हिंदू धर्म में तुलसी का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। इसी कारण तुलसी की पूजा करने से हर तरह के दुख-दर्द से छुटकारा मिल जाता है।
इसके साथ ही जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां पर कभी भी वास्तु दोष नहीं होता है। वहाँ पर सदेव सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है l
हमारी पौराणिक मान्यता के अनुसार तुलसी में लगी मंजरी को तुरंत हटा देने से तुलसी माता के सिर का भार कम होता है पर हम लोगों में से बहुत से लोग इस बात को नहीं जानते हैं l
आइए पौराणिक कथा के माध्यम से जानिए तुलसी मंजरी को हटाने का कारण
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां गंगा के बीच किसी बात को लेकर बहस हो जाती है और यह बहस इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि एक-दूसरे को शाप दे देती है। गंगा मां ने माता लक्ष्मी से कहा कि तुमने मुझे नदी का वेग बनाया है, तो मैं तुम्हें शाप देती हूं कि तुम एक पौधा बन जाओ, जो वृंदा बनकर बाद में तुलसी का पौधा बनीं। तभी वहां मां पार्वती आ जाती हैं और कहती है कि आखिर आप लोगों एक दूसरे से क्यों लड़ रहे हो ?
मां गंगा कहती है कि लक्ष्मी मेरे ऊपर हंसी हैं इसलिए मैंने शाप दे दिया। इस बात पर मां पार्वती कहती हैं कि आप लोगों ने गुस्से में एक-दूसरे को शाप दे दिया, लेकिन इस बात का भान है कि शाप के कारण कितना कष्ट झेलना पड़ता है। मां पार्वती कहती हैं कि 84 लाख योनियों में से 20 लाख योनियां वृक्ष और पौधों की है l लक्ष्मी, तो आप बताएं कि एक बार पौधे के रूप में धरती में जाने के बाद आपको वृक्ष या पौधे के रूप में किस-किस योनि पर रहना पड़ेगा।
मां लक्ष्मी को अपनी भूल का पछतावा हुआ और उन्होंने मां पार्वती से सहायता मांगी और कहा कि कुछ ऐसा हो सकता है कि 20 लाख योनियों से में से एक बार में ही छूट जाऊं। ऐसे में मां पार्वती ने कहा कि इस सवाल का हल मेरे पास तो नहीं है, लेकिन इसका हल महादेव ही बता सकते हैं।
महादेव ही है, जो हर तरह की योनी से छुटकारा दिला सकते हैं। तब मां पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि कोई ऐसा उपाय बताइए प्रभु कि मां लक्ष्मी तुलसी के बाद किसी अन्य योनी का दुख न भोगे। तब महादेव ने इस उपाय को बताया।
कार्तिक माह में लक्ष्मी जी तुलसी के पौधे के रूप में प्रकट हुई । कहा जाता है कि द्वादशी तिथि के दिन तुलसी के पौधे में लगी मंजरी को तोड़कर शालिग्राम को अर्पित कर दें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का पौधे की योनि से मुक्ति मिल जाती है और वह किसी अन्य पेड़-पौधे की योनी में नहीं जाती है और मोक्ष पा लेती हैं। इसके साथ ही ऐसा करने से व्यक्ति को मां लक्ष्मी सुख-समृद्धि, धन-संपदा, ऐश्वर्य का आशीर्वाद देती है।
तुलसी मंजरी को भगवान भगवान कृष्ण को भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी के साथ कृष्ण भगवान प्रसन्न होते हैं।
मंजरी से जुड़े उपाय—
नियमित रूप से शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के चरणों में तुलसी की मंजरी अर्पित करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोाकामनाएं पूर्ण होती है।
मान्यता है कि तुलसी की मंजरी अगर भगवान विष्णु और भगवान शिव को अर्पित की जाए, तो मोक्ष की प्राप्ति होती है व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है साथ ही उसे सीधा भगवान के चरणों में स्थान मिलता है।
मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए लाल रंग के वस्त्र में तुलसी की मंजरी मिलाकर उस स्थान पर रखें जहां आप धन रखते हैं ऐसा करने से मां लक्ष्मी का वास होता है और घर में बरकत बनी रहती है इससे कभी धन की कमी नहीं होती है।
ऐसा माना जाता है कि तुलसी की मंजरी का इस्तेमाल घर से नकारात्मक शक्ति को दूर करने के लिए किया जाता है इसके लिए शुभ मुहूर्त में गंगाजल में मंजरी मिलाकर घर में रख लें और हफ्ते में दो दिन घर में इस जल का छिड़काव करने से नकारात्मक शक्ति दूर होती है।
वैसे तो भगवान शिव और श्री गणेश जी को तुलसी भूले से भी अर्पित नहीं करनी चाहिए लेकिन तुलसी की मंजरी अर्पित की जा सकती है मान्यता है कि भगवान शिव पर जल में तुलसी मंजरी मिलाकर जलाभिषेक करने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है वहीं किसी के जीवन में प्यार न होने पर या फिर विवाह में बाधाएं आने पर दूध में मंजरी डालकर अभिषेक करने से लाभ होगा है।
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