नानी की कहानी - मोर और कौआ
(मारवाड़ी कहानी हिन्दी में)
एक बार की बात है राजस्थान के एक छोटे से गाँव में एक दिवरानी और जिठानी रहती थी | जहाँ दिवरानी दयालु और शांत स्वभाव की थी वहीं जिठानी झगङालु और ईर्ष्यालु स्वभाव की थी | दिवरानी ने एक मोर पाल रखा था तो उसे देखकर जिठानी ने भी एक कौआ पाल लिया |
एक दिन दिवरानी ने मोर को चुल्हा जलाने के लिए टहनियाँ लाने भेजा, उसे देखकर जिठानी ने भी कौए को टहनियाँ लाने भेजा |
वे दोनों टहनियाँ तोड़ रहे होते हैं तभी मोर🦚 के पैर में कैर का कांटा लग जाता है | कौआ मोर को छोड़कर अकेला ही घर चला जाता है |
अब मोर🦚 सङक पर बैठ कर गाड़ी का इंतजार करने लगता है और कहता है ' कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को, कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को ' तभी वहाँ एक बैलगाड़ी वाला आता और रुकता है | मोर पूछता है कि आपकी गाङी में क्या सामान रखा है? वह उत्तर देता है कुल्हाड़ी, कस्सी, जई और अन्य औजार 👨🌾 | चोट लग जाने के डर से बैठने के लिए मना कर देता है |
मोर 🦚फिर कहता है 'कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को, कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को' फिर वहाँ एक ऊंठगाङी वाला रुकता है मोर पूछता है कि गाङी में क्या है? वह उत्तर देता है कंकड़ पत्थर बजरी | गंदा हो जाने के डर से मोर उसे भी मना कर देता है |
मोर 🦚एक बार फिर कहता है 'कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को, कांटो लाग्यो कैर को पग दुखे मोर को' इस बार वहाँ एक सुनार रुकता है मोर पूछता है आपकी गाङी में क्या है? वह उत्तर देता है सोना, चांदी, मोती | मोर उसकी गाङी में बैठ जाता है | रास्ते में मोर अपने पंख फैलाता है तो कुछ सोना चांदी और मोती उसके पंखो में ही रह जाते हैं |
वह घर पहुंचता है और अपने पंख फङफङाता है तो पुरा घर सोने चांदी मोतियों से चमकने लगता है जिसे देखकर दिवरानी बहुत खुश होती है |
लेकिन ये सब जेठानी देख लेती है और उसे ईर्ष्या होने लगती है इसलिए वह भी कौए को कुछ लाने के लिए भेजती है | लेकिन वह मूर्ख कौआ जाता है और जहाँ एक आदमी अपना पेट खाली कर रहा था 💩 उसमें अपने पंख भरकर घर आया है जिठानी कहती है ले आया मेरा सोना चांदी!! तभी कौआ अपने पंख फङफङाता है पूरा घर और जिठानी का मुंह अपशिष्ट से भर जाता है और बदबू मारने लगता है 🤣🤣
इससे हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी की भी उपलब्धि पर उससे ईर्ष्या नहीं करनी करनी चाहिए और एक मूर्ख कौआ तो बिल्कुल नहीं पालना चाहिए 😂
{ये कहानी मारवाड़ी भाषा में सुनाई जाती है मैंने इसे हिन्दी में सुनाने की कोशिश की है जिस अंदाज में मुझे नानी सुनाया करती थी शायद उसी में कुछ अलग बात थी}
इतना पढा है तो कहानी पसन्द आयी होगी 5 स्टार देना ना भूलें.... - रविन्द्र
धन्यवाद!!!