Pauranik Kathaye - 8 in Hindi Mythological Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | पौराणिक कथाये - 8 - मकर संक्रांति की कथा

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पौराणिक कथाये - 8 - मकर संक्रांति की कथा

मकर संक्रांति का त्यौहार अलग अलग राज्यों में अलग अलग रूप में मनाया जाता है।


जैसे गुजरात में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने का प्रचलन है।


मध्यप्रदेश में मंगोडे,खिचड़ी, बाजरे तिल की मीठी रोटी, ग़ज़क,रेवड़ी खाने का और दान का प्रचलन है।


मथुरा में भी खिचड़ी खाने और दान का प्रचलन है।


दक्षिण भारत में पोंगल के रूप में मनाया जाता है।


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हमारे बिहार में मकर संक्रांति के दिन सूर्य और शंकर भगवान की पूजा की जाती हैं ।उन्हें प्रसाद में दही, चुरा (पोहा), गुड़, रेवड़ी, गज़क और खिचड़ी चढ़ाई जाती हैं। और खिचड़ी दान भी किया जाता है।


सुबह में हम लोग दही चुरा और गुड़ खाते हैं ।दोपहर में खिचड़ी बना कर खाते हैं। नए आलू से आलू दम भी बनाया जाता है।


मकर संक्रांति के दिन बनाई जाने वाली खिचड़ी में उड़द का दाल प्रयोग किया जाता है जो शनि से संबंधित है। कहते हैं इस दिन विशेष खिचड़ी को खाने से शनि का कोप दूर होता है। इसलिए खिचड़ी खाने की परंपरा है। वैज्ञानिक नजरिए से मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन करना सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना गया है।


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कथनानुसार


मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। कहा जाता है मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर से जाकर मिली थी।


महाराज भगीरथ ने इस दिन अपने पूर्वजों का तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है।


राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, गुड़, तिल, अक्षत से तर्पण किया था। तब से मकर संक्रांति पर श्राद्ध तर्पण की प्रथा आज तक प्रचलित हैं।


कपिल मुनि ने आशीर्वाद देते हुए कहा था " मातु गंगे


त्रिकाल तक जन जन का पाप हरण करेंगी और भक्तजनों को सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगाजल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायी फल प्रदान करेंगे। "


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मकर संक्रांति मनाने का कारण


मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि को छोड़ते हुए अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश कर जाते हैं । इस दिन से सूर्यदेव की यात्रा दक्षिणायन से उत्तरायण दिशा की ओर होने लगती है । इसलिए मकर संक्रांति पर दान पुण्य का बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन तिलों का दान भी किया जाता है। इससे शनिदेव और भगवान सूर्य की कृपा मिलती है।


मकर संक्रांति और तिल के दान से से जुड़ी पौराणिक कथा


ज्योतिषाचार्य विनोद भारद्वाज ने बताया कि भगवान सूर्य की दो पत्नियां थीं । एक का नाम छाया था, दूसरी का नाम संज्ञा था । सूर्य देव की पहली पत्नी छाया के पुत्र शनि देव थे। शनि देव का चाल चलन सही नहीं था, जिस वजह से सूर्य देव बहुत दुखी रहते थे। एक दिन सूर्य देव ने छाया के साथ शनि देव को एक घर दिया जिसका नाम था कुंभ। काल चक्र के सिद्धांत के अनुसार 11वीं राशि कुंभ है। सूर्य देव ने शनि देव के कुंभ रूपी घर देकर अलग कर दिया । सूर्य देव के इस कदम से शनि देव और उनकी मां छाया सूर्य देव पर क्रोधित हो गए और उन्होने श्राप दिया कि सूर्य देव को कुष्ट रोग हो जाए । श्राप के प्रभाव से सूर्य देव को कुष्ट रोग हो गया । सूर्य देव के इस रोग की पीड़ा में देख उनकी दूसरी पत्नी संज्ञा ने भगवान यमराज की आराधना की। देवी संज्ञा की तपस्या से प्रसन्न होकर यमराज आते हैं और सूर्य देव को शनि देव और उनकी मां के श्राप से मुक्ति दिलाते हैं ।


ऐसे मिले शनि देव के दो घर सूर्य देव जब पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं तो अपनी दृष्टि पूरी तरह कुंभ राशि पर केंद्रित कर देते हैं । इससे कुंभ राशि आग का गोला बन जाती है, यानि शनि देव का घर जल जाता है। जिसके बाद छाया और शनि देव बिना घर के घूमने लगते हैं । तब सूर्य देव की दूसरी पत्नी संज्ञा को आत्मगिलानि होती है। वे सूर्य देव से शनि देव और छाया को माफ करने की विनती करती हैं। इसके बाद सूर्य देव शनि से मिलने के लिए जाते हैं । जब शनि देव अपने पिता सूर्य देव को आता हुआ देखते हैं, तो वे अपने जले हुए घर की ओर देखते हैं। वे घर के अंदर जाते हैं, वहां एक मटके में कुछ तिल रखे हुए थे।


शनि देव इन्हीं तिलों से अपने पिता का स्वागत करते हैं । इससे भगवान सूर्य देव प्रसन्न हो जाते हैं और शनि देव को दूसरा घर देते हैं, जिसका नाम है मकर ।मकर काल चक्र सिद्धांत के अनुसार 10वीं राशि होती है । इसके बाद शनि देव के पास दो घर को जाते हैं मकर और कुंभ ।


इसलिए जब सूर्य देव अपने पुत्र के पहले घर यानि मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है ।


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इसलिए शुभ है तिलों का दान करना । मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त पूजा, यज्ञ और दान के अलावा खाने में तिल का उपयोग करते हैं, उनसे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं । यही वजह है कि मकर संक्रांति पर तिल के दान और खाने में इनका उपयोग करना शुभ माना जाता है ।


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🙏🌹🌹🙏आप सभी को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹🌹🙏