६२
जीने की चाह क्या होती है
यह बात जिन क्षणों ने, सामने से
मृत्यू देखा है उनको पुछना चाहिये
कितनीही वेदनाओं से भरी जिंदगी हो
फिर भी उसे जीवन के लिए मोह रहता है
ऐसा क्या है जीवन में, व्यक्ति मृत्यू दूर
रखने का ही प्रयास करता है
मृत्यू के बाद क्या है ? उसका डर ?
या मोहमयी दुनिया से बिछडने का गम ?
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६३
वेदना हृदय की गहराई में उतरती गई
अहम स्मृती का निर्माल्य हो गया
दुःख का फूल खिलकर
पानी आँखों में आ गया
गालों पर उसकी भाप बन गई
होठों के अंदर भावनाओं का सागर
तन बदन रोए ,भरे वेदनाओं की गागर
कैसे दे दूँ भाव, इस अंदर की ज्वालामुखी को
या, मैं ही हो जाऊंगी भस्म सहते इनको
पर लगता है थोडी देर में वह शांत होगा
जैसे आया था वैसे ही खत्म होगा
वैसे भी अब जीवन है खत्म होने वाला
क्यों जलाए दिल, बस किसी क्षण मृत्यू है आनेवाला
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६४
तुम्हारे कोमल रेशम जैसे हाँथ मत निकलना
फुरसत से बैठो मेरे पास वक्त का तकाजा मत करना
इस नीली श्याम में अब ज्योतियाँ जलेंगी
उस प्रकाश में निखरेगी तुम्हारी सुनहरी कांती
हवाँ भी मदहोश हो जाएगी तुम्हारे स्पर्श से
रात की रानी महकेगी तुम्हे लेकर आगोश में
चाँद खिलेगा आसमाँ, चांदनियों के साथ
यह हसीन श्याम की बेला के स्पंदन
हम दोनो साथ में जिएंगे, ऐसे ढलेगी रात
ना जाने कब सबेरा होगा
चाँद सितारे उतरे तनमन में फिर इंतजार शाम का होगा
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६५
क्या मुझे भूल गए होंगे
बचपन के वो साथी
रुठने मनाने के साथ
घंटो की वो बाते
खट्टे इमली को
नमक लगाकर खाते वक्त
एक दुसरे को आँख मारना
किसी भी बात पर हँसी के
ठहाके लगाते रहना
पाठशाला जाने का मन
करना ओर फिर पढाई
याद आते ही न जाने
के लिए बहाने बनाना
आज भी वह सब
मुझे याद आता है
बचपन की वो गलियाँ
कभी भी मन से घुमकर
आती हुँ, साथियों को
वही से पुकार लगाती हुँ
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६६
सिलवटों से भरे हाथ जब
मिट्टी में दाना उगाने के लिए आगे बढे
तो उसे देखकर मिट्टी बोली
कितने थक गए हो ,अब तुम काम मत करो
तब वह हाथ बोला मिट्टी को
ए मिट्टी, तेरा मेरा जनम जनम का नाता
तेरे में निर्माण और तुझ में ही समाना
जीवन भर तेरे साथ रहा
अब तुझसे कैसे दुर हो जाऊँ
बच्चों के रुमाल जैसे बगीचे में
मैं कैसे समा जाऊँ
अपना दोनों का जीवन मतलब
अपनों के हाथ आसमान का होना
मुक्त हवाओं में खुलकर जीना
तुफानो में बहना और बारिश में भीगना
ठंड की लहरों में, किसी कोने में कंबल लपेटकर बैठना
ऐसा जीवन तेरे साथ, मिट्टी बोली हाँ रे मैं भी जीती
रहती हूँ अपनों के हाथ
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६७
तेरे अमृत जैसे पैरों को
हमेशा मेरा प्रणाम रहे
तुम्हारा आशिर्वाद का हाथ
सदा मेरे सर पे रहे
प्यार की छाँव तेरी
मेरे घर में बहती है
व्दार के बाहर भी
तेरी आस लगाए रहती है
अपनी सी करती है तेरी बाते
ममता से हाथ फिरे
तुम्हारे बोल प्रेरणा भरे
जीने के लिए प्रेरित करे
माँ तू मेरी जनम की
ऋण बंधन की गाँठ
यह रेशीमधागे जैसा रिश्ता
हमेशा रहे मेरे साथ
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