"आज मैंने पहली बार उसे इतने करीब से देखा, उसको छूते ही दिल को एक अलग ही बैचेनी महसूस हुई, ऐसा लग रहा था मानों कुदरत के दिए हुए कुछ लम्हो को मैने हाथ में बटोर लिया हो, जिंदगी के दिए गए उस एहसास को दिल से कभी नहीं मिटा पाऊंगा....कभी नहीं... "खाली पन्नो को श्रेयस अपनी याद से अपने दिल की सिहाई से भर रहा था।
"मुझे याद है वो दिन, मेरे कॉलेज का पहला दिन, जिस दिन मुझे वो मिली थी, उसका चेहरा दिखा था, पहली बार दिल ने कुछ महसूस किया था, उस दिन मेरे दिल ने मुझसे बात की थी .... किसी को पाने की मांग की थी "सोचते हुए श्रेयस ने अपनी डायरी के पन्ने पलटना शुरू किया और फिर एक जगह जाके रुक गया जहां उसके पहले दिन के हुए नए एहसास के एक छोटे से टुकड़े को कागज पे उतारा था।
कॉलेज का पहला दिन.....
श्रेयस धीरे धीरे चलते हुए अपनी क्लास की तरफ जा रहा था,जैसे ही वो क्लास के गेट पे पहुंचा तो उसके कदम बहार ही रुक गए, क्योंकि सामने गेट पे ही एक लड़की खड़ी थी जिसने अंदर जाने का रास्ता रोका हुआ था, लेकिन वो लड़की मुड़ के किसी से बात कर रही थी इसीलिये उसे पता नहीं था की उसके पीछे कोई खड़ा है...... "एक्सक्यूज मी..." श्रेयस ने बस इतना ही कहा कि वो लड़की घूम गई, उसके घुमते ही श्रेयस की आंखों के सामने उस लड़की का चेहरा आ गया... जिसे देखते ही श्रेयस का गला बंद हो गया और उसने अपनी आंखें ऐसे खोल ली मानो वो उसके चेहरे के हर हिस्से को अच्छे से देखना चाहता हो, साथ ही साथ दिल की धड़कने भी उस चेहरे को देख के तेज़ से धड़कने लगती है।सामने चेहरा नहीं कुदरत की वो आकृति थी, जिसे उसने बहुत प्यार से संवारा था, श्रेयस उस कुदरत के अनमोल तोहफे को देखे जा रहा था लेकिन वो उस चेहरे को यूं खड़ा ज्यादा देर देखता उससे पहले "उफ़ सॉरी" कहते हुए वो मुड़ी और क्लास के अंदर चली गई लेकिन श्रेयस तो हिला तक नहीं, उसे तो अभी भी वही चेहरा अपने सामने खड़ा दिख रहा था.... लेकिन तभी पीछे से एक लड़का धक्का मरता हुआ अंदर घुसा तो श्रेयस को होश आया, उसे खुद भी बेहद अजीब लगा की अचानक क्या हुआ उसके साथ। श्रेयस classroom के अंदर आकर बैठ गया ,उसने घड़ी देखी तो क्लास शुरू होने मै बस अब कुछ ही मिनट बचे थे।तभी उसकी नजर सामने की तरफ गई तो सामने वही लड़की बैठी थी,वो इस वक्त फोन पर किसी से बात कर रही थी।
हंसता हुआ उसका चेहरा इस कदर खूबसूरत लग रहा था कि श्रेयस को ऐसा महसूस हो गया मानो वो चेहरा उसके दिल के धड़कन में बस रहा हो।उसका वो मासूम सा चेहरा,कोमल से गाल और हंसते हुए उसके नाक का हल्का सा लाल होना, जिसे देखकर श्रेयस के चेहरे पर मुस्कान छा गई......कहते हैं कुदरत का सबसे बड़ा तोहफा बचपन होता है, बिलकुल वही मासूमियत सी हंसी उसके चेहरे पे थी।
ना जाने क्यों उस चेहरे को देखते ही श्रेयस के दिल में उससे अपने पन सा लगने लगा, वो नहीं जनता था की ये उसके साथ क्या हो रहा है, पर इसको पहले उसके आज तक कभी कुछ ऐसा मेहसूस नहीं किया था, पर शायद ये सबसे प्यारा एहसास था और वो इस एहसास को अपने साथ बांटना चाहता था, इसीलिये उसके बैग में से अपनी डायरी निकली और उसे शब्दों में पिरोने लगा।
"लफ्ज़ो में ब्यान किस्से तो बहुत सुने है पर आज रूबरू हुए हैं उनसे तो देखा की
खामोशी की भी अपनी कहानी है।"
लिखते हुए श्रेयस के चेहरे पे बेहद प्यारी मुस्कान थी तभी उसके कानो में एक नाम पड़ा...जिसे सुन के उसे नज़रे उठाई।
"आंशिका..." उसके कानो में यही आवाज पड़ी जिसको सुनते ही उसके उस चेहरे को देखा जो आगे बढ़ रहा था, श्रेयस की नज़र उसी पर टिक्की हुई थी कि तभी उसकी नज़रों ने देखा......आंशिका सीधे जाके एक लड़के गले लग गई और दोनो एक दूसरे की आंखों में देखते हुए बात करने लगे।
श्रेयस उपर छत की तरफ देखते हुए उन बीते लम्हों के बारे मै सोच रहा था और आज आंशिका से मिलने की खुशी से ज्यादा उसके बाद जो दर्द उसे हुआ था वो आज तक उसकी आंखों में था, जो इस वक्त भी आंसू के रूप में उसकी आंखों से बहार निकल रहा था, लेकिन आंशिका के साथ हुएं आज के हादसे ने उसे मजबूर बना दिया की वो उन पलों को याद करे।
"में इस बात को अच्छी तरह समझता हूं कि मैं आंशिका से कभी प्यार करने की नहीं सोच सकता, वो तो किसी और की है तो फिर में कैसे उससे अपना बनाने की सोच सकता हूं, वो मेरी कभी नहीं हो सकती।"सोचते हुए श्रेयस ने अपनी आंखें बंद कर ली क्लास में यूं खोए रहना, क्लास के दूर पे खड़े रह के किसी की तरफ देखते हुए खो जाना वो वजह कोई और नहीं आंशिका ही थी......जिसे देखते हुए हंमेशा श्रेयस खो जाता था।
प्यार जिंदगी का वो तोहफा जो इंसान की जिंदगी मै एक जान भर देता है, यह एहसास किसी को बता के नही मिलता,वो उस इंसान की ओर खींचा चला जाता है जिसे वो चाहता है। श्रेयस फिलहाल गेहरी नींद में आंशिका के बारे मैं सोचते हुए सो गया,पर वो भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है क्योंकी आंशिका के एहसास ने ही उसे जिंदगी की उस खुशी और प्यारभरी बैचेनी से रूबरू करवाया था जिसे वो खुद भी खत्म नहीं कर पाएगा।
अगली सुबह......
"मां में जा रहा हूं..." कहते हुए मैंने अपना bag उठाया और जैसे घर से बहार निकला, बहार का मौसम देख के दिल में एक ठंडी लहर दौड़ गई।आसमान में काले बादल छाए हुए थे, 9 बज रहे थे सुरज बादलों के बीच में से अपनी हल्की रोशनी बिखेर रहा था , ठंडी हवा बदन में पड़ी तो दिल को बहुत सुकून मिला।पुरे रास्ते आंशिका के साथ बिताए हुए लम्हों के बारे में सोचता रहा,यह सब सोचने हुए रास्ता कब बीत गया और वो कब कॉलेज पहुंच गया पता ही नहीं चला।
"आज कॉलेज में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी, हो भी क्यों ना मौसम ही इतना खुशनुमा है आज का..." मैं धीरे धीरे अपनी क्लास की तरफ़ बढ़ा रहा था, वैसे-वैसे उसके दिल की धड़कन भी बढ़ रही थी, एक अजीब सा भारी पन महसूस हो रहा था.....वजह सिर्फ यही थी कि कल हुए हादसे के बाद आज में आंशिका को कैसे फेस करूंगा, वो मुझे कैसा रिएक्शन देगी, बात करेगी की नहीं, अगर बात करेगी तो में क्या बात करूंगा... ये सब सोचते हुए क्लास कब आ गई आज वो भी पता नहीं चला, मैं कुछ सेकेंड क्लास के बहार ही खड़ा रहा और फिर धीरेे-धीरे अंदर जाते हुए उसने चारों तरफ नजरे घुमाई तो मुझे आंशिका पूरे क्लास में नहीं दिखी।
"ना जाने क्यों ये देख की आंशिका क्लास में नहीं है अजीब सी निराशा हुई, शायद में भी यही चाहता हूं की आंशिका क्लास में मिले और मुझसे बात करे और दूसरी तरफ यह भी लग रहा था की अच्छा हुआ आंशिका नहीं है वर्ना उससे Face कैसे करता..... बेहद उलजन चल रही थी शरीर के अंदर समझ नहीं आ रहा था क्या सही है क्या नहीं....." यही सब दिमाग की उलझनों को दूर करते हुए श्रेयस अपनी सीट की तरफ बढ़ रहा था, सामने मिलन और श्रुति आपस में बात कर रहे थे, श्रेयस कुछ कहने ही वाला था की उसी पल किसी ने पीछे से उसका कॉलर पकड़ा और जमीन पर गिरा दिया।
अचानक हुए हमले से श्रेयस अपने आप को नहीं संभाल पाया और वो निचे गिरते हुए हल्का सा चिल्ला पड्डा, उसका चश्मा उसके चेहरे से उतर के नीचे फर्श पर गिरा और टूट गया...... क्लास में शोर गुंजते ही सब शांत हो गए और आवाज़ की तरफ देखने लगे...... कुछ पल श्रेयस ऐसे ही जमीन पर पड़ा रहा उससे समझ ही नहीं आया के अचानक ये क्या हुआ, वो सोचने हुए खड़ा हुआ और खड़े होते ही जैसे मुड़ा उसी पल एक हाथ ने उसके गल्ले को पकड़ा और उसे धक्का देते हुए पीछे दीवार से लगा दिया, श्रेयस अपनी चौड़ी हुई आंखों से सामने खड़े शक्स को देख के चौक गया।
कुछ देर पहले.....
सुबह का वक्त था, आज कॉलेज मैं काफी भीड़ थी सभी स्टूडेंट्स कॉलेज में एंटर हो रहे थे तभी एक बाइक कॉलेज गेट से एंटर हुई और सीधी जाके पार्किंग में खड़ी हो गई। बाइक पे बैठे लड़के ने उसका हेलमेट उतारा और बाइक के मिरर पे देखते हुए अपने बाल ठीक करने लगा। बालो को ठीक करने के बाद चलते हुए वो कॉलेज की कैंटीन के पास पहुंचा तो कैंटीन में बैठे सभी लोग एक पल के लिए उसकी ओर देखने लगते हैं, उसे यह बात थोड़ी अजीब लगती है, उसने अपनी नज़रें इधर उधर घुमाई मानो किसी को ढूंढ रहा हो तब उसकी नजर एक जगह जाके रूक गई और वो उस बढ़ गया " Hey Guys..." कहते हुए उसके एक लड़के के कंधे पे हाथ रखा और उसके बगल की चेयर पे बैठा गया।
"हे अनमोल, हे सैम" सबसे हाथ मिलाने के बाद वो सभी की शकल देखने लगा जो इस वक्त उसी को देख रहे थे... "क्या हुआ यह सभी लोग मुझे ऐसे क्यों देख रहे है,आज कुछ ज्यादा ही हैंडसम लग रहा हुं क्या?" उसने मुस्कुराते हुए कहा। सामने बैठे लडके ने एक चिप्स उठा के मुह में डाला और समीर की तरफ देखते हैं हुए कहा, "लो जी भाई साहब को तो कुछ पता ही नहीं है"
"क्या नहीं पता मुझे?"
"अभी तुझे नहीं पता की कल क्या हुआ" अनमोल ने उसकी तरफ देखते हुए आश्चर्य से कहा।
"नहीं, क्यों कल कुछ स्पेशल हुआ था क्या जो तुम मुझसे पूछ रहे हो" Abhi ने उसी रवैया के साथ कहा। "हाहाहा...... अबे यार बात ही ऐसी है, मैं तो नहीं बता सकता" सैम ने अपनी हंसी को कंट्रोल करते हुए कहा।अभी ने अपने आसपास नजर गुमाई तो सभी लोग उसकी तरफ देख रहे थे तो कुछ हंस रहे थे,ये देखकर उसका दिमाग खराब हो गया और उसने चिल्लाते हुए कहा "Stop it Sam....ये हंसने का वक़्त नहीं है"आज तक उससे किसी ने ऊंची आवाज में बात नहीं की थी और आज उसके पीछे से आधे से ज्यादा कॉलेज उसकी पीठ पीछे बात कर रहा है,उस पर हंस रहा है और उसे इस बारे में कुछ पता ही नहीं है ये बात उसे अंदर ही अंदर गुस्सा दिला रही थी"देखो तुम सब अब मेरा गुस्सा मत बढ़ाओ, साफ साफ बताओ बात क्या है" अभिनव ने अपने दांत पिस्ते हुए कहा।
" अरे यार अभी तुझे लगता है किसी ने कुछ बताया नही, कल की बात है आंशिका की कार खराब हो गई थी, तो उससे मेट्रो से जाना पड़ा, लेकिन अचानक उससे मेट्रो स्टेशन पे चक्कर आ गया और वहां से उसे एक लड़के ने......"अनमोल अपनी बात कहते हुए बीच मैं ही रुक गया और वो अपना फोन चेक करने लगा उसने एक फोटो निकाली और अभिनव के सामने रख दी। उस फोटो को देखकर अभिनव के चेहरे पर गुस्सा छाने लगा।
"यह फोटो कल शाम को किसी ने खींचकर कॉलेज ग्रुप मैं डाल दी है, इसीलिए कॉलेज में सभी ये कर रहे हैं की एक लल्लू अभी के हाथ से लड्डू चुरा के ले गया और अभी कुछ नहीं कर पाया, सब बातें बना रहे हैं भाई" समीर ने अपनी बात बड़े आराम से कही समीर की बातें सुन के अभिनव अपनी जगह से खड़ा हो गया और अपनी नजर घुमा के इधर उधर देखने लग तो सब उसकी तरफ देख रहे थे सभी को ऐसे देख अभिनव गुस्से में अपने दांत पीसने लगा।
"छोटी सी बात नहीं है ये, अभी तुझे कुछ करना चाहिए नहीं तो तेरी जो Image है उसका सबके सामने बैंड बज जाएगा, सब तेरे पे हंसते रहेंगे ऐसे ही... सब को यही लगेगा की वो लल्लू तुझे तेरी आंशिका को चुरा के ले गया है।" अनमोल ने अभी का गुस्सा और भड़का दिया.....यह सुनकर अभी का दिमाग आपे से बहार हो गया,"where is that f*c**ng basterd?"उसने चिल्लाते हुए कहा,अभी की आवाज़ सुनकर सब लोग शांत हो गए और उसकी ओर देखने लगे तभी उसके दिमाग मैं कुछ आया इसलिए वो गुस्से में कैंटीन से बहार निकला और अपनी क्लास की तरफ चल दिया।
श्रेयस ने क्लास के दूर से अंदर झांक कर देखा तो उसे आंशिका नहीं दिखी ये देख उसके चेहरे पे मायूसी छा गई, कुछ डर वो वैसे ही वहां खड़ा रहा और फिर क्लास के अंदर पहुुंचकर उसकी नज़र सामने बैठे मिलन और श्रुति पे पड़ी जो आपस में बातें कर रहे थे, दोनो को देखते हैं हुए श्रेयस कुछ कहने ही वाला की था कि उसी पल किसी ने उससे पीछे से धक्का का दे दिया, अचानक से ऐसे धक्का लगने से वो सामने की तरफ नीचे ज़मीन पे गिर गया.... कुछ पल तो उससे समज ही नहीं आया कि अचानक क्या हुआ उसके साथ, यह सोचते हुए वह उठा और जैसे ही पिछे मुडा, उसी पल अभी ने उसका गला पकड़ा और उसे ढकेलते हुए पीछे दीवार से सटा दिया..... अचानक से हुए शोर को सुन के सब का ध्यान इस तरफ चला गया, जैसे ही मिलन और श्रुति ने ये देखा वो अपनी सीट से खड़े हो गए।
"ये अभी ने श्रेयस का गला क्यों पकड़ा हुआ है..." मिलन ने सामने का नजारा देखते हुए कहा।
"उसकी मदद करो.. ऐसे खड़े क्यों हो..." श्रुति ने मिलन की ओर देखते हुए कहा।
"म...म..में!!?....पर..." हकलाते हुए मिलन ने बस इतना ही कहा की श्रुति उसे चश्मे के पिछे से अपनी गुस्से भरी नज़रों से घूरने लगी,मिलन अपनी जगह से आगे बढ़ा तभी उसके सामने समीर और अनमोल आ गए।उन्होंने उसका रास्ता रोकते हुए कहा "अरे इतनी जल्दी भी क्या है?" मिलन अभी कुछ करता उसके पहले सभी के दोनो के कानो में आवाज पड़ी।
"अभी की girlfriend पर नजर डालता है, अभी की girlfriend पर" अभिनव ने उसके गले पर हाथ पिसते हुए कहा, श्रेयस की आंखों बहार आने को हो गई, उससे सांस नहीं आ रही थी तभी उसके अपने हाथ अभी के हाथ पे रखे और उसे अपने से अलग करने लगा और देखते ही देखते उसे अभी का हाथ अपने गले के ऊपर से हटा दिया और उसे थोड़ा दूर झटका दिया। गले से हाथ हटते ही श्रेयस ज़ोरों से खांसने लगा, उसकी आंखों से पानी निकल रहा था,वो लंबी लंबी सांसे ले रहा था और फिर अपना गर्दन उठा के सामने खड़े अभिनव को देखने लगा जो उसकी तरफ गुस्से भरी नजरों से घुर रहा था "अभी मेरी बात सुन, ऐसा कुछ नहीं है में तो बस....." श्रेयस इतना ही कह पाया की अभी ने एक पंच उसके चेहरे पे दे मारा, चेहरे पे पंच पड़ते ही श्रेयस बगल वाली सीट के ऊपर हल्का सा झुक गया, उसे अभी भी सांस लेने में हल्की सी तकलीफ हो रही थी इसीलिये वो अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था, पर जैसे तैसे वो वापीस खड़ा हुआ और अभी की तरफ देखते हुए अपनी सांसों को काबू करते हुए बोलने लगा... "देख अभी मेरी बात सुन" श्रेयस ने फिर इतना ही कहा की अभी ने उससे अपने हाथ से पीछे की तरफ धक्का दे दिया, "बड़ा भोला समझौता है तू अपने आप को, तुझे क्या लगता है तू अभी की girlfriend को छेड़ेगा और में तुझे माफ कर दूंगा, तुझे क्या लगता है कि कोई मुझे कुछ नहीं बताएगा, शकल देखो कितनी भोली है और लड़कियों को छेड़ता है और वो भी अभिनव की Gf को.... "कहते हुए अभिनव ने उसके collar को पकड़ लिया और गुस्से भरी आंखों से श्रेयस को घूमने लगा, श्रेयस को
"नहीं.. नहीं.. अभी..मेरी बात तो सुन..." श्रेयस ने इतना ही कहा की अभी ने फिर से उसका collar पकड़ा और उसे जमीन पे गिरा दिया, श्रेयस पीठ के बल जमीन पर गिर गया, उसके हांथ की sleeve side से फट चुकी थी, जिसकी वजह से वहां से खून निकल रहा था।
"आज के बाद किसी लड़की की मदद करने के बहाने उन्हें छेड़ेगा नहीं तू" अभी ने बेहद गुस्से में कहा और अपना पैर उठा के श्रेयस के चेहरे की तरफ बढ़ाने लगा, ये देख श्रुति ने तो अपनी आंखें बंद कर ली और मिलन के पीछे छुप गई।
"यू ब्लडी बास्टर्ड" चिल्लाते हुए अभी ने अपना पैर श्रेयस के चेहरे के करीब किया ही था की तभी
"स्टॉप इट अभी.... मैंने कहा स्टॉप इट" आवाज़ सुनते ही अभी ने अपनी नजरे घुमाई तो देखा की सामने आंशिका खड़ी है... आंशिका की सांसें काफी तेज चल रही थी और वो अपनी आंखों में गुस्सा लिए अभिनव को ही घूर रही थी..... आंशिका को देखते ही अभी का गुस्सा और बढ़ा गया और उसने अपने पैर को वापीस नीचे किया और झुक के श्रेयस का collar पकड़ के उससे उठाया... "अभी एक बार मेरी बात तो सुन, मेने आंशिका को" श्रेयस ने एक बार फिर से समझने की कोशिश की लेकिन जैसे ही आंशिका का नाम उसे सुना उसका गुस्सा एक बार फिर आउट ऑफ कंट्रोल हो गया,उसने गुस्से मै आकर एक किक श्रेयस के पेट पर मारी, कराहता हुआ श्रेयस जमीन के उपर बैठ गया, उसके मुह से खून की एक धार बहार निकल के नीचे की तरफ गिरने लगी... पीछे खड़ी आंशिका इस मंजर को देख चौक गई, उससे समझ नहीं आ रहा था की उसकी आंखों के सामने अभिनव किसी को इतनी बुरी तरफ से कैसे मार सकता है? वो अभी कुछ कहने ही जा रही थी की तभी अभीने श्रेयस का collar पकड़कर चिल्लाते हुए कहा।
"Don't dare to say her name, वो सिर्फ मेरी है, तेरी वजह से सब मेरा मज़ाक बना रहे हैं, तेरी वजह से " कहते हुए अभी ने पंच उठा के श्रेयस की तरफ बढ़ाया पर वो हाथ उसके चेहरे तक पहुचता उसे पहले आंशिका ने उसका हाथ पकड़ के उससे पीछे खिच लिया और उसे धक्का देकर श्रेयस से दूर धकेल दिया जैसे ही अभिनव हल्का सा पीछे हटा उसी पल श्रेयस उसके हाथ से छूट गया और वो लडखड़ता हुआ सीट का सहारा लिए खड़ा हो गया और अपनी नजरें उठा के आंशिका की तरफ देखने लग जो इस वक्त अभी को गुस्से भरी नज़रों से देख रही थी।
To be Continued.......