Wo Maya he - 70 in Hindi Adventure Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | वो माया है.... - 70

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वो माया है.... - 70



(70)

इंस्पेक्टर हरीश खबर रोज़ाना में छपी रिपोर्ट पढ़ रहा था। उसके कहने पर सब इंस्पेक्टर कमाल ने रिपोर्ट को स्कैन करके ईमेल पर भेजा था। रिपोर्ट में लिखा था कि विश्वसत्र सूत्र से पता चला है कि पुलिस को लकी ढाबे के सीसीटीवी कैमरे से एक शख्स की तस्वीर मिली थी। मरहूम पुष्कर की पत्नी दिशा ने बताया था कि उसने कत्ल वाले दिन ढाबे पर उस शख्स को देखा था जो उसे और पुष्कर को घूर रहा था। उस शख्स का नाम कौशल है और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है। कौशल का संबंध मृतक पुष्कर के बड़े भाई विशाल से जुड़ रहा है। अतः पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार किया है। पुष्कर की हत्या के केस में आया यह नया मोड़ कई सवालों को जन्म दे रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुष्कर की हत्या कौशल ने की है ? क्या यह हत्या विशाल के कहने पर की गई है ? इन सवालों का जवाब कौशल और विशाल से हुई पूछताछ के बाद ही मिल पाएगा। क्राइम ब्रांच की तरफ से इस केस के लिए भेजे गए विशेष जांच अधिकारी साइमन मरांडी पूछताछ के लिए भवानीगंज रवाना हो गए हैं। हमारी संवाददाता अदीबा सिद्दीकी इस केस से जुड़े कुछ नए पहलू जल्दी ही आपके सामने लेकर आएंगी।
रिपोर्ट पढ़ने के बाद इंस्पेक्टर हरीश बहुत गुस्से में था। रिपोर्ट में जो छपा था वह सही था। पर इस विषय में पुलिस की तरफ से कोई सूचना नहीं दी गई थी। उसने सारी बात साइमन को बताई। सब सुनकर साइमन ने कहा,
"तुमने कौशल और विशाल की गिरफ्तारी की खबर मुझे दी थी। यहाँ के लिए निकलते समय मैंने सारी बात सब इंस्पेक्टर कमाल को बताई थी।"
सब इंस्पेक्टर कमाल का नाम आते ही इंस्पेक्टर हरीश ने कहा,
"सर कमाल यह खबर अखबार को नहीं देगा।"
"मैं इस संबंध में उसका नाम ले‌ भी नहीं रहा हूँ। मेरे कहने का मतलब है कि शाहखुर्द थाने में कोई ऐसा है जो उस रिपोर्टर को खबरें देता है। उसने मेरे और कमाल के बीच हुई बातचीत सुनी होगी और उस रिपोर्टर को बता दी। रिपोर्टर ने बिना देरी किए आज सुबह अखबार में छपवा भी दिया।"
"सर मैं कमाल से कहूँगा कि पता करने की कोशिश करे कि यह काम किसका है।"
साइमन ने कुछ सोचकर कहा,
"वैसे इस खबर का सामने आना हमारे लिए इतना बुरा नहीं है। लोगों को पता चलना चाहिए कि केस में आगे क्या हो रहा है। मैं खुद सोच रहा था कि मीडिया को हमारी इस गतिविधि के बारे में खबर दूँ। लेकिन फिर भी पता चलना चाहिए कि कौन है जो बिना इजाज़त‌ उस रिपोर्टर को खबर दे रहा है।"
इंस्पेक्टर हरीश के मन में भी एक बात आई थी। उसने कहा,
"सर इस्माइल के अचानक गायब हो जाने का कारण यही तो नहीं है कि उसे कौशल की गिरफ्तारी के बारे में पता चल गया हो।"
"हो सकता है कि ऐसा हो। मैंने सुमेर से कहा है कि जल्दी इस्माइल का पता कर उसे गिरफ्तार करे। वह कह रहा था कि उसने यूसुफ ट्रैवेल्स के ऑफिस पर नज़र रखने के लिए किसी को तैनात किया है। वह जल्दी पकड़ जाएगा। मैंने विशाल के सॉइकोलॉजिकल टेस्ट के बारे में बात की है। मुझे उम्मीद है कि जल्दी ही इसकी व्यवस्था हो जाएगी। तुम भी अब विशाल की पत्नी और बच्चे की मौत के बारे में पता करो।"
"सर मैं उसी सिलसिले में जा रहा था। जिस घर में समीरा नर्सिंग होम खुला था उसमें आजकल एक कोचिंग सेंटर चल रहा है। उस कोचिंग सेंटर के मालिक केशव द्विवेदी ने मुझे उस शख्स का नाम और पता बताया है जिससे उन्होंने वह घर खरीदा था। मैं वहीं जा रहा हूँ।"
"ठीक है तुम जाओ..."
इंस्पेक्टर हरीश जाने के लिए खड़ा हुआ। फिर कुछ सोचकर बोला,
"सर....पुष्कर और चेतन की हत्या की गुत्थी कैसे सुलझेगी ? इन दोनों हत्याओं से विशाल का कोई संबंध हो ऐसा नहीं लगता है।"
"उन दोनों हत्याओं की गुत्थी सुलझाने के लिए हमें नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। कौशल और विशाल के केस की चार्जशीट दाखिल हो जाए। उसके बाद पुष्कर और चेतन की हत्या के मामले की जांच दोबारा शुरू करते हैं।"
इंस्पेक्टर हरीश चला गया। साइमन केस के बारे में सोचने लगा।

उमा ने बद्रीनाथ और केदारनाथ को पानी पिलाया। दोनों बाबा कालूराम से मिलकर लौटे थे। किशोरी यह जानने को बेसब्र थीं कि बाबा कालूराम ने क्या कहा। उन्होंने पूछा,
"बाबा जी से मुलाकात हुई ? क्या कहा उन्होंने ?"
बद्रीनाथ ने अपने जूते उतार लिए। दोनों पैर तखत पर करके बैठ गए। उन्होंने कहा,
"बाबा को सारी बात विस्तार से बता दी है।‌ उनका कहना है कि वह आज रात समाधी में बैठकर सच का पता लगाएंगे। उसके बाद ही कह सकते हैं कि माया से मुक्ति पाने के लिए क्या उपाय करना है।"
किशोरी को इस जवाब से खास संतुष्टि नहीं मिली। उन्होंने तो सोचा था कि बाबा बहुत कुछ बताएंगे। समस्या का कोई हल देंगे। पर उन्होंने कुछ बताया नहीं था। उन्होंने मायूसी के साथ कहा,
"समाधी में बैठकर पहले सच पता करेंगे। सच तो सब उनको बता दिया है। अब क्या पता करना है ?"
बद्रीनाथ ने कहा,
"जिज्जी यह तो बाबा जानें। हमने तो उन्हें सारी बात शुरू से आखिर तक खुलकर बता दी थी। अब उनका कोई तरीका होगा।"
किशोरी अभी भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई थीं। कुछ सोचकर उन्होंने कहा,
"कोई ताबीज़ या रक्षा कवच भी नहीं दिया।"
केदारनाथ ने जवाब दिया,
"भइया ने इस बारे में कहा था। पर वह बोले कि उस सबकी कोई ज़रूरत‌ नहीं है। माया सिर्फ घर में खुशियां आने से रोकेगी। आप लोगों को नुक्सान नहीं पहुँचाएगी।"
किशोरी ने उमा की तरफ देखा। उमा भी जो बात हुई थी उससे संतुष्ट नहीं लग रही थीं। बद्रीनाथ उन दोनों के मन की बात समझ गए थे। उन्होंने कहा,
"जिज्जी अब उन पर भरोसा रखने के अलावा तो कुछ किया नहीं जा सकता है। शिवराज कह रहा था कि बाबा मतलब भर की बातें ही करते हैं। बेवजह किसी को तसल्ली भी नहीं देते हैं। अपने हिसाब से परख कर देखेंगे। उसके बाद ही कुछ बताएंगे। परसों फिर आने को कहा है। अब परसों तक धैर्य रखते हैं।"
किशोरी ने कहा,
"जहाँ इतने दिनों तक धैर्य रखा है कुछ समय और रख लेते हैं।"
उसी समय नीलम सबके लिए चाय लेकर बैठक में आई। किशोरी ने कहा कि उनकी चाय अभी रसोई में रख दे वह शाम की आरती करके पी लेंगी। उमा भी अपनी चाय लेकर नीलम के साथ चली गईं। बैठक में दोनों भाई रह गए थे। बद्रीनाथ ने चाय का एक घूंट भरकर कहा,
"तुम्हें क्या लगता है केदार....बाबा कालूराम कोई मदद कर पाएंगे। हमारे कहने का मतलब है कि जैसा सोचा था बाबा वैसे नहीं लगे।"
केदारनाथ ने चाय का एक घूंट भरा। कुछ सोचकर बोले,
"वह तांत्रिक देखने में हमें ठीक लगता था। लेकिन था तो धोखेबाज़। यह सही है कि बाबा के बारे में हम लोग जो सोचकर गए थे वह वैसे नहीं लगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह कुछ कर ना पाएं। उन्होंने बड़ी बड़ी बातें नहीं की हैं। सब सुनकर इतना कहा कि समाधी में बैठकर सच का पता करेंगे। देखते हैं शायद ऐसा कोई उपाय बता दें जिससे हमेशा के लिए समस्या से छुटकारा मिल जाए।"
बद्रीनाथ ने एक आह भरकर कहा,
"पता नहीं जीवन में कभी खुशियां आएंगी कि नहीं। सच कहें केदार तो अंदर से टूट गए हैं।"
यह कहते हुए उनकी आवाज़ भर्रा गई। केदारनाथ उनके पास तखत पर जाकर बैठ गए। उनके कंधे पर हाथ रखकर तसल्ली दी। बद्रीनाथ ने कहा,
"तुम परेशान ना हों ठीक हैं हम।"
दोनों भाई चुपचाप चाय पीने लगे। केदारनाथ के मन को एक बात परेशान कर रही थी। वह उसके बारे में बद्रीनाथ से बात करना चाहते थे। उन्होंने कहा,
"भइया परेशानी तो बहुत है। यही समझ नहीं आ रहा है कि विशाल को पुलिस ने गिरफ्तार क्यों किया है ? जब हम लोग खाना लेकर गए थे तो वह आपसे किसी बात की माफी मांग रहा था। वह किस बात की माफी मांग रहा था भइया ?"
बद्रीनाथ ने अपने भाई की तरफ देखा। उसके बाद नज़रें झुका लीं। केदारनाथ ने महसूस किया कि उनकी आँखें नम हो गई हैं। उन्होंने कहा,
"कल से ही यह बात परेशान कर रही थी। पर आपसे पूछने की हिम्मत नहीं हुई थी। अभी भी यह बात ना करते अगर....."
कहते हुए केदारनाथ चुप हो गए। उन्होंने अपनी पैंट की जेब से एक कागज़ निकाल कर बद्रीनाथ को पकड़ा दिया,
"भइया यह खबर रोज़ाना अखबार की कटिंग है। उसी अखबार की जिसमें ताबीज़ वाली बात छपी थी।"
बद्रीनाथ उस खबर को पढ़ने लगे। पूरी खबर पढ़ने के बाद वह और परेशान हो गए। उन्होंने केदारनाथ की तरफ देखा। केदारनाथ ने कहा,
"विशाल ने बुक स्टॉल वाले पप्पू से कहा था कि खबर रोज़ाना के जिस अंक में पुष्कर के केस की खबर छपा करे उलके लिए उसकी एक कॉपी ले लिया करे। वह हर बार ऐसा करता था। इस बार भी वह एक कॉपी लेकर आया। पर अखबार पढ़कर उसे विशाल की गिरफ्तारी के बारे में पता चला। आपके पास आने की जगह वह हमारे स्कूल आ गया। हम स्कूल से छुट्टी लेकर निकल रहे थे कि आपके साथ जाना है। स्कूल के बाहर उससे भेंट हो गई। उसने हमें खबर दिखाई। हमने उतना हिस्सा फाड़कर रख लिया जिसमें खबर थी।"
बद्रीनाथ अखबार के उस टुकड़े को देख रहे थे।‌ उनके चेहरे पर गहरा दुख नज़र आ रहा था।