Aise Barse Sawan - 6 in Hindi Love Stories by Devaki Ďěvjěěţ Singh books and stories PDF | ऐसे बरसे सावन - 6

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ऐसे बरसे सावन - 6

अमूल्या- एक आंख मारते हुए , थामा... या बाहों में थामा... था इसलिए और फिर जोर से हंसने लगती है (उसके बाद ) ये तो बता इतनी स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी वाला ये बंदा कौन था ?

स्वरा खींझते हुए , "मुझे कैसे पता, देखा नहीं तूने, उसने हैलमेट पहन रखा था l"

हाँ , देखा , चेहरे का तो पता नहीं पर बॉडी से तो किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था l

उसके बाद अमूल्या स्वरा को देखते हुए " थैंक्स गॉड " चल तेरा मूड तो कम से कम ठीक हुआ ,
बेचारे की क्लास लगाने की बजाए तूने उसे सॉरी तो बोला मुझे तो लगा था जैसा तेरा स्वभाव हैं आज उसकी तो खैर नहीं l

अच्छा चल अब ये बता आज क्या बात हुई जो तेरा मूड इतना ख़राब था ?

कुछ नहीं यार वो घर से निकली उसके बाद.......... वह घर से निकलने के बाद और कॉलेज पहुंचने तक की सारी कहानी उसे बताती है... और फिर कॉलेज पहुंचने के बाद की कहानी तो तुझे पता ही हैं l

पूरी कहानी सुनने के बाद , "अमूल्या उसे समझाते हुए कहती हैं ," तु भी न यार जहाँ भी देखो वहीं बरस पड़ती हैं, कितनी बार समझाया हैं इन आवारा लड़कों से दूर ही रहा कर, इन लोगों का तो कुछ नहीं जाता क्योंकि वे लड़के हैं और हम ल़डकियों की गलती ना होते हुए भी यह समाज हमें ही दोषी करार देता है और कहता है कि तुम्हारा ही चरित्र खराब हैं , पहले तो तुम लड़कों को उकसाती हो जब लड़का आगे कदम बढ़ाता है तो कहतीं हो की छेड़ खानी कर रहा है l "

इस पर स्वरा अमूल को समझाते हुए कहती हैं , " देख यार....इस समाज और हमारे चुप रहने की वज़ह से ही तो इन लड़कों का मनोबल इतना बढ़ गया
है कि किसी भी लड़की से छेड़खानी करने से इन्हें डर नहीं लगता है l इन पुरुषों और लड़कों की घटिया मानसिकता के कारण आए दिन न जाने कितनी ल़डकियों से छेड़खानी और दुष्कर्म जैसे मामले घटित हो रहे है इतना ही नहीं इनकी शिकार छोटी बच्चीयों से लेकर बुढ़ी औरतें तक होती हैं l "

"हम कब तक , इस तरह समाज के डर से चुप रहेंगे आखिर हमारा भी मान सम्मान हैं और हमें अपने सम्मान के लिए ख़ुद ही लड़ना सीखना होगा l "

इतनी बातें सुनने के बाद अमूल कहती हैं , " चुप हो जा मेरी झाँसी की रानी अब बस कर मेरी बातों का तो तुझपर कोई असर होने वाला नहीं है और मैं तुझसे बहस में जीत नहीं सकती इसीलिए इस टॉपिक को अब यहीं विराम देते हैं और अपने अपने घर निकलते हैं, चल बाय , अपना ध्यान रखना l "

कॉलेज से घर आते ही ,
चाय और पकौड़े की खुशबु से स्वरा का मन खुश हो जाता है l सीधे ही रसोई में पहुंचती है और झट से एक पकौड़ी उठा खाने लगती है तभी उसकी माँ डांटते हुए , हाथ धोए तुमने जो खाने लगी ?

"ओह सॉरी माँ , फिर हाथ धोते हुए , क्या हैं न माँ आपको तो पता है पकौड़े देखकर मुझे कंट्रोल नहीं होता है l बारिश का मौसम उस पर ये पकौड़े, नहीं नहीं बिन मौसम बरसात और पकोड़े बोलकर हँसने हँसने लगती है l "

क्रमश :
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