Wo Maya he - 75 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 75

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वो माया है.... - 75



(75)

कांस्टेबल अरुण सादे कपड़ों में युसुफ ट्रैवेल्स के दफ्तर पर नज़र रखे हुए था। सुमेर सिंह ने उससे कहा था कि हो सकता है कि इस्माइल अपने चाचा से मिलने आए। अगर ऐसा होता है तो वह फौरन थाने में खबर दे। कांस्टेबल अरुण अपनी पैनी नज़र बनाए हुए था चार दिन हो गए थे लेकिन अभी तक इस्माइल अपने चाचा से मिलने नहीं आया था। उसने पुलिस स्टेशन सुमेर सिंह को फोन किया। उनसे कहा कि वह नज़र रखे है पर ना तो इस्माइल आया और ना ही कोई ऐसी गतिविधि हुई है जिससे कोई शक पैदा हो। उसने कहा कि लगता है इस्माइल कहीं दूर भाग गया है। सुमेर सिंह ने उससे कहा कि जो भी हो अगले आदेश तक वह उस जगह पर नज़र बनाए रखे।
रात के नौ बज रहे थे। कांस्टेबल अरुण खड़ा खड़ा बोर हो रहा था। सोच रहा था कि ना जाने कब तक वहाँ खड़ा रहना पड़े। फिर भी खुद को मिले ऑर्डर का पालन करते हुए वह युसुफ ट्रैवेल्स के दफ्तर पर नज़र बनाए हुए था। उसने देखा कि एक मोटरसाइकिल आकर दफ्तर के सामने रुकी। उस पर सवार आदमी ने किसी को फोन किया। बात करने के बाद वह युसुफ ट्रैवेल्स के दफ्तर में घुस गया। अब तक बोर हो रहा कांस्टेबल अरुण एकदम से मुस्तैद हो गया।‌ उसके मन में आया कि जो आदमी अंदर गया है उसका इस्माइल से कोई संबंध ज़रूर है। उसने फौरन सुमेर सिंह को फोन मिलाया और सारी बात बताई। सुमेर सिंह ने कहा कि वह अपनी नज़र बनाए रखे। वह सब इंस्पेक्टर नवीन को भेज रहे हैं।
कांस्टेबल अरुण ने सोचा कि यहाँ खड़े रहने की जगह अच्छा होगा कि वह अंदर जाकर देखे। वह ऑफिस के अंदर गया तो वह आदमी वहाँ नहीं था। एक आदमी ऑफिस में बैठा था। उसने सलाम करके कहा,
"अगर आप किसी ट्रैवल प्लान के लिए आए हैं तो ऑफिस बंद हो गया है। आप कल आइएगा। साढ़े नौ बजे सुबह से साढ़े आठ बजे शाम तक ऑफिस खुला रहता है।"
कांस्टेबल अरुण पहले तो घबराया कि क्या जवाब दे। फिर उसके दिमाग ने काम कर दिया। उसने ऊपर जाती हुई सीढ़ियां देखी थीं। वह समझ गया कि जो आदमी अंदर आया था ऊपर गया होगा। उसने कहा,
"अभी भाई अंदर आए थे। उन्होंने फोन करके ऊपर बुलाया है।"
कांस्टेबल अरुण ने पूरे विश्वास के साथ अपनी बात कही थी। ऑफिस में बैठे हुए आदमी ने कहा,
"ठीक है चले जाओ।"
कांस्टेबल अरुण बड़े आराम से सीढ़ियां चढ़कर ऊपर पहुँचा। ऊपर एक बरामदा था उसके दोनों तरफ आमने सामने दो दरवाज़े थे। कांस्टेबल अरुण को लगा कि वह आदमी इन दोनों में से ही किसी कमरे में होगा। उसने सीढ़ियों के पास वाले दरवाज़े पर कान लगाया। अंदर से बातें करने की आवाज़ आ रही थी। वह सुनने की कोशिश करने लगा। उसके कान में इस्माइल का नाम पड़ा। वह और ध्यान से सुनने लगा। एक आदमी कह रहा था कि उसका जो सामान और पैसे थे इस बैग में रख दिए हैं। उससे कहना कि अब इधर का रुख कभी ना करे। सिर्फ उसके कारण हमारे दफ्तर में पुलिस आई थी। हम नहीं चाहते हैं कि उसके चक्कर में मेहनत से बनाया गया नाम मिट्टी में मिल जाए। दूसरे आदमी की आवाज़ आई। उसने कहा कि उसकी इस्माइल से बात हुई थी। उसने कुछ और पैसे मंगाए हैं। आप दे दीजिए। वह पंजाब चला जाएगा। लौटकर नहीं आएगा। कांस्टेबल अरुण को दरवाज़े की तरफ बढ़ते कदमों की आहट सुनाई पड़ी। वह समझ गया कि कोई दरवाज़ा खोलने आ रहा है। उसने सोचा कि क्या करे ? यहाँ तो छिपने की भी जगह नहीं है। उसने सोचा भागकर ऑफिस से निकल जाता है। वह सीढ़ियों की तरफ बढ़ा। हड़बड़ी में पैर गलत पड़ गया। वह सीढ़ियों से नीचे गिर गया। उसके पैर में मोच आ गई थी। बहुत दर्द हो रहा था। दरवाज़ा खोलकर इरफान बाहर आया। उसने सीढ़ियों के नीचे दर्द से कराहते एक आदमी को देखा‌। उसका आदमी उससे सवाल पूछ रहा था। इरफान समझ गया कि यह पुलिस का आदमी है। उसने कमरे के अंदर आदमी से कहा,
"बेवकूफ अपने साथ पुलिस को लेकर आ गए।"
वह आदमी बाहर आया। उसके कंधे पर बैग था। उसने कहा,
"मैं किसी को लेकर नहीं आया। हाँ मैंने इसे आपके ऑफिस के पास देखा था। मुझे लगा कि कोई होगा।"
इरफान ने कहा,
"बैग लेकर फौरन निकल जाओ। हम इसे देखते हैं।"
वह आदमी सीढ़ियां उतर कर कांस्टेबल अरुण के पास आया। उसे घूरकर देखा और निकल गया। उसके जाने के बाद इरफान कांस्टेबल अरुण के पास आया। अपने आदमी को डांटते हुए बोला,
"तुम्हारे रहते यह यहाँ तक कैसे आ गया ?"
उस आदमी ने कहा,
"भाई इसने कहा कि उस आदमी के साथ है।"
"इसने कहा और तुमने ऊपर भेज दिया। पहले हमसे पूछ नहीं सकते थे।"
इरफान खड़े होकर सोचने लगा कि क्या करे ? कांस्टेबल अरुण ने कराहते हुए कहा,
"अच्छा होगा कि पुलिस की मदद करो। इस्माइल को बचाकर तुम अपने लिए मुश्किल बढ़ा रहे हो।"
इरफान ने उसे डांटकर चुप रहने को कहा। तभी सब इंस्पेक्टर नवीन अंदर आ गया। साथ में एक दूसरा कांस्टेबल था। उसने कांस्टेबल अरुण को देखकर कहा,
"तुम ठीक तो हो ना ?"
"सर पैर में मोच है। पर आप उस आदमी को पकड़िए। वह इस्माइल का ठिकाना जानता है। अभी कुछ समय पहले उसका सामान लेकर निकला है।"
"हमने बाहर किसी को देखा नहीं। शायद हमारे पहुँचने से पहले भाग चुका था। लेकिन इस्माइल बचकर जाएगा कहाँ। इस्माइल के चाचा को पता होगा कि वह कहाँ है। हमें सब बता देंगे।"
सब इंस्पेक्टर नवीन ने इरफान से कहा कि वह चुपचाप सब बता दे। अगर उसने छिपाने की कोशिश की तो उसके लिए और बुरा होगा। इरफान ने बताया कि इस्माइल कौशल और पवन के कमरे में छिपा है। वह सुबह पंजाब के लिए निकलने वाला है। लेकिन पुलिस उसके पीछे है यह जानकर जल्दी भागने की कोशिश करेगा। सब इंस्पेक्टर नवीन ने फोन करके सुमेर सिंह को सारी सूचना दी। सब इंस्पेक्टर नवीन इरफान को पकड़ कर थाने ले गया। कांस्टेबल अरुण को डॉक्टर को दिखाकर घर भिजवा दिया गया।
सूचना मिलते ही सुमेर सिंह फौरन इंस्पेक्टर विश्वकर्मा के साथ इस्माइल को गिरफ्तार करने के लिए निकल गया था। जब पुलिस पहुँची तो इस्माइल भागने की तैयारी में था लेकिन पकड़ा गया।
पूछताछ के लिए इस्माइल और उसके चाचा इरफान को साइमन और इंस्पेक्टर हरीश के सामने पेश किया गया। इरफान ने बताया कि उसने पुलिस से झूठ कहा था कि इस्माइल उसके डांटने से नाराज़ होकर एक दिन पहले ही कहीं चला गया था। सच तो यह था कि उसके किसी जानने वाले ने अखबार में कौशल की गिरफ्तारी के बारे में पढ़कर उसे खबर दी थी। उसने तफसील से खबर पढ़कर सुनाई थी। इरफान जानता था कि कौशल इस्माइल का दोस्त है। खबर में लकी ढाबे का ज़िक्र था। इरफान समझ गया कि ढाबे पर हुए कत्ल से कहीं ना कहीं इस्माइल भी जुड़ा है। उसने फौरन इस्माइल को सारी बात बताई। सब सुनकर इस्माइल परेशान हो गया। उसे डर था कि पुलिस कौशल से सब पता करके यूसुफ ट्रैवल्स के दफ्तर आ सकती है। इरफान ने कुछ दिनों के लिए उसे कहीं चले जाने को कहा। उससे कहा था कि किसी भी कीमत पर अपना फोन ऑन ना करे। उसे एक दूसरा मोबाइल देकर संपर्क में रहने को कहा था। जब सब इंस्पेक्टर नवीन पूछताछ के लिए आया तो इरफान ने फोन करके उसे बता दिया। उससे कहा कि जहाँ है कुछ दिन वहीं रहे। मामला शांत हो तो कहीं दूर चला जाए।
इस्माइल ने बताया कि अपने चाचा के घर से निकल कर पहले तो वह एक छोटे से होटल में रुका। पर उसे लग रहा था कि पुलिस उसकी तलाश में जुटेगी तो वहाँ भी आ सकती है। उसके दिमाग में आया कि कौशल और पवन के कमरे में पुलिस नहीं जाएगी क्योंकी वह वहाँ हो सकता है ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता था। वह उसी कमरे में चला गया। इरफान से हुई बातचीत से उसे लगा कि यहाँ रहने से अच्छा है कि वह मौका निकाल कर पंजाब चला जाए। वहाँ कुछ जान पहचान है। वहाँ छिपकर रहना आसान होगा। उसके पास कुछ पैसे हैं। वह देश के बाहर जाने का जुगाड़ कर सकता है। अपने चाचा के घर से वह जल्दी में कुछ ही पैसे लेकर भागा था। उसने अपने चाचा से कहा कि वह रात में वहाँ आकर अपने पैसे और सामान ले जाता है। पर उसके चाचा ने कहा कि वह ना आए। वह उसके पैसे और सामान किसी के हाथ भिजवा देंगे। लेकिन पैसे मिलते ही वह जितनी जल्दी हो सके कहीं दूर चला जाए। इरफान ने एक भरोसेमंद आदमी से संपर्क किया। उसे इस्माइल का नया नंबर दिया। इस्माइल ने उसे समझा दिया कि उसका सामान लेकर कहाँ आना है। वह यूसुफ ट्रैवल्स के दफ्तर में उसका सामान लेने गया था।
इरफान ने कहा,
"हमें नहीं पता था कि पुलिस का कोई आदमी हम पर नज़र रखे है। हमने उस आदमी को इस्माइल का सामना और सारे पैसे दे दिए थे। पर उसने कहा कि इस्माइल ने ऊपरी खर्चों के लिए कुछ और पैसे मंगाए हैं। हमने सोचा कि नीचे दफ्तर से लेकर दे देते हैं। आपका आदमी शायद हमारी बातें सुन रहा था। वह हड़बड़ी में नीचे भागा होगा और गिर गया। उसे चोट लगी थी। हमने अपने आदमी को फौरन निकल जाने को कहा। हम सोच रहे थे कि आपके आदमी का क्या करें तब तक सब इंस्पेक्टर नवीन आ गया। हमें लगा कि अब कुछ छिपाने का फायदा नहीं है। इसलिए सब सच बता दिया। आप लोगों ने फुर्ती दिखाई और इस्माइल पकड़ा गया।"
इरफान का काम खत्म हो गया था। इसलिए उसे लॉकअप में भिजवा दिया। लेकिन इस्माइल वहीं था। साइमन और इंस्पेक्टर हरीश इस्माइल से पुष्कर की हत्या वाले दिन ढाबे पर जो कुछ हुआ उसके बारे में पूछताछ करना चाहते थे।