Hotel Haunted - 31 in Hindi Horror Stories by Prem Rathod books and stories PDF | हॉंटेल होन्टेड - भाग - 31

Featured Books
Categories
Share

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 31

"ये क्या हो रहा है Abhi" आंशिका ने गुस्से भरी आवाज में कहा, उसकी आंखों का गुस्सा उसके शब्दों के रूप में बहार निकला रहा था, "ये क्या है... क्यूं मार रहे तुम श्रेयस को?" आंशिका ने एक बार श्रेयस की तरफ देखा जिसकी हालत उसके चेहरे पर अफसोस फिर आया फिर अभिनव की तरफ देखते हुए गुस्से मैं कहा " बोलो, बोलते क्यूं नहीं, क्यूं मार रहे हो उसे...' आंशिका ने चिल्लाते हुए उसके दो हाथ को पकड़ते हुए पूछा...."क्यों मारा मेंने, तुम्हें नहीं पता क्यों मारा मेंने इसे, वाह आंशिका वाह....लगता है इस लल्लू के साथ रहकर थोड़ा बहुत नाटक करना तो तुमने भी सिख लिया है" अभिनव ने आंशिका से अपने आप को छुड़ाते हुए कहा।" पूरे कॉलेज में आज मैं एक Gossip का topic बनकर रह गया हूं,जो लोग कल तक मुझसे नजरे तक नहीं मिला सकते थे वो भी आज मुझ पर हंस रहे है सिर्फ तुम्हारी और तुम्हारे इस लल्लू दोस्त की वजह से।


"लगता है तुम भी शायद यही चाहती थी की पूरा कॉलेज मेरा मजाक बनाएं क्योंकि सीधे तरीके से तो तुम वैसे भी मेरा कुछ नही बिगाड़ सकती।" अभिनव ने आंशिका के कंधों को ज़ोरों से पकड़ के उन्हें दबाते हुए कहा, आंशिका पहली बार आज अभिनव की आंखों में इतना गुस्सा और नफ़रत देख रही थी, उसकी नजर तो सिर्फ अभिनव की आंखों में थी जिसमें उसके लिए आज एक गुस्सा दिखाई दे रहा था, यह देखते ही आंशिका की आंखें धीरे धीरे भरने लगती है "और वैसे भी पिछले कुछ दिनों की अनबन के चलते तुम्हे दूसरो के कंधे कुछ ज्यादा ही पसंद आने लगे है, इस उम्मीद में कि तुम्हारी थोड़ी बहुत खूबसूरती की वजह से मैं नहीं तो कोई रईस लड़का जरूर फस जायेगा" अभिनव ने अपने ego के चलते गुस्से में एक ओर ताना मारा। जिसे सुनकर आंशिका को ये मेहसूस होने लगा की जिस Abhi से उसने प्यार किया था वो कहां गया? क्या यही है इसकी असली शख्सियत? जिस इंसान को वो जानती थी क्या वो सिर्फ एक दिखावा था?!!


यह सब सोचते ही आंशिका के दिल में जो दर्द उभर रहा था वो अब धीरे-धीरे गुस्से में बदल गया क्यों की उसके कभी ऐसा नहीं सोचा था कि अभी उसके साथ कुछ ऐसा कहेगा, वो अभिनव को गुस्से भरी निगाहों से देखने लगी।"लो अब कुछ कह दो तो इनका रोना शुरू"अभिनव ने आंशिका के चेहरे की और देखकर हंसते हुए कहा वो Abhi आगे बोलने ही वाला था की तभी "Keep the shut your fu**i*g mouth"आंशिका ने चिल्लाते हुए कहा जिसे सुनकर सब लोग शांत हो गए गुस्से की वजह से आंशिका की सांसे तेज़ चल रही थी,गुस्से मैं वो अभिनव के पास गई और उसकी आंखों मैं देखते हुए कहा।


"मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम मेरे बारे मैं इतनी घटिया बाते कहोगे, जिस बात को हम दोनो को शांति से सुलझा सकते थे उस बात का ऐसे तमाशा बनाओगे और आज भी तुम ये सब इसीलिए कर रहे हो की तुम सबको दिखाना चाहते हो की तुम मेरा कितना खयाल रखते हो, मेरी कितनी परवाह करते हो।काश की तुमने अपने Ego और Attitude से उठकर हमारे बारे मैं सोचा होता तो शायद तुम यह सब ड्रामेबाजी न करते हुए एक बार मेरा हाल पूछ लेते और तुम्हारी इन्ही सब बहस के चलते मेरी तबियत 5 दिनों से खराब थी तो कल श्रेयस की वजह से ही मैं सही सलामत घर तक पहुंची काश की तुम इतना समझ पाते।"आखिर तक बोलते हुए उसकी अब नम हो गई, उसकी आवाज मैं गुस्सा और दर्द एक साथ दिख रहा था। आंशिका कुछ पल शांत हो गई, सब लोगो की नजरें उन दोनो पर टिकी हुई थी। आंशिका की आंखो से बहता आंसु उसके गालों से होकर नीचे गिर रहा था।


"किसी भी लड़की के लिए प्यार Status और पैसों से बढ़कर है मैं तुममें उस इंसान की उम्मीद लगाए बैठी थी की जो मुझे समझे और प्यार करे पर आज तुमने साबित कर दिया की तुम वो नही हो जो मैं ढूंढ रही थी और आज तुमने उसका सबूत भी दे दिया है our relationship is now over Abhi और दोबारा कभी मुझसे बात करने की कोशिश भी मत करना।"आंशिका की बात सुनने के बाद अभिनव गुस्से मैं classroom से निकल गया जैसे उसे इन सब बातो से कुछ फर्क ही नहीं पड़ता, उसके साथ समीर और अनमोल भी चले जाते है, श्रेयस का ध्यान अभी भी आंशिका पर ही था जिसकी आंखो से अभी भी आंसू लगातार बहते जा रहे थे,जिसे देखकर श्रुति उसके पास आकर बैठ गई। श्रेयस ने अपने कदम आंशिका की और बढ़ाए पर दर्द की वजह से वही पर बैठ गया यह देखकर आंशिका और श्रुति का ध्यान उसके ऊपर गया और वो वो दोनो उसके पास पहुंच गए "Shreyas are you all right?" आंशिका ने श्रेयस को सहारा देकर खड़ा किया पर तभी क्लास शुरू होने की बेल बजी जिसे सुनकर श्रेयस ने कहा "मैं ठीक हूं पर ma'am के आने से पहले मैं चला जाता हू क्योंकि ma'am को यह सब बात पता चल गई तो बहुत प्रोब्लम हो जाएंगी।"



"पर....तुम्हे इतनी चोट आई है और अभी भी खून बह रहा है" आंशिका ने श्रेयस के घाव की और देखते हुए कहा जिसकी वजह से श्रेयस का ध्यान आंशिका पर जिसकी आंखो मैं अभी भी दर्द और हमदर्दी के भाव थे।"it's all right......Tension की कोई बात नही है,मैं ठीक हो जाऊंगा" इतना कहकर उसने ज़मीन से अपना बैग और चश्मा उठाया और धीरे से चलते हुए क्लास से बहार निकल गया।मेरे चेहरे पर इस वक्त कोई expression नही था धीरे धीरे चलते हुए मैं क्लासरूम के बाहर निकल गया। वो तीनो श्रेयस को क्लासरूम के बाहर जाते हुए देख रहे थे।"आज ट्रिश कॉलेज नही आई वरना आज का माहोल कुछ अलग ही होता"मिलन ने श्रेयस की और देखते हुए कहा।मिलन की बात सुनकर आंशिका और श्रुति उसकी और देखने लगे"तुम्हे क्या लगता है यह बात ट्रिश से छुपी रहेगी?....जब उसको यह सब पता चलेगा तो पता नहीं क्या होगा?"


मैं कॉरिडोर से गुजरते हुए वॉशरूम की और बढ़ रहा था। मैने बाहर देखा तो बारिश शुरू हो चुकी थी,जिस वजह से कॉरिडोर मैं काफी लोग मौजूद थे, वहा खड़े सभी लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे, पर मैं अपनी नजरें जुकाए बस चलते जा रहा था,उन सभी लोगो का शोर जैसे मेरे कानो पर ही नहीं पड रहा हो,उन सभी आंखो से अपनी नजरों को चुराते हुए मैने वॉशरूम का दरवाजा खोला और अंदर चला गया।बैग साइड पर रखकर पानी से अपना मुंह धोया,मैने मिरर मैं देखा तो गाल और आंख के पास थोड़ी सी सूजन थी।मैने अपना रुमाल निकाला और उसे थोड़ा पानी मैं भिगोकर अपने घाव को साफ करने लगा।थोड़ी देर मैं वही पर खड़ा रहा,आंशिका की बाते और उसका चेहरा अभी भी दिमाग मैं घूम रहा था एक और उसके लिए बुरा लग रहा था पर दूसरी तरफ दिल को एक अलग ही खुशी और सुकून महसूस हो रहा था की आंशिका को अभी जैसे लड़के से छुटकारा मिल गया। यह सब सोचते हुए मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।



बारिश की तेज़ आवाज़ ने हर जगह को घेरा हुआ था,क्लास का टाइम होने की वजह से इस वक्त लाइब्रेरी मैं ज्यादा भीड़ नही थी।हर्ष दौड़ते हुए लाइब्रेरी के अंदर एंटर होता है,उसने देखा तो एक लड़की टेबल पर बैठकर अपनी किताब मैं खोई कुई थी।"oyyy तेरा पागल, भाई कहाँ है? "हर्ष ने सामने कुर्सी पर बैठी लड़की के सिर पर हल्का से मारा और उसके बगल वाली कुर्सी पे बैठ गया।"उफ्फ....क्या है!!?" बुर्री शकल बनते हुए उसने हर्ष की तरफ देखा"कितनी बार कहा है ऐसे अचानक से सिर पर मत मारा कर।" कहते हुए उसके अपनी नाक सिकुडी और फिर सामने रखी बुक को पढने लगी। "क्या यार निधि तू भी, सारा दिन बुक्स में घुसी रहती है, क्लास खतम होते हैं ही लाइब्रेरी में चली जाती है, क्या मिलता है तूझे इन बुक्स में?" हर्ष ने सामने पड़ी बुक्स को उठाकर देखा और फिर से टेबल पे रख दिया "यार मुझे पढ़ना अच्छा लगता है.....इसमें क्या बुरा है।" निधि ने सामने बुक पे नजरे गढ़ा रखी थी।"तेरा और तेरे भाई का कुछ नहीं हो सकता... हां भाई से याद आया, कहां है वो महाशय?सुबह से दिखा नहीं, आज तो उसकी अच्छे से खबर लुंगा, अकेले अकेले कल मुझे बिना बताए मूवी देख आया, बहुत पर निकल गए हैं उसके "कहकर उसने Pocket से फोन निकला और कॉल करने लगा।"तुझे पता है ना वो और उसका हॉलीवुड....किसी की नहीं सुनता।" निधि ने हंसते हुए अपना काम करते हुए कहा। "Not Reachable आ रहा है, कहां मर गया ये?" हर्ष ने फोन को टेबल पे फैंकते हुए निधि की तरफ देखते हुए कहा, जिसकी नजर अभी भी बुक मैं गढ़ी हुई थी।उसके बाल उसके खिले हुए चेहरे पर बिखरे हुए थे, जिससे उसका आधा चेहरा उसके बालों के पीछे छुपा हुआ था, कुछ पल हर्ष की नज़र उसके मासूम से चेहरे पे टिक्की रही।



"अबे....तू यहां बैठा है..." जैसे ही हर्ष के कानो में आवाज पड़ी उसे अपनी नजरें उठा के देखा तो पाया की सामने अविनाश भीगा हुआ उसी की तरफ देख रहा है"क्या हुआ तुझे, इतना हाफ क्यों रहा है, कौन सी रेस दौड़ते हुए आ रहा है" हर्ष ने उसकी अजीब हालत को देखते हुए कहा। आवाज़ सुन के निधि ने भी अपनी किताबों से नज़रें हटाई और अविनाश की ओर देखने लगी, "भाई ये क्या हलत बना रखी है, पूरा भीग गया है तू, ऐसे तो तू बीमार पड़ जाएगा.....और वैसे भी इतनी बारिश मैं ऐसा क्या काम था की तुम....." निधि ने अगर बोलना शुरू किया तो वो चुप होने का नाम नहीं लेने वाली थी इसलिए अविनाश ने उसको बीच में ही रोकते हुए कहा "तू शांत होगी जरा"अविनाश ने उसे अपना हाथ दिखाते हुए कहा तो निधि चुप हो गई " हर्ष..... तू यहां आराम से बैठा है मतलब की तुझे कुछ नहीं पता... " अविनाश ने अपनी बात धीरे धीरे अपनी सांसों को काबू करते हुए कही "क्या नहीं पता?" अविनाश की बात सुनते ही हर्ष का चेहरा भी गंभीर हो गया।"श्रेयस और अभिनव की लड़ाई हुई है, बहुत बुरी तरह से मारा है अभी ने श्रेयस को" इतना कहते ही अविनाश रुक गया और हर्ष को घुरने लगा, क्यों की अविनाश की बातें सुनते ही हर्ष का चेहरा गुस्से से भर गया, एक पल के लिए वो अविनाश को घुरने लगा, फिर वो अपनी जगह से खड़ा हुआ और तेज़ी से दौड़ते हुए लाइब्रेरी से निकल गया, उसके पीछे निधि और अविनाश भी निकल गए।


वॉशरूम से निकलकर श्रेयस कॉलेज Campus के बाहर निकल रहा था तभी उसने देखा left साइड के कॉरिडोर से आंशिका बाहर निकल रही थी, दोनो ने एक दूसरे की ओर देखा पर श्रेयस ने आज हुए झगड़े की वजह से वहा से चले जाना ही ठीक समझा।वो अभी बाहर निकलने ही वाला था की आंशिका ने उसे रोकते हुए कहा "श्रेयस रुको...."आंशिका की आवाज सुनकर श्रेयस वही रुक गया, उसके दिल की धड़कने यह सोचकर तेज़ चलने लगी कि "आंशिका उससे क्या पूछेगी?क्या सवाल करेगी?" आंशिका चलते हुए उसके पास आई वो अभी कुछ बोलने वाली थी उसके पहले ही श्रेयस बोल पड़ा "आंशिका I'm really very sorry की तुम्हे मेरी वजह से इतनी problems हुई,मेरा सच में ऐसा कोई intention नही था अगर तुम चाहो तो मैं अभिनव को भी समझाने को तैयार हूं।" श्रेयस ने एक ही सांस मैं अपनी बात कह डाली।


श्रेयस की बात सुनकर आंशिका उसके चेहरे को देखती रहती है।थोड़ी देर शांत रहने के बाद वो बोलती है"श्रेयस तुम इतने polite और pure Nature वाले कैसे हो?मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि आज जो कुछ भी हुआ उसमे तुम्हारा कोई fault नही था और रही बात अभिनव की तो उसे अपनी गलती को समझना होगा,जिस तरह से उसने तुम्हारे साथ behave किया तो उसे तुमसे माफी मांगनी चाहिए।"आंशिका की बात सुनकर मैं उसके चेहरे को बस देखता ही रह गया।उसने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा "वैसे मैने तुम्हे इस बात के लिए नही रोका था।"उसने अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए कहा "can you be my friend? तुम्हारे जैसा दोस्त मिलना किस्मत की बात है मुझे दूसरे लोगो की नही परवाह की वो मेरे बारे मैं क्या सोचेंगे।"उसकी यह बात सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं खुली आंखो से सपना देख रहा हूं।दिल मैं एक खुशी की लहर सी दौड़ गई।मैं अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके उन कोमल हाथ से मिलाया जिसे देखकर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई।अभी हम दोनो बात कर ही रहे थे की तभी मैंने देखा की भाई बारिश मैं दौड़ते हुए किसी को ढूंढ रहा हो और उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिख रहा था तभी उसके दिमाग में कुछ आया और वो केंटीन की तरफ बढ़ गया।


To be Continued......