Ishq Hona hi tha - 10 in Hindi Love Stories by Kanha ni Meera books and stories PDF | इश्क़ होना ही था - 10

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इश्क़ होना ही था - 10



** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 10 **

अभी तक हमने देखा की अक्षत जो दिया को ही खोज रहा था और जब उसे पता चलता है, की दिया दीपाली बहन के कहने पर उनके रूम में गई है, तो वो उसे बुलाने जाता है...

अक्षत और दिया दोनों निचे जा ही रहे थे और अक्षत जो उसके ही पीछे पीछे ही चल रहा था...

दिया जब अपने बाजु में देखती है, तो अक्षत नहीं होता जब वो पीछे देखती है, तो अक्षत उसके ही पीछे ही आ रहा है...

"आप पीछे क्यों चल रहे हो...

साथ में चल सकते हो..."

दिया बोलती है और मुस्कुरा देती है...

ये सुन कर अक्षत भी उसके थोड़ा आगे आ जाता है और उसके साथ ही चलने लगता है...

शिव जो कब से इन दोनों को ही खोज रहा था, जब वो दोनों को आता देखता है तो उनके पास चला जाता है...

"अरे कहा थे तुम दोनों यार...

में कब से ठुड रहा था..."

शिव जल्लाके बोलता है...

"क्या हुआ... "

अक्षत बोलता है...

"अरे तुम लोग भूल गए क्या हमें नितिन की मोजड़ी चोरी करनी थी..."

शिव बोलता है...

"हा तो चलो ना.."

अक्षत बोलता है वो जाने ही वाले थे तभी उनके सामने अहाना आ जाती है और उनके सामने मोजड़ी कर देती है...

"ये तो नितिन जीजू की है..."

शिव खुश हो कर बोलता है...

"अरे तुम लेके भी आ गई..."

अक्षत बोलता है...

"हा , चलो जल्दी कोई देखे उसे पहले ही हम छुपा देते है..."

अहाना बोलती है...

"चलो..."

शिव बोलता है....

"आप सब जाओ में ये सामान दीपाली आंटी को दे कर आती हु..."

दिया बोलती है और वो सब जाके मोजड़ी को छुपा देते है...

सब ख़ुशी से नितिन और मिताली को ही देख रहे थे अब शादी की सभी रस्में शुरू हो गई हैं...

मिताली और नीतिन हमेशा के लिए एक दूसरे से मिलने जा रहे हैं... दूसरी तरफ अक्षत , अहाना और शिव मिलकर नीतिन की मोजड़ी छुपा कर दिया के पास आ जाते है...

फेरे के समय सभी की नजरें मिताली और नीतिन पर होती हैं, जो एक-दूसरे के साथ एक नए जीवन की शुरुआत के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। इस महत्वपूर्ण क्षण सब खुशी से मुस्कुरा रहे हैं, जब उन्होंने देखा कि नीतिन और मिताली का रिश्ता और भी मजबूत हो रहा है...

मिताली और नीतिन के इस प्यार भरे मोमेंट के बाद, सभी उपस्थित लोग अपनी शुभकामनाएं देते हैंऔर वो दोनों सभी का आर्शीवाद ले ते है...

अब शादी हो चुकी है, और एक नए जीवन की शुरुआत हो रही है...

मिताली और नितिन जो एक दूसरे को ही मुस्कुरा के देख रहे थे...

नितिन जब अपनी मोजड़ी पहने के लिए जाता है तो वहा उसकी मोजड़ी नहीं थी और ये देख कर वो ढूढ़ने लगता है...

नितिन के भाई बहन जिनको नितिन ने मोजड़ी क्या दयान रखने के लिए बोला था वो उनसे पूछने लगता है...

तभी ये चारो सबके सामने आ जाते है...

"जीजू, आपकी मोजड़ी हमारे पास है..."
अहाना कहती है...

" तो वो तुम लोग हो...

जिसने मेरी मोजड़ी चोरी की..."

नितिन बोलता है...

"अब तुम मोजड़ी की जगह यह क्या लोगे ..."
नीतिन हंसते हंसते कहता है...

"हमें तो 1 लाख चाहिए..."
शिव कहते हैं...

थोड़ी सी बात होने के बाद नितिन और उनके परिवार वाले 10 हजार देते है...

अहाना जाकर रूम में राखी हुई मोजड़ी ले कर आ जाती है...

सब साथ में ही खाना खाते है और मजाक मस्ती भी हो रही थी...

मजाक मस्ती के बाद सबसे मुश्किल समय था की अब मिताली की विदाई का समय आ गया है...

मिताली के आँखों में आँसू थे बावजूद, उसके चेहरे पर हँसी और उत्सुकता का संकेत है, क्योंकि वह अपने नए जीवन के सफर को आगे बढ़ा रही है...

विदाई के मोमेंट पर, उसके आस-पास के लोग उसे खुशियों और सफलता की शुभकामनाएं देते हैं और उसकी मम्मी पप्पा के साथ अपनी बेटी की खुशियों की कामना करते हैं। उसके पास उसके प्यारे नीतिन का साथ होता है...

मिताली एक एक कर के सबके गले लग रही थी और फिर वो शिव के गले लगती है...

शिव के आँखों में आँशु थे और वो फिर भी मिताली को हँसाने की कोशिश कर रहा थे...

"चलो अब बस कितना रुलाओगी...

और ये मत सोचना तुम्हारे जाने पर रो रहे है...

ये तो सबके ख़ुशी के आशु है..."

शिव बोलता है...

मिताली गुस्से से उसे मरने लगती है और शिव उसे फिरसे गले लगा लेता है...

मिताली आकर दिया और अहाना को गले लगाती है...

दिया जो आपने आँशु को छुपा रही थी, वो अब ज्यादा देर तक नहीं छुपा पाती और तीनो रोने लगते है...

मिताली जो आजु बाजु अक्षत को ढूढ़ रही थी...

"अक्षत कहा है ..."

मिताली बोलती है...

सब यहाँ वहा देखने लगते है पर किसीको अक्षत नहीं मिलता...

"अरे में यहाँ पर ही हु..."

अक्षत बोलता है और मिताली के गले लग जाता है...

"तुम्हारी ख्याल रखना, मिताली... मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ..."

अक्षत बोलता है...

"अरे में भी तो हु..."

शिव भी बोलता है और उन दोनों को गले लगा लेता है...

उसके आँखों में आँशु तो थे, पर ना जाने किस तरह वो उन्हें बहार निकल ने से रोक रहा थे...

अक्षत जो मिताली को कार में बिठाता और नितिन भी कार में बैठता है...

उनकी कार जाने लगती है सब ख़ुशी सब उसी तरफ देख थे पर मुस्कान के साथ आँखों में आँशु भी थे...

अक्षत जो आपने आँशु को रोकर नहीं पाया और इसी वजस से सब से चुप कर वहा से चला गया...

ये दिया ने देखा और वो भी उसी के पीछे चली गयी...

अक्षत जो एक पेड़ के पीछे खड़ा थे और जब दिया भी उसकी पास जाकर रुक जाती है...

जब अक्षत दिया को देखता है तो उसके आखो में आँशु थे और दिया को देख कर ही वो उसके गले लग जाता है...


" अक्षत क्या इस तरह से गले लगने से दिया गुस्सा हो जाएगी...?"

" जब दिया को अक्षत के दिल की बात पता चलेगी तो की होगा...?"

" जाने के बाद क्या दिया और अक्षत की बाते होंगी...?"

ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....

इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part - 11 आपके सामने 21 October को आ जायेगा ...