखा लेने आई हैं है "

क्रमश:

देवकी सिंह